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28 अप्रैल 1994 ध्यानाकर्षण सूचनाओं के उत्तर

28 अप्रैल 1994 ध्यानाकर्षण सूचनाओं के उत्तर

(80) दिनांक 28 अप्रैल 1994


ध्यानाकर्षण सूचनाओं के उत्तर।

परिशिष्ट - एक (क)

डॉ आई.एम.पी.वर्मा, (मऊगंज) :

(डॉ0 सीतासरन शर्मा, श्री बाबूलाल गौर, सदस्य) :

अध्यक्ष महोदय,

मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-
    गुना जिले के चाचौड़ा तहसील के बीनागंज में 15-16 अप्रैल की दरम्यानी रात में रमेश सोनी के यहां 12 सशस्त्र डकैतों ने डकैती डालकर 10 लाख रूपए कीमत के सोना, चांदी, हीरा, जवाहरात एवं नगदी लूटकर ले गए। साथ ही एक बंदूक भी लूट ली. डकैतों ने परिवारजनों के साथ मारपीट की जिससे रमेश का भाई गंभीर रूप से घायल हो गया। घटना स्थल में पुलिस चौकी 100 मीटर पर एवं थाना 3 कि0मी0 दूरी पर स्थित है, फोन से तत्काल सूचना देने पर पुलिस काफी विलंब से पहुंची, एक भी अपराधी नहीं पकड़ा गया है, इस भीषण डकैती से बीनागंज में दहशत एवं आक्रोश व्याप्त है।

    मुख्यमंत्री (श्री दिग्विजय सिंह) :
    अध्यक्ष महोदय, प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनांक 15/16-04-94 की मध्य रात्रि करीब 02-30 बजे रमेश पुत्र ओमकार लाल सोनी उम्र 45 वर्ष नि. बीनागंज थाना चाचौडा जिला गुना ने टेलीफोन से थाना चाचौड़ा पर सूचना दी कि उसके घर पर डकैती डल गई है, फोर्स जल्दी भेजो। इस सूचना को रो.सर.क्र 874 समय 02-30 बजे रात्रि पर दर्ज कर थाना प्रभारी निरीक्षक पी.एस. यादव मय फोर्स के तत्काल रवाना होकर घटना स्थल पर समय 02-45 बजे पहुंचे, उस समय तक डकैत घटना घटित कर भाग चुके थे। तत्काल पुलिस बल को डकैतों के भाग कर जाने के रास्तों पर रवाना किया गया, रमेश के छोटे भाई जिनेश पुत्र ओमकार लाल सोनी उम्र 35 वर्ष निवासी बीनागंज ने थाना प्रभारी को रिपोर्ट की कि रात्रि करीबन 2 बजे वह अपने मकान की छत पर सो रहा था, छत पर पीछे से चढ़ कर 5-6 डकैत आये। एक के पास देशी कट्टा और एक के पास बंदूक थी, उनमें से एक के मुंह के ऊपर कपड़ा बंधा था, डकैतों ने उसके हाथ साफी से बांधे और घर के अंदर नीचे ले गये, नीचे सो रहे इसके बड़े भाई रमेश की लड़की के पति (कंवर साहब) धर्मेंद्र सोनी को बदमाशों ने उठाया और वहीं पर पड़ी उसकी कमीज से उसके हाथ बांधने के बाद सोने की अंगूठी तथा चेन छीन ली। 5-6 डकैत नीचे मकान की चौक में घूम रहे थे। इस प्रकार 10-12 डकैत थे, डकैतों ने दूसरे कमरे में सो रहीं उसकी भाभी रामकली बाई पत्नी रमेश सोनी तथा भतीजी रानी पत्नी धर्मेंद्र सोनी को दरवाजे की सांकल बजा कर जगाया और दरवाजा खुलवा कर वहां रखी लायसेंसी बारह बोर बंदूक दो नाली उठा ली, इसके बाद अलमारी में रखे ग्राहकों के गिरवी के सोने चांदी के जेवरात तथा नगदी 30,000/-रूपये निकाले और भतीजी रानी के बदन पर पहने हुए सोने के जेवर चेन, अंगूठी तथा कान के बाले छीन लिये। इसके बाद डकैतों ने घर के बाहर इसकी दूकान में जाकर भाई रमेश से सोने चांदी के निर्माणाधीन जेवर लूटे और फिर पीछे के दरवाजे से निकल कर भाग गये। भागते समय डकैतो ने  उसकी नाक पर सब्बल मार कर चोट पहुंचा गये, डकैत कुल जेवरात सोना, चांदी,नगदी तथा 1 बंदूक कुल कीमती करीब 4,85,00/- हजार रूपये का लूट कर ले गये। रिपोर्ट पर अप.क्र. 0/94 धारा 395, 397 भा.द.वि. का अपराध दिनांक 16-04-94 के 02-00 बजे पंजीबद्ध कर थाना प्रभारी निरीक्षक पी.एस. यादव द्वारा विवेचना प्रारंभ की गयी, थाना चाचौड़ा पर यह अपराध क्रमांक 126/94 धारा 395, 397 भा.द.वि. के अंतर्गत कायम हुआ, घायल जिनेश सोनी को डाक्टरी परीक्षण हेतु शासकीय अस्पताल बीनागंज भेजा गया। डाक्टर एच.आर.मौर्य द्वारा जिनेश की नाक ऊपरी औठ तथा दाड़ी पर साधारण चोट सख्त बोथरे हथियार से आना बताया अपराधियों की तलाश हेतु तुरंत नाकेबंदी कर पुलिस बल की 19 पार्टिया बनाकर विभिन्न स्थानों पर तलाश हेतु भेजी गयी, आसपास के थाने कुंभराज, राधोगढ़, विजयपुर, जामनेर आदि को सूचित कर अपराधियों की तलाश में लगाया गया।
    दिनांक 16-04-94 को सुबह 05-00 बजे सूचना प्राप्त होने पर एस.डी.ओ.पी. राधोगढ़ श्री बी.एस. चौहान 06-00 बजे घटना स्थल पर पहुंचे और आगामी विवेचना संबंधी मार्गदर्शन दिये। अति0 पुलिस अधीक्षक श्री आर.एन. श्रीवास्तव तथा पुलिस अधीक्षक श्री एम.एस. गुप्त भी 10-30 बजे मौके पर पहुंचे और पर्यवेक्षण कर आवश्यक निर्देश दिये, डकैतों की तलाश सरगर्मी से की जा रही है।
    यह कहना सही नहीं है कि रमेश का भाई गंभीर रूप से घायल हो गया, रमेश के भाई जिनेश को डाक्टर एच.आर. मौर्य ने अपनी परीक्षण रिपोर्ट में साधारण चोट सख्त बोथरे हथियार से आना बताया है।
    बीनागंज में सुरक्षा हेतु पुलिस गार्ड लगायी गयी है और डकैतों की तलाश सरगर्मी से लगातार की जा रही है। बीनागंज क्षेत्र में जन-जीवन सामान्य है।

   परिशिष्ट - दो (क)
   

 श्री कमल पटेल (हरदा) : (रघुनंदन शर्मा) सदस्य,
अध्यक्ष महोदय,
मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-
    हरदा तहसील के ग्राम पहटकलां, बेड़ियाकलां एवं खिरकिया तहसील के अनेक ग्रामों में इन दिनों गुजरात एवं राजस्थान की हजारों भेड़ें प्रवेश कर गयी हैं जिससे कि किसानों की खड़ी फसलें बरबाद हो रही हैं। पूर्व में कुछ अवसरों पर इन भेड़ों को गेहूं एवं चले की फसल कटने के बाद प्रवेश देने के प्रकरण हुए हैं, लेकिन इस बार खड़ी फसलों के समय ही भेड़ों के घुस जाने से किसान बरबाद होने कि स्थिति में आ गये हैं, इसी प्रकार संपूर्ण राजगढ़ जिले में वर्तमान में राजस्थान से आई हुई भेड़े फसलों तथा वनों को चौपट कर रही हैं, वर्तमान में झापीहेड़ा, तलैन, इकलेरा, बोड़ा में यह भेड़ें फसलों वनों तथा जनजीवन को प्रभावित कर रही हैं। वास्तव में इन भेड़ों को राजस्थान से आने तथा म.प्र. से गुजरने का राहदारी पास (ट्रांजिट पास) जारी होना चाहिये तथा ट्रांजिट पास में निर्धारित मार्ग से ही वे गुजर सकती हैं परंतु भेड़ वालों से अवैध रूप से वसूली कर किसानों के खेत व वनों को नष्ट करने की खुली छूट दे दी गई है आये दिन इसी विवाद के कारण किसानों तथा भेड़ वालों के बीच हिंसक वारदातें भी हो रही हैं, किसान खेतों का विनाश कर रही भेड़ों से परेशान हैं।
    मुख्यमंत्री (श्री दिग्विजय सिंह) : अध्यक्ष महोदय, 
    प्राप्त जानकारी के अनुसर यह सही है कि भेड़ चराने वाले हरदा एवं खिड़कियां तहसील मे बाहर राजस्थान से आये थे, दिनांक 01-04-94 के 11-50 बजे रामकृष्ण गूजर निवासी रहटकला तहसील खिड़कियां द्वारा थाना हडीया जिला होंशगाबाद ने आकर बताया कि भेड़ उसके खेत में घुस रही हैं। इस रिपोर्ट पर थाने से पुलिस बल शीघ्र घटना स्थल पर पहुंचा और भेड़ वालों को वहां से भगाया, दिनांक 04-10-94 के 16-40 बजे फरियादी रामविलास पुत्र श्याम लाल जाट निवासी रातातलाई द्वारा थाना हंडीया में रिपोर्ट की कि भेड़ें उसके खेत में घुसने से इसका नुकसान होने पर इसने मना किया तो भेड़ वालों ने एक राय होकर फरियादी एवं उसके साथियों के साथ मार-पीट की गई। उक्त रिपोर्ट पर तत्काल थाना हंडीया में अपराध क्रं0 16/94 धारा 147, 323, 427 भा.द.वि पंजीबद्ध कर दिनां 10-04-94 के 16-49 बजे थाना प्रभारी विजय सिंह चौधरी तत्काल घटना स्थल पहुंच कर विवेचना प्रारंभ की अज्ञात आरोपियों द्वारा घटना के तुरंत बाद अन्यत्र स्थान चले जाने के कारण उनकी गिरफ्तारी नहीं की जा सकी, उनकी गिरफ्तारी के लिए थाना प्रभारियों को वायरलेस किये गये और तलाश जारी है, उपरोक्त घटना के अतिरिक्त अन्य कोई रिपोर्ट भेड़ द्वारा फसल नुकसान करने की होना नहीं पाई पायी। पुलिस अधीक्षक होशंगाबाद ने क्षेत्र के सभी थाना प्रभारियों को इस प्रकार की रिपोर्ट पर तत्काल कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देशित किया है, पुलिस द्वारा खेतों में भेड़ें चराने हेतु कोई अनुमति नहीं दी जाती है, बल्कि जिन खेतों की फसल कट जाती है, उन खेतों के मालिकों द्वारा ही स्वयं खेतों के चराई हेतु भेड़ वालों से बात कर उनको अनुमति दी जाती है।
    प्राप्त जानकारी के अनुसार राजगढ़ जिले का कुल क्षेत्रफल 6133 वर्गकिलोमीटर है, जिसमे बन क्षेत्रफल कुल 264 वर्ग किलोमीटर है। इस प्रकार जिला राजगढ़ में वनों का क्षेत्रफल नगण्य है। छापीहेड़ा, बोड़ा, इकलेरा तथा तलैन क्षेत्र मे कोई भेड़ नहीं है। राजगढ़ जिले के कुल क्षेत्रफल में से 15-5 प्रतिशत ही फसलीस क्षेत्रफल है, जिसमें रवी एवं खरीफ की ही फसलें उत्पन्न की जाती हैं, द्विफसलीय क्षेत्रफल कम है। वर्तमान में अधिकांश खेती में लगी हुई गेहूं एवं चने की फसल पकने के बाद काटी जा चुकी है। अतः भेड़ों से कृषकों का नुकसान इस समय नहीं हो रहा है।
    आमतौर पर यह पाया गया कि इस क्षेत्र में किसान अपने खेतों में राजस्थान से आई भेड़ों को बैठाने को प्रोत्साहन देते हैं, क्योंकि भेड़ों का गोबर से यहां की अनुपजाऊ भूमि की उर्वरता बढ़ती है। राजस्थान से प्रतिवर्ष राजगढ़ जिले के साथ साथ मध्यप्रदेश के सीमा वर्ती अन्य जिलों से मंदसौर, शाजापुर, गुना, शिवपुरी में भी हजारों की संख्या में भेड़े राजस्थान से आती है और गुजरने वाले मार्गों के आसपास की भूमि पर उगी हुई घास चरती हुई चली जाती हैं। सामान्य तौर पर चरवाहे फसल वाले खेतों में भेड़ों को नहीं जाने देते हैं।
    मध्यप्रदेश शासन द्वारा वर्ष 1979 में राजस्थान राज्य के पशुओं के लिये राहदारी पास (ट्राजिस) का एक मार्ग निर्धारित किया गया है। जो अकलेहरा (राजस्थान) से भोजपुर (मध्यप्रदेश) खिलचीपुर, राजगढ़, सुठालिया, लटेरी, सिरोंज, चाचोंड़ा, सारस, ठकोनी, चंदेरी होकर ललितपुर को निकलता है। लेकिन राजगढ़ का अधिकाशं क्षेत्र राजस्व क्षेत्र होने के कारण ऐसे पशु राजस्व क्षेत्रों में चरते हुए पाये जाते हैं।
    वन क्षेत्र में पशु चराते हुए पाये जाने पर वन विभाग के द्वारा वर्ष 1991-92 में 8 प्रकरण, वर्ष 1992-93 में 9 वर्ष 1993-94 में 4 प्रकरण जिला राजगढ़ के सामाजिक वानिकी वन मण्डल द्वारा विभिन्न न्यायालयों में पेश किये गये हैं। जो न्यायालय के विचाराधीन है। वनों के क्षेत्रीय कार्य के लिए शासन द्वारा मात्र एक ही रेंजर पदस्थ किया गया है। क्षेत्रीय कार्यो के साथ-साथ राहदारी पास (ट्राजिस) पास एवं शुल्क नियंत्रण के लिए वही अधिकृत है। सहायक के रूप में उनके अधीनस्थ दो परिक्षेत्र सहायक तथा 20 वन रक्षक पदस्थ हैं। यह सही नहीं है कि चरवाहों से हजारों रूपये की वसूली की जाती है।
    रेंजर द्वारा प्रतिवर्ष हजारों जानवरों के विरूद्ध नियमानुसार वन अधिनियम के तहत कार्यवाही करके न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किये गये हैं। आज तक चरवाहों से रेंजर द्वारा अवैध वसूली करने की शिकायत न तो वन मण्डल अधिकारी की सूचना आई और न ही किसी पुलिस थाने अथवा पुलिस वरिष्ठ अधिकारियों को प्राप्त हुई है।
    जहां तक भेड़ों के चरवाहों और किसानों के बीच वाद विवाद एवं वारदातों का प्रश्न है, जिला राजगढ़ में वर्ष 1994 में अभी तक कोई घटना घटित नहीं हुई है। वर्ष 1993 में मात्र एक घटना घटित हुई थी जिस पर थाना भोजपुर में अपराध क्रमांक 193/93 धारा 147, 148, 149, 302, 34 भा.द.वि का पंजीबद्ध किया गया। थाना प्रभारी भोजपुर द्वारा उक्त प्रकरण में तत्परता से विवचना करके अपराधियों बादल, भीमा, नन्दा, पोकरराम, राणाराम, बिसना थाना खरसी जिला पाली राजस्थान को दिनांक 13/12/93 को गिरफ्तार किया गया। बाद विवेचना के प्रकरण मे चालान क्रमांक 105/93 दिनांक 23/12/93 को तैयार करके 24/12/93 को न्यायालय में पेश किया गया, जो प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है।
    यह सही नहीं है कि राजगढ़ जिले के किसानों के खेतों का विनाश वर्तमान में भेड़ों से हो रहा है, और न ही इस जिले के किसानों और भेड़ों के चरवाहों में झगड़े हो गये हैं, केवल एक बार झगड़ा होने की घटना 1993 में घटित हुई थी, जिसमें पुलिस के द्वारा तत्काल अपराधियों के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही की गई थी, स्थिति सामान्य है।
    
परिशिष्ट - तीन (क)

 श्री हुकुमसिंह कराड़ा (शाजापुर) : 
अध्यक्ष महोदय,
    शाजापुर जिले के मोमन बड़ोदिया ब्लाक के विकासखण्ड अधिकारी ने मोमन बड़ोदिया निवासी अनुसूचित जाति की महिला श्यामाबाई को 3 माह पूर्व वर्तन साफ करने के लिये नौकरी पर रखा था। दिनांक 9 अप्रैल, 94 की सुबह लगभग 10 बजे जब उक्त महिला वर्तन साफ कर कमरे में रखने गई तब उक्त विकासखण्ड अधिकारी ने अपने परिवार को बाहर भेज दिया था महिला के इंकार करने पर विकासखण्ड अधिकारी ने दरवाजा बंद कर उसे पटक दिया और पटक कर उसके साथ बलात्कार किया और बलात्कार के बाद ही उसे जाने दिया। बाहर निकलकर महिला ने सादिक नाम के व्यक्ति को घटना की जानकारी दी और थाना मोमन बड़ोदिया में घटना की रिपोर्ट की, लेकिन आज दिनांक तक उक्त अधिकारी को गिरफ्तार नहीं किया गया है और पुलिस द्वारा जानबूझकर दोषी अधिकारी को अग्रीम जमानत का मौका देने के कारण लोगों में आक्रोश है।
    मुख्यमंत्री (श्री दिग्विजय सिंह) : अध्यक्ष महोदय,
    प्राप्त जानकारी के अनुसार थाना मोमन बड़ोदिया में फरियादी श्यामा बाई पत्नी कालूराम चमार उम्र 30 वर्ष ने दिनांक 09-04-94 को 11-30 बजे दिन को रिपोर्ट कराई कि मोमन बड़ोदिया के बी.डी.ओ. साहब ने दिन के 10 बजे बांस बल्ली दिलाने को कहकर संभोग की इच्छा पूरी करने को कहा एवं इसके मना करने पर पटलकर बलात्कार किया। घटना के बाद उसने रास्ते में सादिक को बताया तथा घर पर उसके पति को भी घटना की जानकारी दी। उक्त रिपोर्ट पर दिनांक 09-04-94 को ही अप.क्र. 72/94 धारा 376 भा.द.वि. पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।
    प्रभावित महिला के मेडीकल परीक्षण में बलात्कार संबंधी कोई स्पष्ट मत डाक्टर द्वारा नहीं दिया गया है। प्रकरण अनुसूचित जाति से संबंधित होने के कारण निरीक्षण, अनुसूचित जाति कल्याण पुलिस, शाजापुर को विवेचना हेतु सौंपा गया है, तथा प्रकरण का पर्यवेक्षण उप पुलिस अधीक्षक, अनुसूचित जाति कल्याण, उज्जैन के द्वारा किया गया हैं। प्रकरण में गहराई से अनुसंधान किया जा रहा है।
    यह कहना सही नहीं है कि राजपत्रित अधिकारी संघ द्वारा दवाब डालकर प्रकरण को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। इसी तरह ये भी सही नहीं है कि अनुसूचित जाति कल्याण प्रकोष्ठ के पुलिस अधिकारी पक्षपात कर विकास खण्ड अधिकारी को गिरफ्तार न कर अग्रिम जमानत का मौका दिया जा रहा है। यह भी सही नहीं है कि इस घटना से क्षेत्र में भय एवं काफी असंतोष व्याप्त है।

परिशिष्ट - चार (क)

 श्री बनवारी लाल अग्रवाल (कटघोरा) : 
अध्यक्ष महोदय,
     मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-
    रायपुर पुलिस को अपराध शाखा द्वारा अपनी अभिरक्षा में सील कराई गई लगभग 7 लाख रूपए की चोरी की एल्युमूनियम मेसर्स मनीषा में 200 इंडस्ट्रीज भनपुरी, जिला रायपुर के गोदाम से दिनांक 17 मार्च, 1994 को पुनः रहस्यमय ढंग से गायब हो गई हैं। 31 दिसम्बर, 1993 को ट्रांसपोर्ट कार्पोरेशन आफ इंडिया नामक ट्रांसपोर्ट कंपनरी का एक ट्रक जिसका नंबर-सी.आई.आई.-8677 है, बिलासपुर जिले के बाल्को कोरबा से बंबई के लिये रवाना हुआ ओर अचानक गायब हो गया 12 जनवरी, 1994 को कोरबा थाने में इस चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई, रायपुर पुलिस की अपराध शाखा ने विजय शर्मा नामक व्यक्ति को एल्युमूनियम का ट्रक सहित पकड़ा तथा एल्युमूनियम बरामद कर उक्त संस्थान के गोदाम में सील करायी। कोरबा पुलिस यह देखकर दंग रह गई कि गोदाम की सील तोड़कर अपराधियों ने एल्युमूनियम गायब कर दी है। बाल्को एल्युमूनियम कंपनी के द्वारा बेचा जाने वाला यह 27 वां एल्युमूनियम का ट्रक है जो चोरी गया है। आज तक 2 करोड़ रूपयों की एल्युमूनियम चोरी का कोई पता नहीं चला है। इस चोरी का भी सुराग लगने के बाद भी मामला रफा-दफा किया जा रहा है। शासन की असफलता के कारण अपराधी अभी तक पकड़े नहीं जा सके हैं।


    मुख्यमंत्री (श्री दिग्विजय सिंह) : माननीय अध्यक्ष महोदय,
    प्राप्त जानकारी के अनुसार यह सही नहीं है कि रायपुर पुलिस की अपराध शाखा द्वारा अपनी अभिरक्षा में सील कराई गई लगभग 7 लाख रूपये की चोरी की एल्युमूनियम पुनः मेसर्स मनीष मेटल इण्डस्ट्रीयल भानपुरी जिला रायपुर के गोदाम से दिनांक 17 मार्च को रहस्यमय ढंग से गायब हो गई हैं। सत्य यह है कि मनीष इन्डस्ट्रीज में दिनांक 14/03/94 को गुखबिर सूचना के आधार पर दविश डाली गई, दविश के दौरान मेटल इन्डस्ट्रीज में बिजली के तारों का बन्डल एक कमरे में काफी मात्रा में रखा पाया गया। उक्त रखे माल को संदेह के आधार पर सील किया गया था। यह सील कार्यवाही दिनांक 14/03/94 को उप निरीक्षक आर. के. दुबे फ्लाईग स्काट प्रभारी एवं उनके स्टाफ द्वारा डी.एस.पी. क्राईम श्री आर.के.मिश्रा के निर्देशन में की गई थी। सील किये गये बिजली के तारों का नमूना प्राप्त कर रेल्वे विभाग से जानकारी प्राप्त की गई। रेल्वे विभाग के डिप्टी कन्ट्रोलर ऑफ स्टोर रेल्वे रायपुर द्वारा उक्त बिजली के तारों को नीलामी में बेचना बताया गया। रेल्वे विभाग द्वारा इस संबंध में लिखित में भी दिया गया, उक्त तार चोरी का न होने के कारण कोई अपराध कायम न कर मनीष इन्डस्ट्रीज को दिनांक 15/03/94 को सील तोड़ कर एल्युमूनियम वायर का उपयोग करने हेतु अनुमति दी गई।
    यही सही है कि दिनांक 31 दिसम्बर 1993 को ट्रान्सपोर्ट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया का एक ट्रक क्रमांक सी.आई.आई. 8877 बाल्कों से एक ट्रक एल्युमूनियम लेकर बंबई रवाना हुआ था और वह ट्रक बंबई न पहुंचकर बीच में ही ड्रायवर बीरा सरदार साकिन तितुरडीह थाना मोहन, नगर, जिला दुर्ग द्वारा माल बेच कर स्वयं फरार हो गया। मामले की रिपोर्ट थाना कोरबा में दिनांक 12/01/94 को दर्ज करवाई गई जिस पर अपराध क्रमांक 116/94 धारा 407 ता.हि. का दर्ज किया जाकर विवेचना में लिया गया। अपराधियों को पकड़ने के लिए समय-समय पर कोरबा तथा दुर्ग पुलिस रेड का अभियुक्त को पकड़ने का प्रयास कर रही है।
    यह सही नहीं है कि रायपुर पुलिस की अपराध शाखा ने विजय शर्मा नामक व्यक्ति को एल्युमूनियम का ट्रक सहित पकड़ा तथा एल्युमूनियम बरामद कर उक्त संस्थान के गोदाम में सील कराई, बल्कि सत्य यह है कि अपराध क्रमांक 116/94 धारा 407 थाना कोरबा जिला बिलासपुर में चोरी गये एल्युमूनियम का दिनांक 14/03/94 को रायपुर में मनीष इण्डस्ट्रीज के रूम को सील किये गये माल का कोई संबंध नहीं है। सही यह है कि दिनांक 01/07/93 को श्री ऋषिकरण शर्मा, मैनेजर, न्यू हरियाणा ट्रान्सपोर्ट कम्पनी कोरबा की रिपोर्ट पर अपराध क्रमांक 392/93 धारा ता.हि. का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया था। इस प्रकरण में ड्रायवर गुरूदर्शन सिंह ट्रक क्रमांक एम.यू.के. 8887 में करीब 15 टन 174 किलोग्राम एल्युमूनियम की सिल्ली जिसकी कीमत 8 लाख 22 हजार रूपये थी बाल्कों से भरवाकर भिलाई स्टील प्लान्ट के लिये रवाना हुआ था किन्तु ट्रक ड्रायवर गुयदर्शन सिंह ने यह माल नियत स्थान भिलाई स्टील प्लान्ट न पहुंचाकर ट्रक सहित लापता हो गया।
    इस प्रकरण की विवेचना में दिनांक 04/07/93 को उक्त ट्रक रायगढ़ में लावारिस हालत में बरामद किया गया। दिनांक 11/01/94 को ट्रक ड्रायवर गुरू दर्शनसिंह के राची में होने की सूचना मिली, इस पर पुलिस बल रांची भेजी जाकर दिनांक 13/01/94 को गुरूदर्शन सिंह जो नाम बदल कर वहां रह रहा था को फोटो से पहचान कर गिरफ्तार कर लाया गया और पूछताछ की गई जिसमें ट्रक में लदे एल्युमूनियम को बाराद्वारा के एक कबाड़ी नन्द कुमार राय को 2 लाख 44 हजार रूपये में बेचकर ट्रक छोड़कर फरार होना स्वीकार किया गया। इसी तारतम्य में कबाड़ी से पूछताछ की गई जिसने यह एल्युमूनियम विजय शर्मा, समता कालोनी रायपुर को बेचना बताया। रावाभाठा रायपुर में विजय शर्मा का सार्क उद्योग है, जिसमें एल्युमूनियम का कार्य किया जाता है। विजय शर्मा से पूछताछ पर नन्द कुमार से 4 टन एल्युमूनियम खरीदना स्वीकार किया एवं यह एल्युमूनियम मनीष उद्योग भानपुरी रायपुर को बेचना स्वीकार किया। इस प्रकार प्रकरण में अभियुक्त गुरूदर्शन सिंह वल्द केप्टन आत्मा सिंह सिख, कबाड़ी नन्द कुमार राय, बिलासपुर एवं विजय कुमार शर्मा समता कालोनी रायपुर को दिनांक 21/01/94 को गिरफ्तार कर माल बरामदगी हेतु रिमाण्ड में लिया गया। दीपक कुमार जैन मनीष मेटल इन्डस्ट्रीज,भानपुरी जिला रायपुर से 15 टन 45 किलो माल बरामद किया गया। प्रकरण में चालान न्यायालय में प्रस्तुत किया जा रहा है। यह सही है कि विगत वर्षों में बाल्कों से एल्युमूनियम चोरी के सन 1993 में दो प्रकरण पंजीबद्ध हुये एवं 1994 में 2 प्रकरण दर्ज हुये जिसका विवरण निम्न प्रकार हैं :-
    1- अपराध क्रमांक 187/93 धारा 407 आई.पी.सी. घटना दिनांक 14/03/93 आवेदक का नाम श्री सुशील मिश्रा पिता श्री डी.पी. मिश्रा उम्र 38 साल मैनेजर रोड ट्रान्सपोर्ट कम्पनी कोरबा, अपराधी का नाम ड्रायवर जीत सिंह पिता श्री इंद्रजीत सिंह टाटिवन रायपुर ट्रक नं. एम.के.एल. 9792 चोरी गया मशरूका (1) 9 टन 198 किलो एल्युमूनियम (2) 40 किलो आटो पार्ट्स (3) 150 किलो फ्यूल (4) 50 किलो. चावल जुमला कीमत 5,39,686त्र40 पैसे है. जप्ती का माल मिल गया  रिमार्क - ट्रक लावारिस हालत में मिला है जो जप्ती करके थाना कोरबा में खड़ा है। मामले में खात्मा दिनांक 16/12/93 को भेजा गया है।
    2- अपराध क्रमांक 392/93 धारा  397, 411 आई.पी.सी. दिनांक 26/03/93 आवेदक श्री ऋषिकरण शर्मा मेनेजर न्य हरियाणा ट्रांसपोर्ट कम्पनी कोरबा. अपराधी का नाम गुरूदर्शन सिंह पिता श्री केप्टन आत्मा सिंह सिख उम्र 43 साल नट थाना जिला लुधियाना पंजाब को रांची में दिनांक 22/01/94 को गिरफ्तार किया गया जो अभी न्यायालिय हिरासत व जेल में है।
    2- अभियुक्त दीपक कुमार जैन पिता गुलाबचंद जैन उम्र 24 वर्ष नयापारा रायपुर को दिनांक 02/03/94 को 19-30 बजे गिरफ्तार किया गया. अभियुक्त द्वारा सत्र न्यायालय बिलासपुर से अग्रिम जमानत मिलने पर दिनांक 02/03/94 को कोरबा थाने से जमानत पर है।
    3- अपराधी नंद कुमार राय पिता श्री चंद्रिका प्रसाद राय निवासी बाराद्वारा उम्र 38 वर्ष जिला बिलासपुर को दिनांक 24/01/94 को गिरफ्तार कर रिमाण्ड पर प्रथम मजिस्ट्रेट कोरबा के न्यायालय में पेश किया गया था जहां से दिनांक 01/02/94 से जमानत पर है।
    4- विजय कुमार पिता श्री कन्हैयालाल शर्मा उम्र 30 वर्ष समता कालोनी रायपुर को दिनांक 27/01/94 को 22 बजे गिरफ्तार कर रिमाण्ड पर प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट कोरबा के न्यायालय में पेश किया गया था जहां दिनांक 01/02/94 से जमानत पर हैं। अपराधी विजय कुमार शर्मा के मेमोरण्डम पर दीपक जैन रायपुर से 15 अन 45 किला एल्युमूनियम कीमत लगभग रूपये 8,22,000/- का जप्त किया गया है। इस प्रकरण में विवेचना तकरीबन पूर्ण है। चालान तैयार कर न्यायालय में पेश करना शेष हैं। मशरूका- 15 टन 174 किलो एल्युमूनियम की सिल्लियां कीमत रूपये 8,22,000/- जप्ती माल 15 टन 45 किलो कीमत रूपये 8,22,000/-ट्रक लावारिस हालत में मिला हैं ट्रक ओनर को सुपुर्दनामे में न्यायालय के आदेश से दिया गया है।
    3- अपराध क्रमांक 71/94 धारा 407 आई.पी.सी. घटना दिनांक 22/12/94 प्रार्थी श्री शुत्रुधन सिंह पिता श्री दुखहरण सिंह मैनेजर बालालिया ट्रांसपोर्ट कम्पनी कोरबा, अपराधी - ड्रायवर संजय सिंह, कमलेश, मंगला यादव ट्रक नं. एच.आर-01/837 (2) व्ही.एच.एफ. 9989 (3) यू.पी. 078वी/6427 मशरूका- चोरी गया तीनों ट्रक में लगभग 40 टन एल्युमूनियम सिल्लियां जप्ती-माल नील ट्रक नहीं मिले, विवेचना जारी है।
    4- अपराध क्रमांक 116/94 धारा 407 आई.पी.सी. दिनांक 31/12/93 आवेदक का नाम -ए.के. चौहान पिता श्री प्यारे लाल चौहान उम्र 36 साल मैनेजर ट्रान्सपोर्ट कार्पोरेशन आफ इंडिया, अपराधी मुकेश कुमार पिता श्री विजय कुमार अग्रवाल निवासी बस स्टेण्ड अलवर राजस्थान ट्रक नं. सी.आई.आई. 8677 मशरूका - 11,790 किलो एल्युमूनियम कीमत लगभग 7,91,404 रूपये, जप्ती निल, विवेचना जारी है।
    वर्ष 1993-1994 में लगभग कुल 45 लाख रूपये का एल्युमूनियम चोरी गया है तथा 8,22,000/- रूपये का माल बरामद हुआ है। यह सही नहीं है कि आज तक 2 करोड़ रूपये की एल्युमूनियम चोरी की गई, जिसका पता नहीं चला। यह भी सत्य नहीं है कि उक्त चोरी का भी सुराग लगने के बाद उच्च स्तरी राजनैतिक दवाबों के कारण मामला रफा-दफा किया जा रहा है।
    अपराधी को पकड़ने के लिए समय-समय पर रेड कर गिरफ्तार करने के हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। यह सही नहीं है कि शासन/प्रशासन की असफलता के कारण अपराधी अभी तक पकड़े नहीं जा सकें। पुलिस के प्रयासों से 15 टन 45 किलो एल्युमूनियम को अभियुक्तों के पास से जप्त कर प्रकरण का चालान किया जा रहा है। यह सही नहीं है कि व्यापारिक संस्थाओं में किसी प्रकार की अनिश्चितता अथवा भय एवं असुरक्षा की भावना व्याप्त हैं। 

   परिशिष्ट - पांच (क)

 श्री बनवारी लाल अग्रवाल (कटघोरा) : 
अध्यक्ष महोदय,
     मेरी ध्यानाकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-
    रायगढ़ जिले के मनोरा विकासखण्ड के आदिवासी बहुत ग्राम लकुआ कोना में दूषित पेयजल पीने से तीन आदिवासी श्रीमती तुलसी बाई 30 वर्ष, सीताराम 35 वर्ष तथा श्रीमती बेण्डी बाई 55 वर्ष की क्रमशः 9,11 तथा 13 मार्च को मृत्यु हो गई है। मृत्यु से पूर्व तीनों व्यक्ति को उल्टी, पतला दस्त तथा बुखार आया था, पूरा गांव इस संक्रामक बीमारी से गस्त हैं। अभी भी 55 ग्रामीण बीमार हें, गावं में शुद्ध पेयजल के लिए कोई हेण्ड पम्प अथवा कुंआ नहीं है। लोग ढ़ोढी का पानी पीने को मजबूर हैं। गांव लकुआ कोना में भय एवं मौत का सन्नाटा हैं। लोग गांव छोड़कर भागने को मजबूर हैं। प्रशासन द्वारा कोई ध्यान नहीं दिए जाने के कारण ग्रामीणों में असंतोष भय एवं आक्रोश व्याप्त हैं।
    मंत्री, लोक स्वा. यांत्रिकी (श्री हरबंश सिंह) : अध्यक्ष महोदय, रायगढ़ जिले के मनोरा विकासखण्ड के अंतर्गत ग्राम अंधारझार का एक पारा लकुआ कोना है जिसकी आबादी 390 हैं। ग्राम अंधारझार में 3 हैण्ड पंप स्थापित है एवं सभी चालू है, लकुआ कोना पारा में 2 हैण्डपंप प्रस्तावित हैं, लकुआ कोना पारा हेतु पहुंच मार्ग न होने तथा धसकने वाले स्ट्रेटा के कारण अभी तक कार्य नहीं करवाया गया हैं। नलकूप खनन की कार्यवाही पहुंच माग्र बनाकर शीघ्र की जावेगी। इस पारे में वर्तमान में एक कच्चे कुंए से पेयजल उपलब्ध हो रहा हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रायगढ़ के अनुसार ग्राम में एक ही परिवार के तीन लोगों की मृत्यु पूर्व बुखार, पेट में मरोड़ व पेचिश होने एवं पीड़ितों द्वारा चिकित्सा प्राप्त न होने के कारण हुई हैं।, इसके बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा उक्त बीमारी पर नियंत्रण पा लिया हैं।
    अतः यह कथन सही नहीं है कि दुषित पेयजल पीने से तीन आदिवासियों की मृत्यु हुइ्र हैं। तीन चालू हैण्ड पंपों से ग्राम में पेयजल उपलब्ध हो रहा हैं। फिर भी नलकुप खनन की कार्यवाही पहुंच माग्र बनाकर शीघ्र की जावेगी। 

परिशिष्ट - छः (क)
 

श्री छत्रपति सिंह (धोहनी) : 
अध्यक्ष महोदय,
     मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-
    दिनांक 15, 16, 17 मार्च 1994 को सीधी जिले के ग्राम पौड़ी डोला वन परिक्षेत्र बैढन क्षेत्र खनुआ में थाना तरई के थाना प्रभारी श्री रामकृष्ण मिश्र ने पौड़ी डोल के कुछ आदिवासियों द्वारा सूचना देने पर स्वयं घटना स्थल पर गया तथा मैंने उसकी रिपोर्ट आदिवासियों के लिखित बयान के साथ जिला पुलिस अधीक्षक व कलेक्टर सीधी को की. बीटगार्ड तथा परिक्षेत्राधिकारी द्वार इस लकड़ी को जप्ती बेनामी बतलाकर की गई जबकि आदिवासियों ने बयान देकर कहा कि यह लकड़ी थानेदार ने उनसे जबरदस्ती कटवाई हैं इसके पूर्व भी इसी थानेदार ने 2 ट्रक इमारती लकड़ी पुलिस वाहन से अपने गृह ग्राम माजन पो. खटखरी तह. मऊगंज जिला रीवा पहुंचाई है। इसकी गवाही आदिवासियों ने दी। थानेदार द्वारा अपने पद का दुरूपयोग कर आदिवासियों को डरा धमकाकर वन संपदा का जो विनाश कराया गया है उससे क्षेत्र में भारी असंतोष है।


    मुख्यमंत्री (श्री दिग्विजय सिंह) : अध्यक्ष महोदय, प्राप्त जानकारी के अनुसार यह सही नहीं हैं कि दिनांक 15, 16, 17 मार्च 1994 को सीधी जिले के ग्राम पोडीडोला वन परिक्षेत्र बैढ़न क्षेत्र खनुआ में थाना सरई के थाना प्रभारी श्री राम किशन ने पोडीडोला के कुछ आदिवासियों को इकट्ठा कर व डरा धमकाकर उन्हें मजदूरी का वास्ता देकर सरई के पेड़ों की अवैध कटाई कराई गई। यह सही है कि विधायक, विधान सभा क्षेत्र धौहानी जिला सीधी श्री छत्रपति सिंह द्वारा दिनांक 26/03/94 को अवैध लकड़ी की कटाई पर जांच कार्यवाही कराने हेतु एक आवेदन पत्र पुलिस अधीक्षक सीधी को दिया था, लेकिन इस पत्र के साथ आदिवासियों के लिखित बयान प्राप्त नहीं हुए थे। शिकायत पत्र की जांच पुलिस अनुविभागीय अधिकारी देवसर श्री एन.एस. कॅवर से कराई गई। पुलिस अनुविभागीय अधिकारी देवसर श्री एन. एस. कंवर एवं एस.डी.ओ. फारेस्ट बैढ़न श्री ओ.पी. उचाडिया द्वारा शिकायत की जांच संयुक्त रूप से घटना स्थल पर से की गई। जांच में पाया गया कि ग्राम पोड़ीडोल के छत्रपाल सिंह, रामसिंह, तेजबली, सरिमन सिंह, जगदेव, बल्देव सिंह, मनोहर सिंह, द्वारा कोई सरकारी काम न होने से भरण पोषण की गरज से साल प्रजाति की लकड़िया कुछ जंगल मुनारे के बाहर व कुछ अन्दर, जिनमें से कुछ पहले से ही कठी ठूठ पड़ी थी और कुछ काट कर गिराया गया और बोगी बनाकर 3 स्थानों में इकट्ठा किया गया। कुल 75 नग लकड़िया अवैध कटी पाकर वन रक्षक पोड़ीडोल की उपस्थिति में डिप्टी रेंजर खनुआ द्वारा जप्ती की कार्यवाही की गई। जांच कर्ता अधिकारियों के समक्ष मजदूरों के कथन लिये गये जिसमें मजदूरों ने स्वयं लकड़ी काटना स्वीकार किया। मजदूरों द्वारा वन अधिनियम का अपराध कबूल कर लिया जाने के कारण वन विभाग द्वारा कार्यवाही की जा रही है। यह कहना सही नहीं है कि थानेदार सरई ने आदिवासियों से जबरदस्ती लकड़ी कटवाई। यह भी सही नहीं है कि थानेदार ने 2 ट्रक इमारती लकड़ी पुलिस वाहन से अपने गृह ग्राम मॉजन खटखरी तहसील मऊगंज जिला रीवा पहुंचाई है, और न ही इसके संबंध में कोई शिकायत ही प्राप्त हुई है। यह भी सत्य नहीं है कि थानेदार द्वारा आदिवासियों को डरा धमका कर वन सम्पदा का विनास कराया गया उससे क्षेत्र में भारी असंतोष हैं।