Digvijaya Singh
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04 अप्रैल 1994 स्थगन प्रस्ताव-भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा लाठी चार्ज

04 अप्रैल 1994 स्थगन प्रस्ताव-भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा लाठी चार्ज

(71) दिनांक 04 अप्रैल1994

स्थगन प्रस्ताव- भारतीय जनता युवा मोर्चा के शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा लाठी चार्ज।

                अध्यक्ष महोदय : मेरे पास भोपाल में भारतीय जनता युवा मोर्चे के शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा लाठी चार्ज किये जाने के संबंध मेंं स्थगन प्रस्ताव की ग्यारह सूचनायें प्राप्त हुई हैं :-

                पहली सूचना     -      श्री रमेश शर्मा (गट्टू भैया)

                दूसरी सूचना     -      श्री शैलेन्द्र प्रधान

                तीसरी सूचना    -      श्री सर्वश्री कैलाश विजयवर्गीय, लक्ष्मण सिंह गौड़

                चौथी सूचना     -      श्री सर्वश्री बृजमोहन अग्रवाल, प्रेमप्रकाश पाण्डेय

                पांचवी सूचना    -      श्री बाबूलाल गौर

                छठवीं सूचना    -      सर्वश्री बृजमोहन अग्रवाल, रामपाल सिंह

                सातवीं सूचना    -      डॉ. गौरी शंर शेजवार

                आठवीं सूचना    -      श्री ईश्वरदास रोहाणी

                नौवीं सूचना     -      श्री निर्भयसिंह पटेल

                दसवीं सूचना     -      सर्वश्री ओंकारप्रसाद तिवारी, मोती कश्यप

                ग्यारवीं सूचना   -      सर्वश्री मनोहरलाल राठौर,, कमलकिशोर पटेल, लक्ष्मीकान्त शर्मा

                                                                एवं श्रीमती सुधा जैन सदस्य की है।

                चूकि श्री रमेश शर्मा (गुट्टू भैया) सदस्य की ओर से स्थगन प्रस्ताव की सूचना सबसे पहले प्राप्त हुई हैं अतः मैं इस पढ़कर सुनाता हूं :-

                ‘‘23 मार्च, लगभग शाम 4.30 बजे भारतीय जनता युवा मोर्चे के कार्यकर्ता एक रैली में माननीय राज्यपाल को ज्ञापन देने जा रहे थें, रैली में भारतीय जनता पार्टी सांसद श्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश युवा मोर्च अध्यक्ष श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, विधायक सर्वश्री बृजमोहन अग्रवाल, लक्ष्मीकांत शर्मा, रामपाल सिंह व अन्य कार्यकता नारे लगाते हुए रोशनपुरा चौराहे से वे राजभवन रवाना हुए। निहत्ते प्रदर्शनकारियों को ज्ञापन देने से रोकने हेतु अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, नगर पुलिस अधीक्षक, टी.टी. नगर थाने के थाना प्रभारी आदि ने अनेक पुलिस कर्मियों के साथ उन पर लाठी बरसान शुरू कर दिया। जिसमें सांसद श्री शिवराज सिंह चौहान, विधायक सर्वश्री बृजमोहन अग्रवाल, लक्ष्मीकान्त शर्मा, रामपाल सिंह, युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष श्री नरेन्द्रसिंह तोमर सहित अनेक भा.ज.पा. कार्यकर्ता को गंभीर चोटें आई। कुछ कार्यकार्ताओं को निर्दयतापूर्वक, जानबूझकर एवं यह बताने पर कि वे विधायक हैं, बेरहमी से मारा गया।

                इसके बाद श्री नरेन्द्र सिंह तोमर एवं तीनों घायल विधायक घटनास्थल पर धरने पर बैठ गये। पुलिस अधिकारियों ने यह कहकर कि ज्ञापन देने साथ चलिये उन्हें पत्रकारों सहित जेल ले गये। जेल में घायल प्रदर्शनकारियों को कोई चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई हम लोग स्वयं अपने साधनों से विधायकगण एवं श्री तोमर को लेकर हमीदिया चिकित्सालय ले गये एवं अनेक कार्यकर्ताकओं का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया। सांसद श्री चौहान एवं विधायक श्री बृजमोहन अग्रवाल को गहन चिकित्सा वार्ड में भर्ती कराया गया पुलिस ने सारी कार्यवाही द्वेषपूर्ण भावना से प्रेरित होकर की।

                इस द्वेषपूर्ण भावना के कारण प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रही है। अधिकारी भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं को अपने तानाशाहीपूर्ण आंतक से प्रताड़ित कर रहे हैं। पुलिस प्रशासन एवं शासन से जनता का विश्वास उठ गया है प्रदेश में आंतक एवं भय का वातावरण व्याप्त हैं अतः आज सदन की कार्यवाही रोककर इस लोक महत्व के विषय पर चर्चा की जावे।

                इसके संबंध में शासन का क्या कहना हैं ? ....(व्यवधान)........

                अध्यक्ष महोदय : आप बैठ जाइये, यह तरीका अच्छा नहीं हैं।

                श्री जालम सिंह पटेल : माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न हैं। यह बहुत ही गंभीर मामला हैं। मैं इस संबंध में आपको रिफरेंस करना चाहूंगा ‘‘प्रश्नकाल से शून्यकाल तक’’। इसके पेज 304 में देखेंगे। इसमें साफ-साफ लिखा है कि शांति बनाये रखने के लिए दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के प्रभावशील किये जाने के फलस्वरूप प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज किया जाना इतना गंभीर बात नहीं हैं, जिसके कारण सदन की कार्यवाही स्थगित की जाये ....(व्यवधान)........

                अध्यक्ष महोदय : मेरी अनुमति के बगैर जो बोल रहे हैं, उनका भाषण रिकार्ड नहीं किया जायेगा।

                श्री रामलखन सिंह : ............

                श्री कंकर मुंजारे  : ..............

                श्री जालम सिंह पटेल : अध्यक्ष महोदय, इसी संदर्भ में मैं ओर कहना चाहूंगा कि म.प्र. विधानसभा

(........) आदेशनुसार रिकार्ड नहीं किया गया।

की कार्यवाही क्रÛ 10, क्रÛ 21, दिनांक 16-3-66 पृष्ठ 2445 में यह व्यवस्था दी गई है कि .... ‘‘शान्ति बनाये रखने के लिए दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के प्रभावशील किए जाने के फलस्वरूप प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज किया जाना इतनी गम्भीर बात नहीं है कि जिसके कारण सरद की कार्यवाही स्थगित की जाये।’’ (पृष्ठ-304, ‘‘प्रश्नकाल से शून्यकाल तक’’)

                श्री रामेश्वर अखण्ड : अध्यक्ष महोदय, क्या यह व्यवस्था का प्रश्न मानेंगे ? (व्यवधान)

                अध्यक्ष महोदय : आप क्यों खड़े हो गए ? क्या यह भी व्यवस्था का प्रश्न हैं ? आप कृपया बैठिये। देखिये, आपने जो व्यवस्था का प्रश्न उठाया है, उसमें मेरा केवल इतना ही कहना है कि सम्भवतः आप जल्दबाजी में ऐसा कर रहे हैं। अभी तो मैं इस स्थगन प्रस्ताव पर शासन का वक्तव्य लूंगा। उसके बाद यहां ग्राह्यता पर चर्चा होगी। उसके बाद उसका फैसला होगा। अभी आप धैर्य से सुनें, प्रतीक्षा करें।

                श्री जालम सिंह पटेल : उसके बाद मुझे मौका दें, अध्यक्ष महोदय

                अध्यक्ष महोदय : मंत्रीजी, वक्तव्य देंगे। आप बैठिये।

                गृह राज्य मंत्री (श्री सत्यदेव कटारे) : अध्यक्ष महोदय, प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनांक 23-3-94 को भारतीय जनता युवा मोर्चा ने एक रैली का आयोजन की घोषणा की तथा महामहिम राज्यपाल महोदय को ज्ञापन देने की योजना बनाई। सुचारू रूप से ज्ञापन दिलवाये जाने के लिए नगर पुलिस अधीक्षक श्री राजेश मिश्रा ने भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष, भोपाल के साथ चर्चा की। यह तय किया गया कि भारतीय जनता युवा मोर्चा की रैली रोशनपुरा पर रूक जायेगी था एक प्रतिनिधि मण्डल राजभवन जाकर महामहिम राज्यपाल महोदय को ज्ञापन दे देगा। भा.ज.पा. के नेतागण इस व्यवस्था से सहमत थे। रोशनपुरा के आगे राजभवन की तरफ दिनांक 10-2-94 से आगामी आदेश तक धारा 144 द.प्र. सं. के अन्तर्गत जुलूस ले जाने पर प्रतिबंध लगा हुआ था। इसी को दृष्टि में रखते हुए यह व्यवस्था की गयी थी।

                दिनांक 23-3-94 को जब भारतीय जनता युवा मोर्चा की रैली सर्वश्री शिवराज सिंह चौहान, नरेन्द्र सिंह तोमर, लक्ष्मीकान्त शर्मा, रामपालसिंह तथा बृजमोहन अग्रवाल के नेतृत्व में रोशनपुरा नाके पर पहुंची तब जुलूस में सम्मिलित लगभग 150 व्यक्तियों ने रोशनपुरा चौराहे पर मार्ग अवरूद्ध कर दिये जिससे यातायात रूक गया। पुलिस द्वारा जुलूस को राजभवन की तरफ बढ़ने से मना किया गया तब जुलूस में सम्मिलित व्यक्तियों ने उत्तेजनात्मक भाषण दिये तथा यह चेतावनी दी कि यदि पुलिस प्रशासन ने जुलूस को राजभवन नहीं जाने दिया तो पुलिस वालों से निपट लिया जायेगा। पुलिस द्वारा पूर्व से बंधे हुए रस्से द्वारा उन्हें रोकने की कोशिश की गयी तो कार्यकर्ताओं ने पुलिस के साथ धक्का-मुक्की की तथा आगे बढ़ गए। रस्से के पीछे लगे बेरियर पर तैनात पुलिस बल द्वारा उन्हें रोकने की पुनः कोशिश की गयी इस पर भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकताओं  ने वहां भी पुलिस कर्मियों के साथ धक्का-मुक्की की तथा पार्टी के झण्डों में लगे डण्डों को निकालकर उनसे पुलिस कर्मियों को पीटना शुरू कर दिया। इसी बीच कार्यकर्ताओं द्वारा पुलिस पर पथराव भी प्रारंभ कर दिया गया। पुलिस बल के साथ उपस्थित अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, शहर श्री जी.पी.सिंह, नगर पुलिस अधीक्षक श्री राजेश मिश्रा, नगर पुलिस अधीक्षक श्री एस.के. गुरू तथा सिटी मजिस्ट्रेट श्री ए.डी.दुबे ने उपस्थित लोगों को पथराव न करने तथा हिंसा न करने बावत समझाया परन्तु कार्यकर्ताओं द्वारा पथराव जारी रखा गया। कुछ कार्यकताओं ने एक महिला सैनिक प्रभासिंह के साथ धक्का-मुक्की की तथा उसके पेट में कोहनी से चोट पहुंचाई। उग्र होती भीड़ को वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा बार-बार हिंसा न करने तथा पूर्व कार्यक्रम के अनुसार ज्ञापन देने के लिये समझाइश दी गयी परन्तु इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस का घेरा तोड़कर राजभवन की ओर बढ़ने का प्रयास भी किया। हिंसक जुलूस को नियंत्रित करने के लिए सिटी मजिस्ट्रेट द्वारा हल्का केन चार्ज करने का आदेश दिया गया जिस पर पुलिस द्वारा हल्का केन चार्ज कर भीड़ को नियंत्रित किया गया। कुल 35 आन्दोलनकारियों को घटनास्थल पर शन्ति बनाये रखने की दृष्टि से धारा 151 दं. प्र. सं. के अन्तर्गत गिरफ्तार किया गया तथा उन्हें भोपाल नई जेल भेजा गया।

                घटनास्थल पर घायल हुए 5 आन्दोलनकारियों को जिनमें श्री शिवराजसिंह चौहान, सांसद भी थे उन्हें घटनास्थल से ही चिकित्सा हेतु बिना गिरफ्तार किये हमीदिया अस्पताल पुलिस वाहन में भेजा गया। इनमें से शेष चार आंदोलनकारी श्री रविन्द्र अवस्थी, श्री कैलाश वाधवानी, श्री विशाल आनन्द श्रीवास्तव तथा श्री मोहन अग्रवाल थे। श्री शिवराजसिंह चौहान सांसद को अस्पताल में भर्ती किया गया तथा दिनांक 25-3-94 को प्रातः 10 बजे उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। जेल में भेजे गए 35 आन्दोलनकारियों में से घायल आन्दोलनकारियों का प्राथमिक उपचार जेल के डॉक्टर द्वारा किया गया। जिला प्रशासन द्वारा जे.पी. चिकित्सालय से 5 डॉक्टर सर्वश्री ए.बी.सिंह., के.के. गिडवानी, पी. चन्द्रा, ए.के. अवस्थी तथा जी.एस. चौहान की एक टीम जेल में उपचार तथा मेडिकल परीक्षण के लिए भेजी गई। इस टीम द्वारा कुल 15 गिरफ्तार व्यक्तियों का मेडिकल परीक्षण तथा उपचार किया गया। इनमें से श्री बृजमोहन अग्रवाल की ऊंगली में फ्रैक्चर होना पाया गया जबकि शेष अन्य व्यक्तियों को साधारण चोटें थी। जेल में जिन 15 व्यक्तियों का मेडिकल परीक्षण किया गया था उन्होंने जेल से छूटने क बाद पुनः अपना मेडिकल परीक्षण हमीदिया अस्पताल में करवाया दुबारा मेडिकल परीक्षण में किसी भी व्यक्ति को कोई अतिरिक्त चोट आना नहीं पाया गया। जेल से रिहा हुए एक व्यक्ति श्री माधवराव जिनका जेल में परीक्षण नहीं किया गया था उन्होंने भी रिहा होने के बाद अपना मेडिकल परीक्षण हमीदिया अस्पताल में करवाया। इन्हें कोई चोट आना नहीं पाया गया। विधायक श्री बृजमोहन अग्रवाल को अस्पताल में भर्ती थे, दिनांक 24-3-94 को अस्पताल से चले गयें।

                आन्दोलनकारियों द्वारा पुलिस पर किये गये पथराव तथा झूमा-झटकी से कुल 16 पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों को चोंटे आई। महिला सैनिक प्रभासिंह के पेट में चोट आना पाया गया, यह महिला सैनिक दो माह की गर्भवती भी थी। शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने तथा बलवा करने के लिए, एवं चोट पहुंचाने के लिए आन्दोलनकारियों के विरूद्ध थाना-जहांगीराबाद में अप.क्र 256/64 धारा 147, 148, 149, 353, 332, 337 भाद.वि का प्रकरण पंजीबद्ध किया गया तथा विवेचना में लिया गया। गिरफ्तार किए गए तीन माननीय विधायकगण सर्वश्री बृजमोहन अग्रवाल, लक्ष्मीकान्त शर्मा तथा रामपालसिंह की गिरफ्तारी की सूचना तत्काल उसी दिन माननीय विधानसभा अध्यक्ष महोदय को दी गई।

                यह सही नहीं है कि दिनांक 23-3-94 को भारतीय जनता युवा मोर्चा की रैली को महामहिम राज्यपाल महोदय को ज्ञापन देने से रोका गया और निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर अनावश्यक लाठी चार्ज किया गया। यह भी सही नहीं है कि प्रदर्शनकारियों को जेल में कोई चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराई गई, कोई भी कार्यवाही द्वेषपूण भावना से नहीं की गई। इस घटना से जनता में किसी प्रकार का आंतक नहीं है तथा जनजीवन सामान्य है। घटना के संबंध में गृह सचिव को जांच करने के लिए भी आदेश दिये जा चुके हैं।

                श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि श्री बृजमोहन अग्रवाल उस घटना में थे, उनकी ऊंगली में चोट आई हैं, इसलिए चर्चा उनसे शुरू कर लें।

                श्री जालम सिंह पटेल : अध्यक्ष महोदय, मैंने जो व्यवस्था का प्रश्न उठाया था, मैं उसे रिपीट करना चाहता हूं।

                अध्यक्ष महोदय : व्यवस्था के प्रश्न पर मैंने आपको समझा दिया है।

                श्री बृजमोहन अग्रवाल (रायपुर नगर) : अध्यक्ष महोदय, 23 तारीख का दिन शायद मध्यप्रदेश के विधानसभा के लिए काला दिन था, जिस दिनन विधायकों के ऊपर हमला किया गया। कांग्रेस के विधायकों को मैं यह चेतावनी देना चाहता हूं।

(व्यवधान)

                श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, यहद सत्ता पक्ष का यही रवैया है, तो हम जवाब देना जानते हैं। माननीय सदस्य को आपने बोलने की अनुमति दी हैं, माननीय सदस्य अपनी बात कह रहे हैं, उनके हाथ में फ्रेक्चर हुआ है। उनके बोलने पर इस तरह टोका टाकी होगी, तो फिर हमें जवाब देना आता हैं। यह कोई तरीका है कि विधायक पर हमला हुआ, सत्यनारायण जी शर्मा बैठे-बैठे वाह-वाह कर रहे हैं, यह आपका रवैया है।

                श्री बाबूलाल गौर : अध्यक्ष महोदय, यह गम्भीर मामला हैं, इस तरह से चलेगा तो ठीक नहीं है।

                अध्यक्ष महोदय : कितने लोग कहेंगे इस बात को ?

                श्री बाबूलाल गौर : अध्यक्ष महोदय, कम से कम उन्हें प्रताड़ित करें।

                श्री बृजमोहन अग्रवाल : अध्यक्ष महोदय, मैं तो यह मानता हूं कि उस दिन की घटना पूरी विधायिका पर हमला था। कांग्रेस के जो सदस्य हैं, उन्हें भी इस बात को सोचना चाहिए कि कल भारतीय जनता पार्टी के विधायकों पर पुलिस ने हमला किया तो आने वाले समय में कांग्रेस के विधायकों पर भी यह हो सकता है। यह विधायकों का मामला हैं, सत्तापक्ष या विपक्ष का मामला नहीं हैं। इस सदन के नेता माननीय दिग्विजय सिंह जी, सभी विधायकों के नेता हैं। ऐसे मामले में कार्यपालिका के अधिकारियों काब बचाने के सम्बन्ध में जो जवाब दिया गया हैं, वह सर्मनाक है। यह मैं आपको बताना चाहता हूं कि 23 तारीख को 4 बजे भारतीय जनता पार्टी कार्यालय से भारतीय जनता युवा मोर्चा के 150 कार्यकर्ता रोशनपुरा चौराहे पर पहुंचे। रोशनपुरा चौराहे पर पहुंचने के बाद, एडीशनल एस.पी.सिंह, सी.एस.पी.मिश्रा, एवं अन्य अधिकारी वहां पर आए। मेरी उनसे बात हुई कि हम 7 लोग राज्यपाल महोदय से मिलने जाना चाहते हैं। मंत्री महोदय ने उपने जवाब में कहा कि उत्तेजनात्मक भाषण दिए गए, वहां पत्रकार खड़े हुए थे, वहां पर हम लोगों ने अपने भाषण में यह कहा कि हू पुरूषोत्तम सोनी की हत्या और मध्यप्रदेश में बिगड़ती हुई कानून-व्यवस्था की स्थिति पर राज्यपाल महोदय को ज्ञापन देना चाहते हैं। अगर पुलिस हमको ज्ञापन देने से रोकेगी, तो हम अपनी गिरफ्तारी देने को तैयार हैं।

                इस भाषण को माननीय सदस्य ने नहीं सुधारा।

परन्तु मैं आपको इस बात को भी बताना चाहता हूं कि पुलिस ने वहां पर किसी प्रकार से यह बात नहीं बताई कि यहां पर धारा 144 लगी हुई है। पुलिस ने माइक पर एनाउंस नहीं किया और बैनर खोलकर भी नहीं दिखाया किसी भी प्रकार से यह नहीं बताया गया कि यहां धारा 144 लगी हुई है। पुलिस चाहती तो उस दिन घटना को टाला जा सकता था। 7 लोगों को राज्यपाल महोदय से मिलाकर पूरे मामले को शांत किया जा सकता था। मैं एडीशनल एस.पी.सिंह.से बात कर रहा था और बात करते-करते लाठीचार्ज हो गया और लाठीचार्ज भी एक बार नहीं, तीन बार किया गया। सबसे पहले लाठीचार्ज में शिवराजसिंह चौहान को घायल किया गया, दुबारा लाठीचार्ज में प्रदेशाध्यक्ष नरेन्द्रसिंह तोमर को घायल किया गया, वे लहूलुहान होकर गिर गए। उनको बचाने के लिए मैं जब दौड़कर गया, तब पुनः तीसरी बार लाठीचार्ज किया गया। मैंने कहा कि ये प्रदेशाध्यक्ष हैं, मैं विधायक हूं, पूर्व मंत्री हूं तो वे बोले-‘‘साला विधायक है, इसको दो लाठी और मारी जाए’’। शायद कांग्रेस के लोग खुश होगें कि विधायिका का कितना अवमूल्यन हो रहा है। मैं मुख्य मंत्री से पूछना चाहता हूं कि इस मध्यप्रदेश में विधायक कहने पर पुलिस के अधिकारी लाठी चलाएंगे। तो आप लोग लोकतंत्र की रक्षा किस प्रकार करेंगे। किस प्रकार से आप विधायिका की रक्षा करेंगे। जिस मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में जहां पर विधान सभा लगती है, जहां पर हमारे संरक्षक विधानसभा अध्यक्ष बैठते हैं वहां माननीय गृह मंत्री महोदय ने पूरा असत्य बयान दिया है। पूर जुलूस में कुल मिलाकर एक झण्डा था और उस झण्डे में केवल एक डण्डा था, उसको त्यागी जी सामने लेकर चल रहे थे, पुलिस ने  उनको भी गिरफ्तार कर लिया। कोई महिला पुलिस की वहां पर आवश्यकता नहीं थी, महिला पुलिस हमने वहां देखी ही नहीं, परन्तु गृह मंत्रीजी कहते हैं कि कोहनी से महिला पुलिस को मारा गया। अगर आप पुलिस के अधिकारियों को बचाएंगे, तो भविष्य में आपको भी यह भोगना पड़ सकता है। विधायको के ऊपर अगर अत्याचार होते हैं, तो अधिकारियों को बचाने की आवश्यकता नहीं है। मैं तो इस बात को कहना चाहता हूं कि उस दिन की घटना के आप अगर फोटोग्राफ देंखेगे और अध्यक्ष महोदय के निर्देश हों तो मैं यह फोटोग्राफ पटल पर रखना चाहता हूं। ये चित्र आपको बताएंगे कि किस अमानवीय तरीके से पुलिस ने अत्याचार किया है। एक नहीं में 25 चित्र आपको प्रस्तुत कर सकता हूं। मैं तो यह कह सकता हूं कि योजनाबद्ध ढंग से तीनों नेताओं के नाम बताकर मेरे पास चित्र हैं, उस चित्र मेंं वही 5-6 पुलिस वाले, जिन्होंने शिवराजसिंह जी चौहान पर लाठीचार्ज किया, वही 5-6 पुलिस वाले जिन्होंने श्री नरेन्द्रसिंह तोमर पर लाठी चार्ज किया और उन्हीं 5-6 पुलिस वालों ने मेरे हाथ की हड्डिया तोड़ी। अगर मैं लाठीयों को अपने हाथों से नहीं रोकता तो मेरा सिर फोड़ा जा सकता था। मैं फोटोग्राफ के माध्यम से यह सिद्ध करने को तैयार हूं कि योजनाबद्ध ढंग से मध्यप्रदेश की विधान सभा में, देश की लोकसभा में, इस मध्यप्रदेश की सरकार के खिलाफ ये लोग लगातार आवाज उठाते हैं। इनको इतना मारा-पीटा जाए कि राजगढ़, राधौगढ़ और चाचौड़ा के चुनाव में ये लोग काम करने न जा पांए युवा मोर्चा के लोग भयभीत रहें। इसी दृष्टि से मैं तो यह भी आरोप लगाना चाहता हूं कि मुख्य मंत्रीजी अपने आपको संवेदनशील कहते हैं, वे कहते हैं कि प्रदेश में किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। यह घटना 4.30 बजे की है। मुख्यमंत्री जी श्यामला हिल्स पर घटना से दो र्फलांग की दूरी पर बैठे हुये  थे। जब हमने जेल से मुख्यमंत्री जी से संपर्क करने की कोशिश की तो हमें बताया गया कि मुख्यमंत्री जी इंदौर जा रहे हैं। एस.पी. और कलेक्टर उनको छोड़ने के लिए गए हुए हैं। मुख्यमंत्री की जानकारी में उनके निर्देश पर प्रमुख नेताओं को तोड़ दिया जाए। मैं तो यह कहता हूं कि कांग्रेस सरकार की यह चाल थी कि मध्यप्रदेश भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यक्ताओं की हत्या कर दी जाए। इतनी भी मानवीय संवेदना इस सरकार में नहीं है कि हम जेल के सामने 4 घंटे तक पड़े रहे, 3-3 विधायक, भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष जेल के बाहर पड़े रहे, माननीय गृह मंत्री जी कहते हैं कि गिरफ्तार कर लिया गया। जेल के बाहर हम कराहते रहे, हमारे युवा मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष जिनको हेड इन्जुरी हुई थी, जिनके सिर से खून बहकर पूरे कपड़े रंग गए थे, उनके बारे में हम बार-बार कहते रहे कि उनको आप हॉस्पिटल पहुंचाइये परन्तु उनको हॉस्पिटल पहुंचाने के लिए कोई तैयार नहीं था। जेल के डॉक्टर पाठक बाहर आए, परन्तु उन्होंने कहा कि जब तक आप जेल के अन्दर नहीं आएंगे, तब तक मैं आपका ज्यादा इलाज नहीं कर सकता, फस्ट एड थोड़ा सा चाहिए तो मैं कर सकता हूं। मेरी ऊंगली के संबंध में कहा कि यह फैक्चर है, जब तक आपकों हॉस्पिटल नहीं ले जाया जाएगा, तब तक इलाज नहीं हो सकता। माननीय मंत्री जीने कहा कि वहां पर हॉस्पिटल के 7-7 डॉक्टर आए, जेल के डाक्टर और अस्पताल के डाक्टरों के बीच में एक घण्टे तक झगड़ा होता रहा, डाक्टरों ने कहा कि हम जेल में एम.एल.सी नहीं कर सकते, एम.एल.सी. के उपकरण हम नहीं लाए हैं। जब तक इन्हें अस्पताल नहीं भेजा जाएगा, तब तक हम कोई इलाज नहीं कर सकते हैं। 7 डाक्टर जो अस्पताल से आए थे, उन्होंने कोई इलाज नहीं किया। सिर्फ चोटों का मुआयना किया और जेल के डाक्टरों ने भी चोटों का मुआयना किया। हमारे प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर जब बेहोश होने लगे, हम लोग नाराज होने लगे, मेरी ऊंगली में बहुत दर्द होने लगा, तब भी चार घण्टे तक हमें इलाज की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई। हमें कहा गया कि आपको जेल में सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। जेल के अधिकारियों ने कहा कि आप डाक्टरी इलाज करवाकर आईये तब हम आपको जेल में लेगें, परन्तु पुलिस वाले कहते रहे कि पहले आप इन्हें जेल में ले लें, तब हम इलाज के लिए ले लाएंगे। आखिरी में तय हुआ कि आप इनको इलाज उपलब्ध नहीं करवाया जाए। मैंने वहां के डाक्टरों की बातें सुनी कि बृजमोहन अग्रवाल को अस्पताल नहीं भेजना है, लक्ष्मीनारायण शर्मा को अस्पताल नहीं भेजना है, इनको जेल में भेजना है बाकी सिर्फ एक व्यक्ति को अस्पताल भेजिए शासन के निर्देश आए हैं, बाकी किसी को अस्पताल में भेजने की आवश्यकता नहीं है। यह प्रशासन विधायकों के साथ में इस प्रकार का व्यवहार कर रहा हैं ? मैं बताना चाहता हूं कि चार घण्टे तक न हमको जेल में भेजा गया, न ही हमें फस्ट एड उपलब्ध कराया गया। जेल के बाहर पड़े-पड़े 30 से ज्यादा लोग कराहते रहे, परन्तु किसी प्रकार का इलाज उपलब्ध नहीं कराया गया। जब वहां पर भोपाल के विधायक गुट्टू भैया हमारे पूर्व मंत्री बाबूलाल जी जैन, सांसद राधव जी एवं अन्य कई नेता वहां पर पहुंचे, वे अधिकारियों से एक घण्टे तक बात करते रहे कि इनको फस्ट एक उपलब्ध कराया जाए, इनको अस्पताल में पहुंचाया जाए। उसके बाद भी जब वे नहीं माने तो हमारे नेताओं ने कहा कि आप गाड़ी में बैठिए, हमीदिया अस्पताल चलते हैं। हमीदिया अस्पताल हम लोग अपने आप गए, पुलिस ने हमें इलाज उपलब्ध नहीं कराया। हमीदिया अस्पताल में जाकर हमने अपना इलाज खुद करवाया। उस दिन की जो घटना है, इतनी शर्मनाक घटना है, यदि अध्यक्ष महोदय आप आज्ञा दें तो मैं ये फोटोग्राफ सदन के पटल पर रखना चाहता हूं। इसके माध्यम से विधायको के ऊपर किस नृशंक तरीके से उस दिन अत्याचार किया गया। माननीय मंत्री जी कहते हैं कि उस दिन धारा 144 लगी हुई थी, मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या पुलिस के अधिकारियों ने माइक पर एलाउंस किया कि धारा 144 लगी हुई है, कोई बैनर खोलकर दिखाया कि धारा 144 लगी हुई हैं, ऐसी कोई जानकारी दी गई कि धारा 144 लगी हुई हैं ? क्या कोई समाचार पत्रों में उस दिन कहा गया था कि यहां कोई नहीं आएगा, यहां पर धारा 144 लगी हुई हैं। ये किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं दी गई। मुझे तो लगता है कि या तो मुख्यमंत्री का ब्यूरोक्रेशी पर नियंत्रण नहीं है या फिर मुख्यमंत्री के निर्देश पर ये घटना करावाई गई थी। अगर मुख्यमंत्री मानते हैं कि ऐसे निर्देश नहीं थे, तो तुरंत सभी अधिकारियों को निलंबित कर देना चाहिए। निलंबित करने के बाद उच्च स्तरीय जांच करवाई जानी चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो पेरी विधान सभा का अपमान होगा, पूरी विधायिका का अपमान होगा और भविष्य में भी विधायक ऐसे ही पिटते रहेंगे और दिग्विजय सिंह जी जैसे मुख्यमंत्री बैठे-बैठे मुस्कुराते रहेंगे। इससे ज्यादा कुछ होने वाला नहीं हैं। मैं तो यह कहना चाहता हूं कि कांग्रेस के किसी भी मंत्री, सदस्य को फुर्सत नहीं थी कि हम अस्पताल में भर्ती रहे और कोई देखने वहां पर नहीं आए। स्वास्थ्य मंत्री देखने नहीं आए। संसदीय मंत्री वहां पर देखने नहीं आए। कांग्रेस के कोई नेता देखने नहीं आए। मंत्री मण्डल के कोई सदस्य देखने नहीं आए। यह इस बात को साबित करता है कि कांग्रेस की सोची-समझी साजिश थी। मुख्यमंत्री जी कह रहे हैं कि मैंने आपसे बात की, मुख्यमंत्री जी 9 दिन बाद, जब उनको मालूम हुआ कि विधानसभा शुरू होने वाली है और विधान सभा में यह मामला उठेगा तो मुख्यमंत्री जी फोन से पूछते हैं क्यों बृजमोहन क्या हालचाल हैं ? मैंने कहा एक ऊंगली टूटी हैं, तो शायद उनको सोचना था कि एक कम टूटी है और ज्यादा टूटना था। मुख्यमंत्री जी इससे काम चलने वाला नहीं है। एक सांसद को चोट पहुंची, उसका लीवर डेमेज है, उसको मारा जाता है, विधायकों को पीटा जाता है। मैं कहता हूं कि मैं विधायक हूं तो कहते हैं कि साले को और मारों। मैं कहता हूं कि ये हमारे प्रदेश अध्यक्ष हैं, तो उनको और मारा जाता है। ये घटना इतनी दर्दनाक और हृदय विदारक थी, शायद पेपरों ने जिन्होंने भी लाठी चार्ज का दृश्य देखा है, मैंने तो अपने 15 साल के राजनीतिक जीवन में इस प्रकार का लाठी चार्ज आज तक नहीं देखा है। पुलिस को निर्देश होते हैं कि कमर से नीचे डंडे मारें, परन्तु उन्होंन इस कदर डंडे मारे कि वह सिर पर पीठ पर, वार किए गए। मेरे भी शरीर पर 5-6 निशान हैं। परन्तु उसके ऊपर भी किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की जा रही हैं। मैं पूरे सदन से, पूरे सदन के विधायकों से इस बात का आग्रह करना चाहता हूं कि ये जो हमला हुआ है यह पूरे विधायकों पर हमला हुआ हैं। प्रजातंत्र में हर राजनीतिक दल को यह अधिकार है कि वह विरोध प्रदर्शन करे, अपना ज्ञापन देने जाए साथ में एक बात और कहना चाहता हूं।.....

                संसदीय कार्य मंत्री (श्री राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल) : ग्राह्यता पर चर्चा हो रही है, इतने तक ही सीमित रहें तो ठीक होगा।

                श्री बृजमोहन अग्रवाल : अध्यक्ष महोदय, हम लोगों ने इस घटना के विरोध में थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने की कोशिश की कि जिन पुलिस अधिकारियों ने हमारे साथ मारपीट की है, उनके खिलाफ अपराध दर्ज किया जाय, परन्तु पुलिस के अधिकारियों ने एफ.आई.आर. दर्ज करने से मना कर दिया, हमने लिखित में भी उन अधिकारियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दी है, हम चाहते हैं कि उनके खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज की जाय और में माननीय अध्यक्ष महोदय से भी चाहता हूं कि विधायकों के साथ इस प्रकार का जो अमानवीय कृत्य किया गया हैं उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाय और शासन को निर्देश दिये जायें कि उन अधिकारियों को निलंबित कर उनके खिलाफ कार्यवाही की जाय।

                श्री राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल : मैं एक विषय पर आपसे निवेदन करना चाहूंगा यह अवश्य ही दुख की बात है जैसा कि माननीय सदस्य कह रहे हैं कि धारा 144 लगायी गयी और उसके बावजूद भी उसको तोड़ने की कोशिश जी जा रही हैं, सब प्रकार से विचार करने के बाद कौल एण्ड शकधर, लोक सभा और विधान सभा के दूसरे सिद्धांत हैं, उनके अनुसार इस प्रकार के प्रदर्शन के व्यवधान में यह सिद्धांत निरूपित हो चुका है कि इसको ग्राह्य नहीं किया जाना चाहिए। अब इसमें इतना लम्बा-चौड़ा संवेदनशील और भावना प्रधान बात कर उस कार्य को यहां पर लिया जा रहा हैं........

                श्री कैलाश जोशी : मेरा निवेदन है कि यह अवसर तो अब निकल चुका है जो तर्क माननीय संसदीय कार्य मंत्री अब प्रस्तुत कर रहे हैं, उसका अवसर निकल चुका है, समय पर उठाते तो ठीक होता।

                श्री राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल : मैं यह कह रहा हूं कि ग्राह्यता के सवाल को ग्राह्यता तक सीमित रखिये।

                श्री कैलाश जोशी : हां ठीक है, इससे हम सहमत हैं।

                श्री सत्यदेव कटारे : मेरा व्यवस्था का प्रश्न है। अखबार के फोटो पटल पर रखने की जो अनुमति दी हैं......

                अध्यक्ष महोदय : नहीं मैंने अनुमति नहीं दी है। न तो मैंने आपको अनुमति दी हे और न ही उनको दी है।

समय 12 बजे

                श्री रमेश शर्मा (भोपाल-उत्तर)  : माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने काफी विस्तार से बता दिया है, मैं तो मात्र इतनी जानकारी देना चाहूंगा कि उस नि मैं स्वयं वहां पर उपस्थित था। जब रेली रोशनपुरा नाके पर पहुंची तो प्रदर्शनकारियों की संख्या मात्र 150 थी और पुलिस अधिकारियों की संख्या 250 से ज्यादा थी और वहां पर कोई उत्तेजनापूर्ण नारेबाजी नहीं हुई जैसा बताया गया है कि पुलिस को लाठियों से पीटा गया, तो यह तो माननीय गृह राज्य मंत्री जी के लिए खेद का विषय होना चाहिए। यदि पुलिस को लाठी से पीटा गया है तो आपको तुरंत त्यागपत्र दे देना चाहिए। यह सब बनावटी बातें हैं पूरी जनता ने देखा है तमाम समाचार-पत्रों के पत्रकार और संवाददाता थे, नव भारत, देश बन्धु, दैनिक जागरण, स्वदेश दैनिक भास्कर और भी अन्य पेपर के थे, उन्होंने जो आंखों देखा हाल समाचार-पत्रों में दिया है, उससे स्पष्ट रूप से जानकारी प्राप्त होती है कि यह क्रूरर्ता पूर्ण कृत्य माननीय मुख्यमंत्री जी के निर्देशानुसार किया गया है कि भाजपा के कार्यकर्ताओं को कुचल डालों, इस उद्देश्य की पूर्ति के लए यह लाठी चार्ज किया गया है, रहा सवारल कि जो चोट प्रदर्शनकारियों ने कर्मचारियों को पहुंचायी है, वहां पर हमीदिया चिकित्सालय में मेडिकल हो रहा था। मैं मौजूद था, डाक्टर्स ने पुलिस कर्मचारियों को मजाक के रूप में लेकर भगा दिया कोई कहता है कि मेरे दांत में लगी तो वह कहते है कि मुंह में कहां लगी है, कोई कहता है कि हाथ में लगी है वे कहते है कि किसी को कोई चोट नहीं थी। केवल 19 प्रदर्शनकारियों का मेडिकल हुआ था उसके बाद वहां उप  उनका (पुलिस वालों का) मेडिकल कराया गया। इसका समय रिकार्ड में वहां पर स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है। प्रदर्शनकारियों के मेडिकल परीक्षण हो जाने के बाद ही वहां पर पुलिस कर्मचारियों ने अपनी संख्या बढ़ाने के लिए मेडिकल परीक्षण कराया। रहा सवाल जेल में चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होने का तो मैं यह बताना चाहता हूं कि वहां की जेल में कोई चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गयी। हम लोग माननीय सांसद राधव जी, माननीय विधायक बाबूलाल जी जैन के साथ अपने वाहनों में बिठाल कर सब धायलों को अस्पताल लेकर आये। हम भोपाल के जिलाध्यक्ष एवं एस.पी. से मिले जेल में कोई चिकित्सा सुविधा उपलब्ध न होने की जानकारी दी। जैसा कि मंत्री जी ने अपने उत्तर में बताया है कि वहां टीम पहुंची थी, तो बृजमोहन अग्रवाल जी ने बिल्कुल सही कहा कि वहां पुलिस अधिकारी/कर्मचारियों एवं चिकित्सालय के डाक्टरों के बीच में काफी मतभेद और काफी विवाद भी हुआ और वह यही चाहते थे कि जो भी इस संबंध में कार्यवाही हो, वह जेल के बाहर हो। उत्तर में यह भी बताया गया है कि इस लाठीचार्ज में केवल एक व्यक्ति घायल हुआ। अध्यक्ष महोदय, जब कि तीन लोग माननीय सांसद श्री शिवराजसिंह चौहान, श्री बृजमोहन अग्रवाल एवं तोमर जी गंभीर रूप से घायल हुए और तीनों ही गहन चिकित्सा इकाई में अस्पताल में भर्ती हुए। यह कहना सरासर गलत है कि एक व्यक्ति घायल हुआ।

                अध्यक्ष महोदय, मैं इस स्थगन प्रस्ताव के माध्यम से यह निवेदन करना चाहता हूं कि शासन यह बताये कि कोई भी मजिस्ट्रेड अधिकारी वहां मौजूर नहीं था और इस संबंध में समस्त पत्रकार बंधुओं ने समाचार-पत्र में लिखा है कि वहां केवल/पुलिस अधिकरी मौजूद थे और उन्होंने द्वेषपूर्ण भावना से यह पूरी कार्यवाही की है। अध्यक्ष महोदय, यह जो कार्यवाही की गयी है वह/धारा 144 की आड़ लेकर की गयी है। अध्यक्ष महोदय, इस प्रदेश के अन्दर भोपाल में एक अभूतपूर्व स्थिति यह उत्पन्न हुई है कि जिस दिन 6 दिसम्बर को दंगे हुए, उस दिन से आज तक अकारण भोपाल शहर में धारा-144 लगी हुई है। इसको आज दो सल हो गये हैं, यह एक मध्यप्रदेश के इतिहास में ऐतिहासिक तथ्य बन गया है। दो साल तक धारा 144 लागू होना यह इस बात का सबूत है कि प्रशासन में कितना निकम्मापन है और इस धारा-144 के लगाये रहने से कोई भी  विद्वेषपूर्ण कार्यवाही को औचित्यपूर्ण बतालाया जा रहा है और इससे भोपाल के नागरिकों को ठीक ढंग से, जीने नहीं दिया जा रहा है। चाहे वह किसी भी प्रकार के धार्मिक आयोजन हो या कोई और कार्यक्रम हो। अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन कंरूगा कि आप इस स्थगन प्रस्ताव को ग्राह्य कीजिये और इस पर विस्तृत चर्चा करने की अनुमति दीजिये।

                अध्यक्ष महोदय : मैं एक निवदन करना चाहता हूं कि इसमें करीब 13 लोगों का नाम है, यदि इसमें सब लोग बोलेंगे तो बहुत लम्बा समय लग जायेगा। हमारा सुझाव यह है कि कुछ नाम इसमें दे दिये जायें, अगर वहीं इसमें बोले तो मेरे ख्याल से यह उचित होगा और समय भी बचेगा।

                श्री निर्भयसिंह पटेल : माननीय अध्यक्ष महोदय, विधायकों को जो बोलने का अधिकार है, उससे भी क्या आप वंचित करना चाहते हैं।

                अध्यक्ष महोदय : निर्भयसिंह जी मैंने तो निवेदन किया हैं। अधिकारों से किसी को वंचित नहीं किया है।

                श्री निर्भयसिंह पटेल : सीमित सदस्यों को बोलने के लिये सूची देना, इसका मतलब यही होता है कि...

                अध्यक्ष महोदय : निर्भयसिंह जी आप हमको मतलब मत समझाइये। मैंने तो निवेदन किया है, अगर आप उस सुझाव को मंजूर कर लेते हैं, तो ठीक है, नहीं मंजूर करेंगे, तो भी ठीक है। मैंने तो आप लोगों से सूची मांगी है, सुझाव दिया है। वही चीजें बार-बार रिपीट होने से कोई लाभ नहीं है। जो-जो मुख्य वक्ता हों, उनकी बोलने की सूची आप दें।

                श्री बाबूलाल गौर : उस पर हम विचार कर लेंगे।

                अध्यक्ष महोदय : विचार कर लेंगे, तो जो आप सूची देंगे उसी के अनुसार हम नाम पुकारेंगे। अगर आप सूची नहीं देंगे, तो स्थगन प्रस्ताव में नाम देने वाले प्रत्येक सदस्य को हम बुलायेंगे, लेकिन उसमे हम समय सीमा रखेंगे, क्योंकि बार-बार वही बात रिपीट हो जाती है।

                श्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय (भिलाई)  :  माननीय अध्यक्ष महोदय, 23 मार्च,94 को जो यह घटना घटी, सौभाग्य से उस दिन सारा देश शहीदी दिवस मना रहा था और वह शहीदी दिवस इस बात के लिये पूरी देश की जनता को बार-बार याद दिला रहा था कि .....

इस भाषण को माननीय सदस्य ने नहीं सुधारा।

इसी दिन किस तरीके से अंग्रेजों द्वारा, अंग्रेजो के जमाने में पुलिस की बर्बरता पूर्ण और उनके अत्याचार और मानवाधिकारों का लगातार उल्लंघन करते हुए जो देश की आजादी के लिए लड़ते थे, उनको किस तरीके से कत्ले आम किया जाता था। दुर्भाग्य से 23 मार्च को इस दिवस को, जबकि पूरा देश, पूरे गर्व के साथ उन शहीदों को याद कर रहा था, इस दिन को कुछ लोग अपने लोकतंत्री अधिकारों के साथ, लोकतंत्र की रक्षा के लिए राजभवन पर भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ता प्रदर्शन करने के लिए जा रहे थे। 22 मार्च को इसी सदन में राजगढ़ में पुरूषोत्तम सोनी नामक व्यक्ति की हत्या कर फांसी पर लटकाने के बारे में स्थगन पर चर्चा के दौरान जो चर्चाएं हुई उसी के विरोध में भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं को, चूंकि वह भारतीय जनता युवा मोर्चा का कार्यकर्ता था, राजभवन में राज्यपाल महोदय को ज्ञापन देने जा रहे थे। अध्यक्ष महोदय, पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री जी ने घोषित तरीके से भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओ को कुचलने के लिए अपने सामंतवादी मनोवृत्ति तरीके से प्रत्येक स्थान पर कार्यकर्ता समाप्त करने के लिए निर्देशित किया है। उसका विरोध करने के लिए 23 मार्च को यह प्रदर्शन आयोजित किया था। अध्यक्ष महोदय, यह प्रदर्शन सुनियोजित था। श्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल महोदय से उचित तरीके से सूचना दे करर अनुमति प्राप्त कर ली थी कि हमने इतने समय, ज्ञापन देने आ रहे हैं। राज्यपाल महोदय ने 4.30 बजे का समय निर्धारित किया था। उसी योजना के तहत, उसी कार्यक्रम के तहत यह शांतिपूर्ण जुलूस रोशनपुरा नाके पर पहंचा। अनानक उन अधिकारियों ने यह तय किया कि 7 लोगों कोज जाना है। ऐसा कोई प्रदर्शन नहीं किया गया। उनका कहना कि वहां जाकर भीड़ हिंसक हो गई थी। हिंसा हुई कैसे ? कितनों को चोटे आयी ? किसी भी पुलिस कर्मी को गंभीर चोट नहीं लगी है। जितने भी आंकड़े बताये गये हैं, किसी भी पुलिस कर्मी को गंभीर चोट नहीं लगी है, जबकि वहां आंदोलनकारियों में से 35-40 लोगों को गंभीर चोटे आयी हैं। 5 लोगों को फ्रेक्चर आया है। अध्यक्ष महोदय, सांसद प्रदेशाध्यक्ष विधायक, पूर्व मंत्री जो थे, जो नेतृत्वकर्ता थे, उन्हें ढूंढ-ढूंढ कर मारा गया एक तथ्य और सामने आया कि जिन पुलिस वालों ने शिवराज सिंह चौहान पर लाठीचार्ज किया, पुलिस वालों ने नरेन्द्र सिंह तोमर पर लाठीचार्ज किया, जिन पुलिस वालों ने बृजमोहन अग्रवाल पर लाठीचार्ज किया, उससे साफ जारि होता है कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार, पूरे षड्यंत्र के अनुसार इस लोकतंत्र के अंदर, राज्य शासन जो गलतियां कर रही है, उसके विरोध में लोकतंत्र के अधिकारों की जो आवाजें उठाई जा रही हैं, उनको बंद कर दिया जाये। अगर यही मनोवृत्ति जारी रही तो ठीक नहीं हैं

                अध्यक्ष महोदय, सामान्य तौर पर 144 निषेधाज्ञा के उल्लंधन पर 188 के अपराध में उन्हें गिरफ्तार किया जाता है। आज तक ज्ञापन देने वाले किसी भी समूल को लाठियों से नहीं मारा गया। अध्यक्ष महोदय, जब पहली बार लाठी चार्ज हुआ तो रोशनपुरा से बापू की कुटिया तक दौड़-दौड़ कर मारा गया। उसके बाद श्री तोमर, श्री अग्रवाल, श्री लक्ष्मीनारायण शर्मा जब कार्यकर्ताओं के साथ धरने पर बैठे और कहा कि हम ज्ञापन देने जायेंगे, तब पुलिस व संबंधित अधिकारियों ने कहा कि हम आपके नेताओं को ज्ञापन देने के लिए राजभवन ले जा रहे हैं। अध्यक्ष महोदय, पुलिस की गाड़ियों में उन्हें बैठाया गया। जब इन नेताओं ने कहा कि हम अकेले नहीं जायेंगे तो उपस्थित पत्रकारों को भी साथ में बठाया गया। उपस्थित पत्रकारों को आधी दूरी पर गाड़ियों से उतार दिया गया और रास्ते में मारपीट करते हुए जेल ले जाया गया। इस घटना के परिप्रेक्ष्य में इस स्थगन प्रस्ताव को ग्राह्य किया जाये ताकि जिस प्रकार का हस्तक्षेप हुआ है और मुख्यमंत्री की सामंती मनोवृत्ति के कारण राजनैतिक कार्यकर्ताओं के लोकतंत्री अधिकारों का हनन करने का प्रयास किया है, उस पर चर्चा हो, इसलिये इसे ग्राह्य किया जाये।

                श्री बाबूलाल गौर (गोविन्दपुरा) : माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्री जी का पुनः विवेक जागृत इसलिये करना चाहता हूं कि 23 मार्च को विधान सभा की छूट्टी थी। अब अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी जो चर्चा कर रहे हैं, उसको बंद कर दिया जाये, नही ंतो हमारे बोलने का कोई अर्थ ही नहीं है। मुख्यमंत्री जी इतने अधिक चीफ प्रापर्टी चाहते हैं कि वहां पर रोज दफ्तर खोलकर के बैठ जाते हैं, इसलिये इसको कृपया बंद करें।

                अध्यक्ष महोदय :  गौर साहब गम्भीर चीज को आप चीफ न कहें।

                श्री बाबूलाल गौर : ठीक है अध्यक्ष महोदय इसको गम्भीर कर लेते हैं। अध्यक्ष महोदय, 23 मार्च को विधान सभा की छुट्टी थी और जैसा कि राज्य मंत्री जी ने बताया कि लगभग 150 प्रदर्शनकारी थे और अगर धारा 144, लगी थी, तो तोड़ने का अधिकार इस देश की जनता को है, आप उसके अंतर्गत उनको गिरफ्तार करते और उनकों जेल ले जाते एक, दो हफ्ते की सजा देते। धारा 144 तोड़ना कोई बहुत बड़ा जुर्म या अपराध नहीं है। यह हमारा प्रजातांत्रिक अधिकार है। लेकिन 125-150 लोगों के लिये 250-300 पुलिस वालों ने जो व्यवहार किया है, आप इस चित्र को देखें इसमें ऐसा मालूम पड़ रहा है कि यहां पर दुश्मनों का मुकाबला हो रहा है। लाठियां पकड़कर यह बृजमोहन अग्रवाल को मार रहे हैं, आप फोटो को देखिये ऐसा लगता है कि क्या इस प्रकार की क्रुर पुलिस हो सकती है और इतना मारा कि उनकी ऊंगली टुट गई। यह लक्ष्मीनारायण शर्मा नहीं लक्ष्मीकांत शर्मा सिरोंज वाले विधायक थे, यह तो बेचारे घबराकर के साईड में खड़े हो गये थे और पुलिस के डन्डे जो पड़े हैं, उसके बाद इनको गाड़ी में बैठाकर के और यह बताया गया कि राज्यपाल से मिलाने के लिये ले जा रहे हैं। बृजमोहन अग्रवाल थे और हमारे कुछ चार-पांच पत्रकार बंधु भी थे, उनको ले जाकर के सेन्ट्रल जेल में छोड़ा। अध्यक्ष महोदय, क्या इस प्रकार की धोखा-धड़ी करने की आवश्यकता थी। अगर धोखा-धड़ी की आवश्यकता थी, जहां 10,20,50 हजार का प्रदर्शन हो उसमें से कुछ लोग निकलकर के भागे और कहीं पर धारा 144 टुट रही हो अगर वे बहुत भागते भी तो भी राज्यपाल भवन की दीवालों से कूद तो सकते नहीं थे कि 100-50 आदमी दीवालों से कूद जाते और ............ ऐसा भी कोई मामला नहीं था लेकिन इस प्रकार की इतनी ज्यादतियां क्यों हुई। जब-जब युवा मोर्चा यहां पर प्रदर्शन करता है शिवराज सिंह को चार बार यहां पर इतना पीटा गया, हर बार पीटा गया, पीटा जाता है क्योंकि यह युवा लोग हैं और जानबूझकर इन पर हमला किया जाता है। अध्यक्ष महोदय, मैं इसलिये ग्राह्यता का प्रश्न करता हूं कि मैं जब अस्पताल में मिलने गया तो वहां पर डाक्टरों की हड़ताल चल रही थी। वहां पर कोई डाक्टर मौजूद नहीं था।

                श्री सत्यदेव कटारे  : अध्यक्ष महोदय, मेरा निवेदन है कि देश में राज्यपाल और राष्ट्रपति इतने सम्माननीय पद है कि उनको विधान सभा में कोई उदाहरण के तौर पर यहां नहीं कह सकते कि उनको गिरफ्तार करके ले आते। यह इन्होंने कहा है। यदि यह खेद व्यक्त न करें, तो आप इसे कार्यवाही से निकालने का कष्ट करें।

                श्री बाबूलाल गौर : अध्यक्ष महोदय, इसको लिखे रहने दीजिये और यह इतना दुर्भाग्य पूर्ण है।

इस भाषण को माननीय सदस्य ने नहीं सुधारा।

(.......) विलोपित।

                श्री सत्यदेव कटारे  : आपने राज्यपाल को गिरफ्तार करने की बात कही है, मैं इसको निकालने की बात कर रहा हूं।

                श्री बाबूलाल गौर : अध्यक्ष महोदय, यदि कोई प्रदर्शन करने आता हैं, तो आप उसे जेल ले जाते हैं और यदि वह राज्यपाल के द्वार पर आ भी जाते, तो कौन सा बड़ा अपराध हो जाता मैं पूछना चाहता हूं।

                श्री सत्यदेव कटारे  : अपराध होने वाली बात आई है गौर साहब, मैने गिरफ्तार शब्द को निकालने के लिये कहा है।

                श्री बाबूलाल गौर : अध्यक्ष महोदय, मंत्री जी अध्यक्ष के माध्यम से चर्चा करें। सीधे न करें।

(...............)

                श्री सत्यदेव कटारे  : अध्यक्ष महोदय, हम पर तो धारा 144 तोड़ने का केस होगा।

(...................)

(व्यवधान)

                नेता प्रतिपक्ष (श्री विक्रम वर्मा)  :  अध्यक्ष महोदय, यह बहुत आपत्तिजनक है। आप पहले मेरी बात सुन लें। (व्यवधान)

                एक माननीय सदस्य : जब तक गौर साहब खेद व्यक्त नहीं करते तब तक कार्यवाही नहीं चलने दें। (व्यवधान)

                मुख्यमंत्री (श्री दिग्विजय सिंह)  :  गौर साहब आप मुझे तो सुन लें।

                श्री बाबूलाल गौर : इसको निकाला जाना चाहिये। (व्यवधान)

                अध्यक्ष महोदय :  अरे आप सुन तो लीजिये। (व्यवधान)

                श्री दिग्विजय सिंह : पहले आप मुझे तो सुन लें। (व्यवधान)

                श्री बाबूलाल गौर : जो आरोप लगाये उनको कार्यवाही से निकालिये नहीं तो हम यहां धरना देंगे।

                श्री दिग्विजय सिंह : अध्यक्ष महोदय, गौर साहब ने किसी के ऊपर इस प्रकार से आरोप क्या लगाये ? यह आरोप लगायें तो रखा जाये और वह कहें तो निकाला जाय। माननीय गौर साहब सदन के बड़े नेता है।

(व्यवधान)

(.............) विलोपित

                श्री बाबूलाल गौर : मंत्रीजी असत्य बोल रहे हैं। (व्यवधान)

                श्री दिग्विजय सिंह : अध्यक्ष महोदय, उनकी तरफ से मंत्री जी के खिलाफ इस तरह के आरोप लगाना क्या अच्छी बात हैं ? (व्यवधान)

                अध्यक्ष महोदय :  जब आप बैठेंगे नही तो कैसे काम चलेगा ?

                श्री बाबूलाल गौर : यह 12 साल तक अदालत में नहीं गयें।

                श्री सत्यनारायण शर्मा : गौर साहब इस तरह की बात करते हैं।

                श्री दिग्विजय सिंह : यह घोर आपत्तिजनक है, गौर साहब को वरिष्ठ होने के नाते इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए। गौर साहब को किसी भी मंत्री और माननीय सदस्य के खिलाफ इस तरह से आरोप नहीं लगाना चाहिए। जब आप इस तरह से आरोप लगायेंगे, तो फिर आपको सुनने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

                श्री सत्यनारायण शर्मा : किसी नियम प्रक्रिया के तहर आरोप लगाये जांएगे। तो उसका जवाब दिया जाएगा। यह तो जब चाहे तब मनमाने तरीके से आरोप लगा देते हैं।

                अध्यक्ष महोदय : अब आप बैठेंगे नहीं तो आगे कार्यवाही कैसे चलेगी ? (व्यवधान)

                श्री रविन्द्र चौबे  : गौर साहब क्या आपको हमेशा इस तरह से आरोप लगाने की छूट दे रखी हैं ? (व्यवधान)

                श्री सत्यनारायण शर्मा : अध्यक्ष महोदय, गौर साहब ने सदन में इस तरह की अप्रासंगीय बात कहकर सदन में दरार पैदा करने की कोशिश की है। यह सीधे-सीधे स्थगन प्रस्ताव पर बात करते तो समझ में आता ? यह तो वरिष्ठ सदस्य हाने का नाजायज फायदा उठा रहे हैं ? (व्यवधान)

                अध्यक्ष महोदय : आप बैठिए। (व्यवधान)

                संसदीय कार्य मंत्री (श्री राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल) : अध्यक्ष महोदय, व्यक्तिगत आरोप लगाने का सिलसिला उधर से शुरू हुआ, यह अच्छी बात नहीं है।

                अध्यक्ष महोदय : अब आप बैठिए। (व्यवधान)

                श्री बाबूलाल गौर : मैं नहीं बैठूगा। आप मुझ पर आरोप लगा रहे हैं, तो उसको सिद्ध करिये और गिरफ्तार करिये मुझे।

                अध्यक्ष महोदय : आप बैठिए। इस प्रकार से कार्यवाही नहीं चलेगी। (व्यवधान)

                श्री बाबूलाल गौर : इस प्रकार से मुझ पर आरोप नहीं लगाये जा सकते। क्या कुछ भी आरोप लगा देंगे ? (व्यवधान)

                अध्यक्ष महोदय : आप बैठिए।

                श्री बाबूलाल गौर : गृह राज्य मंत्रजी जी यहां पर माफी मांगे। (व्यवधान)

                श्री निर्भय सिंह पटेल : गृह राज्य मंत्री जी सदन में गलत जानकार दे रहे हैं तो क्या इस तरह की बात कर सकते हैं ? (व्यवधान)

                अध्यक्ष महोदय :  पटेल जी आप बैठिए। मैं सब सदस्यों के साथ सहयोग करना चाहता हूं और सहयोग देना चाहता हूं और सहयोग लेना चाहता हूं लेकिन जब में खड़ा हूं तो आप खड़े हैं। यह अच्छा नहीं है पटेल साहब।

                श्री निर्भय सिंह पटेल : मंत्रीजी ने जो आरोप लगाये वह अच्छा है। (व्यवधान)

                अध्यक्ष महोदय  :  (व्यवधान) पटेल साहब मैं आपको चेतावती देता हूं कि आप बैठिए। (व्यवधान)

                श्री निर्भय सिंह पटेल : इस तरह की गलत कार्यवाही ठीक नहीं है। (व्यवधान)

                अध्यक्ष महोदय  :  अब आपके नेता खड़े हैं, आप उनको तो सुनिये। (व्यवधान)

                श्री विक्रम वर्मा (धार)  अध्यक्ष महोदय, माननीय गृह राज्य मंत्री जी ने इतने हल्के स्तर पर जाकर आरोप लगाये। उन्होंने तो एक कोर्ट केस का हवाला दिया, जिसमें 12 साल तक कोई व्यक्ति कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ। (व्यवधान)

                श्री राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल : इस बहस का उससे क्या संबंध हैं।

                श्री विक्रम वर्मा  : जो मामले कोर्ट से वापस लिए गए हैं, वह सार्वजनिक बात है, उसके लिए शासन आवेदन देता है और फिर उसके बारे में उल्लेख होता है। इसलिए यह गलत नहीं हैं क्योंकि यह तो न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत बात है, इसलिए सदन का कोई सदस्य उसको उठाने का अधिकार रखता है लेकिन गृह राज्य मंत्री ने बड़े हल्के स्तर पर जाकर अपनी बात की है। क्या गौर साहब को मुख्यमंत्री जी नहीं जानतें ? आप नहीं जानते। वह इस मध्यप्रदेश में सर्वाधिक वोटों से जीते हैं। आज तक आपका कोई कांग्रेस का विधायक इतने अधिक

इस भाषण को माननीय नेता प्रतिपक्ष ने नहीं सुधारा।

की बात नहीं करेंगे। यह बातें रिकार्ड में ही रहे और यदि आप इन्हें निकालेंगे तो हम इसका विरोध करेंगे। हम इस प्रदेश की जनता को बताना चाहेंगे कि आपने इतने ........को बिठा दिया,............

                संसदीय कार्य मंत्री (श्री राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल)  : अध्यक्ष महोदय, यह तो असंसदीय है ? (व्यवधान)

                श्री विक्रम वर्मा  : अध्यक्ष महोदय, जिसे संसदीय प्रक्रिया का ज्ञान नहीं हैं, मैं चाहूंगा कि यह बातें रिकार्ड में रहे और हम आपसे निवेदन करेंगे कि आप मंत्री जी को आदेशित करें, कि वह इन आरोपों के सबूत पेश करें। हम अब इस स्थगन पर बात नहीं करेंगे। मंत्री जी के पास फाईल हैं, वह गौर जी के सारे प्रकरणों की जानकारी सदन में रखें कि गौर साहब पर कब-कब मुकदमा किस-किस सरकार ने चलाएं हैं ? अभी इसी पर चर्चा आप करा लें। यह कोई तरीका है ? इसलिए मैं निवेदन करना चाहता हूं कि यह तो सदन की गरिमा का सवाल है, किसी मंत्री का कोई सवाल नहीं हैं कि वह चलते चलाते किसी भी विधायक के आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाने की बात करें। यह तो सदन की गरिमा का सवाल है और इसके लिए गौर साहब के ऊपर जितने प्रकरण चल रहे हैं, उनकी जानकारी सदन के पटल पर आप रखवाएं और चर्चा करवाएं। इसके अलावा हम कोई दूसरी बात नहीं सुनना चाहेंगे।

                श्री बाबूलाल गौर : यह अत्याचार है, अन्याया है। ऐसा नहीं चलेगा। (भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने गर्भगृह मे आकर नारे लगाए-कांग्रेस की गुण्डागर्दी-नहीं चलेगी, नहीं चलेगी।)

                (सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा अपनी आंसदी से ही नारे लगाए-भा.ज.पा.की तानाशाही-नहीं चलेगी, नहीं चलेगी।)

                श्री विक्रम वर्मा की तानाशाही-नहीं चलेगी, नहीं चलेगी।

                अध्यक्ष महोदय : कृपया आप अपनी सीट पर जाएं। (व्यवधान)

                (प्रतिपक्ष और सत्तापक्ष के सदस्यगण नारे लगाते रहे)

                अध्यक्ष महोदय : सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित।(12.25 बजे से 12.55 बजे तक सदन की कार्यवाही स्थगित रही)

                (12.55 बजे(अध्यक्ष महोदय)(श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी) पीठासीन हुए)।

                श्री निर्भय सिंह पटेल : अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है। (व्यवधान)

                भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने बेल में आ कर नारे लगाये कि ‘‘गृह मंत्री इस्तीफा दो-इस्तीफा दो, कांग्रसियों की तानाशाही नहीं चलेगी, नहीं चलेगी, गृह मंत्री इस्तीफा दो-इस्तीफा दो’’।

                अध्यक्ष महोदय : कृपया आप सभी लोग अपने स्थान पर चले जायें (व्यवधान)

(..........) विलोपित

                (भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों के द्वारा बेल में नारे लगाये गये कि ‘‘गृह मंत्री इस्तीफा दो-इस्तीफा दो कांग्रेसियों की गुण्डागर्दी नहीं चलेगी, नहीं चलेगी’’)

                अध्यक्ष महोदय : मैं आप सभी लोगों से यह निवेदन करता हूं कि आप लोग अपने स्थान पर चले जायें। (व्यवधान) मैं नेता प्रतिपक्ष से यह निवेदन करता हूं कि वह अपने स्थान पर चले जायें (व्यवधान)

                अध्यक्ष महोदय : सदन की कार्यवाही 2.30 बजे तक के लिए स्थगित।

                (12.57 बजे से 2.30 बजे तक के लिए अन्तराल)

                2.30 बजे (अध्यक्ष महोदय श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी पीठासीन हुए।)

                श्री विक्रम वर्मा  : माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस तरह से आज जो घटना हुई हैं, उसके लिए या तो आप मंत्री जी को निर्देशित करें कि वह इस सदन से क्षमा मांगे और माननीय बाबूलाल गौर जी के प्रति उन्होंने जो अपशब्दों का प्रयोग किया। इस तरह से वह उनकी अवमानना का प्रश्न है इसलिए आप इस पर अपना निर्णय दें और उनको निर्देशित करें कि वह क्षमा मांगे।

                श्री दिग्विजय सिंह : माननीय अध्यक्ष महोदय....

                श्री विक्रम वर्मा  : माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय मुख्यमंत्री जी से चर्चा हो चुकी है। माननीय मुख्यमंत्री जी का प्रश्न नहीं है इसमें।

                अध्यक्ष महोदय : आप उन्हें बोलने दें।

                मुख्यमंत्री (श्री दिग्विजय सिंह)  :  माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि यहां हमस दन में सभी माननीय सदस्य एक सम्मान का स्थान प्राप्त करते हैं। चाहे वह व्यक्ति सदन का नेता हों, चाहे विपक्ष का नेता हो, चाहे मंत्रिमण्डल का सदस्य हो, चाहे वह साधारण विधायक हो, किसी भी व्यक्ति के प्रति अपशब्द या अवमानना हो या उसके चरित्र के प्रति अपशब्द कहना यह न तो संसदीय परम्परा रही हैं और न यह उचित है। मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि इस सदन में हमने अभी तक एक बड़े अच्छे ढंग से जनहित की चर्चा भी की हैं, हमने कानून भी बनाये हैं और जन समस्याओं के ऊपर काफी अच्छे सुझाव दिये हैं। जिस आशा, उम्मीद के साथ इस प्रदेश की जनता ने इस पक्ष और उस पक्ष को चुना है, उन आकांक्षाओं के अनुसार ही हमको काम करना है। आज के स्थगन प्रस्ताव में जो मूल रूप से संसदीय परम्पराओं और मर्यादाओं के नियम है, उसके अंतर्गत ऐसे स्थगन प्रस्ताव को ग्राह्यता के लिए चर्चा में भी आने नहीं दिया जाता है। (व्यवधान) हम उसके लिए भी तैयार हैं, जो इस पर चर्चा हो रही हैं।

इस भाषण को माननीय मुख्यमंत्री ने नहीं सुधारा

                डॉ. गौरीशंकर शेजवार  :  गृह राज्य मंत्री जी मेहरबानी कर के माफी मांगे.....(व्यवधान)

                श्री दिग्विजय सिंह : आप मौजूद नहीं थे। बड़े अच्छे ढंग से शालीन चर्चा चल रही थी। एक उल्लेख माननीय राज्यपाल महोदय के बारे में हुआ, एक उल्लेख माननीय राज्य मंत्री गृह के बारे में हुआ, लेकिन राज्य मंत्री ने एक उल्लेख माननीय सदस्य गौर साहब के खिलाफ किया, मैं समझता हूं कि आपने समस्त प्रोसिडिंग देखी है। दोनों तरफ से इस तरह की बात नहीं होनी चाहिए थी, मैं इस बात से सहमत हूं। मेरा आपसे अनुरोध है कि जो कुछ हुआ उसको आप देख लें और उन पूरे आपत्तिजनक शब्दों को, दोनों तरफ के, विलोपित करें और मैं सदन में विपक्ष के नेता से, गौर साहब से, सदन से, जो कुछ भी हुआ, उस सब को अपने ऊपर लेकर के खेद व्यक्त करने के लिये तैयार हूं, लेकिन सदन चलना चाहिए। सदन की अपेक्षाओं आकांक्षाओं, जनता की अपेक्षाओं-आकांक्षाओं के अनुरूप ही हमारा व्यवहार होना चाहिए। स्वयं कैलाश जोशी जी आज डंकल प्रस्ताव पर चर्चा करना चाहते थे, जब कि डंकल प्रस्ताव इस सदन का विषय नहीं हैं, उसके बावजूद भी आपकी भावनाओं के अनुरूप हम तैयार थे। मैं तो चाहता था कि यह चर्चा पटवाजी के साथ हो, पटवाजी खुद इस विषय पर बहुत आंदोलित थे। मैं चाहता हूं कि पटवाजी जब लौट आएं उसके बाद चर्चा हो लेकिन यदि आप लोग पटवाजी को अलग करके चर्चा चाहते हैं, तो मुझे आपत्ति नहीं हैं, यह आपका निर्णय हैं।

                श्री कैलाश जोशी  :  अध्यक्ष महोदय, यह हमारे दल का फैसला है कि कौन चर्चा करे, कौन नहीं करे।

                श्री दिग्विजय सिंह : गुरूदेव, मैं तो आप की ही बात कर रहा हूं, आप नाराज क्यों हो रहे हैं ? सदन की कार्यवाही चलने दीजिए, हम तो चाहते हैं कि आपको सुनें। गुरूदेव, आप किसान संघ के अध्यक्ष हैं, हम चाहते हैं कि आपका भाषण हो। अध्यक्ष महोदय, इसलिए मेरा निवेदन है कि यह जो कुद भी घटनाक्रम हुआ हैं, उसको आप सदन की कार्यवाही से विलोपित करें  और सदन में जो कुछ हुआ हैं, सदन के सभी सदस्यों की ओर से उसकों मैं अपने ऊपर लेते हुए, खेद व्यक्त करता हूं और इस प्रकरण को यहीं समाप्त कीजिए और कार्यवाही को चालू रखिये।

                श्री विक्रम वर्मा (धार) : अध्यक्ष महोदय, आपके कक्ष में भी चर्चा हुई थी उस समय भी माननीय मुख्यमंत्री जी ने यही बात दोहराई थी और मैंने इस बात से असहमति व्यक्त की थी। अध्यक्ष महोदय, यह तो इस मंत्रिमण्डल का एक तरीका हो गया है कि एक आदमी किसी की टोपी उछाल दे, किसी को अपमानित कर दे और मुख्यमंत्री जी खड़े होकर खेद व्यक्त कर दें। यह सोची-समझी रणनीति के हिसाब से नहीं चलेगा। यह गलत प्रक्रिया है। सदन चले और सदन को चलाने के लिए सबसे पहली जिम्मेदारी संयम बरतने की सत्ता पक्ष की होती हैं, क्योंकि आपका यह काम होता है कि आप सदन को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। जिस दिन से सदन की कार्यवाही प्रारंभ हुई है, आप देख लें कि जिस तरह से उत्तर आते हैं, मंत्रियों का व्यवहार होता हैं, चाहे जिस प्रकार से आरोप लगाने की बात की जाती है और अब मुख्यमंत्रीजी कह रहे हैं कि दोनों पक्ष से ऐसी बात नहीं आना चाहिए थी। हम उस पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं, उसको विलोपित न किया जाए। मैं अपने दल की तरफ से यह कहना चाहता हूं कि माननीय गृहराज्य मंत्रीजी ने गौर साहब के लिए कुछ भी कहा है, उसको

इस भाषण को माननीय नेता प्रतिपक्ष ने नहीं सुधारा।

रिकार्ड में रहने दिया जाय। हम पूरे प्रदेश में ले जाकर इसको बताएंगे। गौर साहब 1972 से इस सदन में बैठ रहे हैं, न जाने कितने मुख्यमंत्री इस कुर्सी पर आए और चले गए यदि गौर साहब अवैधानिक रूप से कार्य करते रहे हैं, तो इतने साल तक कांग्रेस की हुकूमत ने उनके खिलाफ क्या कोई मामला बनाया हैं ? आज केवल इतनी सी बात पर गृह मंत्री अपना धैर्य खो बैठे। मैंने आपके सामने संसदीय कार्य मंत्री जी से पूछा कि कल से सामान्य प्रशासन विभाग या गृह मंत्रालय की डिमांड पर चर्चा है और यदि हम डिबेट उससे ही प्रारंभ करेंगे तो क्या आप उसको रोक पाएंगें ?

                अध्यक्ष महोदय, एक न्यायिक प्रक्रिया  चल रही हैं, किसी व्यक्ति के खिलाफ वांरट निकला हुआ हैं, वह सार्वजनिक रूप से प्रकाशित भी हुआ हैं, उसके बारे में यदि शासन कोई आवेदन देता हैं, तो वह मुकदमा वापस लिया जाना उचित है या अनुचित, इस पर सदन में चर्चा की जा सकती है और यदि उसका उल्लेख माननीय गौर साहब ने किया है, तो कोई गलत नहीं है। उसका उल्लेख किया जा सकता हैं क्योकि न्यायिक प्रक्रिया में शासन का आवेदन है, शासन ने मुकदमें वापस लिए हैं, इसलिए इसका उल्लेख हम कर सकते हैं और यही गौर साहब ने कहा है कि आपके ऊपर तो मुकदमें चल रहे थ, आप कभी कोर्ट नहीं जाते तो यह तो न्यायालय की अवमानना का प्रश्न है और इसके एक बार नहीं दस बार सदन में उठाया जाएगा। लेकिन इस पर गृह राज्य मंत्री अपना धैर्य खो बैठे और एक वरिष्ठ सदस्य के बारे में यह कह दें। क्या सदन में इस तरह के आरोप लगाए जाएंगे। तो सदन की गरिमा रहेगी ? कौन सदस्य गरिमा के साथ सदन में बैठ पाएगा। यह सदन की गरिमा का प्रश्न है। होना तो यह चाहिए था, आप आदेशित करते और मंत्री को सदन में अशोभनीय व्यवहार और अपशब्द के लिए उन्हें प्रताड़ित करते और कहते कि खड़े होकर क्षमा मांगों, यह आदेश हो जाना चाहिए लेकिन मुख्यमंत्री जी लीपा पोती कर रहे हैं। मुख्यमंत्री जी सदन में कह रहे हैं कि मैं माफी मांगता हूं ओर कल से कोई भी मंत्री आरोप लगाने लग जाएगा और आप कह देंगे कि हम माफी मांगते हैं। कल हमारे तरफ से कोई कुछ बोल देगा तो मैं खड़े होकर बोल दूंगा कि मैं माफी मांगता हूं। क्या यह प्रक्रिया आप चालू कराना चाहते हैं ? क्या इस बात की छूट देना चाहते हैं ? फिर सोच लीजिए क्या-क्या हालत नहीं होगी (.........)(व्यवधान)

                अध्यक्ष महोदय : यह विलोपित किया जाए। (व्यवधान)

                श्री विक्रम वर्मा : मैंने किसी का नाम लिया क्या ? यह हजारीलाल जी क्यों खड़े हो रहे हैं ? मैंने किसी का नाम नहीं लिया हैं। (व्यवधान)

                अध्यक्ष महोदय : इस तरह की टिप्पणी उचित नहीं हें, इसे विलोपित किया जाए। (व्यवधान)

                लोक निर्माण मंत्री (श्री हजारीलाल रघुवंशी) : अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वाइंट आफ आर्डर है कि माननीय विरोधी दल के नेता ने सभी सदन के सम्मानीय सदस्यों के बारे में यह कहा है। (..............) अध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से विरोधी दल के नेता से यह कहना चाहता हूं कि अगर वे इस बात को प्रमाणित कर दें और इसके लिए माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको अधिकृत करता हूं। ये इस तरह से असत्य आरोप लगाते हैं।

(.........) विलोपित ।

और उनका प्रमाण सच निकलेगा, तो हमारे पक्ष का जो भी सदस्य होगा, वह विधानसभा की सदस्याता से त्याग-पत्र देने के लिए तैयार है। और इसके लिए माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं आपको अधिकृत करता हूं। ये इस तरफ से असत्य आरोप लगाते हैं।

                डॉ. गौरीशंकर शेजवार : मन्जूर।

                श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, आप कार्यवाही उठाकर देख लें, मैंने किसी मंत्री का नाम नहीं लिया है, अकसर स्पष्टीकरण देने के लिए, किसी पर स्फेसिफिक फ्लीगेशन ....(व्यवधान).....

                श्री दिग्विजय सिंह : अध्यक्ष महोदय, यह घोर आपत्तिजनक है। मुझे यह उम्मीद नहीं थी कि प्रतिपक्ष के नेता इतनी हल्की बात करेंगे। ....(व्यवधान).....

                श्री सत्यनारायण शर्मा : जो खुद गलत है वे दूसरों पर क्या आरोप लगायेंगे।.(व्यवधान).

                अध्यक्ष महोदय : मैंने इसे विलोपित कर दिया है। में नेता प्रतिपक्ष से निवेदन करता हूं कि सीमित भाषा में अपनी बात कहें।

                श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, आप देख लीजिए, मैंने एक भी मंत्री का नाम नहीं लिया है। मैं मुख्यमंत्री जी से यही कहना चाहता था इसलिए उसको जानबूझकर बोला। यदि कल से इस तरह की बात इस सदन में होने लगी और खड़े होकर हम कहने लगे कि मैं माफी मांगता हूं, इनकी तरफ से में खेद प्रकट करता हूं तो क्या इस तरह से यह सदन चल पायेगा ? (व्यवधान)- मैंने नाम लिया किसी मंत्री का ? ये जबरदस्ती खड़े हो गये स्पष्टीकरण के लिए। आप खड़े क्यों हुए ? (व्यवधान)... ये इतने सारे खड़े नहीं हुए, लेकिन आप खड़े हुए ..(व्यवधान)....

                अध्यक्ष महोदय : कृपया आप लोग कार्यवाही चलने दें।

                श्री थावरचंद गेहलोत : चोर की मूंछ में तिनका । .....(व्यवधान)...

                श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, मैं फिर कह रहा हूं कि मैंने इसीलिए जानबूझकर यह कहा। मैंने किसी का नाम नहीं लिया। ये गलत बात है कि लोग स्पष्टीकरण देने के लिए खड़े हो जायें। यह उनका लुकआउट है। फिर कल से इसी तरह के आरोप लगने लग लायेंगे। कोई किसी के भी बारे में और कुछ कहने लगेगा। ...(व्यवधान)

                श्री राधेश्याम शर्मा (भाटापारा) : अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वांइट आफ आर्डर है। माननीय विपक्ष के नेता क्या किसी भी सदस्य को या मंत्री को इस तरह डांटने की भाषा में बोल सकते हैं ? माननीय विपक्ष में भी ऐसे कई सदस्य बैठे हुए हैं, इनको अपनी सरकार के बारे में भी याद रखरना चाहिए और उनके बारे में तत्कालीन समय में पुलिस प्रशासन ने एक तरफ तो उनका एब्सकाडेड घोषित किया और दूसरी तरफ वे 26 जनवरी को सलामी ले रहे थे। ..(व्यवधान).... उनके प्रकरण भी वापस लिये थे।

                अध्यक्ष महोदय : अब आप सुन लीजिए। मैंने जिन शब्दों और वाक्यों को विलोपित कर दिया है क्या उन पर अब चर्चा करना उचित हैं ? मैं समझता हूं उन पर चर्चा करना उचित नहीं हैं ? अब इसे आगे न उठायें।

                श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, मैं उस पर चर्चा नहीं कर रहा हूं। जैसा कि मैंने कहा, मुख्यमंत्री जी सदन को गंभीरता से चलाना नहीं चाहते हैं। कल से इस तरीके के आरोप लगने लग जायेंगे और बाद में कोई भी कह देगा कि खेद प्रकट करता हूं, क्षमा मांगता हूं। क्या मुख्यमंत्री जी सदन को इस तरीके से चलाना चाहते हैं। इस मामले में कोई समझौता नहीं होगा। यह एक प्रकार से वरिष्ठ सदस्य का अपमान है और पूरे भाजपा विधायक दल का अपमान है। इसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। मैं मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने सदन की गरिमा रखी और खेद प्रकट किया। लेकिन संबंधित मंत्री में इतनी भी गरिमा नहीं है कि वे कहें कि खेद प्रकट करने को तैयार हैं, माफी मांगने को तैयार हैं। वे इतना तो कह देते। सदन के नेता खेद प्रकट कर रहे हैं, लेकिन वे नहीं कर रहे हैं। गृह राज्य मंत्री जी माननीय गौर जी के प्रति क्षमा मांगे, तब यह प्रकरण समाप्त होगा वरना हमारी तरफ से यह प्रकरण समाप्त करने वाले नहीं हैं। कृपया आप इस संबंध में निर्देश दें।

                अध्यक्ष महोदय : मैं अपनी तरफ से जिन वाक्यों को असंसदीय मानता हूं, उनके संबंध में कहना चाहता हूं। श्री सत्यदेव कटारे जी ने जो कहा में उसे कार्यवाही से पढ़ता हुं। ‘‘ यह तो चोरी करवाने और सट्टा चलवाने का आरोप गौर साहब के ऊपर भी है। अवैध शराब के अड्डे चलाने का आरोप गौर साहब पर है।’’ यह वाक्य विलोपित किया जाता है। ..(व्यवधान).. इसी तरह से श्री बाबूलाल गौर द्वारा जो कहा गया कि ‘‘जिस व्यक्ति के ऊपर 40-50 प्रकरण चल रहे हो उसके ऊपर क्या कार्यवाही हुई यह बतायें। गृह मंत्री तो खुद अपराधी हैं तो इस प्रदेश का क्या होगा ?’’ मैं इसे भी विलोपित करने का आदेश देता हूं। ....(व्यवधान).....

                (भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों द्वारा ‘‘कांग्रेस की तानाशाही नहीं चलेगी। गृह राज्य मंत्री इस्तीफा दें और ठाकुर राज नहीं चलेगा’’ के नारे लगाते हुए गर्भगृह में प्रवेश किया गया और आसंदी के समक्ष खड़े होकर नारे लगाये गये।)

                श्री सत्यनारायण शर्मा : भारतीय जनता पार्टी की नहीं चलेगी।

                अध्यक्ष महोदय : कृपया आप सब अपने स्थान पर जायें। ..(व्यवधान).... सदन की कार्यवाही आधे घण्टे के लिए स्थगित।

                (2.50 बजे से 3.15 बजे तक सदन की कार्यवाही स्थगित )

                (3.15 बजे अध्यक्ष महोदय (श्रीयुत् श्रीनिवास तिवारी) पीठासीन हुए )

                श्री रामलखन शर्मा : अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है। कुछ पट गया हो तो कुछ नहीं कहना है।

                श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, मैं उसी बारे में निवेदन कर रहा था। अध्यक्ष महोदय, वहीं से प्रारम्भ होगा, जिस चीज को विलोपित करने की बात बोली है। मैं अपने दल की तरफ से फिर से निवेदन कर रहा हूं। विलोपित नहीं होगा। नहीं तो मुझे उनके शब्दों में उस बात को कहना पडे़गा। (व्यवधान) अध्यक्ष महोदय, इस मंत्रिमण्डल का मंत्री कितने निम्न स्तर की भाषा का प्रयोग करता है और मुख्यमंत्री जी गम्भीरता से नहीं ले रहे हैं।

                श्री रामलखन शर्मा : अध्यक्ष महोदय, मेरा प्वांईट आफ आर्डर है।

                श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, हम पूरे प्रदेश में उस बात को ले जाना चाहते हैं और इसलिए उसको हम रिकार्ड में रखना चाहते हैं। मैं माननीय अध्यक्ष महोदय से व्यवस्था चाहूंगा।

                श्री दिग्विजय सिंह : अध्यक्ष महोदय, आप व्यवस्था दे चुके हैं। (व्यवधान)

                श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, मैं उसे फिर कहना चाहता हूं। गृह राज्य मंत्री जी ने बिलकुल भी गम्भीरता का उपयोग नहीं करते हुए माननीय बाबूलाल गौर के बारे में अपशब्दों का प्रयोग किया है।

                अध्यक्ष महोदय : पहले व्यवस्था का प्रश्न सुन लें।

                श्री रामलखन शर्मा : अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है कि आज की कार्यसूची में जो ध्यान-आकर्षण आपने स्वीकृत किये थे और उसमें बहुत-से शासकीय, अशासकीय कार्य थे, डंकल प्रस्ताव के बारे में चर्चा होनी थी...(व्यवधान)

                श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, पहले एक प्रकरण हो जाए। पहले इस प्रकरण का निराकरण होगा, उसके पहले दूसरी कोई प्रक्रिया नहीं होगी।... (व्यवधान)

                श्री रामलखन शर्मा : अध्यक्ष महोदय, कार्यसूची में उल्लिखित समस्त कार्यवाही को पूरा करने का आप आश्वासन दें। यह परम्परा गलत है, सदन के नेता ने माफी मांगी है उसके बाद भी ..(व्यवधान)(विपक्ष के सभी सदस्यगण गर्भगृह में आ गये तथा‘‘गृहमंत्री माफी मांगे’’ के नारे लगाने लगे।)

                श्री रामलखन शर्मा : अध्यक्ष महोदय,(........)(व्यवधान)

                अध्यक्ष महोदय :  कृपया आप सभी अपने स्थान पर जायें। (सत्ता पक्ष के सदस्यों द्वारा ‘‘भाजपा की तानाशाही नहीं चलेगी’’ के नारे लगाये गये।)

                अध्यक्ष महोदय :  क्या आप लोग आगे कोई चर्चा नहीं करना चाहते हैं ? (व्यवधान) देखिये, मुख्यमंत्री ने माफी मांगी है, खेद प्रकट किया है। इसके बाद आप क्या चाहते हैं ? आप लोग अपने-अपने स्थान पर जायें। कृपया आप लोग अपने स्थान पर जायें।

                (विपक्ष के सदस्यगण द्वारा ‘‘सत्यदेव कटारे इस्तीफा दो, गृह मंत्री को बरखास्त करों, बरखास्त करों’ 8 के नारे लगाये गये।)

                अध्यक्ष महोदय :  सदन की कार्यवाही कल प्रात : 10.30 बजे तक के लिए स्थगित।

                3 बजकर 18 मिनट पर विधानसभा, मंगलवार, दिनांक 5 अप्रैल, 1994 (चैत्र 15 शक संवत् 1916) के पूर्वाह्न 10.30 बजे तक के लिए स्थगित।

 

भोपाल :

दिनांक : 4 अप्रैल, 1994                                                                                          शीला खन्ना

                                                                                                                                 सचिव

                                                                                                                      मध्यप्रदेश विधान सभा