Digvijaya Singh
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21 अप्रैल 1994 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर बहस

21 अप्रैल 1994 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर बहस

(76) दिनांक 21 अप्रैल 1994


ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर बहस।
पृच्छा - प्रस्ताव और विशेषाधिकार भंग की दी गई सूचनाएं।
सयम 11.23 बजे

    अध्यक्ष महोदय : ध्यानाकर्षण सर्वश्री कैलाश विजयवर्गीय..
(व्यवधान)

    श्री रामलखन शर्मा (सिरमौर)  : माननीय अध्यक्ष महोदय आज जे.सी. मिल और हुकुमचन्द मिल इन्दौर और ग्वालियर के मजदूर शहर के बाहर इकट्ठा है। मुख्यमंत्री जी ने उनके संबंध में बात करने के लिए आश्वासन दिया था पन्द्रह अप्रैल को ....(व्यवधान) लेकिन फिर भी उन्होंने बात नहीं की ....(व्यवधान) जे.सी. मिल ग्वालियर और हुकुमचन्द मिल इन्दौर के मजदूर आज भोपाल में इकट्ठा है। मैंने इस संबंध में स्थगन प्रस्ताव दिया था मुख्यमंत्री जी ने पन्द्रह अप्रैल को बात करने का आश्वासन दिया था परंतु कुछ नहीं किया उसका क्या हुआ यह बतलाए।
(व्यवधान)

    श्री विक्रम वर्मा : व्यवस्था का प्रश्न (व्यवधान)

    अध्यक्ष महोदय : व्यवस्था का प्रश्न पहले होने दे।

    श्री विक्रम वर्मा (धार) : मेरा व्यवस्था का प्रश्न यह है कि प्रश्नोत्तर के समय उप मुख्यमंत्री श्री सुभाष यादव जी ने कुछ इशारा करके सम्मानीय सदस्य श्री लक्ष्मी नारायण शर्मा जी को हथकड़ी लगाने और आपके खिलाफ बहुत प्रकरण है और इस तरह के कुछ आरोप लगाये।

    अध्यक्ष महोदय : इस तरह कुछ आया है क्या ?

    श्री विक्रम वर्मा : पूरे सदन ने देखा है और बिल्कुल बोला है सुना है हमने और इसीलिए...
(व्यवधान)

    उप मुख्यमंत्री (श्री सुभाष यादव)  : माननीय अध्यक्ष महोदय, मेरी आपत्ति है। क्या इनको इस बात की इजाजत दी जायेगी कि यह कहे कि हम रजिस्ट्रार को चल कर मुक्का लगायेंगे ? इसकी इजाजत किसी सदस्य को नहीं दी जायेगी ।अगर ऐसी इजाजत दी जायेगी तो इसका मुंहतोड़ जवाब देंगे। यदि सदस्य ने यह कहा है और इशारा किया है कि मैं पंजीयक को मुक्का लगाऊंगा अगर ऐसा कहा है तो यह घोर आपत्तिजनक है और इसका जवाब बिल्कुल ठीक दिया जावेगा....
(व्यवधान)

    श्री विक्रम वर्मा : मेरा व्यवस्था का प्रश्न है..(व्यवधान) अध्यक्ष महोदय. मैंने व्यवस्था का प्रश्न उठाया है...(व्यवधान) 

    श्री सुभाष यादव  : किसी भी माननीय सदस्य को अधिकार नहीं है कि वह सदन में बैठकर कहे कि किसी सरकारी अधिकारी को मुक्का मारूंगा....(व्यवधान) और उसको मुक्का मारने का इशारा करे और कहे कि उसके कमरे में पहुंच कर मुक्का मारूंगा...(व्यवधान) इसकी किसी भी माननीय सदस्य को इजाजत नहीं दी जायेगी..(व्यवधान) अगर कोई माननीय सदस्य ऐसा करे तो उसका मुंह तोड़ जवाब देंगे....(व्यवधान)

    श्री विक्रम वर्मा : आप इतने उत्तेजित क्यों हो रहे है ? (व्यवधान)

    श्री सुभाष यादव  : (व्यवधान के बीच) उस शासकीय कर्मचारी/अधिकारी की रक्षा करने के लिए मैं खुद खड़ा होऊंगा। ये मुक्का मार कर देंखे...(व्यवधान)(.....)
(......)विलोपित

    अध्यक्ष महोदय :  आप बैठिय

    अध्यक्ष महोदय :  आप अपने नेता को सुनिये...(व्यवधान)

    श्री सत्यनारायण शर्मा : माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय शेखावत जी का यह कौन सा तरीका है..(व्यवधान) इस तरह सदनन नहीं चलेगा। ये सदन दोंनो पक्षों के सहयोग से चलता है।...(व्यवधान)

    अध्यक्ष महोदय : अब आप बैठिये ..(व्यवधान) अगर एक माननीय सदस्य कोई व्यवस्था का प्रश्न उठाता है और खास तौर से नेता प्रतिपक्ष, तो आप लोग उत्तेजित होकर क्यों खड़े हो जाते है..(व्यवधान) ये उचित नहीं हैं।

    श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय मेरा व्यवस्था का प्रश्न है..(व्यवधान) अध्यक्ष महोदय, मुझे बड़े दुःख के साथ कहना पड़ता है आपने माननीय सदस्यों को तो कह दिया कि नेता प्रतिपक्ष खड़े है और आप बोल रहें है। जब मैं आपसे व्यवस्था का प्रश्न कर रहा था तो उप मुख्यमंत्री ने खड़े होकर ऐसी भाषा का प्रयोग कर रहे थे उनके बारे में आपने एक शब्द नहीं कहा। माननीय सदस्य महोदय. मुझे दुःख के साथ कहना पड़ रहा है। अब भी मैं अपनी व्यवस्था के प्रश्न पर कायम हूं। आप कृपा करके सुन लें। ये देख लीजिए ....(व्यवधान)

    श्री सुभाष यादव : (गुंड़ागर्दी करने की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी ये गुंडागर्दी करके देख ले)..(व्यवधान)
    (भारतीय जनतापार्टी के सदस्यों ने नारे लगाए-सुभाष यादव मुर्दाबाद)
    (कांग्रेस पार्टी की ओर से नारे लगाए गये- भारतीय जनता पार्टी की गुण्डागर्दी नहीं चलेगी।)

    अध्यक्ष महोदय  :  कृपया सभी सदस्य बैठ जाए।

    श्री विक्रम वर्मा : माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने व्यवस्था का प्रश्न उठाया था उस समय उत्तेजित होकर एक उप मुख्यमंत्री ने लक्ष्मीनारायण शर्मा को हथकड़ी पहनाने की धौंस दी और फाइल-कागज बताकर कहा कि ये प्रकरण है।
    तुमकों हम गले-गले तक हम हथकड़ी पहनायेंगे। अध्यक्ष महोदय, मुख्यमंत्री जी सदन में उपस्थित हैं मैं चुनौती देता हूं और मांग करता हूं कि लक्ष्मीनारायण जी शर्मा के सहकारिता मंत्री के कार्यकाल में और माननीय यादव जी के अपेक्स बैंक, को आपरेटिव बैंक खरगोन, सूत मिल खरगोन, इतने सारे पदो के कार्यकाल की जांच इस सदन की समिति बनवा कर उससे करवा ले। मैं प्रस्ताव करता हूं और इस पर आपकी व्यवस्था चाहूंगा। मेरा आग्रह है और इस पर हम जोर देंगे। यह इस तरीके से बता रहे है, यह हरकत ठीक नहीं है। मैं चाहूंगा कि मुख्यमंत्री जी इसका जवाब दें....

    अध्यक्ष महोदय : आप कृपया बैठ जाइये.....

    श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, मैं इस पर आपकी व्यवस्था चाहूंगा, मुख्यमंत्री जी सदन में उपस्थित हैं वे जवाब दें। सदन की एक समिति बनाई जाए, मैं सदन के नेता से निवेदन करूंगा कि वे इस संबंध में खड़े होकर उत्तर दें। प्रस्ताव के संबंध में सदन की समिति बनाने की यहां घोषणा करें। (अन्यथा यह माना जायेगा कि सुभाष यादव प्रदेश में भ्रष्ट लोगों को संरक्षण दे रहे हैं, यह मेरा आरोप है।)

    अध्यक्ष महोदय : देखिये जो व्यवस्था का प्रश्न माननीय नेता प्रतिपक्ष ने उठाया हैं, मैंने इशारे की बात तो नहीं देखी, जो कुछ भी रिकार्ड में आया है, मैं कार्यवाही देखूंगा और किसने क्या कहा और अगर असंसदीय है तो निश्चित रूप से उस पर विचार करूंगा और विलोपित करूंगा। जहां तक नारेबाजी का प्रश्न हैं। मैं समझता हूं माननीय सदस्यों को इस पर ध्यान देना चाहिए और इशारें बाजी वगैराह नहीं करना चाहिये..(व्यवधान) देखिये मैंने स्वयं सुना है, कुछ शब्द इधर से भी कहे गये और कुछ उधर से भी कहे गये। मैं उनको देखूंगा और देखकर विचार करके उनको विलोपित करूंगा, अगर वे असंसदीय है।
(.....)विलोपित

    श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, मेरा सदन की समिति बनाने वाला प्रस्ताव अभी भी स्टेण्डिंग है और मैं आपसे निवेदन करता हूं और सदन के नेता से चाहूंगा कि प्रस्ताव रखें, और आप व्यवस्था दें।
(व्यवधान)

    अध्यक्ष महोदय : समिति बनाने के प्रस्ताव जो आपने रखा, उस पर कोई अध्यक्षीय व्यवस्था नहीं होती आगे की कार्यवाही शुरू ....(व्यवधान)

    श्री रामलखन शर्मा : अध्यक्ष महोदय, हुकुमचन्द मिल इन्दौर और जे.सी. मिल ग्वालियर के हजारों मजदूर प्रदर्शन कर रहे हैं...(व्यवधान)

    श्री बाबूलाल गौर : अध्यक्ष महोदय.. जे. सी. मिल ग्वालियर के मजदूर बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री जी ने कहा था कि 15 तारीख को हम मीटिंग बुलायेंगे, वह भी समय अब निकल गया है और यहां भोपाल में हजारों मजदूर प्रदर्शन कर रहे हैं......
(व्यवधान)

    श्री रामलखन शर्मा : अध्यक्ष महोदय, मैंने स्थगन दिया है, हुकुमचन्द मिल इन्दौर के हजारों मजदूर प्रदर्शन कर रहे हैं वे यहां भोपाल में आये हुए हैं.....

    अध्यक्ष महोदय : आपने 10.30 बजे दिया है उस पर मैं अब क्या कर सकता हूं, आप बैठ जाईये। (व्यवधान)

    श्री थावरचंद गेहलोत : अध्यक्ष महोदय, सदन के अंदर दिये गये आश्वासन को पूरा किया जाना चाहिए। इस प्रकार से आसंदी की ओर से निर्देश होना चाहिएं सदन में आश्वासन देने के बाद भी मुख्यमंत्री बात नहीं कर रहे हैं आप उन्हें निर्देश दें।

    श्री कैलाश विजयवर्गीय (इन्दौर-2)  :  अध्यक्ष महोदय, मैंने विशेषाधिकार भंग की सूचना दी थी कि दैनिक भास्कर के डॉ. सुरेश मेहरोत्रा ने राजधानी से राजधानी तक के कालम में आपकी आसंदी के ऊपर आरोप लगाएं है और सदन के कार्य को प्रभावित करने का प्रयास किया है।

    अध्यक्ष महोदय : अभी तो आप पहले अपना ध्यानाकर्षण पढ़िये। इस संबंध में आप आइयेगा तो हम बता देंगे लेकिन अभी नहीं बतायेंगे। आप अपना ध्यानाकषर्ण पढ़े।

    श्री बाबूलाल गौर (गोविन्दपुरा) : अध्यक्ष महोदय, विशेषाधिकार का मामला एक बहुत ही गम्भीर मामला होता है। माननीय सदस्य विशेषाधिकार की सूचना देते है लेकिन उन्हें किसी प्रकार का कोई नोटिस नहीं देते है और केवल आग्राह्य की सूचना सीधे भेज दी जाती है इसीलिए यह परम्परा के खिलाफ है।

    अध्यक्ष महोदय : अगर आप आये तो हम आपसे जान लेंगे और हम भी कुछ बात देंगे। लेकिन अभी तो आप चलने दीजिये।

    श्री बाबूलाल गौर : अध्यक्ष महोदय, लेकिन उनकी सूचनाओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं ?

    अध्यक्ष महोदय : ध्यान देंने लायक होगा तो अवश्य ध्यान देंगे।

    श्री थावरचंद गेहलोत : अध्यक्ष महोदय, मैंने भी एक विशेषाधिकार भंग की सूचना दी है लेकिन 3-3 दिन हो गए हैं उसके संबंध में कोई सूचना ही नहीं है।

    अध्यक्ष महोदय : मुझको कहने देंगे तब ना अभी तो कैलाश विजयवर्गीय का सवाल है।

    श्री बाबूलाल जैन : अध्यक्ष महोदय, उस पत्रकार ने आसंदी पर आरोप लगाया है, उसका स्पष्टीकरण होना चाहिये। आप उसे बुलाकर प्रताड़ित करें।

    अध्यक्ष महोदय : उन्होंने जो सूचना दी है, वह विचाराधीन है। अब आप आगे बढ़ें।

    श्री बाबूलाल गौर : अध्यक्ष महोदय, पहले जो विशेषाधिकार भंग की सूचनाओं की प्रक्रिया थी उस प्रक्रिया थी उस प्रक्रिया को खत्म कर दिया है और यह परम्परा के खिलाफ है क्योंकि विशेषाधिकार भंग की सूचना पर आपके कक्ष में आने की आवश्यकता बहुत कम पड़नी चाहिये। यह विधानसभा की प्रापर्टी है। क्या हम प्रश्न भी आपके कक्ष में रखें ? और स्थगन भी आपके कक्ष में रखे यह बहुत गंभीर बात है।

    श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्यों की विशेषाधिकार की अनेक सूचनाओं के कारण यह परिस्थिति निर्मित हुई। हमको भी काफी सदस्यों ने बताया, विशेषाधिकार भंग की सूचना अग्राह्य कर दी गयी। अक्सर आप देख लें पहले अनके विशेषाधिकार की बातों पर अग्राह्य करने के पूर्व माननीय सदस्य को सदन में, यह विशेषाधिकार प्रश्न बनता है या नहीं बनता है उसके बारे में अपने तर्क, नियम-प्रक्रिया सब रखने का अनेक बार मौका मिला है। इस पूरे सत्र में आप देख लें कि अनेक सूचनाओं के बावजूद एक बार भी किसी माननीय सदस्य को सदन में चर्चा करने का मौका नहीं मिल पाया। चर्चा के बाद यदि आप अग्राह्य कर दे तो वह तो आपके अध्यक्षीय आदे का पालन होगा। हो सकता हैं कि बहुत से विषयों में आपके चेम्बर में चर्चा होने के पहले उसको निरस्त कर दें। एक बार अग्राह्य हो गया तो हम किन नियमों के बारे में चर्चा करे ? विधायकों पर लाठीचार्ज हुआ था सांसद शिवराज सिंह चौहान और उनके मामले में विशेषाधिकार भंग की सूचना सभी माननीय सदस्यों ने दी थी और सदन में खड़े होकर निवेदन भी किया था। लेकिन उसके बावजूद वहनिरस्त कर दी गयी। मेरा निवेदन है कि इसके माध्यम से हम तो जो प्रशासकीय बातें हैं जो कमियां हैं उन बातों को सदन में लाने का हमको अधिकार है। यहद हमें उस अधिकार से वंचित कर दिया जाएगा और आपके सचिवालय से उनके अग्राह्य की सूचना सीधे दे दी जायेगी तो फिर इन विशेषाधिकार भंग की सूचनाओं का महत्व नहीं रह जाएगा। इसलिए माननीय सदस्यों की जो सूचनाएं है। उनके बारे में सदन में चर्चा कराना यदि आप यहां उपयुक्त समझें तो यहां करें या फिर कक्ष में बुलाकर कर लें लेकिन इस प्रकार की जो प्रक्रिया होगी तो ठीक न होगा और मुश्किल हो जाएगी।

    श्री बाबूलाल जैन : अध्यक्ष महोदय, जो माननीय विजयवर्गीय जी ने सदन में प्रश्न उठाया है वह बहुत ही गंभीर विषय है। दैनिक भास्कर प्रदेश का प्रमुख प्रसारित पत्र हैं और उनके जिम्मेदार वरिष्ठ लेखक ने जो बात कही है कि (......) यह हम सब सदस्यों के लिए अपमान का विषय हैं।

    श्री बच्चन नायक : अध्यक्ष महोदय, यह घोर आपत्तिजनक है (व्यवधान)

    अध्यक्ष महोदय : जो भी बात उन्होंने कही है वह रिकार्ड में नहीं आएगी।......(व्यवधान)

    मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह : अध्यक्ष महोदय, प्रिविलेज मोशन की अपनी एक अलग प्रक्रिया है और उस प्रक्रिया का पालन करने का अधिकार आपका है और उसमें जो आपका निर्णय हैं वह सदन को मान्य होना चाहिये माननीय बाबूलाल जैन और गौर साहब ने आपके पद के प्रति भावना व्यक्त की हैं वह मैं समझता हूं कि उपयुक्त नहीं है। और आसंदी के प्रति अपमान जनक है। आज एक प्रक्रिया चालू हो गयी है। विपक्ष के द्वारा इस तरह से हल्के-फुल्के आरोप लगाने की ओर मेरी इस बात पर घोर आपत्ति है।

    श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, यहय गलत आरोप लगा रहे हैं आप जो बाहे चढ़ा रहे हैं उस पर आप नहीं बोल रहें हैं।

    संसदीय कार्यमंत्री (श्री राजेन्द्र प्रसाद शुल्क) : अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न है। परम्परा के अनुसार मध्यप्रदेश विधान सभा की नियमावली विधान सभा की नियम समिति द्वारा निर्मित हैं और विधानसभा के द्वारा पटल पर वह रखी गई हैं उस पर सहमति है। माननीय विधान सभा अध्यक्ष को सुनिश्चित अधिकार दिए गए हैं। वे चाहें विशोषाधिकार के हों या दूसरी बातों के। जो निर्णय आप कर चुके, जो कार्यवाही कर चुके, जो नियम संगत है। क्या उस पर चर्चा करके माननीय अध्यक्ष को इस विधान सभा में सिखाया जा सकता है या किसी प्रकार से उनके किए गए कार्य कलापों की समीक्षा की जा सकती है ? जो आपने निर्णय कर दिया क्या उस पर कोई चर्चा हो सकती हैं ?

    श्री ओंकारप्रसाद तिवारी : बिलकुल चर्चा हो सकती है।

    डॉ. गौरीशंकर शैजवार : अध्यक्ष महोदय, मेरा भी प्वाइंट आफ आर्डर है।

    अध्यक्ष महोदय : इस पर क्या प्वांइट आफ आर्डर होगा ?

    डॉ. गौरीशंकर शैजवार : आप समय दे दें। मैं बता दूंगा।

    श्री कैलाश जोशी (बागली)  : अध्यक्ष महोदय, मैं श्रीमान का ध्यान मध्यप्रदेश विधान सभा की कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 167 की ओर आकर्षित करना चाहता    हूं :-
    1. यदि अध्यक्ष नियम 167 के अधीन अनुमति। दे और यह ठहराये कि चर्चा के लिए प्रः स्थापित विषय नियमानुकुल हैं तो वह संबंधित सदस्य को पुकारेगा। जो अपने स्थान पर खड़ा होगा, और विशेषाधिकार का प्रश्न उठाने की अनुमति मांगते हुए उससे संगत एक संक्षिप्त वक्तव्य देगा। परन्तु जब अध्यक्ष ने नियम 164 के अधीन अपनी सम्मति देने से संगत कर दिया हो या उसकी राय हो कि चर्चा के लिए प्रस्तावित विषय नियमानुकूल नहीं है तो यदि वह आवश्यक समझे, उस विशेषाधिकार प्रश्न की सूचना, पढ़कर सुना देगा, कि उसने सम्मति देने से इंकार किया है।

    अध्यक्ष महोदय : जोशीजी, अभी ये सारे प्रश्न यहां उपस्थित हैं अभी तो विजयवर्गीय जी की सूचना की बात है।

    श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, मैंने आपसे निवेदन किया था कि अभी तक इस सारे सत्र में अनेक विशेषाधिकार के बारे में जो परिस्थिति निर्मित हुई उस पर से माननीय सदस्य ने यह प्रश्न उठाया है।

    श्री बाबूलाल गौर : अध्यक्ष महोदय, पहले भी यहीं पर माननीय राजेन्द्र प्रसाद जी शुक्ल अध्यक्ष थे और माननीय राम किशोर जी शुक्ल भी अध्यक्ष रह चुके हैं और उनके समय में विशेषाधिकार भंग की सूचना सुनी जाती थी। वह एक गौरव पूर्ण स्वर्णकाल का इतिहास था।

    श्री थावरचन्द गेहलोत : अध्यक्ष महोदय, मैंने भी विशेषाधिकार भंग की सूचना दी हैं, लेकिन अभी तक मुझे इसकी कोई सूचना नहीं मिली है। इस सदन की अवमानना प्रशासनिक अधिकारों द्वारा की जा रही हैं पंचायत अधिनियम में प्रावधान है कि नियम बनाने के बाद नियम की काफी सभा के पटल पर रखेंगे।

    अध्यक्ष महोदय : अब यह विषय कहां से आ गया है।

    श्री थावरचन्द गेहलोत : जब तक आप सदन के पटल पर नहीं रखते तब तक सदस्यों को जानने का अधिकार है। कार्यवाही करने का अधिकार है, जिससे हम वंचित रहते हैं। इसलिये कार्यवाही करनी चाहिये।

    श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, खास तौर से विशेषाधिकार वाले मामले में सदन की जो परम्परा है, आप एक वरिष्ठ सदस्य हैं तो अनेकों विषयों पर चर्चा होने के बाद आंसदी ने उसे अग्राह्य किया है। माननीय जोशी जी भी इसी के संबंध में अपनी बात कहने जा रहे और मैंने भी यही कहा है।

    श्री कैलाश जोशी : अध्यक्ष महोदय, माननीय बाबूलाल गौर जी ने जो प्रश्न उठाया था वह इसी के अन्तर्गत उठाया है। अभी तक यही परम्परा रही हैं। इसलिये निवेदन है कि इस पर आप विचार करें। विशेषाधिकार के प्रश्न को यदि आप नियमानुकूल मानते हैं तो उसे आने दें और नहीं तो आसंदी से सदन में घोषणा कर दें। कम से कम सदस्यों को जानकारी तो हो जाया करें ? बाला-बाला निरस्त हो जाना उचित नहीं है।

    अध्यक्ष महोदय : कोई भी विशेषाधिकार की सूचना जब सचिव के पास आती है और उसके बाद अध्यक्ष के पास पहुंचती है तो आपने स्वयं अभी पढ़ा ‘‘यदि अध्यक्ष,सम्मति दे तो’’ यह तो पहली आवश्यकता है और यदि हम उसको सम्मति देंगे तब आगे की कार्यवाही करेंगे। इसके दो तरीके है। एक तो यह है कि या तो हम उसको सदन में लायेंगे। और माननीय सदस्य को अनुमति देंगे कि वे उसे पढ़ें ताकि आगे की कार्यवाही हो या हम उसे आसंदी से विशेषाधिकार समिति में भेज देंगे। माननीय सदस्यों ने देखा होगा तो मेरे ख्याल से अभी 4 विशेषाधिकार की सूचनाएं विशेषाधिकार समिति को सौंप दी गई है और यहां पर घोषणा कर दी गई। और यहां पर घोषणा कर दी गई है। जो और बातें हैं, जैसा कि माननीय सदस्यों ने कहा है तो उस पर भी विचार करेंगे कि उस पर क्या किया जा सकता है। अभी प्रश्न केवल माननीय सदस्य विजयवर्गीय जी ने जो सवाल उठाया है, उस विशेषाधिकार में है और उसे मैंने अमान्य नहीं किया हैं, कहा है कि विचाराधीन है। मैंने उस पर जानकारी मंगाई है, पत्र लिखा है। अब इसके बाद भी आगे चर्चा करना , मैं समझता हूं कि उचित प्रतीत नहीं होता है। ...(व्यवधान).... बस अब इससे आगे न जाईये। 

    श्री बाबूलाल गौर : अध्यक्ष महोदय, आप नेचरल जस्टिस, जो प्राकृतिक न्याय है, बुनियादी अधिकार है, उसको समाप्त करेंगे क्या ? मेरी तीन विशेषाधिकार की सूचनाएं हैं, लेकिन आपने न बुलाया न पूछा और उसको अग्राह्य थी नहीं किया और समाप्त कर दिया। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट भी नेचरल जस्टिस को मानते हैं। अगर हमारी सूचनाएं बोगस भी हो तो माननीय सदस्यों को सूचना तो मिलनी चाहिये ? उनसे कुछ पूछा गया क्या ? आपने एक का उत्तर नहीं दिया और अग्राह्य कर दिया आपके कक्ष में। ये अन्याय है। यह तो हमारा, फंडामेंटर राइट है। .......(व्यवधान)

    श्री जालम सिंह पटेल (बालोद) : अध्यक्ष महोदय, मेरा व्यवस्था का प्रश्न यह है कि माननीय श्री बाबूलाल जी गौर अत्यंत ही वरिष्ठ और सुलझे हुए सदस्य हैं। परन्तु उन्होंने जिस लहजे में आसंदी पर विचार व्यक्त किये, आसंदी को चेलेंज किए यह कहां तक उचित हैं ? यह एक गंभीर बात है। आज हम सत्ता में थे पर कम से कम हमारा व्यवहार और आचरण तो ऐसा नहीं होना चाहिये.....

    श्री बाबूलाल गौर : हम जानते हैं आपके व्यवहार को। अध्यक्ष बृजमोहन मिश्रा जी के कमरे में जाकर आपने कांच तोड़े हैं, राष्ट्रीय झंड़ा फेंका है और मारपीट की है फिर भी हम को सिखा रहे है।.........(व्यवधान).......

    श्री सत्यनारायण शर्मा : इन्होंने आसंदी पर प्रहार किया था। आपके विरूद्ध मैंने विशेषाधिकार की सूचना दी है। (आप तो जूता संस्कृति के प्रतीत हैं। आसंदी पर जूता फेंका था।)
.......(व्यवधान).........

    श्री जालम सिंह पटेल : बाबूलाल गौर को माफी मांगनी पड़ेगी।
.......(व्यवधान).........

    श्री रघुनंदन शर्मा : अध्यक्ष महोदय, मैंने भी डी. एस. पी. के विरूद्ध विशेषाधिकार भंग की सूचना दी है। मेरा गिरेबान पकड़ा गया और मुझे नीचे गिरा दिया गया था। मेरी सूचना भी लम्बित है। .............
     मुझे आज तक उसकी जानकारी नहीं मिली। (व्यवधान)

    अध्यक्ष महोदय : कृपा करके बैठ जायें।

    श्री बाबूलाल गौर : अध्यक्ष महोदय, खुजनेर थाने में विधायक को मारा, आपके पास विशेषाधिकार भंग की सूचना आई हैं और दो महीने हो गये, कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
(......)विलोपित

    अध्यक्ष महोदय : परमार जी का तो शायद विशेषाधिकार समिति को मामला चला गया है। यह मालूम होना चाहिये। यह नेता प्रतिपक्ष को भी मालूम है। जहां तक बाबूलाल जी गौर का कहना है, बहुत सी बातें जो उन्होंने प्रिवीलेस मोशन के बारे में कही है मैं समझता हूं कि भाषा मे संयम बरतना चाहिये।

    डॉ. गौरीशंकर शैजवार : कोई असंयमित भाषा नहीं कही है। भाषा पूरे संयम में थी। यह सत्य नहीं है .......(व्यवधान)

    अध्यक्ष महोदय : मैं तो इतना ही कहूंगा कि संयम बरतना चाहिये, वरिष्ठ सदस्य हैं।

    श्री बाबूलाल गौर : विधायक को थाने में मारा गया, उसके बाद भी कार्यवाही नहीं की गई.......(व्यवधान)

    श्री जालमसिंह पटेल : गौर साहब ने आसंदी को चैलेंज किया है।

    श्री बाबूलाल गौर : (व्यवधान) संयम तो हम बहुत बरत रहें हैं। (व्यवधान)

    अध्यक्ष महोदय : आप पहले सुन लें। यदि आपस मे प्रतियोगिता करेंगे तो यह उचित नहीं है। मैं नेता प्रतिपक्ष से यह निवेदन करता हूं कि .......(व्यवधान)

    श्री बाबूलाल गौर : इनके साथ भी अपमान हुआ है।

    श्री ओंकार प्रसाद तिवारी : विधायक को पीटा गया, खुजनेर थाने में। विधायकों का क्या होगा ? (व्यवधान) (श्री रघुनंदन शर्मा, अध्यक्ष महोदय, की आसंदी के समीप आये, तब श्री कैलाश जोशी तथा अन्य सदस्यगण उन्हें वापस ले गये।)

    श्री पुष्पराज सिंह : ये कौन सी संस्कृति का परिचायक है ? यह नहीं चलेगा। आसंदी का घोर अपमान किया जा रहा है।

    अध्यक्ष महोदय : श्री कैलाश विजयवर्गीय, आप ध्यानाकर्षण पढ़िये।

सयम 11.58 बजे           ध्यान आकर्षण सूचना
    (1) होशंगाबाद के ग्वालटोली स्थित एक चिकित्सक के निवास पर डकैती।

    श्री कैलाश विजयवर्गीय (इन्दौर) : श्री ईश्वरदास रोहाणी श्री निर्भय सिंह पटेल : अध्यक्षय महोदय दिनांक 15 अप्रैल, रात होशंगाबाद ग्वालटोली स्थित सिंधी कालोनी में डॉ. वासुदेव नवलानी के निवास पर सशस्त्र डाकुओं ने मारपीट की और लाखों रूपये का माल लेकर फरार हो गये। डाकुओं ने दवा लेने के नाम पर हथियारों से हमला कर दिया। शोर सुनकर जब वासुदेव की मां पत्नी, पुत्र व पुत्रवधु आये तो डाकुओं ने महिलाओं से दुर्व्यहार किया व घातक हथियारों से उन्हें भी चोट पहुंचाई। डकैत लाखों रूपये नगद व जेवरात लूट कर ले गये। मारपीट से शांतिबाई वासुदेव, राजकुमार, आशा व मोहनी बाई गंभीर रूप से घायल हो गये। अस्पताल में शांति बाई ने दम तोड़ दिया व शेष जिन्दगी और मौत से संघर्ष कर रहे हैं। इस घटना से होशंगाबाद जिले में भय व आक्रोश है। विगत माह में भोपाल संभाग में डकैती की यह दसवीं घटना है। डाकू फरार हैं।
समय 12.00 बजे

    राजमंत्री गृह (श्री सत्यदेव कटारे) : अध्यक्ष महोदय प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनांक 15-4-94 को 04.00 बजे प्रार्थी गणेश कुमार पुत्र डॉक्टर वासुदेव मवलानी निवासी सिंधी कालोनी होशंगाबाद ने थाना होशंगाबाद में रिपोर्ट की अभी 03.00 बजे 5-6 डकैत घर में घुस आये तथा लाठी, कुल्हाड़ी से मारपीट कर जेवर तथा नगदी कुल कीमत 80 हजार 250 रूपये का मल लूट कर ले गये। घायल व्यक्तियों को उपचार हेतु अस्पताल होशंगाबाद पहुंचाया गया है। इस रिपोर्ट पर थाने पर अपराध क्रमांक 218/94 धारा 395, 397 भादंवि का पंजीबद्ध किया गया। थाना प्रभारी अजयसिंह बिसेन ने तत्काल घटना स्थल पर 04.10 बजे पहुंचकर विवेचना प्रारंभ की। सूचना मिलते ही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जगतसिंह व