Digvijaya Singh
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29 सितम्बर 1982 मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम

29 सितम्बर 1982 मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम

दिनांक 29.09.1982
मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम, 1982


    कृषि मंत्री (श्री दिग्विजय सिंह) : सभापति महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम विधेयक, 1982 पर विचार किया जाय।
 

   सभापति महोदय : मैं मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम विधेयक के संबंध में निवेदन करना चाहता हूं कि हम यह एक बहुत ही आवश्यक निगम बनाने जा रहे हैं जिसका कि पुरस्थापन पिछले सत्र में हो चुका था लेकिन समय कम होने के कारण हमें इसको वापस लेना पड़ा और उसके बाद हमें इसके लिए आर्डिनेन्स निकालना पड़ा माननीय सभापति महोदय, मैं माननीय सदस्यों को बतलाना चाहता हूं कि इस महत्वपूर्ण निगम के माध्यम से हमारे जो कार्यक्रम है, एकीकृत ग्रामीण विकास योजना के जिसमें उसे सभी परिवारों को, जोकि गरीबी की रेखा के नीचे रहते हैं, उनको पशु पालने के लिए तथा पोल्ट्री फार्म आदि खोलने के लिए ऋण दे सकते हैं। अभी इन्हें खुले बाजारों से पशु खरीदने पड़ते हैं इसके संबंध में हमारे सामने शिकायतें आती रहती हैं। तो इस निगम का उद्देश्य यह होगा कि जो पशु प्रजनित कराने के लिए खरीदे जाते हैं तो उनसे प्रजनन कराने के लिए या तो वे प्रजनन हमारे विट्रीनरों में करें या फिर दूसरे प्रदेशों से जो अच्छी नस्ल के पशु हैं उन्हें क्रय करें। दूसरे हमारे जो पोल्ट्री फार्म हैं उन्हें जो चूजे दिये जाते हैं तो उनको उनके पालने में अपनी वित्तीय स्थिति के कारण से दिक्कत आती हैं तो ये सारे के सारे काम इस निगम के माध्यम से किये जायें। तीसरे माननीय सभापति महोदय, जो बड़े फार्म हमारे विभाग के पास है उनको पूरी तरह से विकसित करने के लिए हमारे सीमित साधन होने के कारण हम उन पर व्यय नहीं कर पाते हैं। हमारे सिमित साधनों के कारण हम उन पर व्यय नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए सभापति महोदय, यह महसूस किया गया कि जो बड़े फार्म हैं और जिन पर कि पशु प्रजनन किया जा सकता है और वे पांच हजार एकड़ के फार्मस् हैं उनके विकास के लिए राष्ट्रीकृत बैंकों से पैसा ले सकें और हमारे जो वित्तीय साधन है उनको सम्लीमेंट कर सकें। यह हमारा लक्ष्य है उद्देश्य हैं इस निगम को स्थापित करने का। मैं समझता हूं कि इस सदन के सभी माननीय सदस्य इसका समर्थन करेंगे।

    सभापति महोदय : प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश राज्य पशु धन एवं कुक्कुट विकास निगम विधेयक, 1982 पर विचार किया जाय।

    डॉ॰ शैल कुमार शर्मा (शुजालपुर) : माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पशु धन एवं कुक्कुट विकास निगम विधेयक जो यहां मंत्री जी ने प्रस्तुत किया है, इसके उद्देश्य के बारे में भी उन्होंने प्रकाश डाला है कि इसके द्वारा हम उच्च कोटि के पशुओं का क्रय विक्रय करेंगे और आवश्यकता के अनुसार बाहर से भी मंगायेगे और लोगों को देंगे। ये सारी बातें इसमें बताई गई हैं। मेरा निवेदन यह है कि जब हम इसके ऊपर विचार करते हैं तो हमें देखना होगा कि, किसी भी विषय के दो पहलू होते हैं। एक तरफ जहां हम उसके अच्छे पहलू का समर्थन करते हैं वहां हम उसके दूसरे पहलू को हम नहीं देखते हैं। अगर हम ओर ध्यान नहीं देंगे तो हम घाटे में रहेंगे आज इस विधेयक के द्वारा एक निगम की स्थापना की गई है इसलिये यह अधिक उचित होगा कि हम इसके पूर्व में स्थापित निगमों के कार्यकलापों का दिग्दर्शन करें।
    एक और बात यह है कि हमने जो इसमें उद्देश्य और सारी बातें रखी हैं, उसमें हम कहां तक सफल हो पायेंगे, इस पर भी हमें विचार करना होगा। वैसे तो निगम के बारे में निधि बनायेंगे तो हमें बाहर से लोन लेना पड़ेगा। उस पर फिर ब्याज भी देना ........
भी करता हुं। निगम के माध्यम से हमारे ग्रामीण क्षेत्र के जो लोग हैं गरीब तबके के जो लोग हैं उनको एक विकास का माध्यम प्राप्त हो रहा है, और उनको जो लाभ प्राप्त होगा वह एक गरीबी दूर करने के इस विधेयक के माध्यम से प्राप्त होगा। कुछ हमारे माननीय विधायक लोग इस मांग विधेयक के संबंध में शकास्पद विषय रखे हैं इसलिये मैं आपके समझ सदन में अपने विचार प्रस्तुत कर रहा हूं वह यह है कि कुछ माननीय विधायकों ने कहा कि यहां पहले से कई निगम ऐसे है जिनसे कोई लाभ प्राप्त नहीं हो रहा है।
समय 5-00
    हमारे विधायकों को मैं यह बता देना चाहता हूं कि मत्स्य विकास निगम बना है। जिसके माध्यम से दुर्ग में भी मत्स्य विकास निगम का निर्माण हुआ है। इसके निर्माण होने से ग्राम पंचायतों को लाभ हुआ है। पहले सारे बिचौलिये तालाब का ठेका लेते थे और काफी रूपया कमाते थे और जब निगम की तरफ से सोसायटी को दिया गया तो उससे पंचायत को भी लाभ हुआ, आदिवासियों एवं गरीब मजदूर को रोजगार मिला और पंचायत के पैसे की भी अच्छी वसूली हो रही है। इसी प्रकार गांव के छोटे कृषकों एवं मजदूरों को पशुधन पालने का अवसर मिलेगा। यह सारे लाभ इस विधेयक में हैं। मंत्री महोदय से निवेदन है कि जब शहरों मैं भैंस एवं गाय दूध देना बन्द कर देती है उस समय चारा मंहगा होने से बाजे लोग उसे खुला छोड़ देते हैं। अतः मेरा निवेदन है कि इस निगम के माध्यम से उन्हें खरीद कर गांवों में उन्हे बेचने का प्रबन्ध करें। धन्यवाद।

    श्री परशुरामसिंह भदौरिया : सभापति महोदय.....

    श्री लक्ष्मीनारायण शर्मा : यह समापन ठीक नहीं हो रहा है। आप जिनसे समर्थन करवा रहे है वे पहले ही एक निगम को डुबा चुके हैं।

    श्री परशुरामसिंह भदौरिया : बोल लीजिये जितना बोलना हो। मैंने एक मिनिट का समय मांगा है।

    श्री बाबूलाल गौर : अब अक्ल आ गई है।

    श्री राधारमण भार्गव : ये इसलिये बोल रहे है कि इस निगम के अध्यक्ष के पद के लिए उनका नाम भी याद रखा जाय।

    श्री परशुरामसिंह भदौरिया (अटेर)  : हालांकि मैं बोलना नहीं चाहता था यदि पटवाजी कुछ कहते तो मैं उनका जवाब जरूर देता। मैं केवल इतना ही कहना चाहता हूं कि यह विधयेक बड़े सोच समझ कर लाया गया है क्योंकि मुझे यह भी मालूम है कि इसमें प्रजनन की व्यवस्था है। सबसे पहले हमें प्रतिपक्ष को संतुष्ट करना चाहिए। प्रजनन की व्यवस्था की गई है तो मैं सबसे पहले निवेदन करूगा कि पटवाजी के यहां गाय हो, भैंस हो, बकरी हो तो उसका प्रजनन करा दिया जाय तभी ये संतुष्ट होंगे और कहेंगे कि आपने बड़ा अच्छा काम किया।

    कृषि मंत्री (श्री दिग्विजय सिंह) : माननीय सभापति महोदय सदन के दानों पक्षों की ओर से इस निगम का स्वागत किया गया है और जो महत्वपूर्ण सुझाव आये है जो मुद्दे उठाये गये हैं बहुत शार्ट में मैं उनका जवाब देना चाहता हूं, इस बारे में कुछ प्रकाश डालना चाहता हूं। माननीय सभापति महोदय, डॉ. शर्मा जी ने जो यह बताया है कि इस प्रदेश में निस्तार और चरनोई की भूमि का वंटन होता चला जा रहा है उससे पशुधन के लिए घास में कमी आई है। मैं माननीय सदस्य से निवेदन करना चाहता हूं कि जो हमारे इस देश में सबसे अच्छा पशुपालन किया जाता है वह हरियाणा, पंजाब और उत्तरप्रदेश में किया जाता है जहां कि निस्तार और चरनोई की ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। जब तक हमारे किसान उनके पशुधन को घर में बांध कर चराना नहीं सीखेंगे तब तक हमारे यहां पशुधन की हालत नहीं सुधरेगी। आज आवश्यकता इस बात की है कि  जो भी हमारे पास पशुधन है उनको अच्छा चारा दें। अभी श्री कम्मौदीलाल जी ने बताया कि मुरैना जिले के चम्बल सम्भाग के सभी किसान पशुधन को सम्भालने में बड़े कुशल हैं, जैसा कि उन्होंने बताया कि वे उन पर काफी ध्यान देते हैं इस प्रदेश में हम निस्तार की भूमि ढाई प्रतिशत बांट भी देते हैं। हमारे पास निस्तार की भूमि है। अभी हमने बजट प्रावधान किया है जिसमें कि हमने चारा विकास कार्यक्रम लागू किया गया है सभी माननीय सदस्यों ने हमारे विभाग के अन्तर्गत जो निगम है और हमारे शासन के अन्तर्गत जो निगम चल रहे हैं उनके बारे में कहा है। हालांकि यह चर्चा का विषय नहीं हैं लेकिन मैं स्वयं माननीय सदस्यों को इस बारे में जानकारी देना चाहता हूं कि जहां तक कृषि विभाग का सवाल है हमारे निगम जितने भी कृषि विभाग में हैं यह सब मुनाफे में चल रहे हैं। हमारे सदस्यों ने जो थोड़ी बहुत मत्स्रू विकास निगम के बारे में चर्चा की वह मैं समझता हूं कि सहीं नहीं है और हम केवल अखवारों के माध्यम से जो कुछ बताते है उसकी गहराई में नहीं जाते है। और उन पर भरोसा कर लेते है। मत्स्य विकास निगम में कम से कम जो निर्धारित कार्यक्रम था उसको बड़ी तत्परता से चलाया जा रहा है और मत्स्य विकास निगम के माध्यम से 20 प्रजनन केन्द्र भी चले जा रहे है। माननीय सभापति महोदय, यहां पर जो बात कही गई की यह विधान सभा सत्र चालू होने वाला था उसमें इस .........

    श्री दिग्विजय सिंह : आज जो फैसला हुआ है उसकी खुशी में।

    श्री सुन्दरलाल पटवा : या उसके गम में चक्कर खा रहे हैं ?

    श्री दिग्विजय सिंह : मैं निवेदन यह कर रहा था कि हमारे माननीय सदस्य श्री दिनेश मिश्रा जी बधाई के पात्र है कि जो उन्होंने ऐसे निर्जिव सब्जेक्ट पर अपना भाषण दिया, इसके लिए मैं उन्हें अवश्य बधाई देना चाहूंगा। मैं उनको पूरी तरह से आश्वस्त करना चाहता हूं कि उनकी जो सद्भावना है, उनके जो विचार है और उन्होंने जो कि विशेष रूचि दिखाई है उसका हमने पूरा ख्याल रखा है। उसका भी प्रावधान इसमें है और उसमें आपको आपत्ति नहीं होनी चाहिये। श्री केलारामजी ने जो कालोनी के बारे में प्रश्न उठाया था, हालांकि वह इससे सम्बन्धित नहीं था प्रदेश में डवलपमेंट एजेंसी के माध्यम से गरीब वर्ग को सोसायटीज को जो हम तालाब पट्टे पर देते है। उसमें उन्हें किसी बात की चिन्ता नहीं होनी चाहिए। पंचायत की हानि होने वाली नहीं है। पंचायतों को जो तीन वर्षों से लगातार फायदा होता रहा है, वह रोयल्टी पंचायत को मिलती रहेगी और 10 वर्षों में 10 प्रतिशत बढ़ती रहेगी। उन्हें इस बात की जानकारी मैं देना चाहूंगा कि जो ये निगम बनते जा रहे हैं। इस बात का हमें ध्यान है कि सहकारी समितियों के माध्यम से मिल्क का कलेक्शन करवायें। यह जो मार्किट है मुर्गी और अण्डे मार्किटिंग सोसायटीज के माध्यम से अच्छे मिलें और सस्ते मिलें। इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि हमारे प्रदेश में बैलों की किसानों को आवश्यकता पड़ती है हम चाहते है कि हमारे प्रदेश में जो बैलों की ब्रीड है वह अच्छी हो और उनकोंहम बढ़ाना चाहते है चाहे वह मालवीय हो चाहे निमाड़ी हो। यह इसीलिए कि जिससे अच्छे किस्म के अच्छी जाति के बैल किसानों को मिल सकें। तो मैं जो सभी माननीय सदस्यों ने सुझाव दिये है अच्छे सुझाव दिये हैं।

    श्री लक्ष्मीनारायण शर्मा : लेकिन भदौरियाजी का नाम तो आप भूल ही गये।

    श्री दिग्विजय सिंह : मैं आपके माध्यम से विरोधी पक्ष के सदस्यों से कहना चाहता हूं भदोरिया जी कभी चुल्लू भर पानी में नहीं डूब सकते। यह तो सामने वाले मित्रों का हैं जो ढाई साल में चुल्लू भर पानी में डूबे। जहां तक भदौरिया जी का सवाल है, वह कायम है और आगे भी आपका इसी तरह से मुकाबला करते रहेंगे। मैं आप सभी माननीय सदस्यों को फिर से धन्यवाद देना चाहता हूं। जो आपने इस निगम की स्थापना का स्वागत किया हैं।

    श्री मथुराप्रसाद दुबे : कृषि के लिए बैल की बात कही लेकिन पूरे छत्तीसगढ़ में दो तीन करोड़ के भैंसे या बौधे हैं........।

    श्री दिग्विजय सिंह : मैंने बैल और बोघा दोनों के लिए कह दिया हैं।

    सभापति महोदय : प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम विधेयक, 1982 पर विचार किया जाये।
प्रस्ताव स्वीकृत हुआ

    सभापति महोदय : अब विधेयक के खण्डों पर विचार होगा।

    सभापति महोदय : प्रश्न यह है कि खण्ड 2 से 39 इस विधेयक के अंग बने।
खण्ड 2 से 39 विधेयक का अंग बने।
खण्ड 1 विधेयक का अंग बना।
पूर्ण नाम तथा अधिनियम सूत्र विधेयक के अंग बनें।

    कृषि मंत्री (श्री दिग्विजय सिंह) : सभापति महोदय, मैं प्रस्ताव महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम विधेयक, 1982 पारित किया जायें।

    सभापति महोदय : प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम विधेयक, 1982 पारित किया जाये।

    सभापति महोदय : प्रश्न यह है कि मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम विधेयक, 1982 पारित किया जाये।


प्रस्ताव स्वीकृत हुआ।
विधेयक पारित हुआ।