सिवनी जिला कोतवाली में थाने में घुसकर पुलिस बल के साथ दुर्व्यवहार करने वाले भाजपा नेता का कारनामा
प्रति,
डॉ. मोहन यादव जी माननीय मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश शासन, भोपाल
विषय :-
महोदय,
हिन्दू मठ-मंदिरों की माफी की भूमि के घोष विकय (नीलामी) को तत्काल प्रभाव से रोकने और पुजारियों की आजीविका का संरक्षण करने बाबत।
समस्त मंदिर पुजारी समाज राघौगढ़ जिला गुना एवं मध्यप्रदेश पुजारी उत्थान एवं कल्याण समिति. उज्जैन से प्राप्त अभ्यावेदनों की प्रतियाँ माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश दिनांक 06.09.2021 एवं माननीय उच्च न्यायालय, मध्यप्रदेश के आदेश दिनांक 11.10.2023 की प्रतियों सहित आपकी ओर संलग्न प्रेषित है।
भारतीय जनता पार्टी की मध्यप्रदेश सरकार द्वारा धार्मिक न्याय एवं धर्मस्व विभाग के आदेश क्रमांक 7-13/2018/छः दिनांक 22.04.2023 द्वारा प्रदेश के मंदिरों में भगवान की सेवा-पूजा करने वाले पुजारियों की माफी की 10 एकड़ से अधिक कृषि भूमि को नीलाम करने के निर्देश दिये गये थे। उक्त निर्देशों का पालन करते हुये पुजारियों को उनकी माफी की भूमि को नीलाम करने के नोटिस दिये जा रहे है। उदाहरण के तौर पर गुना जिले की आरोन तहसील के गाँव क्यांपुर स्थित श्री रामजानकी मंदिर के पुजारी श्री प्रद्युम्नदास जी को प्राप्त नोटिस की छायाप्रति संलग्न है जिसमें उन्हें मंदिर की भूमि को नीलाम करने का नोटिस दिया गया है।
ऐसी भूमि भू-अभिलेखों में मंदिर के देवी / देवता के नाम पर ही दर्ज रही है और पूजा करने वाले पुजारी ही इस भूमि उपयोग भगवान की सेवा-पूजा, मंदिरों में धार्मिक उत्सवों के आयोजन और अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिये करते है। उक्त भूमि को गाननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सिविल अपील कमांक 4850/2021 "मध्यप्रदेश शासन एवं अन्य विरूद्ध पुजारी उत्थान कल्याण समिति एवं अन्य" प्रकरण में पारित संलग्न आदेश दिनांक 6 सितंबर 2021 के अनुसार नीलाम नही किया जा सकता है। उक्त आदेश के बिन्दु कमांक 13 में स्पष्ट उल्लेख किया है कि जो भूमि देवता के नाम से दर्ज है उसे न तो नीलाम किया जा सकता है और न ही भू-अभिलेख में इसे कलेक्टर के नाम पर दर्ज किया जा सकता है। खसरे में भूमिस्वामी देवी/देवता को ही माना गया है।
माननीय उच्च न्यायालय ने भी इस मामले में दायर रिट पिटीशन क्रमांक 20819/2023 में दिनांक 11 अक्टूबर 2023 को पारित आदेश में सरकार को माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करने को कहा गया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिन्दू धर्म का झण्डा उठाकर सनातन की बात करने वाली आपकी सरकार मंदिरों और मठों की सनातन परंपराओं को नष्ट कर रही है और पुजारियों की आजीविका की भूमि को नीलाम कर रही है।
माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं आपको स्मरण दिलाना चाहता हूँ कि मंदिरों / मठों में सेवा कर रहे विप्रगण/पुजारी/धर्माचार्य सरकार की कृपा से धर्म का संरक्षण नहीं कर रहे है। देश की हजारों साल पुरानी सनातन परंपरा ने धर्म का संरक्षण किया है और प्राचीन मंदिरों / मठों और आश्रमों में साधना और सेवा करने वाले धर्माचार्यों और पुजारियों को इस समाज ने मानवता को सुख, समृद्धि, शान्ति और सेवा का रास्ता दिखाने के लिये बगैर किसी शर्त के आजीविका के साधन उपलब्ध कराये हैं। मंदिरों को माफी की भूमि सरकार ने नही दी है, इसलिये सरकार को उसे छीनने या नीलाम करने का भी कोई अधिकर नही है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पुजारियों की जीविका चलाने और देवी/देवताओं की सेवा-पूजा करने की भारत की इस सनातन परंपरा को स्वीकार किया है और इसीलिए मंदिरों की भूमि की नीलामी पर रोक लगाई गई है। फिर क्या कारण है कि सनातन संस्कृति का राग अलापने वाली आपकी पार्टी की सरकार प्रदेश में देवी देवताओं की भी भूमि छीनने पर उतारू हो गई है?
चूँकि आप मंदिरों के शहर उज्जैन के निवासी है तथा श्रीमहाकालेश्वर श्रीममलेश्वर जैसे दो ज्योतिर्लिंगों का गौरव धारण करने वाले राज्य के मुख्यमंत्री है। इसलिये मुझे विश्वास है कि आप मंदिरों की संचालन प्रक्रियाओं को बेहतर तरीके से समझते होंगे तथा आपको प्रदेश के पुजारियों की समस्याओं और आजीविका के साधनों की भी जानकारी अवश्य होगी। आप यह भी समझ रहे होंगे कि मठ और मंदिरों की भूमि को नीलाम करने की शुरूआत के बाद से प्रदेश के पुजारियों की आजीविका के साधन तथा उनके मन में इसके प्रति कितना गहरा आकोश पैदा हो गया है।
मेरा आपसे अनुरोध कि कृपया मठ-मंदिरों के पुजारियों की शान्ति को उनकी कमजोरी न समझें और धार्मिक संस्थाओं के साथ राजनीतिक दृष्टिकोण न रखें। धर्म एक दुधारी तलवार है, यदि सरकार धर्म के साथ सत्ता के प्रयोग करके सनातन परंपराओं को नष्ट करती है तो आपकी सरकार को इन्ही धर्माचार्यों और पुजारियों का कोपभाजन बनना पड़ेगा। मैं आपको अवकत करा देता हूँ कि मैं इस मामले में पूरी तरह से पुजारियों के साथ हूँ। यदि सरकार पुजारियों की भूमि के विकय घोष (नीलामी) के इस धर्मविरूद्ध निर्णय को वापस नही लेती है तो मुझे सनातन परंपराओं की रक्षा के लिये पुजारियों के द्वारा किये जाने वाले आंदोलन में सम्मिलित होना पड़ेगा।
शुभकामनाओं सहित ।
--
आपका
(दिग्विजय सिंह)
(1) संभागीय आयुक्त, ग्वालियर संभाग, ग्वालियर की ओर सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही प्रेषित । (2) कलेक्टर, जिला गुना, मध्यप्रदेश की ओर सूचनार्थ एवं आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित।
(दिग्विजय सिंह)
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