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प्रेस विज्ञप्ति
दिग्विजय सिंह ने जैविक कपास व्यापार में जारी फर्जीवाड़े पर जताई गहरी चिंता, एपीडा द्वारा ट्रेसनेट 2.0 रोकने के निर्णय को बताया किसानों और देशहित के विरुद्ध
दिनांक 7 अक्टूबर 2025
भोपाल। राज्यसभा सांसद एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर देश में जैविक कृषि उत्पादों, विशेष रूप से जैविक कपास (Organic Cotton) के नाम पर चल रहे भारी फर्जीवाड़े और संगठित आर्थिक अपराध पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने पत्र में एपीडा (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) द्वारा ट्रेसनेट 2.0 प्रणाली को अचानक रोकने के निर्णय को “किसानों के हित, पारदर्शिता और राष्ट्रीय साख के विरुद्ध” बताया है।
दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा जैविक कपास उत्पादक एवं निर्यातक देश है, जिसकी निगरानी और नियंत्रण की जिम्मेदारी एपीडा के पास है। परंतु बीते वर्षों में जैविक कृषि उत्पादों के नाम पर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार हुआ है।
उन्होंने बताया कि विगत एक वर्ष से वे इस विषय पर लगातार सरकार को सप्रमाण जानकारी देते आ रहे हैं। उनकी पहल पर मध्यप्रदेश के धार जिले के भीलकुंडा गांव के एक किसान समूह (ICS) की जांच में फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी के प्रमाण मिले, जिसके आधार पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 420, 465, 467, 468, 469 और 471 के तहत प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तारियां भी कीं।
पूर्व सीएम ने कहा कि ऐसे ही फर्जी तरीके से देशभर में सैकड़ों किसान समूहों के नाम पर व्यापारी और कुछ प्रमाणन एजेंसियां किसानों की जानकारी व अनुमति के बिना उनकी पहचान का दुरुपयोग कर रही हैं। फर्जी खरीदी बिल, भुगतान रसीदें, ट्रांसपोर्ट दस्तावेज और जांच रिपोर्ट तैयार कर अरबों का व्यापार हो रहा है। न किसानों को लाभ मिल रहा है और न सरकार को कर। यह एक संगठित आर्थिक अपराध है।
उन्होंने बताया कि एपीडा की जांच में पिछले एक वर्ष में 600 से अधिक आई.सी.एस. (Internal Control Systems) को निलंबित या समाप्त किया गया है, जो इस व्यापक भ्रष्टाचार की गहराई को दर्शाता है।
दिग्विजय सिंह ने पीयूष गोयल से कहा कि आपने 9 जनवरी 2025 को ‘ट्रेसनेट 2.0’ प्रणाली का शुभारंभ कर जैविक कृषि प्रणाली में पारदर्शिता और किसानों के हितों की रक्षा की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया था। इस प्रणाली में किसान की पहचान और अनुमति को सुनिश्चित करने के लिए आधार लिंक, मोबाइल नंबर, ओटीपी सिस्टम जैसी आधुनिक व्यवस्थाएँ जोड़ी गई थीं। इससे भ्रष्टाचार पर रोक लगनी शुरू हो गई थी।
उन्होंने गहरी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि एपीडा द्वारा 22 सितंबर 2025 को जारी आदेश से ट्रेसनेट 2.0 को अचानक रोक दिया गया। यह निर्णय उन्हीं संगठित व्यापारिक-प्रशासनिक समूहों के दबाव में लिया गया प्रतीत होता है, जो इस फर्जीवाड़े से लाभ उठा रहे हैं। यह न केवल किसानों के हित के खिलाफ है, बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय साख को भी चोट पहुँचाने वाला कदम है।
उन्होंने कहा कि जैविक कृषि केवल व्यापार नहीं, बल्कि किसानों के परिश्रम और भारत की विश्वसनीयता का प्रतीक है। इसलिए इस क्षेत्र में पारदर्शिता, जवाबदेही और किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करना आवश्यक है।
पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह ने पत्र में वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल से आग्रह किया है कि किसानों के नाम पर हो रही धोखाधड़ी, भारत सरकार के राजस्व की हानि और जैविक कृषि प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार पर रोक लगाने हेतु ट्रेसनेट 2.0 प्रणाली को तत्काल पुनः लागू किया जाए तथा दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
प्रति,
माननीय संपादक महोदय,
ससम्मान प्रकाशनार्थ।
द्वारा,
कार्यालय
श्री दिग्विजय सिंह,
(राज्यसभा सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश)
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