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प्रिय डॉ. मोहन यादव जी
प्रदेश में इन दिनों रबी की फसल की बोउनी का काम तेजी से चल रहा है। प्रदेश की मुख्य फसले रबी पर आधारित है। जिनमें सबसे प्रमुख गेहूँ की फसल है। फसलों की बोउनी के साथ-साथ खाद एवं बीज की समस्या से इस समय पूरे प्रदेश के किसान जूझ रहे है। हर जिले में खाद वितरण केन्द्रों पर पर्याप्त स्टॉक का अभाव होने से किसान परेशान है और रात-रात भर वितरण केन्द्रों पर लाईनों में लगे है।
किसानों से समय पर खाद न मिलने की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद गत दिवस मैंने गुना जिले का दौरा किया। आरोन, राघौगढ़, बीनागंज, मधुसूदनगढ़ और गुना के वितरण केन्द्रों में किसानों से चर्चा की। क्ण्।ण्च्ण् खाद के वितरण के बारे में मार्केटिंग सोसायटी का डबल लटक वितरण का काम देखा। मैंने सहकारी समितियों के गोडाउन में पहुँचकर वितरण प्रभारियों से जानकारी प्राप्त की।
सिर्फ गुना जिले में ही रबी फसल की बोउनी का आधा समय व्यतीत हो चुका है। खाद की अब तक सिर्फ एक रेक गुना जिले में पहुँची है। जबकि जिले के हजारों किसानों की मांग 25 हजार टन से अधिक की है। एक रेक से सिर्फ 2700 मैट्रिक टन खाद पहुँचा है। पूर्व में जिले में 1700 मैट्रिक टन खाद गत वर्ष का था। इस तरह पूरे जिले में अब तक सिर्फ 4200 मैट्रिक टन खाद उपलब्ध कराया गया। जिला कलेक्टर ने करीब साढ़े बारह सौ टन खाद सहकारी समितियों के माध्यम से वितरित किये जाने के लिये 2500 बेग उपलब्ध कराने के निर्देश दिये। गत वर्ष रबी की फसल के समय 20 हजार मैट्रिक टन खाद दिया गया था। गुना जिले के कलेक्टर द्वारा सहकारी समितियों के माध्यम से खाद के वितरण का निर्णय कर किसानों को समय पर खाद उपलब्ध कराने का फैसला सराहनीय है। जिससे किसानों को ज्यादा परेशान नही होना पड़ा है। वे निजी व्यापारियों की मनमानी का शिकार नही बने। अन्य जिलों में कलेक्टर सहकारी समितियों का सही उपयोग नही कर पा रहे है, जिससे खाद वितरण में किसान परेशान हो गये। वहीं किसान प्रायवेट फर्मों की मनमानी का शिकार बने है।
एक तरफ गुना जिले में मार्कफेड से खाद का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध नही होने से किसानों में हाहाकार मचा है। किसान परेशान होकर सोसायटियों के चक्कर लगा रहे है। वही पड़ोस के जिले अशोकनगर में वितरण के लिये तीसरी रेक पहुँच रहा है। गुना जिले के कई किसान अशोकनगर जाकर 1800 से 2000 रूपयें में खाद खरीदकर कालाबाजारी का शिकार बन रहे है।
सहकारी समितियों के माध्यम से कई केन्द्रों पर वितरण व्यवस्था संतोषप्रद थी, वहीं कुछ समितियों ने अपने केन्द्रों से वितरित करने की जगह ब्लॉक मुख्यालय से ही क्ण्।ण्च्ण् बांटकर व्यवस्था से खिलवाड़ किया है। दौरे के समय किसानों ने ऐसे केन्द्रों के बारे में शिकायतें भी की है। मेरा यह भी सुझााव है कि जहां क्ण्।ण्च्ण् खाद वितरण संभव न हो वहां मिश्रित एन.पी.के. की पूर्ति कर समस्या का हल निकाला जा सकता है। किसान एन.पी.के. से भी काम चला लेगा।
मैं हमेशा से खाद एवं बीज वितरण की व्यवस्था सहकारी समितियों के माध्यम से कराने का पक्षधर रहा हूँ। जब तक वितरण की जवाबदारी सहकारी समितियों की रही है, वितरण में शिकायत नही आती थी। मेरा आज भी यहीं मानना है कि किसानों को खाद एवं बीज सहकारी समितियों से ही वितरित कराना चाहिये। शासन की तरफ से यह कहा जाता है कि ओवर ड्यू होने से समितियों से यह काम नही कराया जा रहा है। जहाँ तक ओवर ड्यू का प्रश्न है, वह खाद बीज वितरण से संबंधित विषय नही है। खाद-बीज समितियों के गोडाउन से नकद में बेचा जाता है। जिससे किसानों को ज्यादा सहुलियत होती है।
गुना जिले में दौरे के समय मुझे गुना डबल लॉक के मैनेजर एवं मार्केटिंग सोसायटी आरोन के मैनेजर के खिलाफ अनेक शिकायतें मिली है। जिसमें बड़े किसानों को बड़ी तादाद में खाद का वितरण किया जाना बताया गया है। मैं चाहूँगा कि जिला कलेक्टर को निर्देशित कर ऐसे अधिकारियों की कार्यप्रणाली की जांच कराई जाये।
मेरा यह भी अनुरोध है कि गुना जिले में अभी तक किस सोसायटी ने किस ग्राम के किन-किन किसानों को कितना खाद वितरित किया है। किसान का नाम, उसके द्वारा धारित रकबा और प्रदान खाद की जानकारी की सूची मुझे उपलब्ध कराई जाये। कृपया, विशेष तौर पर उपरोक्त जानकारी शीघ्र प्रदान की जाये। ताकि समानुपातिक रूप से वितरण किये जाने की जानकारी मुझे प्राप्त हो सके व वितरण में यदि कोई गड़बड़ी की गई हो तो उसकी जानकारी मिल सके।
सहयोग के लिये मैं आपका आभारी रहूँगा।
सादर,
आपका
/
(दिग्विजय सिंह)
डॉ. मोहन यादव जी
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