Digvijaya Singh
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20 फरवरी 1995 मध्यप्रदेश में खरीफ फसल की आनावारी

20 फरवरी 1995 मध्यप्रदेश में खरीफ फसल की आनावारी

(135) दिनांक 20 फरवरी 1995


मध्यप्रदेश में खरीफ फसल की आनावारी।

    1. (क्र. 1486)

श्री दिलीप भटेरे : क्या उप मुख्यमंत्री महोदय, राजस्व यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) म.प्र. के विभीन्न जिले में खरीफ फसल की वर्तमान वर्ष की आनावारी अलग-अलग कितने-कितने प्रतिशत हैं ? (ख) बालाघाट जिले के विभिन्न तहसीलों में खरीफ फसल धान की आनावारी अलग-अलग कितने-कितने प्रतिशत हैं ? (ग) जिले में ऐसे कितने ग्राम हैं जो आनावारी के आधार पर अकालग्रस्त हैं इसमें लांजी तहसील में ऐसे अकालग्रस्त कितने ग्राम हैं ? (घ) इन अकालगस्त ग्रामों में से 37 पैसे से कम कितने ग्राम हैं एवं 25 पैसे से कम कितने ग्राम हैं ? (ङ) इन अकालग्रस्त ग्रामों के लिए अब तक शासन द्वारा राहत के रूप में क्या-क्या कार्य किये गये हैं अथवा क्या-क्या पहुंचाई गई हैं ?
    उपामुख्यमंत्री, राजस्व (श्री प्यारेलाल कंवर) : (क) खरीफ की आनावारी के आधार पर तहसीलदार ग्रामों का वर्गीकरण की सूची पुस्तकालय में रखे परिशिष्ट में हैं। (ख) बालाघाट जिले की पांच तहसीलों में खरीफ फसल धान की औसत आनावारी
यथास्थान संशोधित।
    निम्नानुसार हैं :-
        1. कटंगी              0.47 पैसे
        2. वारासिवनी        0.34 पैसे
        3. बालाघाट          0.32 पैसे
        4. लांजी               0.61 पैसे 
        5. बैहर                0.62 पैसे 

    (ग) एवं (घ) जिले में 25 पैसे तक औसत आनावारी में 153 ग्राम एवं 26-37 पैसे तक औसत आनावारी के 290 ग्राम हैं, लांजी तहसील में 26 से 37 पैसे तक औसत आनावारी का केवल एक ग्राम हैं। (ङ) जरूरतमंदों के जवाहर रोजगार योजना एवं अन्य विभागीय योजनओं में रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। आवश्यकतानुसार राहत कार्य भी खोले जा सकेंगे।

    श्री दिलीप भटेरे : माननीय अध्यक्ष महोदय, ये वर्ष 1995 का प्रथम सत्र और पहला प्रश्न है जो कि किसानों से संबंधित है और मैं मंत्री जी से चाहूंगा कि इस संबंध में वे किसानों के हित को देखते हुए जबाव देंगे। मंत्री जी, बालाघाट के 443 गांव ऐसे हैं जिनकी आनावारी 37 पैसे से कम है और मंत्री जी 443 वह गांव हैं जहां पर फसल 3 क्विंटल से कम है जहां 60 पैसे लिखी है वह भी साढ़े चार से पांच क्विंटल आनावारी आपके हिसाब से आती है क्योंकि आपकी आनावारी करीब 7-8 क्विंटल प्रति एकड़ असिंचित और 9 क्विंटल सिंचित में हैं, यह आपकी सोलह आने फसल मानी जाती है, शतप्रतिशत फसल मानी जाती हैं। तो मैं आपसे यह जानना चाहता हूं कि बालाघाट जिले की बालाघाट और वारासिवनी तहसील में धान उत्पादन का 75 प्रतिशत उत्पादन होता है और इन दोनों तहसीलों की आनावारी की हालत 32 पैसे, 34 पैसे हैं, इन गांवों में करीब प्रति एकड़ 3 क्विंटल फसल हो रही है, जबकि स्थिति यह हे कि प्रति एकड़ किसान को सात-साड़े सात क्विंटल लागत लगती है। एक बोरी डी.ए.पी. 432 रूपये का है और उसमें 3 क्विंटल धान लग जाती हैं, ऐसी स्थिति में 75 प्रतिशत वाले उत्पादन क्षेत्र में आनावारी 32 पैसे और 34 पैसे हैं। तो आप यह बताने की कृपा करेंगे कि मेरा जिला जो कि 75 प्रतिशत उत्पादन का क्षेत्र है और वहां पर प्रति एकड़ 3 क्विंटल के हिसाब से पैदावारी होती है तो क्या इस जिले को आप अकालग्रस्त घोषित करेंगे ?

    श्री प्यारेलाल कंवर : माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य ने चाहा हैं कि बालाघाट जिले को सम्पूर्ण रूप से सूखाग्रस्त घोषित किया जाये। क्योंकि आनावारी की रिपोर्ट तहसीलवार आती है और उसके आधार पर यह स्पष्ट रूप से अंकित किया गया है कि बालाघाट और वारासिवनी की फसलों की आनावारी 32 पैसे बालाघाट की 32 पैसे, लांजी की 61 पैसे और बैहर की 62 पैसे, दो तहसीलें सूचाग्रस्त क्षेत्र के तहत आती हैं और जिसके लिए हमने सारी कार्यवाही की है। माननीय सदस्य यह इच्छा रखते हैं कि सम्पूर्ण जिला सूखाग्रस्त घोषित किया जाए, यह नियमों के विपरीत है, ऐसी परिस्थिति में मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि दो तहसलें सूखाग्रस्त क्षेत्र के तहत हैं।

    श्री दिलीप भटेरे : अध्यक्ष महोदय, सूखाग्रस्त की तो बात ही नहीं है हमारे यहां तो 135 इंच वर्षा हुई है, कीट प्रकोप से सारे जिले में काफी अकाल है, 61 पैसे का जो आंकड़ा आपने दिया है तो आपके स्केल के हिसाब से 61 पैसे पैदावारी आप दे दें, क्योंकि तहसीलदारों के ऊपर सरकार का दबाव था कि कम से कम गांव अकालग्रस्त घोषित किए जाएं। आपका स्केल 61 पैसे जरूर है, लेकिन फिजीकली देखा जाए तो 3 से 4 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन होता है और लागत 3 क्विंटल से अधिक है। ऐसी स्थिति में किसान ने जो जैब से पैसा लगाया उसका भी रिटर्न नहीं मिल रहा है, काफी कीट प्रकोप है, सूखाग्रस्त की तो बात ही नहीं है, हम तो अकाल की बात कर रहे हैं, कि अकाल से वहां पर पलायन हो रहा है, किसानों ने नौकरों को काम देना बंद कर दिया है, तो कृपा करके आप आनावारी के आंकड़ों को आधार मत मानिये, क्योंकि आपका स्केल पुराना है। वहां की वास्तविक स्थिति यह है कि वहां पर किसानों के पास साल भर गुजर-बसर करने के लिए व्यवस्था नहीं है। आपने उस जिले को सघन रोजगार में भी नहीं लिया है तो क्या जिले को रोजगार मुहैया कराने के लिए सघन रोजगार में लेंगे और वास्तविक उत्पादन के आधार पर जिले को आनावारी पर नहीं जाते हुए, अकालग्रस्त घोषित करेंगे।

    श्री प्यारेलाल कंवर : यह कहना गलत है कि हमने किसी किस्म का अधिकारियों पर या तहसीलदारों पर दबाव डाला है और फसल के आंकड़े बुलवाये हैं। जहां तक सघन रोजगार योजना के तहत कार्यक्रम नहीं लिए गये हैं और वहां के लोग पलायन कर रहे हैं, यह कहना बिल्कुल गलत हैं, क्यों कि सघन रोजगार वहां चल रहा हैं हमने वहां 4 करोड़ 58 लाख रूपये दिये थे उसमें से 3 करोड़ 31 लाख रूपये खर्च हुए हैं, उनके पास में अभी पैसा बाकी हैं तो ऐसी कोई बात नहीं है कि जिसकी वजह से सघन रोजगार कार्यक्रम नहीं चल रहा है और वहां से मजदूर पलायन कर रहे हैं वहां पर मजदूर लगातार कार्यरत हैं और अभी वहां पर 590 कार्य चल रहे हैं जिसमें कि 20 हजार 514 मजदूर कार्य कर रहे हैं। अध्यक्ष महोदय, मैं तो यह कहना चाहूंगा कि जहां भी जैसी भी आवश्यकता पड़ेगी उसकी पूर्ति के लिए उसकी आवश्यतकतानुसार हम कार्य करने के लिए राशि का आवंटन कर रहे हैं ताकि कोई भी मजदूर वहां से पलायन न कर सके। मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए जहां भी आवयकता पडे़गी हम राशि देने के लिए तैयार हैं।

    नेता प्रतिपक्ष (श्री विक्रम वर्मा)  : माननीय अध्यक्ष महोदय, पिछले दो दिनों से हमारे माननीय सदस्य, श्री गौरीशंकर जी बिसेन वहां पर भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं क्योंकि अतिवृष्टि और कीट लगने के कारण वहां आनावारी की फसल बहुत कम हुई है एक या दो जगह हो सकता है कि फसल अच्छी हुई हो जिसके कारण औसत बढ़ गया हो लेकिन यह भी स्पस्ट है कि तीन तहसीलें ऐसी हैं जिसमें आनावारी की फसल कम हुई है एक या दो जगह के कारण आप कहें कि ठीक है यह कहना गलत हैं। वहां विधायक अनशन पर बैठे हैं। मजदूर वहां से पलायन कर रहे हैं। आप इस सदन में आश्वासन दें कि प्रशासन के माध्यम से जहांपर भी काम की आवश्यकता होगी आप काम देंगे। कुछ क्षेत्र को आप अकालग्रस्त घोषित करें और बाकी के लिए जहां-जहां काम की आवश्यकता है चाहे किसी भी स्थान पर हो आवश्यकतानुसार आप काम खोलकर के राहत पहुंचाने का कष्ट करेंगे।

    श्री प्यारेलाल कंवर : अध्यक्ष महोदय, माननीय नेता प्रतिपक्ष, श्री विक्रम वर्मा जी ने जो बात कही हैं मैं इतना आश्वासन देता हूं कि वहां से कोई भी मजदूर पलायन नहीं करेगा क्योंकि हम पूरी राशि कार्य के लिए दे रहे हैं और वहां पर कार्य भी चल रहा हैं।

    श्री कैलाश जोशी : माननीय अध्यक्ष जी, प्रश्नकर्ता ने अपने प्रश्न के भाग (ङ) में मंत्रीजी से पूछा था कि इन अकालग्रस्त ग्रामों के लिए अब तक शासन द्वारा राहत के रूप में क्या-क्या कार्य किये गये हैं अथवा क्या-क्या राहत पहुंचाई गई हैं ? उसके जबाव में माननीय मंत्रीजी ने कहा है कि जरूरतमंदों को जवाहर रोजगार योजना एवं अन्य विभागीय योजनाओं में रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा हैं, आवश्यकतानुसार राहत कार्य खोले जा सकेंगे। मंत्री जी का इतना उत्तर देना पर्याप्त नहीं है हमारे यहां ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर एक ओर अकाल राहत संहिता है तो दूसरी ओर राजस्व परिचय पुस्तिका हैं दोनों में ही इस संबंध में स्पष्ट प्रावधान है कि जहां आनावारी कम हुई है उन क्षेत्रों के किसानों को लगान माफ करना, वहां के ऋण की वसूली स्थगित करना, रोजगार का प्रबंध करना, यह सब कार्य वहां सरकार को करना होता है। आपने यह भी नहीं बताया कि बैंकों द्वारा ऋण को रोकने की व्यवस्था या लगान माफ की गई अथवा नहीं, आप कृपया स्पष्ट उत्तर दें।

    श्री प्यारेलाल कंवर : अध्यक्ष महोदय, हमने वारासिवनी तहसील में 59,335 हजार रूपये की लगान निलंबित कर दी है।

    श्री कैलाश जोशी : निलंबित कर दी या माफ कर दी।

    श्री प्यारेलाल कंवर : सस्पेन्शन किया है।

    श्री कैलाश जोशी : अगर आनावारी कम हुई है तो लगान माफ होना चाहिए, यह व्यवस्था है।

    श्री प्यारेलाल कंवर : अध्यक्ष महोदय, बालाघाट में 37,526 हजार का लगान सस्पेन्ड कर दिया है। (व्यवधान)

    श्री विक्रम वर्मा : आनावारी कम है और अकालग्रस्त है लेकिन आपने सस्पेन्ड किया है जबकि स्पष्ट प्रावधान हैं, आप सदन में यह स्पष्ट करें कि संहिता के अंतर्गत जैसे प्रावधान है उसका पालन करते हुए क्या आप निर्देश जारी करेंगें, आपने लगान स्थगित किया है, माफ नहीं किया है, जब उनके पास उत्पादन ही नहीं होगा तो वह कहां से लगान देगा, इन सारे प्रावधानों के लिए आप निर्देश जारी करें और राहत कार्य खोलें।

    श्री प्यारेलाल कंवर : मैंने संहिता के अनुसार किया भी है और राहत कार्य वहां पर चालू हैं....

    श्री दिलीप भटेरे : माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य आमरण अनशन पर बैठे हैं और वे इस सदन की कार्यवाही में भाग ले सकें इसके लिए मुख्यमंत्री जी को कहना चाहिए और वे जिस मुद्दे को लेकर बैठे हैं, माननीय मुख्यमंत्री जी उस संबंध में क्या कहना चाहते हैं ?

    श्री बाबूलाल गौर : अध्यक्ष महोदय, माननीय गौरीशंकर जी बिसेन...

    (मुख्यमंत्री) श्री दिग्विजय सिंह : माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय सदस्य से इस सदन के माध्यम से अनुरोध करता हूं और माननीय नेता प्रतिपक्ष से भी अनुरोध करता हूं कि जहां पर भी 37 पैसे से फसल कमजोर है, वहां वह सब किया जायेगा जो अकाल राहत संहिता में निहित हैं। मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि चाहे लगान माफी करने का प्रश्न हो, चाहे बैंक वसूली में शार्ट-टर्म से मीडियम टर्म करने का हो, या चाहे काम खोलने का प्रश्न हो वह सब किया जायेगा। सेक्रेटरी रेवेन्यू को बालाघाट भेजने के निर्देश दिये हैं, मेरा अनुरोध है कि विधायक जी अपना अनशन समाप्त करें।

    श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, माननीय राजस्व मंत्रीजी भी टेलीफोन पर बातचीत कर लें....

    श्री प्यारेलाल कंवर : माननीय अध्यक्ष महोदय, जैसा कि माननीय प्रतिपक्ष के नेता कह रहे हैं, माननीय मुख्यमंत्री जी ने घोषणा कर दी है, उस अनुसार मैं कार्यवाही करूंगा....

    श्री दिलीप भटेरे : माननीय अध्यक्ष महोदय, यह पूरे जिले में स्थिति है, चूंकि आमरण अनशन के मुद्दे और भी हैं लेकिन उस जिले में आनावारी के जो आंकड़े कहे हैं उसमें वस्तु स्थिति यह हे कि कीट प्रकोप से भारी अकाल है, लोग पलायननहीं कर रहे हैं, मंत्रीजी का कहना सत्य नहीं है, क्या उनको सघन रोजगार में काम देंगे....

    श्री दिग्विजय सिंह : माननीय अध्यक्ष महोदय, वहां के स्थानीय सांसद श्री विश्वेसर भगत जी की सूचना मिली थी, जिसके आधार पर मैंने तत्काल कार्यवाही करने के निर्देश दिये हैं, जहां तक आश्वासन रोजगार योजना का प्रश्न हैं, यह योजना हम प्रारम्भ नहीं कर सकते, यह केन्द्र सरकार का विषय हैं।