Digvijaya Singh
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03 अप्रैल 1981 मध्यप्रदेश में कृषि विश्वविद्यालय खोलने के विषय में

03 अप्रैल 1981 मध्यप्रदेश में कृषि विश्वविद्यालय खोलने के विषय में

दिनांक 03.04.1981


मध्यप्रदेश में कृषि विश्वविद्यालय खोलने के विषय में


      राज्य मंत्री, कृषि (श्री दिग्विजय सिंह) : माननीय सभापति महोदय, विपट जी ने जो संकल्प रखा है और उसके पश्चात जितने भी माननीय सदस्यों ने भाषण दिये हैं, उसमें किसी ने भी ऐसे ठोस कारण नहीं बताये हैं, जिसके कारण मध्यप्रदेश में एक ओर कृषि विश्व विद्यालय खोला जाना चाहिये। सभापति महोदय, हमारे इस विशाल प्रदेश को देखते हुए हमने एग्रोक्लाइमेटिक जोन्स बना दिये हैं। हमारे यहां पर अलग-अलग जोन्स में अलग-अलग किस्म की क्रापस होती हैं इसलिये यह आवश्यक है कि अलग अलग एग्रोक्लाइमेटिक जोन्स हो और वे शासन ने बनायें है लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं है कि हर जोन में एक कृषि विश्वविद्यालय हो। सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय सदस्यों को यह बताना चाहता हूं कि शासन ने हर जोन मैं एग्रोक्लाइमेटिक सेन्टर खोले हैं, रिसर्च फार्मस खोले हैं, जहां पर हर प्रकार की रिसर्च होती है। हमें इस बात का गौरव है कि जबलपुर कृषि विश्व विद्यालय ने नई-नई रिसर्च की है। और फसलों के लिये उन्नत किस्म के बीज निकाले हैं। इसकी सूचना मुझे यहां देने की आवश्यकता नहीं है। सदन का प्रत्येक सदस्य इस बात से सहमत है। विपट जी ने कहा कि सीड् प्रोग्राम हमारे प्रदेश में नहीं होता है। हमारे यहां के काश्तकारों को दूसरे प्रदेशों से सीड लाना पड़ता है महाराष्ट्र से गुजरात से। क्या उज्जैन में कृषि विश्व विद्यालय खोल दिया जायेगा तो क्या उनको इस प्रदेश से सीड मिलने लगेगा ? मध्यप्रदेश में कोई भी सीड प्रोग्राम नहीं है जहां से किसानों को सर्टीफायड सीड उपलब्ध हो सके। हमारे स्टेट मे सीड कारपोरेशन की स्थापना की गई है। हमारे प्रदेश में जितनी भी उन्नतशील किस्म की फसलें होती हैं, हाईब्रोडेड कम्पोजिट आदि, वह विश्व विद्यालय निकाल रहा है। जो पश्चिमी देशों में पैदा की जाती है, और उनसे काफी लाभ भी हो रहा है। इन सीडों को मीड कारपोरेशन ने लिया है। यह कहना कि सीड प्रोग्राम नहीं चल रहा है, इसलिये प्रदेश में एक और कृषि विश्व विद्यालय खोला जाये यह उचित नहीं है। सभापति महोदय, एक कृषि विश्वविद्यालय खोलने में 5 करोड़ से लेकर 10 करोड़ रूपया खर्च होता है। और उसके बाद रिकरिंग एक्सपेन्डीचल अलग होता है। हमारे प्रदेश में एक कृषि विश्व विद्यालय है। उसका सम्बन्ध इन्डियन कौन्सिल फार एग्रीकलचर रिसर्च से है। उसके सेन्ट्रल बोर्ड है। उसकी यह स्पष्ट मान्यता है कि हमें कृषि विश्वविद्यालय ज्यादा नहीं खोले हैं। मेरे पास उनका एक पत्र भी है। हमारे केन्द्रीय बोर्ड है। उसकी यह स्पष्ट मान्यता है कि हमें कृषि विश्वविद्यालय  उनमें ज्यादा-से-ज्यादा रिसर्च फेसिलिटीज दी जानी चाहिए। ज्यादा-से- ज्यादा रिसर्च प्रोग्राम दिये जाने चाहिए, लेकिन और कृषि विश्व विद्यालय कायम नहीं किये जाने चाहिए। इन सभी तथ्यों को देखते हुए माननीय सभापति जी, मैं माननीय सदस्य से निवेदन करना चाहता हूं कि वे अपने संकल्प को वापिस लेलें क्योंकि इसका कोई अधिक महत्व नहीं है।

    डा. राजेन्द्र जैन (उज्जैन, उत्तर) : सभापति महादेय, मैं निवेदन करूंगा कि यह उज्जैन से संबंधित मामला है। मैं इसी से सम्बन्धित निवेदन करना चाहता हूं। मेरा निवेदन यह है कि माननीय कृषि मंत्रीजी ने उनके उज्जैन दौरे के समय यह घोषणा की थी कि उज्जैन में कृषि कालेज स्थापित किया जाएगा और उसके बाद मैंने इसी सत्र में जब प्रश्न पूछा था तो उन्होंने कहा कि प्रकरण वित्त विभाग को भेजा जावेगा। दूसरे प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा था। कि इस सम्बन्ध में शीघ्रातिशीघ्र कार्यवाही की जाएगी। तो सभापति महोदय, क्या वे अपने कृषि विभाग से कोई निश्चित समय या महिने की घोषणा कर दें और उज्जैन में कृषि कालेज खोलने के लिये वित्त मंत्रीजी और मुख्य मंत्री के समक्ष प्रकरण प्रस्तुत कर दें। 

    श्री पुरूषोत्तमराव विपट : सभापति महोदय, माननीय मंत्रीजी ने अपने जवाब में यह आवश्यकता तो महसूस की है कि कृषि के सम्बन्ध में ज्यादा से ज्यादा रिसर्च होने की गुंजाइश है इस प्रदेश में और प्रदेश के इतने बड़े भौगोलिक विस्तार को देखते हुए यह कोई अनुचित नहीं है। माननीय कृषि मंत्रीजी ने जैसा केन्द्रीय कृषि मंत्रीजी का हवाला दिया है, यह दायित्व मध्यप्रदेश सरकार का है कि वह अपने प्रदेश की वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए और यहां के इस लंबे-चौड़े भू-भाग को देखते हुए वे आग्रहपूर्वक और तथ्यों के साथ केन्द्रीय सरकार के सामने अपना पक्ष प्रस्तुत करते तो वह इतने बड़े प्रदेश के लिये दो कृषि विश्वविद्यालय की आवश्यकता से इंकार नहीं करते। सभापति महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय कृषि मंत्रीजी से पुनः निवेदन करता हूं कि शासन केन्द्रीय शासन को इसके लिए पुनः अनुरोध करे। सभापति महोदय, मैं निवेदन करूंगा कि अगर कृषि मंत्रीजी डां. राजेन्द्र जैन के प्रश्न का उत्तर भी दे देते तो उचित रहेगा।

    सभापति महोदय : मंत्रीजी का जो कहना था वह उन्होंने कह दिया है। विपट जी आप बैठिए।

    श्री दिग्विजय सिंह : सभापति महोदय, प्रश्न उज्जैन में कृषि विश्वविद्यालय खोलने का है।

    सभापति महोदय : प्रश्न यह है कि इस सदन का यह मत है कि उज्जैन नगर में एक कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की जावे।