Digvijaya Singh
MENU

26 फरवरी 1981 मध्यप्रदेश कृषि उधार प्रवर्तन तथा प्रकीर्ण उपबन्ध 

26 फरवरी 1981 मध्यप्रदेश कृषि उधार प्रवर्तन तथा प्रकीर्ण उपबन्ध 

दिनांक 26.02.1981


मध्यप्रदेश कृषि उधार प्रवर्तन तथा प्रकीर्ण उपबन्ध 


 म.प्र. कृषि उधार प्रवर्तन तथा प्रकीर्ण (बैंक) संशोधन विधेयक 1980

    राज्यमन्त्री कृषि (श्री दिग्विजय सिंह) : सभापति महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूँ कि मध्यप्रदेश उधार प्रवर्तन तथा प्रकीर्ण उपबन्ध (बैंक) संशोधन विधेयक, 1980 पर विचार किया जाये।

    सभापति महोदय, अभी जो प्रक्रिया है उसके अन्तर्गत कृषि कार्यो के लिए सहकारी बैंकों और राष्ट्रीयकृत बैंकों से कृषकों .... ऋण उपलब्ध कराया जाता है। सहकारी बैंकों के ऋण की वसूली के लिए अलग प्रक्रिया है और राष्ट्रीयकृत बैंकों से वसूली की अलग प्रक्रिया हैं। जब ऋण वसूली के लिए अवार्ड दिया जाता है तो सहकारी बैंको के ऋण की वसूली ए. आर. सी. एस. करता है सहकारिता विभाग के अधिकारी उसके लिए सक्षम होते हैं लेकिन राष्ट्रीयकृत बैंकों की वसूल के निष्पादन के लिए व्यवहार न्यायालय जाना पड़ता हैं जिसके कारण वसूली में भी समय लगता है और न्यायालय में जाने से जो खर्च बढ़ जाता है उसकी वसूली फिर किसान से की जाती है। इसलिए इस विधेयक के माध्यम से हमने यह प्रस्तावित किया है कि राष्ट्रीयकृत बैंकों की वसूली उसी तरह से की जाये जिस तरह से सहकारी बैंकों के ऋण की जाती है। मैं समझता हुं यह केवल टेक्निकल ...... है और इसमें कृषकों का हित होना है इसलिए सभी उपस्थित सदस्यों से निवेदन करूंगा कि इसका समर्थन करें।

    सभापति महोदय : प्रस्ताव प्रस्तुत हुआ कि मध्यप्रदेश कृषि उधार प्रवर्तन तथा प्रकीर्ण उपबन्ध (बैंक) संशोधन विधेयक, 1980 पर विचार किया जाये।