Digvijaya Singh
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03 मार्च 1994 अनुसूचित जनजाति के किसी भी अधिकारी को पदोन्नति नहीं मिली

03 मार्च 1994 अनुसूचित जनजाति के किसी भी अधिकारी को पदोन्नति नहीं मिली

(60) दिनांक 03 मार्च 1994
राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब।

    श्री मोतीकश्यप (पनागर)  :  माननीय अध्यक्ष महोदय, राज्यपाल के अभिभाषण में जो बातें कही गयी है, उसका समर्थन करने का कोई औचित्य नहीं बनता। बात कही गई है, कि कथनी और करनी में अन्तर नहीं है। लेकिन मैं समझता हूं, कि माननीय मुख्य मंत्री जी की कथनी और करनी में बहुत बडा अंतर है। एक ताजा उदाहरण देना चाहता हूं ये बात करते हैं अनुसूचित जाति के कल्याण और विकास की अभी राज्य सचिवालय के अनुभाग अधिकारियों की जो पदोन्नति की गयी है अवर सचिव के पद पर दिनांक 17 फरवरी का वह आदेश है। 18 लोगों की पदोन्नति की गयी है। उसमें एक भी अनुसूचित जनजाति के अनुभाग अधिकारी की पदोन्नति नहीं की गयी है जबकि चार की पदोन्नति की जानी चाहिये थी। उनको वंचित किया गया है ताकि वे प्रशासनिक अधिकारी के पद पर न पहुंच सकें। बात आती है रोजगार गारन्टी की। कौन सी गारन्टी दी जा रही है ? प्रधानमंत्री की रोजगार गारन्टी की योजना में आप देखें, उसमें दसवीं तक के लोगों को भी सम्मिलित किया गया है। 25 लाख से अधिक की बेरोजगारी की आबादी वाला हमारा मध्यप्रदेश है। इन 25 लाख में से 2710 लोगों को आप रोजगार देने की बात करते हैं। इस प्रकार से कितने वर्षों में सभी लोगों को आप रोजगार दे सकेंगे ? इसकी कोई गारन्टी नहीं है। शिक्षित स्वरोजगार योजना में 25 प्रतिशत अनुदान था, अब 15 प्रतिशत कर दिया गया है। अनुदान कम कर दिया है। आपके भोपाल में विधान सभा के समक्ष जनगणना के अतिशेष कर्मचारी धरने पर बैठे हैं। 1971 और 1981 के लोगों को रोजगार दिया गया है, लेकिन 1991 के लोगों को नहीं दिया गया है। मुख्यमंत्री जी का एक पत्र है, जो मुख्य सचिव के नाम पर है, जिसमें कहा गया है कि इनको रोजगार दिया जाय। मुख्यमंत्री जी से मिलने गये, तो प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में कार्यकताओं ने उन्हें दुत्कारा और भगा दिया। यह इनकी कथनी और करनी में अंतर सिद्ध करता है। 20 फरवरी को अभी 300 महिलाओं ने मुख्यमंत्री जी के निवास के समक्ष धरना दिया इसलिए कि मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित हो। लेकिन उन महिलाओं पर पुलिस बल ने लाठी चार्ज किया। महिलाओं के बाल पकड़ कर घसीटा गया हाथ पकड़ कर घसीटा गया उनको मारा गया। उनके बच्चे भी अनशन पर बैठे हैं, कि उनके मां-बाप को रोजगार प्रदान किया जाय। लेकिन आज तक उनको रोजगार प्रदान किये जाने की बात नहीं की जाती है ये एक बत्ती कनेक्शन की बात करते हैं। यह किसको दिया जायेगा ? उसमें मापदण्ड तय किया गया है, कि 6000 रूपये जिसकी आय होगी और आज जो दैनिक वेतन भोगी हैं, उनको ही 30 और 35 रूपये रोज के हिसाब से मिलता है, इस प्रकार से उनकी आय 800 से लेकर 1000 रूपया मासिक हो जाती है और 6000 से अधिक 10 या 12 हजार वार्षिक हो जाती है, ऐसी अवस्था में 6 हजार तक कौन गरीब व्यक्ति अनुसूचित जाति या जनजाति का इन्हें मिलेगा, जिसको कि एक बत्ती कनेक्शन मिलेगा। यह इनकी कथनी और करनी में अंतर है। यह किसी को भी दिया जाने वाला नहीं है। इसलिए 6 हजार रूपये का प्रावधान किया गया है। एक और विषय की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। अर्बन लैण्ड सीलिंग एक्ट, जबलपुर में लागू है। यह सन् 1976 में लागू हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला  दिया है श्रीमती अतिया मोहम्मदी बेगम के मामले में पन्द्रह मार्च 1993 को, जिसमें कहा गया है कि इस एक्ट के बाद यदि कोई मास्टर प्लान निर्मित हुआ है और उसके लिए कोई भूमि अर्जित की गयी है, तो वह अर्जित भूमि अवैध मानी जायेगी। जबलपुर में अर्बन लैण्ड सीलिंग एक्ट के अन्तर्गत रिक्त भूमि को अर्जित किया जाना चाहिए था, लेकिन जबलपुर के 11 अंचलों में 242 गांवों की भूमि और केवल कृषि भूमि को अर्जित किया गया है। अध्यक्ष महोदय, मैं आपको बताना चाहता हूं कि 10 पैसे स्क्वेयर मीटर के हिसाब से भूमि की दर निर्धारित है, और जो वर्गफीट में 0.93 पैसे होती है। 400 रूपये एकड़ होती है, जिसमें 40 प्रतिशत अदेय होने पर वो 240 रूपये एकड़ होती है। 25 प्रतिशत नगद दिये जाने पर 60 रूपये केवल नगद मिलता है और माननीय अध्यक्ष महोदय  एक लाख किसान उधर आज बेघर हो गये हैं इसलिए अध्यक्ष महोदय, मेरा अनुरोध है कि अर्बन सीलिंग एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक सरकार तत्काल प्रभाव से उन सारी जमीनों को मुक्त करें वापस करें मास्टर प्लान बड़े शहरों में लागू करने की बात की गई है। रिक्त भूमि को अर्जित करें। यदि किसानों की भूमि अर्जित करते हैं, तो किसानों को उचित दर प्रदान करें, जिससे उनका कल्याण हो।

    अध्यक्ष महोदय  : अब आप समाप्त करें।

    मुख्यमंत्री (श्री दिग्विजय सिंह) : माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं सदन के माननीय सदस्यों का आभारी हूं, जिन्होंने माननीय राज्यपाल महोदय के अभिभाषण पर प्रस्तुत कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर अपने विचार रखें,
इस भाषण को माननीय मुख्यमंत्री ने नहीं सुधारा
सुझाव दिए। मेरा यह सत्त प्रयास रहेगा कि उन्होंने जो अपने मत व्यक्त किए हैं, सुझाव दिए हैं, उनका ज्यादा से ज्यादा समावेश हो सके। केवल निराशा हुई तो माननीय पटवाजी के भाषण से। अध्यक्ष महोदय, गीता में कृष्ण ने अर्जुन को कहा था -

    ‘‘क्रोधात् भवति संम्मोहः संम्होहात स्मृति विभ्रमः
    स्मृति भ्रंसाति बुद्धिनाशों, बुद्धि नाशात् विनश्यतिं।’’
(सत्तापक्ष की ओर से मेजों की थपथपाहट)

    श्री विक्रम वर्मा  : जिन्होंने टेबिल ठोंकी हैं, उनसे पूछ तो लीजिए कि वे क्या समझे हैं। (हंसी)

    श्री दिग्विजय सिंह: अध्यक्ष महोदय, क्रोध से अविवेक अर्थात् मूढ़ भाव उत्पन्न होता है और अविवेक से स्मरण शक्ति भ्रमित हो जाती है। स्मृति के भ्रमित हो जाने से बुद्धि अर्थात् ज्ञान का नाश हो जाता है और बुद्धि के नाश हो जाने से पुरूष अपनी श्रेय-साधन से गिर जाता है। आज पटवा जी की यही स्थिति है। जब वे मुख्यमंत्री रहे तो उनके क्रोध, उनके अह्म व्यवहार का नतीजा तो सामने आ गया लेकिन भारतीय जनता पार्टी के अन्दर भी जो हुआ, वह किसी से छिपा हुआ नहीं है। स्मरण शक्ति इतनी क्षीण हो गई कि माननीय पटवा जी भूल गए कि कौन से राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा हो रही है। पिछली बार वाले या इस बातर वाले पर। जो भी भाषण हुआ, उसमें, मैंने ऐसा नहीं किया, ऐसा नहीं हुआ, मन्दसौर, कुकड़ेश्वर, नीमच और भोजपुर से आगे नहीं निकल पाए। इसलिए अध्यक्ष महोदय, मैं आपसे निवेदन करूंगा कि बाकी सब के भाषणों में जो सुझाव और विचार रखे गए, उनका तो पूरा ख्याल रखा जाएंगा लेकिन पटवा ही की तरफ से कोई सुझाव या कोई मत वाली कोई बात ही नहीं आई, तो उसका क्या ख्याल रखा जाएगा ?  माननीय अध्यक्ष महोदय, गुरू चेले की बात हुई 36 हाथ के तलवार की बात, अच्छा हुआ आपने यहां बता दिया। कम से कम दाहिने हाथ को जो चेला बैठा हुआ है, वह तो कम से कम इस बात के लिए तैयार है (मेजों की थपथपाहट) अब वह आपसे मात नहीं खाने वाला। उसको आपने जो आखिरी गुण था, वह सिखाकर भंयकर भूल की और पटवा जी, खतरा चारों ओर है। आप चाहे पदयात्रा करें, चाहे आप कहीं की यात्रा करें लेकिन नतीजा तो अब सामने आयेगा। नयी पीढ़ी सामने आ चुकी। अब कुकड़ेश्वर का रास्ता साफ।
    माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय पटवा जी ने विवेकानंद बाल कल्याण समिति की बात तो की, लेकिन श्यामाप्रसाद मुखर्जी ट्रस्ट के बारे में बात नहीं की। क्या वह ट्रस्ट पंजीयत हैं ?

    श्री सुन्दरलाल पटवा : है।

    श्री दिग्विजय सिंह: आज भी मैं यहां पर दावे के साथ कह रहा हूं कि वह ट्रस्ट रजिस्टर्ड नहीं है।

    श्री सुन्दरलाल पटवा : आप एक बार फिर अफसरों से पता लगा लें।

    श्री दिग्विजय सिंह: पता लगा के आया हूं इसलिए (मेजों की थपथपाहट) यह तो इस बार के अभिभाषण का आपका जवाब था। अगले अभिभाषण की तैयार फिर से चालू कर दीजिए।

    श्री सुन्दरलाल पटवा : इस सत्र में अभी अवसर है। यह मत समझिये कि पदयात्रा में पूरी विधानसभा छोड़ के जा रहा हूं। पदयात्रा से लौट के आकर फिर स्वागत-सत्कार करूंगा।

    श्री दिग्विजय सिंह: अध्यक्ष महोदय, पटवा जी का स्वागत-सत्कार सब जगह हो। कोशिश करूंगा कि पटवा जी जब राधौगढ़ में आयेंगे तो माला लेकर उनके स्वागत-सत्कार के लिए मैं उपस्थित रहू। जिस तरह से गोगिया पाशा गिली-गिली पाशा करके मंत्र निकालता था, उसी तरह से पटवा जी ने गिली-गिली करके दो प्रमाण-पत्र निकाले, एहसान के बारे में, लेकिन एहसान की जमीन किसने खरीदी मन्दसौर में पटवा जी ? एहसान के फार्महाऊस की सड़क के बगल की जमीन किसने खरीदी ? एहसान के बड़े भाई किसान से आपके क्या संबंध हैं, यह सदन जानना चाहता हैं, यह मध्यप्रदेश की जनता आपसे जानना चाहती है। अभी नहीं, जब आपकी मर्जी हो, जहां हो हमस ब लोग जानना चाहते हैं। उस समय आपके शासन-काल में कमिश्नर, नारकोटिक्स के क्या पत्र आए ?  अन पर क्या कार्यवाही की गयी, यह भी एक खोज का विषय है। इनके सारे भाषण में केवल व्यक्तिगत आलोचनाओं के अलावा और कहीं कुछ उसमें तंत नहीं था, कही कोई नीतिगत बात नहीं अभिभाषण की चर्चा नहीं, कहीं नीतियों की आलोचना नहीं। कह दिया कि बस राजा साहब, राजा बहादुर, सामन्ती प्रवृत्ति नहीं चलेगी, देख लेंगे, मेरे राजा (हंसी) और जो वचा-खुचा था हमारे अहिरवार जी थे। मैं बड़ी प्रशंसा के साथ आपके घर भोजन करने आऊंगा , आप बुलाइये तो।

    श्री रामदयाल अहिरवार  : धन्यवाद, अगर आप पधारें।

    श्री दिग्विजय सिंह: माननीय अध्यक्ष महोदय, किसी भी सरकार का कार्यकाल उसके कार्यो के ऊपर आंका जाता है। तीन महीने भी नहीं हुए, लेकिन कुछ आंकड़े आपके माध्यम से इस सदन के और इस प्रदेश की जनता के सामने रखना चाहता हूं। हमारी सरकार जब बनी तो मैंने तीन बिन्दुओं पर विशेष तौर पर ध्यान देने के लिए हमारे प्रशासन से कहा। एक गांवों में भरपूर बिजली दो। पटवा जी, आदरणीय विक्रम वर्मा जी, आप जहां मैं आपके साथ चलने के लिए तैयार हूं यह बात प्रमाणित करने के लिये कि इस बार किसानों को बिजली अच्छी तरह मिली कि नहीं मिली। .....(मेजों की थपथपाहट)...... दूसरी बात मैंने कही है कि मिट्टी का तेल सस्ता मिलना चाहिये क्योंकि पहले कालाबाजारी हो रही थी। लेकिन जितनी मुझे अपेक्षा थी, उतना फर्क नहीं पड़ा। अभी भी इस व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है, मैं स्वयं स्वीकार करता हूं। लेकिन मैंने कहा है कि यदि 31 मार्च तक इसमें सुधार नहीं आया तो जवाबदारी अधिकारियों की तय की जायेगी। तीसरी बात, अविवादग्रस्त बंटवारा और नामांतरण के प्रकरणों को निपटाने के लिये एक अभियान, एक मुहिम चलाई जानी चाहिये, ये मैंने कहा। जो आंकड़े मुझे 15 फरवरी तक पूरे प्रांत के मिले हैं, उसके कुछ उदाहरण देना चाहूंगा। अविवादग्रस्त बंटवारे को निराकरण सम्पूर्ण 32 महीनों के भाजपा शासनकाल में कुल 27677 का हुआ, यानि कि प्रतिमाह औसत 814 का आया। हमारी दो महीने के शासनकाल में 1551 प्रकरणों का निराकरण हुआ, यानि कि एक महीने का औसत आय 4700 प्रकरण .........(मेजों की थपथपाहट)... अर्थात 6 गुने का अंतर है। इसी प्रकार अविवादग्रस्त नामांतरण के प्रकरणों के मामलों में आपके 32 महीने की शासन अवधि में 3,97,667 प्रकरण निपटे और प्रतिमाह औसत आया 11 हजार प्रकररण। हमारे दो महीने के शासकाल में 2,16,881 प्रकरणों का निराकरण हुआ और औसर आया एक लाख आठ हजार प्रकरण प्रतिमाह, यानि कि दस गुना बढ़ोत्तरी हुई......(मेजों की थपथपाहट)... वन थाउजेंड एरसेन्ट। ये आंकड़े दिखाते हैं कि हमें इस बात की चिन्ता है। मैंने अधिकारियों से कहा कि किसानों को फर्क लगना चाहिये। पहले अविवादग्रस्त नामांतरण और बंटवारे के लिये जहां किसान पटवारी, गिरदावर और नायब तहसीलदार आदि के चक्कर काटते थे, आज हमारे शासन में वे लोग चक्कर काटते हैं कि भैया काम करा लो। मैंने कहा कि जब तक ऐसा नहीं होगा, मैं चैन से नहीं बैठूंगा।
    एक बत्ती कनेक्शन के मामले में आपने किसी को नहीं बख्शा। पता नहीं गरीबों के प्रति आपकी क्या नाराजी थी। .......(व्यवधान)....... गौर साहब के प्रति पता नहीं क्या नाराजगी  थी लेकिन गरीब, दलित, पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को हमने जो एक बत्ती कनेक्शन दिया था, आपके कार्यकाल में उनके 3,54,944 कनेक्शन काट दिये गये। .....(शेम-शेम की आवाजें)..... जिनके घरों में उजाले थे, वहां आपने अंधियारा कर दिया। जय श्री राम।......
.......(व्यवधान).......
    लेकिन हमने अपने दो महीने के शासनकाल में उन 3,54,944 कटे हुए कनेक्शंस में से 2,44,836 पुनः लगा दिये हैं। अभी जो बचे हुए हैं, वे भी 31 मार्च तक शुरू कर दिये जायेंगे। जय श्री राम।
    एक और बात, धान का उपार्जन। धान का उपार्जन एक ऐसा बिन्दु है, जिससे शासन की मंशा नजर आती है। जिस शासन में पटवा जी मुख्यमंत्री हों, मूलचंद जी खण्डेलवाल खाद्य मंत्री हों और तब बृजमोहन अग्रवाल जी शायद स्थानीय शासन मंत्री थे ? (व्यवधान) जो भी थे। लेकिन कैसे उपार्जन हो जाता ? व्यापारी कहां जाएंगे ? राइस मिल कहां जाएगी ? अध्यक्ष महोदय, वर्ष 1991-92 में उपार्जन की संख्या 14,200 मीट्रिक टन थी और 1992-93 में वह बढ़कर 25,068 मीट्रिक टन हुई। सारा माल गया कोचियों और मिलर्स के पास। न्यूनतम समर्थन मूल्य का आपरेशन नहीं हुआ। एक ही साल में करोड़ों रूपये का नुकसान किसानों का हुआ और हमारे कार्यकाल में माननीय अध्यक्ष महोदय, 25 हजार मीट्रिक टन से बढ़कर 2,37,654 मीट्रिक टन उपार्जन हुआ। (मेजों की थपथपाहट) 

    श्री बृजमोहन अग्रवाल  :  उस समय बाजार मूल्य क्या था ?

    अध्यक्ष महोदय   : आप बैठिये। (व्यवधान)

    श्री बृजमोहन अग्रवाल  :  अध्यक्ष महोदय, तीन महीने तक हमारे यहां पर सपोर्ट प्राइज पर धान नहीं खरीदा गया। किसान कम रेट पर धान देने के लिए मजबूर हुआ है क्योंकि उसे अपनी धान का बाजार मूल्य नहीं मिल रहा है।

    श्री दिग्विजय सिंह: यह शासन की मंशा नजर आती है कि किसके लिए शासन काम कर रहा है। शासन काम कर रहा है किसानों के लिए, गरीबों के लिए और मजदूरों के लिए। इस वर्ष फर्टिलाइजर की कमी रही। नाइट्रोजन फर्टिलाइजर में काफी दिक्कत आई, उसके बावजूद नाइट्रोजन फर्टिलाइजर में पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ोत्तरी हुई है। पिछले साल 1 लाख 92 हजार मीट्रिक टन नाइट्रोजन यहां था, इस वर्ष कम होने के बावजूद 2,34,000 मीट्रिक टन नाइट्रोजन फर्टिलाइजर का उपयोग हुआ। इसका मुख्य कारण यह है कि किसानों को पर्याप्त मात्रा में बिजली मिली और इसके कारण किसानों ने अधिक से अधिक युरिया का उपयोग किया। अध्यक्ष महोदय, पटवा जी ने एक और निकाला-गिली, गिली, गिली। दैनिक हिन्दुस्तान में छपा है। पूरे 4000 करोड़ की घोषणाएं कर दी, 500 घोषणाएं कर दी। अध्यक्ष महोदय, जो व्यक्ति इतने लंबं राजनैतिक जीवन में रहा हो, जो चाहे पहले 24 दिन के लिए रहा हो लेकिन दो बार मुख्यमंत्री रहा हो, नेता प्रतिपक्ष रहा हो और इतना परिपक्व राजनीतिज्ञ हो वह केवल खबरों के आधार पर आरोप जड़ दे और पता लगाने की कोशिश भी नहीं करें घोषणाएं की है, बिलकुल की हैं। जो वादे हमने चुनाव घोषणा पत्र में किए हैं उनको पूरा करेंगे। घोषणाएं इसीलिए की हैं और उनको पांच साल में पूरा करेंगे। मैंने एक अंदाजा लगाया, मैंने कहा भई पटवा जी का भाषण है, अध्यक्ष महोदय, मैंने पता लगाया, कुल घोषणाएं हुई हैं, 92....

    श्री विक्रम वर्मा  : यहां पर एक दो छक्के लगा दें, तो हंड्रेड के आसपास हो जाएंगी।

    श्री दिग्विजय सिंह: लगा रहे हैं, 2-3 और लगा रहे हैं। हंड्रेड धार में आकर करूंगा। अध्यक्ष महोदय, 92 में से 58 घोषणाओं के आदेश हो चुके हैं। उनका निर्णय हो चुका है, 92 में से 58 पूरे कर दिये है। बाकी जो बची हैं, उनको भी पूरा करेंगे। सरकार की घोषणाएं हैं। उनका अनुमानित खर्च आएगा, लगभग 700 करोड़ रूपये की आसपास। उसकी पूर्ति करेंगे। हमने कहा था कि 5 हार्सपावर तक बिजली एक खातेदार को मुफ्त में दी जाएगी।

    श्री निर्भय सिंह पटेल  : घोषणा-पत्र क्या था, उसको पढ़कर देख लीजिए।

    श्री दिग्विजय सिंह: उसकी पूर्ति कर दी है। पांच हार्स पावर के नीचे तक के माफ कर दिये हैं, अब तो खुश ?

    श्री ओंकार प्रसाद तिवारी  :  किसानों को तो बिजली मिली नहीं फिर माफ करने का प्रश्न कहां होता है ?

    श्री दिग्विजय सिंह: तिवारी जी आपको किसान से क्या लेना-देना, छोड़िये। अध्यक्ष महोदय, लॉ एंड आर्डर के बारे में बहुत कुछ होना बाकी है। दो महीने के अन्दर कसावट लाने की कोशिश कर रहे हैं, 18 डाकू मारे गये, 110 बंदी बनाये गये और भी उसमें कसावट लाने की कोशिश की जा रही है।

    श्री विक्रम वर्मा : इसमें उत्तरप्रदेश के जो 5-6 उठाकर ले आये, वह भी गिन लिए क्या?

    श्री दिग्विजय सिंह: सब और कहीं हो तो बताइये, वहां से भी उठा लायेंगे। (हंसी) अध्यक्ष महोदय, शासन में आते ही हम लोगों ने कट्टा संस्कृति, अवैध हथियार, अवैध विस्फोटक पदार्थ इसके लिए अभियान छेड़ा, यही सबसे बड़ा बिन्दु है जो कि अपराध को बढ़ाता है। जनवरी में 109 देशी कट्टे पकड़े गये, 47 अवैध हथियार बंदूक, रिवाल्वर, रायफल पकड़े गये, फरवरी में 6 कट्टे 30 बंदूक रिवाल्वर, विस्फोटक पदार्थ पकड़े गये। यह अभियान अभी भी जारी है। मेरा यह निश्चित मत है कि पुलिस को प्रिवेन्टिव एक्शन ज्यादा लेना चाहिए, इन्टेलीजेंस ज्यादा सक्षम करना चाहिए इस बात की काफी कमी है इसीलिए श्री तिरखा की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है ताकि पुलिस को सक्रिय किया जा सके, इलैक्ट्रानिक माध्यमों में और सक्षम बनाया जा सके, पुलिस की सेवाओं के संबंध में और क्या सुविधायें दी जा सकती हैं, ट्रेनिंग कैसे बेहतरीन की जा सकती है, इस संबंध में चर्चा चालू कर दी है। मैं आश्वसस्त करता हूं इस सदन के माध्यम से कि धीरे-धीरे अफीम, ब्राउन सुगर, स्मैक की जो आदत हमारे मन्दसौर और उसके आसपास के लोगों को पड़ रही है, इन सारे स्मेक और ड्रग माफिया के खिलाफ सख्ती से यह शासन कार्यवाही करेगा, इसमें किसी को बख्शा नहीं जायेगा। अध्यक्ष महोदय, साम्प्रदायिकता का जो जहर इस प्रदेश के कोने-कोने में हमारे साथियों ने बोया है, उसको निकालना पड़ेगा। मैंने निर्देश दिये हैं कि चाहे किसी प्रकार की साम्प्रदायिकता हो, चाहे हिन्दू हों, मुसलमान हों, सिख हों या ईसाई हों, किसी को बख्शा नहीं जायेगा और मैंने यह निर्देश दिये हैं कि जो भी व्यक्ति साम्प्रदायिकता का जहर फैलाता है, चाहे वह कितना ही बड़ा व्यक्ति क्यों न हो उसे कठोर-से कठोर सजा दिलाने का शासन प्रयास करेगा। (मेजों की थपथपाहट) जनता की शांति के साथ किसी को खिलवाड़ करने का मौका नहीं दिया जायेगा, चाहे कितना ही बड़ा व्यक्ति क्यों न हो।
    अध्यक्ष महोदय, मैं एक उदाहरण भारतीय जनता पार्टी के राज का और देना चाहता हूं। कैलाश विजयवर्गीय जी सुन लें। कैसी होती है दादागिरी ? इसका उदाहरण नन्दा नगर के 25 हाऊसिंग बोर्ड के मकान, बजरंग नगर के 11 मकान, पैसा किसी ने जमा किया, लेकिन कब्जा किसी और ने कर लिया, हमारी सरकार है, हम हैं, मालिक कौन ? सरकार हमारी है, कोई क्या कर लेगा, इस तरह 36 हाऊसिंग बोर्ड के मकान बिना पैसा दिये, बिन किराये के ढ़ाई वर्ष तक अपने राज में इन लोगों ने कब्जा कर रखा था। (शेम-शेम के नारे लगाये गये) बौर वो लोग, जिन लोगों ने पैसा जमा कराया, जिन्होंने अपने घर के जेबर बेचकर पैसा जमा कराया, वे मुंह ताकते रहे, लेकिन दादागिरी, कौन हिम्मत कर सकता हैं, जब तक धारकर साहब जैसे व्यक्ति हाऊसिंग बोर्ड के चेयरमैन हैं और कैलाश विजयवर्गीय जी उनकी देखरेख कर रहे हों, किसी की हिम्मत है, खिलवाड़ कर सकता है। शेखावत जी। हमको मौका मिला, जैसे ही जानकारी मिली, सबको निकालकर बाहर। पूरे 36 मकान खाली।

    डॉ. गौरीशंकर शैजवाज  :  भैया राजा को तो और निकाल दीजिए ?

    श्री दिग्विजय सिंह: खाली करवाऊंगा तो सबके, इसमें अभी बी.जे.पी. के नेताओं के भी कराऊंगा।

    डॉ. गौरीशंकर शैजवाज  : भैया राजा के सामने क्यों घुटने टेक रहे हैं ?

    श्री दिग्विजय सिंह: मैं आपको विश्वास दिलाता हूं डाक्टर शैजवार जी। हम नहीं चाहते थे कि आप हमारी भाभी जी से अलग हो जाएं, इसलिए विलंब हो गया। इनको जल्दी-से-जल्दी मकान मिलना चाहिए, मैं सहमत हूं और इसमें जल्दी-से-जल्दी कार्यवाही की जानी चाहिए।

    डॉ. गौरीशंकर शैजवाज  : भैया राजा से खाली होना चाहिए, ऐसे उनके पास अवैध रूप से नहीं रहना चाहिए। आप अवैध मकान खाली करवाने की बात रहे थे।

    श्री दिग्विजय सिंह: पटवा जी मुझसे नाराज न हों, आप गारण्टी ले लीजिए। दोहरे मापदण्ड नहीं होंगे।

    डॉ. गौरीशंकर शैजवाज  : काम करना है तो करें, ढिंढोरा क्यों पीटते हैं। झटके मार दिये, ऐसे ही ढाई-तीन महीने से सरकार चल रही है।

    श्री दिग्विजय सिंह: पटवा जी आप इनको समझाते नहीं हैं, बड़ी मुश्किल हो जाती है। फिर भी व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है, गुंजाइश है, संतोष नहीं है, हम उसमें सुधार लाने की कोशिश करेंगे और आपका सहयोग भी हम लोग चाहेंगे। जबलपुर में घटना हुई, कोई अच्छी घटना नहीं हुई, लेकिन वह व्यक्ति अनुसूचित जाति का नहीं था, तिवारी जी।

    श्री ओंकार प्रसाद तिवारी  :  वह अनुसूचित जाति का व्यक्ति है। (व्यवधान) उसमें आपके दो आय.ए.एस. अधिकारी लिप्त हैं। (व्यवधान)

    श्री विक्रम वर्मा : सवाल जाति के हिसाब से नहीं है, मनुष्य तो था ?

    श्री दिग्विजय सिंह: तो मैंने कहा न कि घटना अच्छी नहीं थी घटना हुई, उसमें जो कुछ राजनैतिक पेंच डाले गए, वह खेदजनक घटना थी, लेकिन फिर भी मेरा यह प्रयास होगा कि यदि अनुसूचित जाति, जनजाति के व्यक्ति पर अत्याचार होता है, तो कठोर-से-कठोर कार्यवाही करने के निर्देश हैं, कहीं उनकी हत्या होती है तो हमने उसकी राशि बढ़ाकर एक लाख रूपये की है। पटवाजी ने जो निर्देश सुलतानपुर की घटना के बारे में दिया था, उसकी भी जांच करवाई और उसमें भी राशि दे दी गई। दोषी व्यक्तियों को कतई बख्शा नहीं जाएगा। पटवाजी ने मुझ पर काफी नाराजगी दिखाई, करूणा कहां गई, कहां है वो दिग्विजय सिंह, जिसे हम जानते थे, कहां है वो 77 से 85 के बीच का

दिग्विजय सिंह। आपने मुझे 77 से 85 के बीच देखा और मुझे समझने की कोशिश की, उसके लिए मैं आपका आभारी हूं, उसके बीच में, मैं दिल्ली चला गया। थोड़ा समय दीजिए, आपको वही दिग्विजयसिंह दिखेगा, जो 77 से 85 के बीच में था। (हंसी)

    श्री सुन्दरलाल पटवा  :  दिल्ली ऐसी जगह है, जहां के राजनैतिक बियावन जंगल में आदमी खो जाता है। लौटकर आए, पर सुधरकर नहीं आए। (हंसी)

    श्री दिग्विजय सिंह: आपकी संगत में, आपकी सौबत में सुधरने की कोशिश करूंगा।
    माननीय अध्यक्ष महोदय, मुझ पर आरोप लगा कि गुना क्यों नहीं गए, जाना चाहिए था। मैंने कहा कि देखो भाई आरोप बहुत सीधा है, मैंने पुराने सारे रेकार्ड दिखवाए, सलैया काण्ड, धार काण्ड, भिलाई काण्ड, पटवा जी के राजकाज में जितने भी अत्याचार हुए अनुसूचित हुए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति पर, उनमें यह ढूंढने की कोशिश की कि पटवा ही कहां-कहां गए। और-तो-और धार में एक आदिवासी को जिन्दा जला दिया गया, उस समय डॉ. शैजवार साहब गृत राज्य मंत्री थे। डॉ. शैजवार साहब से पूछा गया आप जा रहे हैं, क्या, उन्होंने कहा कि नहीं हमारे मंत्रीगणों को जाने की जरूरत नहीं है, हम विधायकों को भेज दिया। हमारे जाने से व्यवस्था और बिगड़ जाएगी।

    डॉ. गौरीशंकर शैजवाज  : मुख्यमंत्री जी असत्य जानकारी दे रहे हैं।

    श्री दिग्विजय सिंह: दिल पर हाथ रखकर कहिए डॉ. साहब।
    माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस बात को महसूस करता हूं कि शासन के किसी प्रतिनिधि को जाना चाहिए, जहां भी ऐसी घटना होगी, मध्यप्रदेश शासन की ओर से मैं कोशिश करूंगा कि मंत्रीगण जाएं। मैं इस बात से सहमत हूं। 
बाबूलाल गौर साहब गुना पधारे, जैसे ही मुझे मालूम पड़ा कि गौर साहब गए हैं, प्रशासन से कहा कि पूरी हिफाजत करें, गाड़ी लगाएं, गार्ड लगाएं। व्यवस्था पूरी हुई कि नहीं ? (श्री बाबूलाल गौर की तरफ मुखातिब होकर)
एक और नाराजगी मुझ पर हुई कि पंचायत समिति कैसे गठित कर दी ? माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं फिर से पटवा जी की स्मरण शक्ति ताजा कराना चाहता हूं। आपके कार्यकाल में तो पंचायतों की समितियों को भंग ही कर दिया गया था, अन्त्योदय समिति बना दी गई थी। हमारा राज है, हम जिसको बनाएं वह होगा। इस शासन ने कोई मनोनयन नहीं किया। रूल बना दिया कि 88 में ग्राम पंचायतों के चुनाव हुए थे, जो जीता था उनको बना दिया जहां चुनाव नहीं हो पाए थे, वहां 83 के चुने हुए लोगों को बैठा दिया। जहां पंचायतें टूट गई थीं, वहां जितने पंच आते हैं, कलेक्टर को अधिकार दे दिया कि जिनको बनाना हो बना दो। इससे निष्पक्ष बात और क्या हो सकती है। हम पंचायत चुनाव कराना चाहते हैं। हमने जे.आर.व्य. की भावना के अनुकूल निर्णय लिए हैं। हमने निर्णय लिया है कि जो चुनी हुई हमारी निर्माण समितियां हैं, उनको हमने अधिकार दिया है कि आप जहां राशि खर्च करना चाहते हों करिये, बी.डी.ओ. से मुक्त, ओवरसियर से मुक्त एस.डी.ओ. से मुक्त। ग्राम सभा में गांव के लोग हैं ? पंचायतों के लोग हैं, काम उनको देखना है, भवन का सड़क का उपयोग उनको करना है। आदरणीय राजीव गांधी की मंशा थी, मैन्युअल में इसका उल्लेख किया गया था कि जवाहर रोजगार योजना का पैसा सीधे पंचायतों के पास पहुंचेगा और स्वीकृति का अधिकार पंचायतों को होगा, किसी अधिकारी को नहीं होगा। आपने उस मूल भावना के प्रतिकूल काम किया, सरकारीकरण कर दिया। ओवरसियर, सब-इंजीनियर के मूल्यांकन के सब अधिकार छीन लिए। उसमें भी सोशल ऑडिट का कान्सेप्ट था। आप यह सोशल ऑडिट क्या करेंगे ? यहां तो हम हैं, हम जो करें वह ठीक, बाकी सब गलत। माननीय अध्यक्ष महोदय, पंचायत चुनाव की प्रक्रिया प्रारम्भ हो गई। उसमें भी नाराजी हो गई कि सुनवाई नहीं हुई सुनवाई तो हुई थी। फिर हमने सुनवाई के लिए दो दिन का समय और दिया।
(व्यवधान)

    श्री ओमप्रकाश खटीक : सुनवाई नहीं हुई।
समय : 3.00 बजे

    अध्यक्ष महोदय  : माननीय मुख्यमंत्री जी के भाषण पूर्ण होने तथा कृतज्ञता ज्ञापन प्रस्ताव पर विचार होने तक मेरे मत में सदन के समय में वृद्धि की जाय। मैं समझता हूं कि सदन मुझसे सहमत होगा।
    (सदन द्वारा सहमति प्रदान की गयी।)

    श्री दिग्विजय सिंह: अध्यक्ष महोदय, मैं आपका और सदन का आभारी हूं। हम पंचायत के चुनाव जून 1994 तक करवा लेंगे, नगर पालिका, नगर निगम का कानून इसी सत्र में आएगा और जैसे ही पास होगा, उसके बाद 6 माह में चुनाव करवा लिये जायेंगे, सहकारिता का मॉडल एक्त भी इसी सत्र में लाया जाएगा और कृषि उपज मण्डी के चुनाव भी करवा लिये जायेंगे।

    श्री विक्रम वर्मा : आप श्री सुभाष यादव जी से कह दें, तो वे एक ही पंक्ति में बिल ले आयेंगे।

    श्री दिग्विजय सिंह: सत्ता का विकेन्द्रीकरण हमारा संकल्प है और इस सदन के माध्यम से मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम ईमानदारी से सत्ता का विकेन्द्रीकरण करेंगे और चुनी हुई नगर निगम, नगरपालिका को प्रशासकीय अधिकार सौपेंगे। इस वर्ष आयोजना सीमा आपके समय में लगातार अटकी रही, जिसे अब बढ़ाकर 2750 करोड़ रूपये किया है, लेकिन इसमें भी हमें साधन जुटाना होंगे, खर्च में कमी करनी होगी, कठोर निर्णय लेने होंगे। हमने निर्णय लिया है कि हम शासन की फिजूलखर्ची पर बंधन लगाएंगे। हम कोशिश करेंगे कि करों का युक्तियुक्तकरण हो, नये कर का ढांचा इस प्रदेश की जनता को पहली अप्रैल से लागू करने का प्रयास कर रहे हैं और उसमें हमारा प्रयास होगा कि ऐसा कानून बने, जिसमें ईमानदार व्यापारी को कोई ठेस न पहुंचे, कोई दिक्कत न हो। लेकिन बेईमान व्यापारी को अगली बार व्यापार का मौका न मिले, यह हमारा प्रयास होगा। बेरोजगारी, इस प्रदेश की प्रमुख समस्या है और उसे मिटाने और कम करने के लिए हम दृढ़ संकल्पित हैं, हमने घोषणा-पत्र में कहा था कि हमारा लक्ष्य यह होगा कि वह परिवार जो गरीबों में गरीब है 6000 सालाना आमदनी के जो परिवार होंगे, उन परिवारों को परिचय-पत्र दिये जायेंगे और अन परिवारों में यदि शिक्षित बेरोजगार हो, 12वीं कक्षा पास हो, उसको रोजगार दिया जायेगा। चाहे माईनिंग लीज हो, शासकीय दुकान हो, पर हमारी कोशिश होगी कि इन लोगों को रोजगार दिया जाय और जो बचेंगे, मैं आज भी आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम कहीं से भी साधन जुटाएं लेकिन जिन शिक्षि बेरोजगारों को जिनके परिवार की आमदनी 6000 रूपये है, उनको रोजगार उपलब्ध नहीं करा पाएंगे तो उनको निश्चित रूप से बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। 

    श्री गोपाल भार्गव  : आपने अपने चुनाव घोषणा-पत्र में तो सभी को बेरोजगारी भत्ता देने को कहा था।

    श्री दिग्विजय सिंह: आप क्यों पेरशान हो रहे हैं। पहले अपना रोजगार तो पक्का लें। अध्यक्ष महोदय, ग्रामीण रोजगार उपलब्ध कराने के लिए पाँच थ्रस्ट एरियों को चुना है, जहां पर कम-से-कम राशि खर्च पर ज्यादा से ज्यादा रोजगार दिया जा सके। जल संधारण के लिए, मछली पालन के लिए, रेशम उद्योग के लिए, चर्म उद्योग के लिए, ग्रामीण उद्योग विशेष कर हाथ करघा उद्योग के लिए और हमारा यह सोच है, कि मुझे यह अनुभव है कि हमारी जितनी भी आई.आर.डी.पी., एन.आर.वाय., प्रधानमंत्री रोजगार योजना इन सारी योजनाओं में जो एक प्रोजेक्ट कंसेप्ट होना चाहिये, वह नहीं है। हमने पैसा बांट दिया है, खर्च हो गया, कैसे खर्च हो गया, हमारा टारगेट पूरा हो गया, इससे काम नहीं चलेगा। आवश्यकता इस बात की है कि प्रत्येक हितग्राही को यदि लोन दिया जाये, तो उसकी रा-मटेरियल से लेकर मार्केटिंग व्यवस्था, जब तक फाइनल व्यवस्था नहीं होगी, तब तक इन योजनाओं को हम लोग सफल नहीं कह सकते। ट्रायसेम योजनान्तर्गत हम लोग लड़कों को ट्रेनिंग दे रहे हैं और उन लड़कों मेंसे 10 प्रतिशत को आई.आर.डी.पी. योजनान्तर्गत लोन दिया जाता है। इस व्यवस्था में हमें सुधार लाने की जरूरत है। हम एक लक्ष्य बना रहे हैं कि ट्रायसेम योजना के अन्तर्गत जितने लड़कों को ट्रेनिंग दी जाती है, उन लड़कों को बैंकों से लोन दिलवाया जाये। कई माननीय सदस्यों ने कहा कि प्राइमिनिस्टर प्रोग्राम में पैसा बहुत कम आता है, वाकई कम आता है। एक साल में तीन हजार लोगों को रोजगार देने से काम नहीं चलेगा, उसमें भी प्रोजेक्ट एप्रोच चालू की जाये। अभी हमारे पास समय कम था, हमारे पास जैसे भी लड़के आये, उनको हमने ऋण बांट दिया। अगले वर्ष का सिलेक्शन अभी करना चाहते हैं। ताकि उनकी एक साल ट्रेनिंग हो सके और उसका प्रोजेक्ट बनाया जा सके। उसके रा-मेटेरियल, मार्केटिंग, दुकान की व्यवस्था, जब तक इन सारी व्यवस्थाओं के साथ में समन्वय नहीं किया जायेगा, तब हितग्राहियों को लाभ नहीं मिल सकता। इसलिये प्रोजेक्ट बनाने के लिये राज्य शासन के अन्तर्गत एक सेल बना है, जिसके माध्यम से उनको परमानेन्ट रोजगार दिलाया जायेगा।

    श्री बृजमोहन अग्रवाल : माननीय अध्यक्ष महोदय, बैंको द्वारा बेरोजगार लोगों को लोन नहीं दिया जा रहा है।.....

    अध्यक्ष महोदय  : यह ठीक नहीं है।

    श्री दिग्विजय सिंह :  अध्यक्ष महोदय, आपके प्रबोधन कार्यक्रम ने इन पर ज्यादा असर नहीं किया।

    श्री विक्रम वर्मा : माननीय अध्यक्ष महोदय, प्रबोधन कार्यक्रम में मंत्रीगण गैर हाजिर थे, उसके कारण लकलीफ हो रही है।

    श्री दिग्विजय सिंह :  हम और आप तो थे। इस बारे में हमने निवेदन किया है हमारे लीड बैंकर्स के जो इस प्रदेश के ग्रामीण शिल्पी हैं, जिनमें पहले से हुनर है, गरीबी को रेखा के नीचे हैं, उनके अभियान के तौर पर शत-प्रतिशत ग्रामीण शिल्पियों को आई.आर.डी.पी. योजनान्तर्गत लोन देना चाहते हैं, यह हमने लक्ष्य रखा है। पठारों का गिरता हुआ जल स्तर, भू-जल स्तर आज वाकई चिन्ता का विषय है। इस बारे में हम योजना बना रहे हैं महाराष्ट्र सरकार ने एक समन्वित विभाग बनाया हैं जिसमें कृषि का वाटर शेड मेनेजमेन्ट का जो पैसा आता हैं, जे.आर.वाय., प्राइममिनिस्टर प्रोग्राम का जो पैसा आता है, उसके समन्वित विकास के खर्चे के लिय किस प्रकार एक-एक बूंद का संग्रहण हो सके, जिससे भूजल स्तर बढ़ाया जा सके। उसके लिये उन्होंने एक विभाग बनाया है और एक मिनिस्टर के अन्तर्गत लिया है। मैंने हमारे अधिकारियों को वहां भेजा है और मैं स्वयं मंत्रिमण्डल के साथ जाकर वहां देखूंगा कि किस प्रकार से उसका हम लोग भी यहां पालन कर सकें। क्योंकि हमारे इस शासन की प्राथमिकता है कि कुंओं का जल स्तर बढ़ाना है और इसके लिये हमने एक टास्क फोर्स भी बनाया है, उसके अन्तर्गत हम किस प्रकार से हमारे जो सेटेलाईट इमेजेरिस हैं, हम ग्राउण्ड वाटर रिसोरसेस को कैसे रीचार्ज कर सकते हैं उस पर हम लोग नक्शा बनायेंगे। जीवन धारा, अमृत धारा में जहां कुएं सफल नहीं हो सकते, वहां लिफ्ट इरीगेशन नहीं से नालों से उत्थान योजना हम लोगों ने प्रारंभ की है। मेरी यह मान्यता है कि जब तक शहरों का जो अरबन वेस्ट है, जब तक उसका सदुपयोग नहीं होगा, तब तक शहर की जो हैल्थ और हाइजिन की जो दिक्कत है, वह पूरी नहीं हो पायेगी। भोपाल में हमने एक प्लांट लगाया है, जिसमें अरबन वेस्ट को हम आर्गेनिक मेन्योर में कनवर्ट करवा रहे हैं, उसमें प्रयोग काफी सफल हुए है और हम चाहेंगे कि प्रत्येक महानगर में हमारी यह व्यवस्था हो, ताकि शहर का जो अर्बन वेस्ट हो, उसको हम आर्गेनिक मेन्योर में कनवर्ट करवा सकें, क्योंकि धीरे-धीरे आज फिर से कृषि आर्गेनिक मेन्योर की तरफ जा रही है। वनवासियों के अतिक्रमण के मसले जल्दी हल होना चाहिये और इस बारे में सात मार्च को हमारे देश के वन मंत्री श्री कमलनाथ जी भोपाल आ रहे हैं। उनके साथ बैठकर हम योजना बनायेंगे कि किस तरह जल्दी से जल्दी जो हमारे भूमिहीन आदिवासी हैं, उनको किस तरह पट्टे दे सकें, इस पर विचार कर रहें हैं।
    माननीय अध्यक्ष महोदय, आज गांवों में सबसे पहली आवश्यकता है कि जो हमारा राजस्व कानून का ढांचा है, उसमें सुधार की आवश्यकता है। वर्षों तक केस चलते रहेतें है, उनका निराकरण नहीं होता। छोटे-छोटे प्रकरण हैं, वे पड़े रहते हैं, गांव का गरीब भटकता रहता है। तहसीलदार साहब को फुरसत नहीं हैं, एस.डी.ओ. को फुरसत नहीं हैं, कलेक्टर को फुरसत नहीं है। पेशी पर पेशी बढ़ती जाती है। इसमें अपील की प्रक्रिया इतनी ज्यादा है, जिससे गरीब को न्याय नहीं मिलता, इस पर हम विचार कर रहे हैं, हम लैंड ट्रिब्यूनल्स के माध्यम से उसका निराकरण कर सकते हैं ? कर्नाटक में उसका प्रयोग सफल रहा। लेण्ड ट्रिब्यूनल्स तहसीलदार सब-डीवीजन, जिला और स्टेट स्तर पर करना चाहते हैं। ताकि गांव के झगड़े समाप्त हो।
    माननीय अध्यक्ष महोदय, अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों को पेट्रोल पम्प मिल जाता है, गैस की एजेन्सी मिल जाती है लेकिन वे बेचारे उसके लिए शहर में जमीन कहां से लायें ? पैसा नहीं है, जमीन नहीं है। इसलिए हमने निर्णय लिया है कि जमीन दें, कलेक्टर को निर्देश दे दिये कि आप जहां भी जमीन हो, एडवांस पजेशन दे दीजिये जो जोगा बाद में देखा जायेगा उसका पेट्रोल पम्प लगना चाहिये, उसकी गैस एजेन्सी लगनी चाहिये। यह सरकार अनुसूचित जाति, जनजाति के हितों के लिए है, उसमें कोई कोताही नहीं बरती जायेगी।
    माननीय अध्यक्ष महोदय, केन्द्र सरकार के अनेक प्रकरण मध्यप्रदेश सरकार के पास लंबित रहते थे। मैं जब मुख्यमंत्री बना तो मुझ से जनरल मैनेजर टेलिकम्यूनिकशन मिले। टेलिकम्यूनिकेशन के 200 आवेदन लंबित थे मध्यप्रदेश सरकार के पास। वे जमीन चाहते थे। हमारा शासन जमीन नहीं दे रहा था। नुकसान हो रहा था, मध्यप्रदेश का नुकसान हो रहा था। अगर उनको जमीन मिल जाती, तो हमारे यहां टेलिफोन एक्सचेंज लग जात, जल्दी काम हो जाते लेकिन आपकी सरकार उनसे सौदेबाजी करती रही। इतना पैसा लेंगे। प्रकरण लंबित पड़े रहे। काम नहीं हो रहा था। यह सोच यह विचार बी.जे.पी. के कार्यकाल का था। दूरदर्शन के लिए तो माननीय पटवा जी ने कुकड़ेश्वर में जमीन दिलवा दी। आपके यहां डिस्क लग गई होगी ? वहां के लिए तो आपने बड़ी तत्परता दिखाई कुकड़ेश्वर में 27899 वर्गफीट जमीन 13-5-1992 को आपने ही दे दी थी, आप कह रहे कि नहीं दी। मुसीबत तो यह है कि आपकी स्मरण शक्ति क्षीण होती जा रही है, पटवा जी क्या बात है ? (हंसी) इस प्रकार दूरदर्शन की डिस्क नहीं लग पा रही थी, 20-25 आवेदन पड़े थ, जमीन नहीं दे रहे थे, हमने निर्णय लिया....

    श्री सुन्दरलाल पटवा : आपकी सूचना ऐसी है कि कुकड़ेवर में लग गया ?

    श्री दिग्विजय सिंह: मेरी सूचना यह है कि सरकार ने जमीन दे दी, मैंने जमीन दे दी।

    श्री सुन्दरलाल पटवा : आगे क्या हुआ ?

    श्री दिग्विजय सिंह: आगे आप और हम सब मिलकर जल्दी से जल्दी लगवा देंगे। पटवा जी आपकी और हमारी साझेदारी चलती रहे, तो सब लोग ठीक रहेंगे।

    श्री सुन्दरलाल पटवा : यही तो मैं कहता हूं। जरा बातों की फकफक कम कीजिये, कुछ काम करके बताईये। अभी तो ऐसे मुख्यमंत्री हो। (हंसी) सतना से कोई सबक सीखा ?

    श्री दिग्विजय सिंह: मुझे याद है, जब हमारे गृहमंत्री श्री रघुवंशी जी ने उन्हें कुछ इशारा कर दिया तो आप नाराज हो गये और आज आप इशारा कर रहे हैं।

    श्री सुन्दरलाल पटवा : वे तो ठोकर खाकर सुधर गये, उन्हीं से पूछों ठोकर कहां लगी।

    श्री रामलखन शर्मा : पटवा जी आप तो कई ठोकरें खाने के बाद भी नहीं सुधरे। (मेजों की थपथपाहट)

    श्री सुन्दरलाल पटवा : रामलखन शर्मा जी जिन लोगों का धंधा ही रोज ठोकनें, पीटनें का हो, उनसे मुझे सुधरने की जरूरत नहीं हैं।

    श्री रामलखन शर्मा : (सत्ता पक्ष की तरफ इशारा करते हुए) पटवा जी आपको भी मौका मिलगा उधर जाने का। आप घबराये नहीं।

    श्री सुन्दरलाल पटवा : कहां गई आपकी जनता पार्टी शर्मा जी।

    श्री रामलखन शर्मा : उसी जनता पार्टी ने पटवा जी को उधर (विपक्ष की तरफ इशारा करते हुए) बैठा दिया है।

    श्री सुन्दरलाल पटवा : और खुद स्वर्ग में सिधार गये।

    श्री रामलखन शर्मा : अगर यही हाल चलता रहा, तो यह भी (सत्ता पक्ष) वहीं जायेंगे, आपको भी मौका मिलेगा उधर जाने का।

    श्री सुन्दरलाल पटवा : लेकिन आपका क्या होगा।

    श्री रामलखन शर्मा : पश्चिम बंगाल में 18 वर्षों से हमारा झण्डा गड़ा है।

    श्री सुन्दरलाल पटवा : मुख्यमंत्री जी आप पूरी जानकारी लेकर के बताया करें, आपके लिये अधूरी जानकारी देशा शोभा नहीं देता।

    श्री दिग्विजय सिंह: मैंने अधूरी जानकारी नहीं दी जमीन का आवंटन हो चुका है इसलिये मैंने कहा कि जमीन आवंटित हो गई हैं। इसमें अधूरी जानकारी कहां है।

    श्री सुन्दरलाल पटवा : मुख्यमंत्री जी यही तो आपकी नादानी है, आप बुजुर्गों से भिड़ जाते हैं।

    श्री दिग्विजय सिंह: पटवा जी आप तो सिर्फ मुझे ही डांटते हैं और किसी को नहीं डाटते हैं।

    श्री बाबूलाल गौर : एक ही तो समझदार आदमी है, इस मंत्रिमण्डल में जिसको कि डांटा जा सकता हैं। (हंसी)

    श्री दिग्विजय सिंह: अध्यक्ष जी, हम दोनों (पटवा जी की तरफ इशारा करते हुए) गुरू भाई हैं और हमें ही हमेशा डांटा जाता है।

    अध्यक्ष महोदय  :  अब कृपया यह संवाद बंद करें।

    श्री दिग्विजय सिंह: अध्यक्ष महोदय, हमने निर्णय ले लिया, आदेश हो चुके हैं कि कोई भी केन्द्र सरकार का दफ्तर उपक्रम यहां प्रदेश में आना चाहे तो उसे हम न केवल एडवांस पजेशन देंगे बल्कि जमीन भी मुफ्त में देंगे। अब फाईले इधर-उधर घुमाने की जरूरत नहीं है। निर्णय लिया जा चुका है। अध्यक्ष महोदय, जो पाकिस्तान से रिफ्यूजी आये थे सिंधी बैरागढ़ के, सतना के चाहें कही भी रहें लेकिन उन्हें 3 माह में फ्री होल्ड प्लाट हम लोग आवंटित करेंगे, वे जहां बसे हैं, उन्हें हम वही पर प्लाट देंगे, इसका निर्णय 3 माह में हो जायेगा। अध्यक्ष महोदय, यह अवश्य है कि रामकृष्ण मिशन के आश्रमों को तो हम देंगे बाकी दूसरों को नहीं देंगे। अध्यक्ष महोदय, विद्युत उत्पादन इस प्रदेश में होना चाहिये, विशेष योजनायें बननी चाहिये और मैं निवेदन करना चाहता हूं कि बीरसिंहपुर जिसका कि उल्लेख मैंने पहले भी किया है बीरसिंहपुर के 210 मेगावाट, हंसदेव के 40 मेगावाट के प्लाण्ट शीघ्र ही चालू होने वाले हैं। हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा प्रायवेट केपिटल इसमें लगे, जल्दी से जल्दी त्वरित गति से काम हो और इस बारे में पेंच, महेश्वर, कोरबा फाईनल स्टेज पर हम लोग ले आये हैं। इन्वायरलमेन्ट क्लीयरेन्स हो गया है सी.ई. के क्लीयरेन्स की भी कोशिश कर रहे हैं कि जल्दी से जल्ी हो जाये। पेंच और महेश्वर का हो गया है। पावर टैरिफ एग्रीमेन्ट होने वाला है, उसके बारे में जल्दी से जल्दी हम लोग कार्यवाही करेंगे। लेकिन अध्यक्ष महोदय  जिस बात का उल्लेख मैं पहले कर चुका हूं कि आपका शासन निर्णय नहीं लेता था, पता नहीं किस बात का इंतजार होता था। हिन्दुस्तान इलेक्ट्रो ग्रेफाईड, तवा का 22 मेगावाट का पावर स्टेशन वह इनकेटिव पावर प्लांट लाना चाहता था जून, 1992 में आप लोगों ने तय किया कि हम प्रायवेट केपिटल इनवाईट करेंगे लेकिन अध्यक्ष महोदय  30 माह में भी उस केपिटल पावर प्लांट का निर्णय नहीं कर पाये। प्रायवेट पूंजी आप जो लगाना चाहते हैं, आप लोग निर्णय नहीं ले पाये और हमने डेढ़ माह में निर्णय ले लिया, आदेश दे दिया। अब क्या करते थे यह पटवा जी जानें और गौर साहब जानें।

    श्री बाबूलाल गौर  : हमें क्या पता पटवा जी क्या करते थे (हंसी)

    श्री दिग्विजय सिंह: अध्यक्ष महोदय, बड़े दया के पात्र हैं गौर साहब उन 30 दिनों में 1 मिनी हाईडेल प्रोजेक्ट का ही मामला लें हमारे पास मिनी हाईडल प्रोजेक्ट के 21 सर्वेंट थे, उन सबको हमने एडवर्टाइज कर दिया है। उनमें प्राईवेट केपिटल एडवाईज कर रहे हैं। हमने निर्णय लिया है कि जहां पर सिंचाई का एक्सेस फार्मेशन है और जिनके पास काम नहीं हैं। हमारे पास जो एश्योर्ड एम्पलायमेन्ट प्रोगाम है इंटैसिव यूनिट है, रूरल डेव्हलपमेन्ट में जे.आर.वाय. है और जो हमारे माईनर माइक्रो साइट अनसर्वे हैं, उनके सर्वेक्षण के लिए हम वहां फार्मेशन का उपयोग करेंगे ताकि उनको भी काम मिलें। जिससे ज्यादा से ज्यादा प्राईवेट केपिटल माईक्रो और माईनर हाइडल प्रोजेक्ट में लगाई जाएंगी।

    अध्यक्ष महोदय, सिंचाई विभाग का जहां तक प्रश्न है, इसमें इतनी योजनाएं चालू की जा चुकी हैं कि सब को पूरा करना मुश्किल है। आपने कल बैठक ली, बाणसागर पर तो पैसा यदि मिल जाय, ता बाणसागर परियोजना को तत्काल पूरा कर सकते हैं। यू.पी. और बिहार से पूरा पैसा नहीं मिलता है इसके लिए हम प्रधानमंत्री जी से निवेदन करने वाले हैं कि यदि वे ठीक समझें तो नेशनल प्रोजेक्ट मानकर ग्रान्ट या साफ्ट लोन देंगे, तो हम तत्काल इसको पूरा कर सकते हैं। हमारा पावर स्टेशन बनकर तैयार है, केरियर कनेल नहीं बनी, डेम नहीं बना पा रहा है। बाणसागर में डूब में आने वाली जमीन का मुआवजा कैसा बंटा है, इसमें कल कुछ चौंकाने वाली बातें मेरे सामने आई हैं। अलाहाबाद टाईल्स और स्केवेयर फीट में किस गरीब को मुआवजा मिला, किस को नहीं मिला इसके लिए मैं स्वयं मौके पर जाऊंगा और देखूंगा कि किसकों मुआवजा मिला किसको नहीं मिला।

    श्री बाबूलाल गौर : इसकी भी एक कमेटी बना दीजिए।

    श्री दिग्विजय सिंह: इसके लिए भी जगतपति जी की कमेटी बना सकते हैं। जितनी भी सिंचाई योजनाएं हैं, वह जल्दी से जल्दी पूरी हो सकें, इसके लिए पैसा हमें मिल सके इनको पेरेटाईज करने का हमने निर्णय लिया है। नर्मदा घाटी परियोजना के मामले में मैं आभारी हूं इस प्रदेश के सभी राजनीतिक दलों के साथियों का कि उन्होंने शासन को जो समर्थन दिया है। इस बात की आवश्यकता है कि सरदार सरोवर की जो ऊंचाई है, उसके बारे में पुनिर्विचार की आज आवश्यकता है। ट्रिब्यूनल एवार्ड में कितना पानी किस राज्य को मिले, उसके बंटवारे का अधिकार उनको था। स्वयं ट्रिब्यूनल ने एवार्ड में लिखा है कि जो 436 फी की ऊंचाई पर गुजरात को जितना पानी मिलना है, वह पर्याप्त मात्रा में मिल सकता है। इसलिए 436 फीट से ज्यादा ऊपर जाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि जलसिंधी और हिरणफाल विद्युत परियोजना जिनके कारण मध्यप्रदेश को विद्युत का घाटा होगा, इसलिए हाईट बढ़ा दी। मैं निवेदन करूंगा राष्ट्र के लोगों से विशेषकर गुजरात के भाईयों से कि इसमें पुनर्विचार की आवश्यकता है। हम आपको आपका पानी और सूखे इलाके में पर्याप्त मात्रा में पानी दे सकते हैं। आज 436 फीट की ऊंचाई की जवाबदारी आपकी भी है। अध्यक्ष महोदय, इसमें 30 हजार किसान आदिवासी जो बेमतलब आज डूब में जा रहे हैं, उनको बचाया जा सकता है और 25 हजार एकड़ कीमती जमीन भी बचाई जा सकती है, इसके लिए प्रदेश के लोगों को इकट्ठा होना पड़ेगा, हम याचना करेंगे और हम लोग प्रधानमंत्री जी से स्वयं जाकर मिलेंगे। हम लोग, सांसद, कांग्रेस के सांसद और भारतीय जनता पार्टी के सांसद सभी इसके बारे में निवेदन करेंगे। हम भी चले और हमारे साथ पटवा जी एवं विपक्ष के नेता भी चलें, इसमें हम कोशिश करते हैं। आज भी मौका है और 436 फीट पर अगर पूरा पानी मिल सकता है, तो इसमें पुनर्विचार किया जायं। गुजरात के लोगों सो हाथ जोड़कर हम निवेदन करते हैं कि इससे 30 हजार लोगों की और 25 हजार एकड़ जमीन बचाई जा सकती है। महेश्वर के बारे में पहले ही एम.ओ.यू. कर दिया गया था, हम लोग उसका पूरा करने के लिए तैयार हैं। हम किसी क्षीण भावना से प्रेरित नहीं है। हमें कोई एतराज नहीं है। पावर टेरिफ एग्रीमेन्ट के बारे में एनवायरमेन्ट का क्लीयरेन्स दिलवा दिया है, इसके लिए हम कमलनाथ जी के आभारी हैं। मेरा यह अनुरोध है कि जितनी राशि हमको चाहिए, उतनी राशि तो हम इन तीनों परियोजनाओं में नहीं लगा पा रहे हैं। एक साल में 8 से 10 परसेंट जो एस्कलेशन होता है। ये तीनों परियोजनाएं लगभग 6,400 करोड़ की हैं और एक साल में एस्कलेशन लगभग 600 करोड़ सामान्य तौर पर है। इस एस्कलेशन में हम इन परियोजनाओं को कैसे तय कर पाएंगे, पूरी कर पाएंगे, यह चर्चा का विषय है। इस गंभीर विषय पर हमें सोचना पड़ेगा। इस बारे में मैं प्रधानमंत्री से अनुरोध करूंगा कि जैसे इन्दिरा सागर परियोजना के बारे में नेशनल प्रोजेक्ट जिस तरह का राजस्थान केनाल के लिए लिया, उसी प्रकार से मध्यप्रदेश भी एक गरीब प्रान्त हैं, यहां भी नेशनल प्रोजेक्ट के रूप में लेंगे, तो हम आपके आभारी होंगे। नही तो हम फिर महेश्वर, ओंकारेश्वर, इन्दिरा सागर, इन तीनों परियोजनाओं के लिए प्रायवेट केपीटल इन्वाइट करके, पॉवर प्रोजेक्ट के रूप में डेव्हलप करके केनाल डेव्हलप करेंगे। मैं आश्वस्त करना चाहता हूं, इस सदन को और पटवा जी को कि जितने भी हमारे लोग हैं, जिनके परिवार और गांव डूब रहें हैं, उनका पुनर्वास किया जाएगा। (मेजों की थपथपाहट)

    श्री सुन्दरलाल पटवा : अध्यक्ष महादेय, मैं मुख्यमंत्री जी को स्मरण दिलाना चाहता हूं कि एक बात आपके भाषण में नहीं आई जो कि कमेटी की चर्चा में आई थी कि मालवा प्लेंटों का जलस्तर जितना गिरा है, उसको लिफ्ट करके इस सारे मालवा को नर्मदा से लिफ्ट करके, उस पर कुछ गतिविधि चालू करें। उसके बारे में आप कुछ कर रहे हैं ?

    श्री दिग्विजय सिंह: अध्यक्ष महोदय, अभी जहां साधनों की कमी चल रही है, एक और परियोजना प्रारंभ करना कहां तक उचित है। हम इस पर भी चर्चा करेंगे, पटवा जी से भी चर्चा करेंगे।

    श्री ओंकार प्रसाद तिवारी  : बरगी के बारे में बताएं।

    श्री दिग्विजय सिंह: मैं बरगी पर भी आ रहा हूं।

    श्री ओंकार प्रसाद तिवारी  : रीवा, सीधी, सतना तक इसे जाना है। इस पर गंभीरता से विचार करें ?

    श्री दिग्विजय सिंह: बिलकुल करेंगे।

    श्री बच्चन नायक :  ये तो दफ्तर उज्जैन से मंदसौर ले गए।

    श्री दिग्विजय सिंह: ये भूल जाते हैं। लगता है कि सबकी स्मरण शक्ति क्षीण हो गई है।

    श्री ओंकार प्रसाद तिवारी  : हमारी सरकार ने सब जगह ईमानदारी के साथ सिंचाई का काम किया था और जो लघु सिंचाई योजनाएं सन् 1980 से पड़ी हुई थीं, लगभग 850 को हमने पूरा किया।

    श्री दिग्विजय सिंह: मछली के ठेके का क्या हुआ ?

    श्री ओंकार प्रसाद तिवारी  : दिलवा दीजिए। मिला किसको ? आपकी पार्टी के लोगों ने लिया है।

    श्री दिग्विजय सिंह: अध्यक्ष महोदय, तेन्दूपत्ता नीति जो हमारी 1989 में थी, वही नीति का पालन हम करेंगे। आयोग का गठन हो गया है, आदरणीय निर्भय सिंह पटेल एक सीधे-सीधे, सज्जन व्यक्ति हैं, उनकी ईमानदारी पर कोई शक-शुबह नहीं है। अगर ऐसी कोई बात है, तो आयोग के सामने आप पेश हो जाएं, जो भी बयान देना है, दे दें। (हंसी)

    श्री निर्भय सिंह पटेल : वह तो आपने एपांइट कर दिया है, जो होगा, उसकी आप चिन्ता मत करिये।

    श्री दिग्विजय सिंह: दुःख तो इस बात का है कि करे कोई, भरे कोई। अध्यक्ष महोदय, मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि इसमें शासन को कहां नुकसान हुआ, कैसा नुकसान हुआ, किनके द्वारा नुकसान हुआ, एक-एक बिन्दु की जांच की जाएगी। बीड़ी श्रमिकों के बारे में निवेदन करना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश के 30 लाख परिवार ऐसे हैं, जो बीड़ी बनाते हैं लेकिन दुःख इस बात का है कि उनका सर्वेक्षण नही हुआ। उन्हें आईडेंटिटी कार्ड नहीं मिल पाया, केवल 10 प्रतिशत लोगों को ही यह मिल पाया है, जिसकी वजह से हमारे प्रान्त के बीड़ी मजदूरों के लिए जो योजनाएं केन्द्र सरकार ने चालू की है, वे इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। स्कालरशिप, हाऊसिंग, स्वास्थ्य आदि अनेक योजनाओं का लाख उनको नहीं पहुंच पा रहा हैं हमने निर्णय लिया है कि एक मार्च से लेकर 31 मार्च 1995 तक एक अभियान के तौर पर उन्हे हम परिचय पत्र बटवाएंगे (मेजों की थपथपाहट) मेरी कोशिश यह होगी, हमारी सरकार की कोशिश यह होगी कि जो भी परिवार या जो भी व्यक्ति बीड़ी बनाता है, उसको परिचय-पत्र हम दें। उसमें मैं यह बताना चाहता हूं कि, हमारे लोगों के दिमाग में एक भ्रम था कि उस परिचय-पत्र के ऊपर, जब तक बीड़ी कारखाने का मालिक उसका प्रमाणीकरण नहीं करेगा, तब तक उसके परिचय-पत्र नहीं दिया जा सकता। लेकिन ऐसा नहीं है। परिचय-पत्र देने का अधिकार श्रम विभाग का है, चाहे उसका प्रमाणीकरण कोई बीड़ी मालिक करे या न करें, उसको परिचय-पत्र देने की जवाबदारी शासन की है, शासन उस जवाबदारी को निभाएगा।....(व्यवधान). 

    श्री गोपाल भार्गव : अध्यक्ष महोदय, निवेदन है कि प्रदेश में इस साल से बीड़ी मजदूरी की .....(व्यवधान).....

    अध्यक्ष महोदय  : अरे बैठिए। यह तरीका ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री जी नहीं बैठे हैं, आप बैठिए ना। वे बैठ नहीं रहे हैं, आप तो बैठिए। .....(व्यवधान).....

    श्री दिग्विजय सिंह: भार्गव जी बैठ जाइये, अपन बैठकर बात कर लेंगे।

    श्री गोपाल भार्गव : मेरा महत्वपूर्ण सुझाव है।

    श्री दिग्विजय सिंह: तो आप बाद में दे देना। माननीय अध्यक्ष महोदय, बीड़ी श्रमिकों की जो दर थी, वो कई वर्षो से नहीं बढ़ पाई वो बेचारे 14 रूपए हजार से बीड़ी बना रहे थे। हमने उसे साढ़े बाईस रूपए प्रति हजार किया है।

    श्री गोपाल भार्गव : वो तो हमारी सरकार ने किया हैं। पटवा जी बैठे हुए है, इन्होंने 20 फरवरी 1992 को ........

    श्री दिग्विजय सिंह: अरे उसमें स्टे करवा लिया था आपने महाराज।

    अध्यक्ष महोदय  : ये बीच-बीच में ठीक नहीं हैं।

    श्री सुन्दरलाल पटवा : अध्यक्ष महादेय, मुख्यमंत्री जी भाषण कर रहे हैं, काफी जिम्मेदारी से भाषण कर रहे हैं, मैं उन्हें रोकना-टोकना नहीं चाहता। परन्तु बात सोच समझ कर और पूरी जानकारी लेकर के करे .....(व्यवधान).....

    अध्यक्ष महोदय  : पटवा जी, कृपया हमारी बात सुनें। पटवा जी, क्या बीच-बीच में खड़े होकर अगर इस तरह से प्रश्नावलियां आएंगी, और हस्तक्षेप होगा, तो क्या यह उचित होगा ? और अगर उस हस्तक्षेप को स्वीकार करके माननीय मुख्यमंत्री जी यदि उत्तर देना चाहते हैं, तो बैठ जाएंगे। लेकिन यदि वे नहीं बैठते हैं, तो फिर आप सब लोगों को बैठ जाना चाहिए।

    श्री दिग्विजय सिंह: माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं पटवा जी की बात से वहां तक सहमत हूं कि उन्होंने पहले नोटिफिकेशन निकाला साढ़े सत्रह रूपए का, नोटिफिकेशन निकल गया उसके बाद जब समझौता हुआ तो कर दिया बीस रूपए उसके खिलाफ बीड़ी मालिक चले गए हाईकोर्ट में, वहां से स्टे ले आए। जब नोटिफिकेशन ही आपने कम का लिया, तो बारह पर समझौता कैसे कर लिया ? आज कारण वही था अध्यक्ष महोदय, इसके पीछे जो पेंच रहा, वो पेंच समझने की बात है।.....(व्यवधान).....

    श्री गोपाल भार्गव  : 634 करोड़ रूपया अभी भी .....(व्यवधान).....

    श्री सुन्दरलाल पटवा : मुख्यमंत्री जी के मुंह से इस तरह की हल्कीफुल्की बात निरर्थक और निराधार बात। बीस रूपया इस सरकार ने इस सदन में घोषित किया .......

    श्री दिग्विजय सिंह: हां किया था, मैं कह रहा हूं।

    श्री सुन्दरलाल पटवा : और जितने बीड़ी मालिक.....(व्यवधान)..... उधर बैठे हैं ये सब .....

    श्री दिग्विजय सिंह: हां किया था, मैं कह रहा हूं लेकिन प्रक्रिया गलत थी। आपकी प्रक्रिया गलत थी महाराज, इसलिए उनको मौका मिल गया। हमारी प्रक्रिया गलत नहीं रही। हमने नोटिफिकेशन निकाला साढ़े बाईस का और साढ़े बाईस उसको एक्सेप्ट करवाएं हैं और उसके साथ-साथ कंज्यूमर प्राईस इनडेक्स के साथ अब उसकी दर जोड़ दी गई है। माननीय अध्यक्ष महोदय, ये कभी उसके लिए तैयार नहीं हो सकते। लेकिन हम आभारी हैं इस बात के।..

    श्री रामलखन शर्मा : माननीय मुख्यमंत्री जी, 364 करोड़ के बीच का जो सुप्रीम कोर्ट का था, उसका क्या किया आपने ? उसका पेंच किसके पास हैं ?

    श्री दिग्विजय सिंह: अध्यक्ष महोदय, शर्मा जी से इस बारे में बैठकर बात करेंगे। मैं निवेदन कर रहा था कि आज इस बात की आवश्यकता है कि मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा इंफ्रट मार्टिलीटी रेट है। न्यूट्रीशन मूल न्यूट्रीशन की सबसे ज्यादा, आज कुपोषण के हमें यहां उदाहरण देखने को मिलते हैं, यदि हमारा बालक, हमारी महिलाएं, हमारे नौजवान को न्यूट्रीशन नहीं मिलेगा, तो आगे कैसा मध्यप्रदेश हम बनाना चाहते हैं ? हम लोगों ने हमारी सरकार ने यह निर्णय लिया है कि चाईल्ड वीमेन वेलफेयर के ऊपर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यूनिसेफ की मदद से इसमें विशेष तौर पर हम योजना बना रहे हैं ओर कार्ययोजना हमने इन्टेन्सिव आय.सी.डी.एस. की चालू करने का निर्णय ले लिया है और मैं स्वयं इसका मूल्यांकन हर महीने करूंगा। यदि हमारे बालक, महिलायें और नौजवान कुपोषण के शिकार रहेंगे, तो हमारा सम्पूर्ण मध्यप्र्रदेश स्वस्थ नहीं हो सकेगा। इस आई.सी.डी.एस. की 131 स्कीमें आ रही हैं। पोषक तत्व पचास पैसा प्रति व्यक्ति से बढ़ा कर एक रूपया कर दिया गया है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के अत्यन्त सुधार किये जाने की जरूरत है। आप उन होस्टल्स में जा कर देखेंगे तो वहां भंयकर अव्यवस्था है। हम प्रधानमंत्री जी के इस बात के लिये आभारी है कि उन्होंने साढ़े पांच करोड़ रूपये पिछले वर्ष इस कार्य के लिये दिये थे। अब हमने यह तय किया है कि इस कार्य के लिये जितना भी पैसा हमारे पास आता है, उसका टेन परसेंट पूल कर रहे हैं और जहां पर भी सुधार के लिये खर्च किये जाने की आवश्यकता महसूस होगी, वहां हम अवश्य ही खर्च करेंगे। इन अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के होस्टल्स मे सुधार करने के लिये 29 करोड़ रूपयों की हमने योजना भी बना ली है। इस कार्यान्वित करते हुए हम उन होस्टल्स को इस तरह से सुधार देंगे कि दो से लेकर ती महीनों के अन्दर ही जब जुलाई के माह में इस जाति के विद्यार्थी लौटकर होस्टल में आयेंगे, तो एक नये वातावरण और नये माहौल में पढ़ सकेंगे। इसी तरह से जो जाति प्रमाण-पत्र हर साल बनाना पड़ता है, इस संबंध में भी हमने निर्णय ले लिया है। यदि जाति प्रमाण-पत्र, आय प्रमाण-पत्र एक बार बना लिया, तो हमेशा कि लिये स्कालरशिप्स मिलेगी तथा शिक्षकों की भी जो कमी है, इसकी पूर्ति करने के लिये शिक्षा कर्मी योजना हम लागू कर देना चाहते हैं ताकि गांव के लोगों को मौका मिल सके कि वे लोग किसको गांव मं अप्वाइंट करना चाहते हैं। पांच सालों तक जो शिक्षक गांव वालों के द्वारा चुना गया वह लगातार पांच सालों तक ईमानदारी से कार्य करेगा, तभी उसको शासकीय सेवा में लेंगे। यह निर्णय हमने लिया है। महाविद्यालयों की शिक्षा में भी गुणात्मक सुधार की आवश्यकता है। इसके लिये एक युनिवर्सिटी को चुना जायेगा और यह भी किया जायेगा कि कालेज खोलने की बजाय प्रोफेशनल क्लास, आई.टी.आई. इन्जीनियरिंग कालेज, पोलीटैक्निल कालेज खोले जायें। हमने इस बात का निर्णय लिया है कि कालेज खोले जाने की मांग के आने पर हम यह कहेंगे कि आई.टी.आई खुलवाये या इसी तरह की कोई प्रोफैशनल क्लास खुलवायें। नई-नई स्कीमें लायेंगे, ताकि लोगो को रोजगार के लिये नये-नये अवसर प्राप्त हो सकें। इस प्रदेश का ज्यूलाजिकर सर्वे माइनिंग का विशेष तौर पर किया जायेगा। मध्यप्रदेश का डिटेल्ड सर्वे माइनिंग का नहीं हुआ है। हम लोग इस पर विशेष रूप से ध्यान देंगे। सतना के नवनिर्वाचित विधायक का भी इसमें हम सहयोग लेंगे। उन्हें काफी अनुभव प्राप्त है क्योंकि सतना में उन्होंने पूरी लीजेज ली हैं।

    श्री बाबूलाल गौर  : व्यक्तिगत आरोप न लगायें।

    श्री दिग्विजय सिंह: उन्हें माईनिंग का काफी अनुभव है, इसलिये मैं तारीफ कर रहा हूं।

    श्री बाबूलाल गौर  : यह आरोप लगा रहे हैं आप।

    श्री दिग्विजय सिंह: पाठक जी को माइनिंग का काफी अनुभव है, उसका हम लोग भरपूर उपयोग करेंगे।

    श्री बाबूलाल गौर  : शब्द जो इन्होंने कहे हैं, यह तारीफ न करते हुए, आरोप हैं, इसलिये वे वापिस लिये जायें। क्या यही तरीका है आपका तारीफ करने का ? यदि है तो गलत है ?

    श्री दिग्विजय सिंह: मैं तो तारीफ कर रहा था, तो अब आगे निवेदन है कि निराश्रित पेन्शन की योजनाओं में काफी विलम्ब हो जाता है। पहले इसके अधिकार कलेक्टर महोदय को प्राप्त थे परन्तु अब हमने यह अधिकार जनपद पंचायतों को सौंप दिया है।

    श्री विक्रम वर्मा (धार) : बीच में मुख्यमंत्री जी ठीक बोले थे, कि पांच-सात सालों के लिये दिल्ली चले गये थे और इस प्रदेश में पिछले समय में कई आदेश प्रसारित हो गये हैं, इनको उनकी जानकारी ही नहीं है। उनकी जानकारी के अभाव में यह कह रहे हैं कि हम यह कर रहे हैं, वह कर रहे हैं। मेरा यह सुझाव है कि वह पन्द्रह दिन तक सभी पांच दस सालों के सर्कुलर पढ़ कर देख लें, तो उनकी जानकारियों ठीक हो जायेंगी कि क्या-क्या हो गया है ?........

    श्री दिग्विजय सिंह: माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं बिल्कुल सहमत हूं। कुछ समय बाहर गुजरा था, उसकी समीक्षा करने के लिए सबसे पहला काम मैंने यही शुरू किया है कि एक-एक विभाग की समीक्षा पूरे मंत्रिमण्डल ने की है।

    श्री बाबूलाल गौर  : वह तो देख ही रहे हैं कि आपके मंत्री किस तरह से विधान सभा में उत्तर देते हैं।

    श्री दिग्विजय सिंह: पूरी समीक्षा की गई है। समीक्षा के बाद आपसे निवेदन कर रहा हूं। अब नई खेल नीति के बारे में ये तय किया गया है कि जो पूंजी हमारे पास है, वह पूंजी अगर पूरे मध्यप्रदेश में बांटते चले जांएगे, तो उससे खेल में गुणात्मक सुधार नहीं कर पाएंगे। आज 34 स्टेडियम मध्यप्रदेश में बन रहे हैं, लेकिन 34 में से एक भी पूरा नहीं कर पाए हैं। इसलिए तय किया है कि हम अब सारा पैसा सबसे पहले टी.टी.नगर में जो स्टेडियम बन रहा हैं, उसमें लगायेंगे। गौर साहब मैं आपको बधाई दे रहा हूं..........

    श्री बाबूलाल गौर  : पटवा जी को दीजिए।

    श्री दिग्विजय सिंह: टी.टी नगर में एक माडर्न स्टेडियम बनायेंगे, जिसमें इंटरनेशनल स्टेण्डर्ड की व्यवस्था की जाएगी। इसके साथ-साथ मध्यप्रदेश के स्कूलों के लड़कों के लिए कैलेण्डर बनाया जाएगा। ब्लाक, जिला और प्रान्त स्तर के कार्यक्रम एक निश्चित तारीख में हर साल किए जाएंगे। यही होता नहीं था।

    श्री विक्रम वर्मा : माननीय अध्यक्ष महोदय, ये सबसे बड़ी मुश्किल है ये फिर से वहीं हरकत करते हैं, मानत नहीं है। जैसा पटवा जी ने कहा है कि ये बचपन से जिद्दी हैं, ये बात सामने आती है। माननीय अध्यक्ष महोदय, हायर एज्यूकेशन का कैलेण्डर नया वर्ष शुरू होने से 6 महीने पहले बना जाता था कि इस कालेज में कौन सा मीट होगा, किस तारीख को होगा। उसके लिये अलाटमेंट उस क्षेत्र के प्रिन्सिपल को 8 महीने पहले चला जाता था। मेरा कहना है कि ये एक बार फिर से पढ़ लेते।

    श्री दिग्विजय सिंह: अब वहीं खाट और कोल्हू वाली बात आ जाती है। मैं बात कर रहा हूं स्कूल की, ये कर रहे हैं कॉलेज की ........

    श्री बाबूलाल गौर  : खाट और कोल्हू ये क्या है..... (हंसी)
इस भाषण को माननीय सदस्य ने नहीं सुधारा।

    श्री दिग्विजय सिंह: माननीय अध्यक्ष महोदय, मैंने क्या कहा है .....(व्यवधान) अध्यक्ष महोदय, मैंने कुछ कहा ही नहीं हैं।

    जल संसाधन मंत्री (श्री राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल) : आप जानबूझकर इस बात को ला रहे हैं, जो नहीं कहा है उसको। ये आपकी मुहब्बत दिख रही है। 

    श्री दिग्विजय सिंह: अध्यक्ष महोदय, ये पता नहीं मुझ से क्या कहलवाना चाहते हैं। मैं कह रहा था स्कूल की बात, आप करने लगे कॉलेज की बात। मैं कह रहा था कि हमने लक्ष्य तय किया है कि 21 वीं सदी में पहला एशियन गेम होगा। इसमें मध्यप्रदेश खिलाड़ी को गोल्ड मैडल, सिल्वर मैडल मिले, इसके लिए हमारा प्रयास होगा। यह हमारा लक्ष्य है। इसके लिए हम इस वर्ष से तैयारी शुरू करना चाहते हैं। इसलिए ऐशबाग स्टेडियम गौर साहब ने जिसे मन चाहा उसे अलाट कर दिया था। आज हमने उसको खाली करवाया है। इसके लिए हाकी का प्रमुख केन्द्र बनाया है। वहां पर हॉस्टल फैसेलिटी रखेंगे ताकि भोपाल की पुरानी संस्कृति हाकी की रही है, उसको हम फिर से जागृत कर उसे गौरवान्वित स्थान पर पहुंचा सकें।

    श्री बाबूलाल गौर  : मैंने किसी को अलाट किया हैं.......

    श्री दिग्विजय सिंह: आपके राज में........

    श्री बाबूलाल गौर  : राज में कहो तो अलग बात है। मेरे पास तो विभाग ही नहीं था। आप कुछ भी कह देते हैं मेरे नाम से। जो अंतर्राष्ट्रीय जूडो एसोसिएशन है, उसको दिया है। आपने जबरन खाली करवा लिया है।

    श्री दिग्विजय सिंह: हाकी स्टेडियम है, उसमें जूडो खिलबा रहे हैं। इसको मैं स्वीकार करता हूं कि उसको खाली करवाया है। जानबूझ कर खाली करवाया है। क्योंकि हमको वहां हाकी का का शुरू करवाना है। कोशिश यह है कि पहला अंतराष्ट्रीय मैच ऐशबाग पर खेला जाय।

    श्री विक्रम वर्मा : इसके लिए मुख्यमंत्री जी धन्यवाद दे कि पिछली हमारी जनता पार्टी की सरकार में ऐशबाग स्टेडियम बना था स्टोटर्फ और पोलीग्रास हमारे जमाने में लगी थी, इसके लिए आप धन्यवाद दे हमको आप हाकी के उत्थान की बात करते हैं। असलम शेर से पूछ लें। उनका कहना है कि जब तक यहां एक व्यक्ति का राज है, तब तक भोपाल में हाकी नहीं सुधर सकती।

    श्री दिग्विजय सिंह: अध्यक्ष महोदय, बड़ी दिक्कत है। अब आप मुझसे कुछ मत कहलवाइये।

    श्रीमती जयश्री बैनर्जी : मुख्यमंत्री जी ऐशबाग स्टेडियर 77 में बना था और तब जनता पार्टी का शासन था। अब आप जबलपुर में कब बनवायेंगे ? आप भोपाल से बाहर चलेंगे कि नहीं ?

    श्री तनवंतसिंह कीर : अब आपका बेडमिन्टन खेलने का टाईम चला गया।

    श्री बाबूलाल गौर  : अध्यक्ष महोदय, ये इस तरह से कैसे कह सकते है, वह बड़ी आपत्तिजनक बात है। सरदार जी ने अभी श्रीमती बेनर्जी की तरफ यह इशारा करके कहा है कि आपके बेडमिन्टन खेलने का जमाना चला गया।

    श्री तनवंतसिंह कीर : मैंने उनको नहीं कहा, तिवारी जी को कहा हैं।

    श्री ओंकार प्रसाद तिवारी : अध्यक्ष महोदय, जब श्यामाचरण जी शुक्ल मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने जबलपुर के रानीताल में 100 एकड़ जमीन पर स्टेडियम के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया था, उसके बारे में आपने कुछ नहीं कहा है।
(व्यवधान)

    अध्यक्ष महोदय  : अगर इसी तरह से आप प्रश्न करेंगे, तो मुश्किल हो जायेगी। अब काफी समय हो गया है, मुख्यमंत्री जी आप और कितना समय लेंगे ?

    श्री दिग्विजय सिंह: अध्यक्ष महोदय, बस 15 मिनट और।

    श्रीमती जयश्री बेनर्जी : अध्यक्ष महोदय, इनकी तरफ से तो महिलाएं बोलती ही नहीं है और जब हम बोलते हैं, तो इस तरह से महिलाओं को इशारा किया जाता है, तो यह बहुत ही आपत्तिजनक हैं। आप ऐसे हाथ मत हिलाएं। आप इशारा मत करें।

    अध्यक्ष महोदय  : माननीय सदस्य, आप लोग क्या करते हैं, यह तो हम लोग देख लेते हैं लेकिन सबसे बड़ी मुश्किल तो हमारी यह है कि उस इशारे को लिखा कैसे जाय। चाहे वो पटवा जी का हो, आपका हो या मुख्यमंत्री जी का हो। यह कैसे लिखा जायेगा। बड़ी मुश्किल है कृपया इशारे बाजी बंद करें।

    श्री दिग्विजय सिंह: अध्यक्ष महोदय, 1977 में जया जी और हम साथ-साथ थे, वे मंत्री थी और मैं विधायक था, देवर भाभी का रिश्ता है।
    माननीय अध्यक्ष महोदय, इन्सपेक्टर राज प्रणाली समाप्त करने या कम करने का हमने वादा किया था। आज भी व्यापारी को लायसेन्स लेना पड़ता है। अनेक लायसेन्स लेने पड़ते हैं, वेट्स एण्ड मेजरमेन्ट का अलग लो, शापकीपर्स लायसेन्स अलग लो, सूत का अलग लो, सेनेटरी का अलग लो और पता नही बृज मोहन जी बतायेंगे कितने-कितने लायसेन्स लगते हैं। हम चाहते हैं कि इस पर कुछ न कुछ तरीका निकाला जाय। एक लायसेन्स हो और उसका सरली करण किया, जाय, इस पर चर्चा कर रहे हैं और शीघ्र इसके बारे में निर्णय हम लोग आपके सामने बतायेंगे। माननीय अध्यक्ष महोदय  मैंने आपसे निवेदन किया है कि कर ढांचे में हम लोग परिवर्तन कर रहे हैं और सर्च और सीजर पावर्स इन्सपेक्टर से लेकर कमिश्नर तक कैसे विथ-ड्रा कर सकते हैं, फलाईन्ग स्कवाड, बेरीयर कैसे समाप्त किया जा सकता है, इस पर हम लोग गहन विचार कर रहे हैं, ताकि ईमानदारी व्यापारी को काम करने का पूरा मौका मिल सके। हम लोगों ने माननीय अध्यक्ष महोदय, निवेदन किया है, उद्योग की नीति हम लोग जल्दी से जल्दी तैयार कर रहे हैं। नये परिप्रेक्ष्य में यहां लिब्रलाईजेशन हुआ है केन्द्र सरकार की औद्योगिक नीति के अनुकूल हमारी नीति होनी चाहिए और इसमें हमारा यह प्रयास होगा कि आज इस प्रदेश की एग्रो बेस्डइण्डस्ट्रीज पर विशेष तौर पर ध्यान दिया जाना चाहिए। यह भी हमारा प्रयास होगा कि कैसे इनको प्रोत्साहन किया जाय। हमारी यह कोशिश है कि इस प्रदेश में सूत मिल और शक्कर कारखाने सहकारिता क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा लगें। उनके केचमेन्ट एरिया में ज्यादा से ज्यादा वाटर कंजरवेशन हो, पानी की व्यवस्था हो, इस पर हम लोग शीघ्र निर्णय लेने वाले हैं और इण्डस्ट्रीयल पालिसी आपके सामने आयेगी। एक नया प्रयोग भी हमने शुरू किया है। हर महीने के पहले सोमवार को मैं स्वयं हमारे प्रदेश के उद्योगपतियों के साथ खुली चर्चा करता हूं, सारे अधिकारी हमारे साथ बैठते हैं, ताकि उनकी समस्याओं का निराकरण हो सके।
    अध्यक्ष महोदय, प्रदेश में एक ही काम को कई विभाग-निगम कर रहे थे। उनके बारे में में हम कोशिश कर रहे हैं कि किस तरह से उनका संविलियन किया जा सके। जो प्रयास आपका चलता रहा, लेकिन निर्णय नहीं ले पाए, जिस पीड़ा से आप गुजर चुके हैं, निर्णय नहीं ले पाते, अनिर्णय की स्थिति में रहते हैं, कम से कम हम लोग निर्णय लेने की स्थिति में हैं और निर्णय करके हम आपके सामने हाजिर होंगे।
    अध्यक्ष महोदय, आप भी मंत्री रहे हैं और प्रायः ये देखा गया है, कि दरख्वास्तों का अम्बार लग जाता है, जब भी हम लोग दौरे पर जाते हैं। इतनी समस्याएं हैं, उनसे कैसे निपटा जाए। इस बारे में हमने तय किया है और एक पब्लिक ग्री-वान्सेस डिपार्टमेन्ट बनाया है। उसके अन्तर्गत जो भी आवेदन आएंगे, जो भी भेजेंगे या भोपाल में आवेदन देना है, तो शाम को 5 से 7 बजे के बीच में बल्लभ-भवन के सामने आकर के दे सकते हैं, मैं स्वयं या मेरे कोई मंत्री वहां उन आवेदनों को लेते हैं। उन सारे आवेदनों का हम कम्प्यूटराइजेशन करते हैं और उसके माध्यम से उन आवेदनों को रजिस्टर्ड किया जाता है। बहुत सारे आवेदन तो नौकरी के होते हैं, अब हम सब लोगों को तो नौकरी नहीं दे सकते। तो नौकरी के ओवदन हम लोग अलग छांट रहे हैं लेकिन उसमें किसी की जमीन का झगड़ा है, किसी पर अत्याचार, उत्पीड़न का मामला है, किसी के कुछ विवाद की बात है, इन सारी बातों को हम रजिस्टर्ड करेंगे, कम्प्यूटर में फीड करेंगे और जो हमारा कम्प्यूटरीकरण के माध्यम से जिलों से सम्पर्क है, उसके माध्यम से जिला कलेक्टरों को सूचना भेजेंगे। उसमें हमने यह भी तय किया है कि मंत्रिगण जब दौरे पर जाते हैं, उनको जितने आवेदन मिलते हैं, उन सारे आवेदनों को पब्लिक ग्रीवान्वेस डिमार्टमेंट (जन शिकायत निवारण विभाग) को भेज दें ताकि कम से कम उनका मानीटरिंग तो हो सके और मैं स्वयं उस विभाग को देखूंगा ताकि जनसमस्याओं का निराकरण हो सकें।

    श्री बाबूलाल गौर  : इस विभाग से कुछ नहीं होना है।

    श्री दिग्विजय सिंह: कम से कम अब तो ताली बजा दीजिए, या पटवाजी से बजवा लीजिए।

    अध्यक्ष महोदय  : हमने श्रमजीवी पत्रकारों के संबंध में राज्यपाल के अभिभाषण में उल्लेख किया है और उनका हर प्रकार से ख्याल रखा जाएगा।

    श्री विक्रम वर्मा : आपके मंत्री लोग दौरे पर जाएंगे, तो उसकी सूचना संबंधित क्षेत्र के विधायक को देंगे या नहीं ?

    श्री दिग्विजय सिंह: मैं उसी पर आ रहा हूं। यह वाकई में आपत्तिजनक है, मैं उससे सहमत हूं। हम सब का यह दायित्व है कि जब भी हम दौरे पर जाएं तो वहां के स्थानीय सांसद और विधायकों को सूचना देना चाहिए। उसमें जो त्रुटि हुई है, उसके लिए मैं खेद प्रकट करता हूं।
(मेजों की थपथपाहट)

    श्री गोपीकृष्ण नेमा : सूचना तो देंगे लेकिन बी.जे.पी. के विधायकों से भेंट करेंगे या नही ?

    श्री दिग्विजय सिंह: कम से कम नेमाजी तो यह नहीं कह सकते। इन्दौर के सारे विधायकों के साथ मैंने बैठक ली है। पटवाजी ने कभी आपके साथ बैठक नहीं ली होगी। 

    श्री गोपीकृष्ण नेमा : उस बैठक का नतीजा क्या हुआ ?

    श्री दिग्विजय सिंह: नतीजा हुआ, हाउसिंग बोर्ड के मकान खाली करवा दिए। (हंसी)

    श्री बाबूलाल गौर : माननीय पटवा जी ने कोई बैठक नहीं ली क्या मुख्यमंत्री जी इस तरह से हल्के ढंग से बोल सकते हैं। इतना असत्य कथन करना ठीक नहीं है। आपने शपथ ली है।

    श्री दिग्विजय सिंह: यह तो मुझे आपके विधायकों ने ही बताया है। 

    श्री भंवरसिंह शेखावत  :  माननीय मुख्यमंत्री जी ने इन्दौर आकर के बैठक ली, इसके लिये धन्यवाद लेकिन इन्दौर के प्रभारी मंत्री माननीय सुभाष यादव जी जितली बार भी इन्दौर आए, एक बार भी विधायकों को नहीं बुलाया।

    अध्यक्ष महोदय  : उस पर बात हो गई, बैठिये।

    श्री दिग्विजय सिंह: माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं अनुरोध कर रहा हूं कि भ्रष्टाचार की बात माननीय पटवा जी ने कहा। आज जिलों में यह आवश्यक है कि हम जिला लोकायुक्त का गठन करे। इसके बारे में लोकायुक्त महोदय से हमारी चर्चा चल रही है, हम जिला स्तर पर लोकायुक्त कार्यालय का गठन करना चाहते हैं और उसमें निष्पक्ष लोगों को रखने के लिए लोकायुक्त महोदय उसमें निर्णय करेंगे। शासन का उसमें कुछ उल्लेख नहीं होगा। हम लोग जल्दी से जल्दी विधानसभा में एक्ट में परिवर्तन करने के लिए पेश होंगे।

    माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं निवेदन करना चाहता हूं कि इस प्रदेश में जब पटवा जी की सरकार थी, तो छोटा सा इन्होंने गौहत्या प्रतिबन्ध एक्ट में संशोधन किया अैर उसके ऊपर पूरे प्रदेश में वाहवाही लूटने की कोशिश की। वाह, बहुत बड़ा गौ माता का प्रेमी एक मुख्यमंत्री उभर कर सामने आया है, लेकिन गौ हत्या पर प्रतिबन्ध कांग्रेस पार्टी की सरकार ने 1959 में लागू किया था, तब से गौ-हत्या पर रोक थी। आपने उसमें केवल थोड़ा सा परिभाषा में अन्तर किया था लेकिन उसके बाद क्या किया। आज पूरे प्रांत में गायों की समस्या है इस प्रदेश में गौ, सदन प्रदेश शासन संचालित कर रहा है, और लगभग 24 प्रायवेट लोग गौ सदन संचालित करते हैं, जो इसके लिए अपर्याप्त हैं। हमारा शासन एक योजना बना रहा है कि जो बूढ़े पशु हैं, उनकी देखभाल के लिए गौ सदनों के अन्दर देखभाल की जाए और जो मौजूदा गौ सदन हैं, उनको ज्यादा से ज्यादा राशि दी जाए ताकि उनकी देखभाल की जा सके।

    श्री बाबूलाल गौर : माननीय अध्यक्ष महोदय, भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने तो.....

    अध्यक्ष महोदय  : क्या हर वाक्य पर स्पष्टीकरण होगा ? देखिये, अब समय ज्यादा नहीं है। कृपया बैठें।

    श्री बाबूलाल गौर : हमारी सरकार ने पूरे गौवंश की हत्या पर प्रतिबन्ध लगाया था। पहले पूरे गौवंश की हत्या पर प्रतिबन्ध नहीं था। यही तो आफत है कि आपको जानकारी नहीं मिल पाती है। (व्यवधान)

    श्री दिग्विजय सिंह: अध्यक्ष महोदय, मैं अनुरोध करना चाहता हूं कि इनका नजरिया क्या रहा उसका एक उदाहरण देना चाहता हूं। गुना जिले में एक गौशाला है, जिस पर येनकेन प्रकारेण कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया उसमें गायें तो रहती नहीं है लेकिन उसमें एक सरस्वती शिशु मंदिर चल रहा है (शेम-शेम की आवाज) स्वदेश प्रेस का उद्घाटन करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री पटवाजी पहुंचे थे। वहां के गौ प्रेमी लोगों ने इनका विरोध किया कि आप यह क्या कर रहे हैं? गौ शाला में स्वदेश की प्रेस चालू करवा रहे हैं (शेम-शेम की आवाज) आज भी वहां गौ नहीं रहती हैं, वहां सरस्वती शिशु मन्दिर चल रहा हैं।

    श्री सुन्दरलाल पटवा : मुख्यमंत्री जी, सारा असत्य भाषण करने का लायसेंस मुख्यमंत्री पद पर बैठकर आपने ले लिया है। एक व्यक्ति ने भी विरोध नहीं किया।

    श्री दिग्विजय सिंह: देवेन्द्रसिंह रघुवंशी वहां के भूतपूर्व विधायक ने विरोध किया और आपने खुद उनकों मनाया और मनाकर उनके घर में लडू खाने गए (हंसी)

    श्री सुन्दरलाल पटवा : देवेन्द्रसिंह रघुवंशी से मैं मिला, मुख्यमंत्री जी, उनके निमंत्रण पर उनके घर गया। मुख्यमंत्री होते हुए विपक्ष के कार्यकर्ता के साथ जो सलूक मैने किया है, उससे आपको सबक लेना चाहिए।

    श्री दिग्विजय सिंह: आदरणीय पटवा जी, भोजन के लिए बुलाया मैं गया कि नहीं गया ?

    श्री सुन्दरलाल पटवा : मैंने तो आपको बुलाया। यह शालीनता मेरी थी कि मैं सत्कार कंरू। आगे मैं कुछ कहना नहीं चाहता। इशारा तो समझदारों के लिये होता है।
समय 6.00 बजे

    अध्यक्ष महोदय  : फिर वहीं इशारा.......(व्यवधान).....

    श्री सुन्दरलाल पटवा : अध्यक्ष महोदय, मैंने हाथ से कुछ नहीं बताया।

    श्री रामलखन शर्मा : इन दोनों के इशारों के बीच प्रदेश की अर्थ-व्यवस्था चौपट हो रही है।

    श्री दिग्विजय सिंह: गौशाला और गौ-सदन का उपयोग स्वदेश प्रेस और निजी उपयोग के लिये किया जा रहा है, उन सबको खाली करवाया जायेगा और फिर से वहां गायों को रखा जायेगा। उनकी व्यवस्था की जायेगी। ताली जाईये।
    इसी प्रकार इस प्रदेश् मे कुष्ठ रोगियों के लिये विशेष योजना चलानी पडे़गी क्योंकि हमारे प्रदेश में काफी कुष्ठ रोगी है। हम इसमें हमारे भाई तरूण चटर्जी का सहयोग लेंगे क्योंकि इस क्षेत्र में उनके अच्छे आश्रम बने हैं। हम ऐसे ही आश्रम और बनाना चाहते हैं। मैं यह भी जानकारी देना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश राज्य परिवहन निगमम ने दिनांक 1-4-1994 से केन्द्रीय वेतनमान देने का निर्णय लिया है। (मेजों की थपथपाहट)... मेरे मंत्रिमण्डल के सभी साथियों के असेट्स और संपत्ति विवरण का ब्यौरा मुझे इस सदन में इसी सत्र में रखना है। मैं आपके माध्यम से कुछ समय चाहता था, सोमवार तक इसको रख दूंगा और मेरी ये कोशिश होगी कि ये संपत्ति विवरण वार्षिक तौर पर आपके सामने रखे जायें ताकि पता पड़े कि कुछ बढ़ोत्तरी तो नहीं की है। पटवाजी ने अपने मंत्रिमण्डल का संपत्ति विवरण रख तो दिया था लेकिन उसके बाद क्या हुआ, उसकी जांच की आज आवश्यकता है। 

    श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, मैं चुनौती देता हूं मुख्यमंत्री जी को कि वे सदन की एक समिति बनायें या कोई जगतपति और महापति ढूंढ ले या पार्टी में कोई अति-पति मिलता हो तो उसे ले आयें और न्यायिक जांच भी चाहें तो करवा लें, हमें आपत्ति नहीं है। मैं यह भी कहना चाहता हूं कि इस सदन में इनके समधी जी ने उस समय अपनी संपत्ति का ब्यौरा दिया था और तब से लेकर अब तक जितने मंत्रिमण्डल हुए हैं, उन सबके लिये संपत्ति की जांच हेतु आयोग बैठाना चाहिये। मालूम तो पड़े कि 40 साल में क्या हुआ।

    श्री दिग्विजय सिंह: मेरे मंत्रिमण्डल का हर सदस्य प्रत्येक बजट सत्र में संपत्ति विवरण प्रस्तुत करेगा।

    श्री बाबूलाल गौर : पूरे देश में पहली बार हमने अपने मंत्रिमण्डल के सदस्यों की संपत्ति विवरण यहां रखे हैं, आपने वहां रखें ? उसके बाद और 5 साल तक भी रखते, यदि रहेत तो। आप चाहें तो किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से जांच करवा लें।
......(व्यवधान)........

    श्री तनवंतसिंह कीर : जब आप कंगाल थे, तब तो रख दिया लेकिन ढ़ाई साल वाला भी तो बताईये।

    श्री दिग्विजय सिंह: अध्यक्ष महोदय, एक बार फिर से मैं सभी माननीय सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने इस चर्चा में भाग लिया। माननीय सदस्य जालमसिंह जी पटेल ने धन्यवाद का जो प्रस्ताव रखा हैं, मैं निवेदन करता हूं कि उसे यहां सर्वसम्मति से पारित करें। हमारे इस दो-सवा दो महीने के कार्यकाल में जितना कार्य हुआ है, उसके देखते हुए, इसे पारित करें।

    श्री बाबूलाल गौर : झूठ बोले कोवा काटे।

    श्री दिग्विजय सिंह: आपके पास कोई नहीं है ऐसा। मैं आपके माध्यम से अनुरोध करता हूं ईश्वर से, हे ईश्वर, हे भगवान श्रीराम, सभी सदस्यों को सद्बुद्धि दे। .......(जय श्रीराम की आवाजें)......