Digvijaya Singh
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22 फ़रवरी 1994 गुजरात के मुख्यमंत्री श्री चिमनभाई पटेल के निधन पर संवेदना

22 फ़रवरी 1994 गुजरात के मुख्यमंत्री श्री चिमनभाई पटेल के निधन पर संवेदना

(56) दिनांक 22.02.1994
गुजरात के मुख्यमंत्री श्री चिमनभाई पटेल के निधन पर संवेदना।


    सत्रह अक्टूबर, 1929 को जन्मे श्री दौलतराम वर्मा ने समाज कल्याण एवं सहकारिता के क्षेत्र से अपना सार्वजनिक जीवन प्रारंभ किया। सन् 1962 से 1971 तक किसान राइस मिल के अध्यक्ष रहने के उपरांत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर आप सर्वप्रथम 1972 तदनंतर 1985 में पुनः विधान सभा सदस्य निर्वाचित हुए।   श्री वर्मा के निधन से प्रदेश ने एक वयोवृद्ध समाजसेवबी खो दिया है।

    मुख्यमंत्री (श्री दिग्विजय सिंह)  : माननीय अध्यक्ष महोदय, गुजरात के आदरणीय मुख्यमंत्री माननीय श्री चिमनभाई पटेल अपने आप में अत्यधिक कर्मठ और सजग राजनैतिक नेता थे। वे आजादी के बाद आये हुए गुजरात के नेताओं में अग्रणी थे और उन्होंने अपने कार्यकाल में गुजरात की राजनीति में अपना विशिष्ट स्थान बनाया है। वे न केवल एक शिक्षाविद थे, बल्कि एक बड़ी संगठन शक्ति की प्रतिभा रखने वाले एक ऐसे राजनैतिक नेता थे जिन्होंने किसानों के हित में गुजरात की मान-मर्यादा को रखते हुए हर स्तर पर संघर्ष किया।  आज वे हमारे बीच में नहीं है। उनके दुखद देहांत के कारण राष्ट्र की राजनीति में जो कमी आई है, उसको हम सभी महसूस करते हैं। यही कारण है कि आज गुजरात की राजनीति में एक शून्यता स्थापित हुई है। मैं इस अवसर पर सदन की ओर से शोक-संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदनाए प्रकट करता हूं और उनके लिए श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।                                        

   आदरणीय सवाईमल जैन, जबलपुर के ऐसे नेता थे जिन्होंने आजादी की लड़ाई में भाग लिया। जेल गए और उसके बाद समाज सेवा में जुटे रहे, मध्यप्रदेश विधान सभा के उपाध्यक्ष भी रहे, जबलपुर के महापौर भी रहे और उनका व्यिंतव इस प्रकार का था कि वे न किसी प्रकार से किसी से उनका विवाद था न कोई झगड़ा था। सदैव जबलपुर के हितों के लिए लड़ते रहे और आज वे हमारे बीच में नहीं हैं, हम उनके प्रति भी अपनी संवेदना प्रकट करते हैं।
    श्री रायचन्द भाई शाह आजादी के आंदोलन में छिदवाड़ा से कार्य करते रहे, जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे, सांसद भी रहे, विधायक भी रहे और समाज सेवा में उन्होंने हमेशा अग्रणी रोल अदा किया, मैं सदन की ओर से उनके प्रति भी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।
    श्री ओमप्रकाश रावत एक विचारक थे और सन् 77 में जब वे पहली बार विधान सभा के सदस्य चुन कर आये और वे उस मंत्रिमण्डल में शिक्षा मंत्री थे। उनकी सोच, उनकी विचारधारा लोहिया जी से प्रभावित रही और जमीनी, मैदानी कार्यकर्ता थे, कई संगठनों से जुडे रहे, गरीबों और दलितों के लिए हमेशा संघर्ष करते रहे, आज वे हमारे बीच में नहीं है, मध्यप्रदेश ने एक समाजसेवी विचारक खोया है और उनके नहीं होने से जी क्षति हुई है, वह अपूरणीय हैं।
    आदरणीय अध्यक्ष महोदय, पण्डित ज्वालाप्रसाद मिश्र आजादी की लड़ाई में अग्रणी भाग लेते रहे और अनुसूचित जाति के सुधार के आंदोलन में उन्होंने सक्रिय भाग लिया। रामकृष्ण मिशन के साथ लम्बे समय तक जुड़े रहे और हमेशा देश के विभिन्न समाजसेवी संगठनों के साथ जुड़ते हुए कार्य करते रहे।
    श्री निरंजन केशरवानी, बिलासपुर जिले के तत्कालीन जनसंघ के एक कर्मठ नेता रहे। वे बड़े मैदानी कार्यकर्ता रहे, हालांकि हम लोगों की विचारधारा से मेल नहीं खाते थे लेकिन उनका जो एक जमीनी सम्पर्क था और एक व्यवहार कुशलता थी, वह अपने आप में उस मुंगेली तहसील, बिलासपुर जिले के लिए एक ऐसा उदाहरण थी जिनका सभी से सम्बन्ध था, उनकी अपनी एक अलग विचारधारा रही, उनका संबंध हर राजनैतिक पार्टी के साथ था।
    श्री दौलतराम जी वर्मा एक किसान नेता रहे और कांग्रेस पार्टी के दो बार विधानसभा सदस्य बने। आज वे हमारे बीच में नहीं है, उनके जाने से रायपुर जिले के किसानों ने कभी महसूस की हैं, हम उनके प्रति भी संवेदना व्यक्त करते हैं, मैं अनुरोध करता हूं कि चूंकि श्री चिमनभाई पटेल एक मुख्यमंत्री के रूप में उनका देहांत हुआ है इसलिए आपसे निवेदन है कि उनके सम्मान में आज की विधान सभा की कार्यवाही स्थगित कर दी जाए।

    श्री विक्रम वर्मा (नेता प्रतिपक्ष) (धार)  :- माननीय अध्यक्ष महोदय, आपने गुजरात के मुख्य मंत्री तथा पूर्व विधायकों के निधन पर जो भावनाएं श्रद्धांजति के रूप में व्यक्त की हैं तथा सदन के नेता ने तो भावना व्यक्त की हैं, मैं उससे अपनी सहमति प्रकट करते हुए यह निवेदन करना चाहूंगा कि आज एक के बाद एक ऐसे प्रसंग विधानसभा सत्र के दौरान आते