Digvijaya Singh
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12 अप्रैल 1984 ध्यानाकर्षण चर्चा-बाणसागर योजना के अंतर्गत डूब में आये ग्रामों के किसानों को मुआवजा न दिया जाना

12 अप्रैल 1984  ध्यानाकर्षण चर्चा-बाणसागर योजना के अंतर्गत डूब में आये ग्रामों के किसानों  को मुआवजा न दिया जाना

दिनांक 12.04.1984

ध्यानाकर्षण चर्चा-बाणसागर योजना के अंतर्गत डूब में आये ग्रामों के किसानों को मुआवजा न दिया जाना।

                  श्री मधुकर हर्णे (होशंगाबाद) : (श्री लोचनलाल ठाकरे, श्री मोहर सिंह)

समय : 2.51

                उपाध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-

                वृहत् सिंचाई योजना बाणसागर का कार्य अब इस स्थिति में है कि इस बरसात में अनेक गांव डूब में आ जाने से शासन द्वारा डूब क्षेत्र के मुआवजे देने की राशि इस वर्ष भी बहुत कम रखी गई है। जिससे लोगों को सम्पूर्ण सम्पत्ति का मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। बाणसागर मुआवजा संघर्ष् समिति को शासन द्वारा बार-बार यह कहा गया था कि जितने रूपये की जमीन मकान लोगों की ली जायेगी वे नये स्थानों में जहां जमीन खरीदेंगे उन्हें खरीदने की रजिस्ट्री शुल्क से मुक्त रखने के लिए सरकार विचार कर रही है किन्तु अभी तक शासन का निर्णय न होने से लोगों के मुआवजा का बड़ा भाग रजिस्ट्री शुल्क के रूप में जा रहा है। मकानों का मुआवजा वितरण अभी तक शुरू नहीं हुआ। शासन द्वारा मकानों के मलवे को ले जाने की छूट देने से मकान का मुआवजा बहुत कम कर दिया गया है। अधिकतम अच्छे मकानों  का मुआवजा  60/- प्रति वर्ग फुट रखा गया है जबकि हाउसिंग बोर्ड के मकान के रेट 135/- प्रति वर्ग फुट है। सरकार की इस लापरवाही से डूब क्षेत्र के 226 गांवों के लाखों लोगों में भय व आतंक व्याप्त है।

                वृहद् एवं मध्यम सिंचाई मंत्री (श्री दिग्विजय सिंह) : अध्यक्ष महोदय बाणसागर परियोजना का कार्य वर्तमान स्थिति में इस प्रकार से नियोजित किया गया है कि नदी का प्राकृतिक जल निकास क्षेत्र ;ूंजमतूंलद्ध अप्रभावित रहे। बांध निर्माण की वर्तमान स्थिति में जल निकास क्षेत्र में कोई कमी नहीं की गई है। इस स्तर पर केवल 6 ग्राम प्रभावित होंगे। डूब क्षेत्र में 311.00 मीटर तक के 20 ग्रामों की भूमि, भवन, कुए एवं वृक्ष आदि के प्रतिकर भुगतान का लक्ष्य जून 1984 तक निर्धारित किया गया है। मार्च 1984 तक मुआवजे के रूप में 4.64 करोड़ रू. की धनराशि वितरित की जा चुकी है। वित्तीय वर्ष 1983-84 में 1.95 करोड़ रू. की राशि भू-अर्जन अधिकारियों को प्रतिकर के भुगतान के लिये उपलब्ध कराई गयी थी, जो पर्याप्त थी।

                वर्ष 1984-85 के वजट में 20 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। इस राशि में से 7.55 करोड़ की राशि भू-अर्जन के लिए तथा 10.14 करोड़ रू. की राशि बांध निर्माण कार्य पर व्यय करना प्रस्तावित है। स्पष्ट है कि कुल उपलब्ध राशि में से भू-अर्जन के लिए पर्याप्त धनराशि सुरक्षित रखी गई है। 6 ग्रामों के 651 मकान, 141 कुओं के प्रतिकर भुगतान हेतु 75 लाख रूपये के प्रकरण भू-अर्जन अधिकारियों को कार्यपालन यंत्री के माध्यम से भेजे जा चुके हैं। इस कार्य के लिए एक संभाग तथा 3 उप-संभाग कार्य कर रहे। भू-अर्जन अधिकारियों द्वारा संपत्ति प्रतिकर का वितरण शीघ्रातिशीघ्र किया जा रहा है।

                जहां तक विस्थापितों को रजिस्ट्री शुल्क से मुक्त रखने का प्रश्न है, इस संबंध में बांध स्थल देवलोद में दिनांक 1-4-83 को राजस्व मंत्री जी की अध्यक्षता में हुई बैठक में माननीय राजस्व मंत्री जी से निवेदन किया गया एवं उन्होंने उक्त बैठक में विस्थापित परिवारों की नवीन सम्पत्ति क्रय करने पर आवश्यक पंजीयन शुल्क की राशि में छूट देने का आश्वासन दिया है। इस पर राजस्व विभाग में आवश्यक कार्यवाही की जानी है।

                मकानों का मलबा ले जाने की छूट देने से मकानों का मुआवजा कम नहीं किया गया है और न ही उसके मापदण्ड के निर्धारण में कोई कटौती की गई हैं। स्वीकृत मापदण्डों के आधार पर ही मुआवजा की अधिकतम दर 60 रू. प्रति वर्ग फुट निर्धारित की गई है।

                स्पष्ट है कि शासन द्वारा विस्थापितों को मुआवजा भुगतान करने के सम्बन्ध में किसी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं बरती गई है तथा अब वहां पर किसी में प्रकार का भय एवं आंतक व्याप्त नहीं है।

                श्री मधुकर हर्णे : उपाध्यक्ष महोदय, यह जो रजिस्ट्री शुल्क का मामला है, मैंने अपने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव मैं यह बात कही थी कि सरकार द्वारा यह आश्वासन दिया गया था कि जिन लोगों के मकान और जमीन का अधिग्रहण शासन द्वारा इस बांध के लिये किया जायेगा, उनको रजिस्ट्री शुल्क से मुक्त किया जायेगा। अभी मंत्री महोदय ने जो वक्तव्य दिया है, उसमें उन्होंने यह स्वीकार किया है कि उन किसानों को जिनकी जमीन अधिग्रहीत की जा रही है उनको रजिस्ट्री शुल्क से छुट शासन द्वारा अभी तक नहीं दिलाई जा सकी है। मैं मंत्री जी से पूछना चाहता हूं कि यह मकानों का मुआवजा जो मिल रहा है और किसान जो दूसरी जगहों पर जमीनें खरीद रहे है, उनको रजिस्ट्री शुल्क में छुट कब तक प्रदाय कर दी जायेगी ?

                श्री दिग्विजय सिंह : उपाध्यक्ष महोदय, मैं पूर्व में ही निवेदन कर चुका हूं कि राज्य शासन इस बारे में विचार कर रहा है और शीघ्र ही इसमें निर्णय लेने की स्थिति में हम लोग होंगे।

                श्री मधुकर हर्णे : उपाध्यक्ष महोदय, 1-4-83 या 1-4-82 को निर्णय लिया गया है रजिस्ट्री शुल्क से मुक्ति देने का, दो वर्ष हो गये है तो किसान दूसरी जमीन कहां से खरीदेंगे ?

                श्री दिग्विजय सिंह : उपाध्यक्ष महोदय, 1-4-83 को निर्णय लिया गया है और आज 12-4-84 है, दो साल कहाँ से हो गये, अभी तो एक वर्ष ही हुआ है।

                श्री राधारमण भार्गव (सिरोंज) : एक वर्ष का पीरियड कम होता है क्या ?

                श्री मधुकर हर्णे : अध्यक्ष महोदय, एक वर्ष हो गया है, निर्णय के बाद भी रजिस्ट्री शुल्क में किसानों का पैसा खर्च हो रहा है, कब तक इससे मुक्ति मिलेगी ? राजस्व मंत्री भी बैठे है वे ही बता दें।

                श्री दिग्विजय सिंह : उपाध्यक्ष महोदय, पृथक आगम विभाग इसमें अन्तिम निर्णय लेगा, मैने पूर्व में कहा है कि इस बारे में कार्यवाही की जा रही है, उनको हमने प्रस्ताव दिया है।

                श्री राधारमण भार्गव : उपाध्यक्ष महोदय, पृथक आगम मंत्री जी बैठे हुए है, केबीनेट की ज्वाइंट रिस्पान्सिबिलिटी होती है।

समय : 3,00

                श्री बाबूलाल गौर (गोविन्दपुरा) : उपाध्यक्ष महोदय, मेरा पाइंट आफ आर्डर यह है कि सरकार जो ज्वायंट रेस्पोन्सिबिल्टी पर चलती है.......

                श्री दिग्विजय सिंह : माननीय उपाध्यक्ष महोदय, यह कहां इंकार किया जा रहा है कि हम ज्वाइंट रेस्पोन्सिबिल्टी से हट रहे है। यह ध्यानआकर्षण प्रस्ताव सिंचाई विभाग से संबंधित है और मैंने उत्तर दिया है। जहां तक पृथक आगम विभाग में यह विचाराधीन है तो मैं इसमें कहूंगा कि शीघ्र निर्णय लिया जाए।

                श्री राधारमण भार्गव : एक वर्ष हो गया इसमें.....

                श्री मधुकर हर्णे : इसमें एक वर्ष हो गया है और इसे अभी तक कार्यरूप में परिणित नहीं किया जा रहा है...

                श्री मोहर सिंह (विदिशा) : माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि समस्त प्रक्रिया होने के बाद इनको कब तक मुआवजा मिल जाएगा ?

                श्री दिग्विजय सिंह : माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपने कथन में निवेदन कर चुका हूं कि जैसे-जैसे प्रकरण बनते जा रहें हैं, उनका मुआवजे का पेमैंट होता जा रहा हैं। अभी तक 4 करोड़ 64 लाख का मुआवजा दिया जा चुका है।

                श्री मधुकर हर्णे : सवाल यह है कि मुआवजा मिल रहा है, 60/-रूपये प्रति वर्ग फुट अच्छे मकानों का दिया जा रहा है और उसके साा पहले यह कहा गया कि जैसा मकान चाहेंगे, वहां मकान बनाने की इजाजत होगी। दूसरा यह कि आपका रजिस्ट्रेशन शुल्क नहीं लगेगा और तीसरा इन्होंने कहा कि यह कर दिया कि अब आप अपना मलवा उठाकर ले जाइए। अब लोगों को अपना वह मलवा उठाकर दूसरी जगह ले जाने में न जाने कितना पैसा लग रहा है। इसलिए यह 60/-रूपये मुआवजा बहुत कम है, यह बढ़ाया जाए और उनको रजिस्ट्रेशन शुल्क से भी जल्दी से जल्दी मुक्ति मिले। इसके लिए मंत्री महोदय क्या कर रहे हैं?

                उपाध्यक्ष महोदय : माननीय मंत्री जी ने इस सम्बन्ध में शासन की ओर से उत्तर दे दिया है और इससे आप भी संतुष्ट होंगे। मामला विचाराधीन है, उस पर विचार कर रहे है।...... (व्यवधान).......

                श्री राजेन्द्र प्रसाद मिश्र (गुढ़) : उपाध्यक्ष महोदय, मैं आपके माध्यम से माननीय मंत्री जी से यह जानना चाहता हूं कि जिला सतना के तहसील अमरपाटन और जिला शहडोल के बांधवगढ़ और ब्यौहारी की जो जरीसडिक्शन है, आपस में लगे हुए है। क्या जमीन का मुआवजा जिला सतना के अमरपाटन में दूसरा है और बांधवगढ़ ब्यौहारी में दूसरे रेट पर है ? जबकि बांधवगढ़ और ब्योहारी में मकान का मुआवजा एक तरीके से दिया जा रहा है, लेकिन जमीन का मुआवजा दूसरे तरीके से दिया जा रहा है, तो मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या आप जिस तरीके से अमरपाटन में दे रहे हैं, उसी प्रकार से बांधवगढ़ और ब्योहारी में देंगे ?

                श्री दिग्विजय सिंह : माननीय उपाध्यक्ष महोदय, आपकी अभी तक निर्धारित प्रक्रिया यह रही है कि जिन सम्मानित सदस्यों ने अपने नाम इस  ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में दे दिये है, वही प्रश्न पूछते है। लेकिन माननीय सदस्य ने पूछा है, तो उनकी भावनाओं का आदर करते हुए निवेदन करूंगा कि मुआवजा जो निर्धारित किया गया हैं। आयुक्त रीवा की अध्यक्षता में जो समिति बनाई गई थी, उसने हर पहलू पर विचार कर यह निर्णय लिया हैं ओर विभिन्न किस्मों की जमीन के लिये अलग-अलग रेट्स तय किये है।

                श्री राजेन्द्र प्रसाद मिश्र : उपाध्यक्ष महोदय, आपको मैं धन्यवाद देता हूं कि आपने मेरे प्रश्न का उत्तर दिया। मैंने पूर्व में उनसे निवेदन कर लिया था, तभी प्रश्न पूछा था। मैं यह कहना चाहता हूं कि जब अमर-पाटन जिला सतना और बांधवगढ़ और ब्यौहारी जिला शहडोल मात्र एक नदी का फर्क है। नदी के उस पार बांधवगढ़ है और इस पार अमर-पाटन तो जमीन दूसरे तरीके की हो, ऐसा नहीं है। मैं इतना ही निवेदन करना चाहता हूं। मैं आपका ध्यान आकृष्ट करूंगा। जमीन वास्तव में एक तरीके की है। पेड़ और मकान का मुआवजा एक तरीके से दे रहे हैं। वहां के जमीदारों को ज्यादा मुआवजा दिया जा रहा है इस तरह का भेदभाव न हो, जमींदारों को दूसरा मुआवजा दिया जा रहा है और हम लोगों को दूसरा मुआवजा दिया जा रहा है। कृपा करके इस ओर ध्यान दें।

                उप मंत्री, सामान्य प्रशासन (केप्टन जयपालसिंह) : उपाध्यक्ष महोदय मेरा व्यवस्था का प्रश्न है। माननीय अध्यक्ष महोदय ने तीन बजे तक का समय ध्यानाकर्षण के लिये निर्धारित किया था। दूसरा व्यवस्था का प्रश्न यह है कि कपूरचनद धुवारा जी को अध्यक्ष महोदय ने आज सदन से निष्कासित किया था। क्या आपने उनको यहां बैठने की अनुमति दे दी हैं ?

                श्री राजेन्द्र मिश्र : उपाध्यक्ष महोदय, मंत्रीजी कुछ जवाब देना चाह रहे हैं। (व्यवधान)

                श्री वीरेन्द्र कुमार सखलेचा (जावद) : उस वारे में चर्चा सुन रहे थे दो कालिंग अटेन्शन लेंगे यह अध्यक्ष महोदय ने व्यवस्था दे दी थी। अब समय बढ़ाये या न बढ़ायें....(व्यवधान)

                उपाध्यक्ष महोदय : पहले इसकी व्यवस्था कर दी गई है और समय में भी वृद्धि कर दी गई है। श्री धुवारा जी आप कृपया बाहर चले जायं।

                श्री कपूरचन्द धुवारा (मलेहरा) : उपाध्यक्ष महोदय, अध्यक्ष महोदय का आज्ञा लेकर मैं सदन में आया हूं जब उन्होंने आज्ञा दी थी कृष्णपालसिंह जी उस समय मौजूद थे।

                उपाध्यक्ष महोदय : अभी ऐसा कोई आदेश नहीं आया है (व्यवधान)

                उपाध्यक्ष महोदय : धुवाराजी आप बाहर जायं पहले से जो आदेश हुए हैं उसका पालन करिये।

                श्री कपूरचन्द धुवारा : उपाध्यक्ष महोदय, मैं बाहर जा रहा हूं लेकिन जानकारी तो मुझे चाहिए । (व्यवधान)