Digvijaya Singh
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20 फरवरी 1995 रायसेन से स्कूली छात्रों का अपहरण

20 फरवरी 1995 रायसेन से स्कूली छात्रों का अपहरण

(136) दिनांक 20 फरवरी 1995


रायसेन से स्कूली छात्रों का अपहरण। 

    9. (क्र. 406)

   श्री बाबूलाल गौर : क्या मुख्यमंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि (क) क्या जिला मुख्यालय रायसेन से 29 दिसम्बर 1994 को दो सगे भाईयों (विद्यार्थीगण) को एक स्कूल से अपहरण किया गया था ? (ख) क्या उनमें से एक भाई सुशील कटियार आयु 10 वर्ष की लाश रायसेन मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर वनगंवा के पास कचनारिया नाला की झाड़ियों में दिनांक 13-01-95 का पाई गई ? तथा दूसरे भाई जिसका नाम सुधीर है अभी तक पता नहीं चला ? (ग) पुलिस रायसेन द्वारा अपहरणकर्ताओं के खिलाफ क्या कार्यवाही की गयी ?

    मुख्यमंत्री (श्री दिग्विजय सिंह) : (क) जी हां. किन्तु अपहरण स्कूल से नहीं किया गया। (ख) जी हां. दिनांक 12-01-95 को अब दूसरे बालक के बारे में भी पता लग गया है। (ग) पुलिस द्वारा अपहरणकर्ता गिरफ्तार कर लिये गये हैं।
समय : 11.00 बजे

    श्री बाबूलाल गौर : अध्यक्ष महोदय, मैं माननीय मुख्यमंत्रीजी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि यह बहुत हृदयविदारक घटना हुई हैं, मैंने प्रश्न ‘‘क’’ में पूछा है कि जिला मुख्यालय रायसेन से 29 दिसम्बर 1994 को दो सगे भाईयों का एक स्कूल  से अपहरण किया गया था ? उत्तर में बताया गया हैं कि जी हां, किन्तु अपहरण स्कूल से नहीं किया गया तो कहां से किया गया, इसके बताना चाहिए था। दूसरा, माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं यह जानना चाहता हूं कि दोनों भाइयों की लाशें किस-किस तारीख को प्राप्त हुई ? उनकी हत्या क्या एक ही दिन हुई ? पुलिस ने जो भोपाल से 40-45 किलोमीटर दूर नगर है, रायसेन, वहां पर तत्परता से क्या कार्यवाही की जिससे कि 2 बालकों की रक्षा हो सकती थी, उनके जीवन की, इस पूरे प्रश्न को गंभीरता से लें, माननीय मुख्यमंत्री जी।

    राज्यमंत्री, गृह (श्री सत्यदेव कटारे)  : आदरणीय अध्यक्ष महोदय, जो माननीय सदस्य पूछ रहे हैं, उनका अपहरण, अध्यक्ष महोदय, स्कूल से वे अपने, जो व्यक्ति उन्हें ले गये थे, वे उन बच्चों से पूर्व से परिचित थे और परिचय के आधार पर, उन बच्चों को नहीं मालूम था कि उनके साथ ऐसा हो सकता हैं, इसीलिए वे उनके साथ गये। अध्यक्ष महोदय, इसमें यह भी जानकारी मिली है कि जो यह व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपहरण किया था, वो गड़े हुए धन को तलाशने के लिए, किसी न किसी को इस तरह से ढूंढ़ते थे और बच्चों के नाखून पर निशान लगाकर देखते थे, उन्हें उसमें कुछ अलग तरह के संकेत दिखते थे तो उन बच्चों को वे इसमें लेते थे। इस प्रकार से वे उन बच्चों को ले गये थे,   पोस्ट मार्टम रिपोर्ट, जो हमारे विशेषज्ञों से जांच करवा रहे हैं, उसके बाद कह सकेंगे कि इनकी मृत्यु एक ही साथ हुई है या इसमें थोड़ा अंतर हैं, लेकिन जो एक बच्चे की डेड बॉडी थी, वह बहुत पहले मिल गयी थी और दूसरे की बाद में मिली थी।

    श्री बाबूलाल गौर : पुलिस द्वारा जिस प्रकार से लापरवाही बरती गई, इस सारे मामले में वहां के नागरिकों ने, वहां के विधायकजी गौरीशंकर शेजवार जी ने धरना दिया, प्रदर्शन किया और ज्ञापन दिया तो धरने देने वालों के खिलाफ और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्यवाही हो गई। कलेक्टर और पुलिस के द्वारा उन्हें पीटा गया। अब यह विधानसभा में प्रश्न आ गया है इसलिए आपकी विशेष कृपा चाहते है, जिन लोगों ने ज्ञापन दिया, उन्हें धमकाया गया, मारा गया, पीटा गया और कहा गया कि अपहरण नहीं हुआ। मैं यह जानना चाहता हूं, जो ज्ञापन देने वाले हैं, प्रकाश महाराज, कुन्जीलाल अहिरवार, तोरण बैरागी, मोहन शर्मा, नारायण गूजर आदि, इनको पुलिस द्वारा बेरहमी से पीटा गया कि क्यों ज्ञापन देने आये। ये प्रजातंत्र चल रहा है या तानाशही ? किस-किस तारीख को कहां-कहां पर किस-किस बालक की लाश मिली ? अपराधियों को देरी से गिरफ्तार करने का कारणा क्या था ? पुलिस की लापरवाही हुई है, इस आधार पर दोनों का त्यागपत्र देना चाहिए। ये सरकार चलाने लायक नहीं है, दो अबोध बालकों की हत्या हो गई है, कानून और व्यवस्था की ये स्थिति है आपके राज के अन्दर, अर्जुन सिंह और राव के झगड़े में पड़े हुए हैं और जनता को परेशानी हो रही है, आप कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं।

    श्री दिग्विजय सिंह : आज आदरणीय और साहब को हो क्या गया है, अध्यक्ष महोदय ?

    श्री बाबूलाल गौर : अध्यक्ष महोदय, दो महीने से इस तरह से सरकार चल रही है, मुख्यमंत्री जी, आप त्यागपत्र दें।

    श्री दिग्विजय सिंह : अध्यक्ष महोदय, ये प्रश्नकाल है...

    श्री चन्द्रप्रकाश वाजपेयी : ये प्रश्नकाल चल रहा है, या गौर साहब का भाषण चल रहा हैं ?

    श्री सत्यदेव कटारे : अध्यक्ष महोदय, पहले बच्चे सुशील की लाश 12-01-95 को कचनारिया नाले के पास मिली, दूसरे बच्चे सुधीर की लाश 06-02-95 को रवादिया नाले के पास मिली, माननीय अध्यक्ष महोदय, जो कह रहे थे, माननीय सदस्य पुलिस इन बच्चों को जीवित नहीं बचा सकी, लेकिन हम पुलिस को बधाई देना चाहते हैं....

    डॉ. गौरीशंकर शेजवार : अध्यक्ष महोदय, ये बहुत ही आपत्तिजनक है, कि ये पुलिस को बधाई देना चाहते है, ये अपने शब्द वापस लें....(व्यवधान)
( डॉ. गौरीशंकर शेजवार तथा श्री ओमप्रकाश खटीक गर्भगृह में गये)

    अध्यक्ष महोदय : आप अपने स्थान पर जाएं।

    श्री बाबूलाल गौर : बधाई किस बात की दे रहे हैं ?

    श्री विक्रम वर्मा : डॉ. साहब लौट कर आ जाएं।

    एक माननीय सदस्य : 2 बच्चे मर गए, उसमें मंत्री महोदय ये सफाई देते हैं .....(व्यवधान).. धिक्कार हैं।

    अध्यक्ष महोदय : डॉ. साहब, अपनी सीट पर जाएं।

    अध्यक्ष महोदय : डाक्टर साहब अपनी सीट पर जाईये (श्री गौरीशंकर शेजवार को संबोधित कर) ......(व्यवधान)

    श्री विक्रम वर्मा : माननीय अध्यक्षम महोदय, आप स्वयं देखें, प्रश्न स्पेसीफिक पूछा गया है, लेकिन उसके बारे में मंत्रीजी इस तरह का जवाब दे रहे हैं। मैं चाहूंगा कि इस प्रश्न को सस्पेन्ड करके इसके बार में हमारी तरफ से जो अलग से ध्यानाकर्षण और स्थगन दिया गया है तो उस स्थगन को लिया जाय।  मंत्रीजी ने पुलिस को बधाई देने की बात जो बोली है, वह उचित नहीं है, लाशें मिल गई और बधाई दे रहे हैं, वहां 15 दिन तक धरना दिया गया था.....(व्यवधान)

    श्री गोपाल भार्गव : लाशें मिलने के बाद पुलिस को बधाई दे रहे हैं.. ....... इस सरकार से कोई उम्मीद नहीं कर सकते.......(व्यवधान)

    श्री विक्रम वर्मा : इस प्रश्न को सस्पेन्ड करके अलग से जो ध्यानाकर्षण व स्थगन दिया गया है, उसको ले लें तो डिटेल बात आ जायेगी। ये तो पुलिस को उसके निमर्म कार्य की बधाई दे रहे हैं........(व्यवधान)

     डॉ. गौरीशंकर शेजवार : बच्चों की हत्या हो गई और लाशें मिलने के बाद बधाई दे रहे हैं ....(व्यवधान)

     श्री दिग्विजय सिंह : आप बैठ तो जाइयें।

    अध्यक्ष महोदय : कृपया अपनी सीट पर जायें, गौर जी बैठे, (डॉ. गौरीशंकर शेजवार एवं श्री ओमप्रकाश खटीक, सदस्य अपनी सीट पर गये)

    श्री बाबूलाल गौर : यह बहुत ही अपमानजनक बात है एक ही परिवार के दो बच्चे मर गए हैं उस पर बधाई दे रहे हैं।

    अध्यक्ष महोदय : बैइ जाइये, कृपया आप सुनिये तो, दूसरे की बात भी सुने।

    श्री बाबूलाल गौर : मैं बैठूंगा लेकिन यह डूब मरने की बात है......(व्यवधान)

    श्री गोपीकृष्ण नेमा : मंत्रीजी द्वारा पुलिस को दी गई बधाई कार्यवाही से निकाली जाये......(व्यवधान)

    श्री रघुनन्दन शर्मा : मेरा प्रश्न है कि बधाई किस बात की दे रहे हैं........(व्यवधान)

    अध्यक्ष महोदय : उत्तर तो सुन लीजिए .......(व्यवधान)

    श्री विक्रम वर्मा : किस चीज का उत्तर देंगे ? ये पुलिस को बधाई दे रहे हैं क्या ये उत्तर आयेगा ? मैं फिर आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि हमने इस बारे में अलग से स्थगन दिया है, आप चाहें तो उसे दो दिन बाद ले लें, सोमवार या मंगलवार को ले लें, क्योंकि उसमें हम सब लैटर पुट-अप करना चाहेंगे जो समय-समय पर पुलिस को लिखे गये। हम सारा विवरण यहां लाना चाहते हैं।

    अध्यक्ष महोदय : इसमें ध्यानाकर्षण आया है और शासन से जानकारी मांगी गई है। पहले ही आया है इसलिए इसको चलने दें।

    श्री सत्यदेव कटारे : अध्यक्ष महोदय, आपका संरक्षण चाहते हुए आपके माध्यम से माननीय सदस्यों से और खास तौर से नेता प्रतिपक्ष से प्रार्थना करना चाहता हूं कि यदि मैं कुछ कहना चाहता हूं तो पहले उसको पूरा सुन लें। कहने के बाद तो रिकार्ड में रहेगा ही। गलत होगा तो सदन सजा देगा और पूरा प्रदेश जानता है। पूरा कथन सुने बगैर  टूट पड़ना न तो परम्परा के अनुकूल है और न ही मैं समझता हूं कि यह उचित या बिल्कुल ठीक है, जिस भाषा शैली का इस्तेमाल प्रतिपक्ष के लोग करते हैं।.......(व्यवधान)

    श्री विक्रम वर्मा : आपने इनको जवाब देने के लिए बोला है ओर ये वक्तव्य दे रहे हैं। यह बिल्कुल गलत तरीका है, देना है तो प्रश्न का जवाब दें, ये क्या उत्तर दे रहे हैं .......(व्यवधान) एक तो गलती कर रहे हैं ऊपर से उपदेश दे रहे हैं.......(व्यवधान)

    श्री सत्यदेव कटारे : अध्यक्ष महोदय, यह माननीय सदस्य शालीनता खुद सीखें और अपने परिवार एवं पार्टी के लोगों को सिखाएं हमें शालीनता सिखाने की जरूरत नहीं हें।.......(व्यवधान)

    श्री बाबूलाल गौर : यह घोर आपत्तिजनक है.........(व्यवधान)

    श्री बाबूलाल गौर : अध्यक्ष महोदय, यह मंत्रीजी को किसी ने नहीं सिखाया कि बधाई किस पर देना चाहिए और किस पर नहीं देना चाहिए .......(व्यवधान)

    अध्यक्ष महोदय : आप सुन तो ले, कृपया।

    श्री सत्यदेव कटारे : अध्यक्ष महोदय, ये सुनेंगे नहीं।

    श्री रघुनंदन शर्मा : अध्यक्ष महोदय, पुलिस मंत्रीजी यह बता दें कि बधाई उन्होंने किस बात की दी ? (व्यवधान)

    श्री सत्यदेव कटारे : स्पसीफिक प्रश्न हम भी उधर से बहुत कर चुके हैं और आज यदि यहां पर आये हैं तो उधर से प्रश्न करके ही आये हैं...(व्यवधान)

    श्री विक्रम वर्मा : यह तरीका नहीं चलेगा, इनको माफी मांगनी चाहिए, यह भाषा का प्रयोग गतल है। (व्यवधान) अध्यक्ष महोदय, हम आपसे अनुमति चाहते हैं, मंत्री जी ने कहा कि इधर आइये तो क्या सब जने उधर चले जाएं। (व्यवधान) यह कोई तरीका नहीं चलेगा मंत्रीजी का ? अध्यक्ष महोदय, आप उनको तरीका सिखाएं....(व्यवधान)

    श्री दिग्विजय सिंह : आदरणीय अध्यक्ष महोदय, यह प्रकरण वाकई में संवेदनशील है। रायसेन के एक सभ्रान्त परिवार के दो बच्चों की हत्या हुई जो एक ब्लाइंड मर्डर था और इस कारण से वहां की जनता में रोष होना स्वाभाविक है लेकिन उसके पश्चात् पुलिस ने इस अन्धे कत्ल की छानबीन की, तफ्तीश की और जिन लोगों ने यह हत्या की थी, उन सारे लोगों को गिरफ्तार कर लिया।

अध्यक्ष महोदय, जहां तक उस परिवार के प्रति संवेदशीलता का प्रश्न है, शासन ने दोनों बच्चों की मृत्यु पर उस परिवार को 25-25 हजार रूपये भी दिए हैं और यह रूपये क्योंकि उसकी कीमत तो नहीं करनी चाहिए लेकिन जो सामान्य तौर पर बात रहती हैं उसके तहत दिए हैं, लेकिन मैं इस बात का आश्वासन देता हूं कि जिस प्रक्रिया से इस अन्धे कत्ल के अपराधियों को पुलिस ने पकड़ा, उस कार्य के लिए मंत्री जी ने यह बधाई की बात कही थी। कोई पुलिस ने मर्डर नहीं किया था पुलिस ने तो तफ्तीश करके और अच्छा इन्वेस्टीगेशन कर इस अन्धे कत्ल के अभियुक्तों को पकड़ा इसलिए उसकी बधाई मंत्री जी ने दी।

    श्री बाबूलाल गौर : पुलिस दोनो बच्चों को बचा नहीं सकी, 16 दिन तक कुछ किया नहीं और 16 दिन के बाद बच्चों की लाश आज मिली।

    श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, मैं मुख्यमंत्री जी के इस कथन से बिल्कुल असहमत हूं।

    श्री बाबूलाल गौर : अध्यक्ष महोदय, उन सारे अधिकारियों को निलंबित करना चाहिए जो बच्चों की जन की रक्षा नहीं कर सकें।

    श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, मैं मुख्यमंत्री जी के कथन से सहमत नहीं हूं और इसमें पुलिस को किसी प्रकार की बधाई देने की जरूरत नहीं हैं। यह शर्म की बात है कि इन बच्चों के पिता द्वारा पुलिस को दो-दो बार पत्र दिए गये लेकिन पुलिस द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी और बच्चों की लाशें मिली। इस मामले में पुलिस द्वारा बहुत गड़बड़ियां की गयी हैं और उसके बाद मुख्यमंत्री जी बचाव कर रहे हैं गृह राज्य मंत्री पुलिस की प्रशंसा कर रहे हैं, यह एक शर्मनाक काण्ड है जिससे सिद्ध होता हैं कि प्रशासन की पकड़ अब रही नहीं हैं।

    डॉ. गौरीशंकर शेजवार : अध्यक्ष महोदय, हमको मौका दीजिए।

    श्री सत्यदेव कटारे : अध्यक्ष महोदय, उनके सुनने के बाद हमको भी सुन लेंगे.. मैं इसमें एक निवेदन करना चाहता था कि मैंने पुलिस को बधाई इन दो बच्चों के लिए नहीं दी थी, अध्यक्ष महोदय, मैं खुद मौके पर गया था, इन लोगों ने एक तीसरा बच्चा जो विदिशा से अपहृत किया था, उसका भी मर्डर किया था तो पुलिस ने एक ऐसी गेंग को पकड़ा जो इस तरह से बच्चों को बहला-फुसलाकर ले जाकर गड़े हुए धन को प्राप्त करने के लिए उनकी बलि देता था। इसलिए मैंने पुलिस को बधाई देने की बात कही थी।

    डॉ. गौरीशंकर शेजवार : अध्यक्ष महोदय, सामाजिक परम्पराओं में शोक पहले व्यक्त किया जाता है और बधाई बाद में देते हैं, जब शोक की बात हो रही हो तो बधाई शब्द का उपयोग नहीं करना चाहिए।

    श्री सत्यदेव कटारे : मैं शोक पहल ही व्यक्त कर चुका हूं, आपने शायद उस समय माइक नहीं लगाया होगा। मैं उस परिवार से मिलकर आया हूं।

    डॉ. गौरीशंकर शेजवार : अब मैं अकारण आपसे बहस नहीं करना चाहता, अध्यक्ष महोदय, इसमें विसंगति यह है कि बराबर अपराधियों की तरफ से फिरौती के लिए चिट्ठियां मिलती रहीं, यदि पुलिस तत्पर दिखाती और तरीके से, योजना बनाकर बच्चों को छुड़ाने का प्रयास करती तो बच्चे मरे हुए नहीं जिन्दा मिलते, यह पुलिस की निष्क्रियता, अकर्मण्यता और लापरवाही हैं, (शेम-शेम की आवाजें), अध्यक्ष महोदय, मैं यह प्रश्न करना चाहता हूं कि पुलिस ने वे सब काम जो करना चाहिए थे, नहीं किए, पुलिस ने केवल यह कहा कि यह परिवार का आपसी झगड़ा है और हमने एक टीम को कानपुर भेजा हैं। जिसमें पुलिस को सक्रिय होना था, उसमें लापरवाही हुई है, दूसरी बात, 17 तारीख को फिरौतीं की चिट्ठी मिली थी ओर 19 तारीख को लाश मिल गई थी। पुलिस ने 19 तारीख से 6 तारीख तक इस लाश को गायब करवाया। परिवार के लोगों का यह कहना कि दूसरी लाश अच्छी हालत में थी, पुलिस ने जिस स्पाट पर लाश को गड़ा हुए दिखाया हैं, वहां परिवार के लोग पहले ही गये थे और उन्होंने देखा कि इस स्थान पर कोई लाश नहीं गड़ी हुई थी, पुलिस का कुत्ता भी वहां पर गया था, उस कुत्ते ने भी कहीं कुछ नहीं सूंघा...

    अध्यक्ष महोदय : डॉ. साहब आप प्रश्न करिये।

    डॉ. गौरीशंकर शेजवार : अध्यक्ष महोदय, मैं प्रश्न यह करना चाहता हूं कि मंत्रीजी ने तीसरे हत्याकाण्ड की बात भी की तो इन्होंने जांच क्यों नहीं बिठाई ? क्या कोई उच्च स्तरीय जांच कराने की घोषणा मुख्यमंत्री जी इस सदन में करेंगे और यह जो बधाई वाली बात है, यह निरर्थक है, बेकार है, पता नहीं किस मनोवृत्ति की प्रतीक है और इसमें क्या समझौता हैं ?

    श्री दिग्विजय सिंह : अध्यक्ष महोदय, सरकार ने स्वयं इस बात को कहा है कि यह एक संवेदनशील विषय है और उस परिवार के प्रति हम लोगों की भी सहानुभूति रही है। मैंने स्वयं ही गृह राज्य मंत्रीजी को रायसेन भेजा था, वे इस परिवार से मिलकर आए सक्रियता से वहां की पुलिस ने जांच-पड़ताल की और प्रथम-दृष्ट्या जो जानकारी मिली है, वह यह है कि दोनों बच्चों की हत्या एक ही दिन कर दी गई थी.. (शेम-शेम की आवाजें)... जो अभियुक्तगण हैं, उनको पकड़ लिया गया हैं, उनको हम, चालान शीट पुट-अप करके सख्त से सख्त दण्ड देने की कोशिश करेंगे।

    डॉ. गौरीशंकर शेजवार : पुलिस की लापरवाही से दोनों हत्याएं हुई है, पुलिस चाहती तो इन बच्चों को जिन्दा छुड़ा सकती थी, क्या आप उन अधिकारियों के खिलाफ जांच कराएंगे ?

    श्री बाबूलाल गौर : क्या न्यायिक जांच कराएंगे ?

    अध्यक्ष महोदय : गौर साहब बिना परमीशन के आप उठ जाते हैं...

    श्री दिग्विजय सिंह : वही तो मैं कह रहा हूं, आज गौर साहब कुछ घबराए हुए हैं, अध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य भी इस प्रदेश के गृह राज्य मंत्री रह चुके हैं और उन्होंने भी इस पद को संभाला हैं। उनके कार्यकाल में जो हुआ, मैं उसके बारे में कोई टिप्पणी नहीं करूंगा लेकिन प्रश्न इस बात का है कि पुलिस की ओर से कोई लापरवाही नहीं बरती गई....

    डॉ. गौरीशंकर शेजवार : अध्यक्ष महोदय, बच्चों को फिरौती की चिट्ठी मिलने के बाद भी नहीं बचाया जा सका, इससे बढ़ कर लापरवाही और क्या हो सकती है, यह घोर आपत्तिजनक हैं। (व्यवधान)

    श्री कैलाश चावला : अध्यक्ष महोदय, मैं मुख्यमंत्री जी का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं, सदन में मंत्री जी ने जानकारी दी हैं कि दोनों बच्चों का जो अपहरण किया गया था उसका उद्देश्य बताया गया हैं कि गड़े हुए धन को निकालने के लिए किया गया और विशेष कर गड़े हुए धन की जानकारी प्राप्त करनी थी यह बताया गया। दूसरी जानकारी इस सदन को जो दी गई हैं कि उनके पालकों को फिरौती की चिट्ठी प्राप्त हुई थी। इस प्रकार से हत्या के दो उद्देश्य बताये जा रहे हैं, इससे प्रमाणित होता है कि अभी तक पुलिस किसी निश्चित तथ्य पर नहीं पहुंची है और सदन को गुमराह करने के लिए गृह मंत्री जी ने यह बयान दिया है। क्या मुख्यमंत्री जी फिर से इस प्रकरण में उच्च अधिकारियों से जांच कराएंगें, ताकि हत्या के प्रकरणों को स्पष्ट रूप से सदन के सामने रखा जा सके। दो कान्ट्रॉडिक्टरी बयान सदन में गृह मंत्री जी ने दिये हैं कि पहला-हत्या का उद्देश्य गड़े हुए धन को प्राप्त करना बताया गया है। जबकि इसका कोई आधार उनके पास नहीं हैं। मैं चाहूंगा कि वे उस आधार को स्पष्ट करें जिससे कि सही बात सामने आये यह तथ्य बताये कि क्या वास्तव में फिरौती के लिए 3-4 चिट्ठियां पुलिस के पास पहुंची थीं ? क्या उनके पालकों के पास पहुंची कि नहीं। और अगर पहुंची थी तो हत्या का उद्देश्य क्यों नहीं बताया ?

    श्री सत्यदेव कटारे : अध्यक्ष महोदय, इसमें पृथक जांच की कोई आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है और इसमें पूरा इनवेस्टीगेशन हो गया है और जो मैंने सदन में कहा था कि अपराधी पकड़े गये हैं उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है और पूरे केस कोर्ट के समक्ष लाया जा रहा है इसलिए अब कोर्ट निर्णय करेंगा।

    श्री विक्रम वर्मा : अध्यक्ष महोदय, जांच की जो हम मांग कर रहे हैं वह इस घटना के बारे में नहीं है। वे गिरफ्तार हुए होंगे, चालान पेश हुआ होगा, वह अलग प्रकरण है लेकिन बार-बार पुलिस को 1-2 चार-चार चिट्ठियां मिलीं लेकिन पुलिस दल ने इतनी चिट्ठियां मिलने के बाद भी कार्यवाही करने में शीघ्रता नहीं कि, सजगता के साथ नहीं की, उसका परिणाम यह हुआ कि दोनों की लाश मिली, इसलिए पुलिस की जो ढिलाई हुई है उसकी जांच की मांग हम कर रहे हैं, इस बीच में पुलिस ने जो कार्यवाही करना थी वह उसने नहीं की और ढिलाई की क्या इसकी आप अलग से उच्च स्तरीय जांच करवाएंगे ? यह बहुत आवश्यक है, फिरौती की चिट्ठी मिलने के बाद लगभग काफी समय का अन्तराल हुआ, पुलिस चाहती तो अपराधियों को घेरा डालकर पकड़ा जा सकता था इसमें जो ढिलाई पुलिस की ओर से बरती गई हैं उसके लिए हम जांच की मांग कर रहे हैं, इसलिए मुख्यमंत्री जी आपको जांच करानी चाहिए, गर्दन हिलाकर आप अपनी जिम्मेदारी से बरी नहीं हो सकतें।

    श्री बाबूलाल गौर : अध्यक्ष महोदय, मध्यप्रदेश में पुलिस की यह हालत बनती जा रही है..(व्यवधान)...

    मुख्यमंत्री जी : अध्यक्ष महोदय, शासन ने पूरी गंभीरता के साथ इस विषय को लिया था, स्वयं गृह मंत्री जी को मैंने रायसेन भेजा था। माननीय अध्यक्ष महोदय, जिस दिन यह अपहरण हुआ उसके दूसरे दिन ही लाश मिल गई.... (व्यवधान)

    डॉ. गौरीशंकर शेजवार : दूसरे दिन नहीं मिली, 29 को अपहरण हुआ और 13 तारीख को लाश बरामद की गई 3 तारीख को यह चिट्ठी मिली ...(व्यवधान)....

    श्री कैलाश चावला : मुख्यमंत्री जी को यह मालूम ही नहीं है कि वह लाश कब मिली हैं ?

    श्री दिग्विजय सिंह : मैं अपना कथन सुधारना चाहता हूं इसमें पुलिस ने जैसे ही इनके पास में जो फिरौती की चिट्ठी आई है, उसी के आधार पर ही इन्वेस्टीगेशन कर के अभियुक्तां को पकड़ा है। इस इन्वेस्टीगेशन में सारी ही बातें आ गई हैं, वह लोग अरेस्ट हो चुके हैं और अरेस्ट हो कर के उन्होंने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया है अब चालान अदालत में पेश कर के दण्ड आदि दिलवाया जायेगा....(व्यवधान)...

    श्री थावरचन्द गेहलोत : फिरौती के लिए जो स्थगन बतालाया गया हैं वहां पर पुलिस कितनी बार गई हैं ? (व्यवधान)

    एक माननीय सदस्य : जब रूढ़ियों के साथ में समझौता हो सकता है, तो फिर यह पचास हजार रूपये यदि फिरौती मैं दे दिये हो तो तो यह हादसा ही नहीं होता (व्यवधान)

    अध्यक्ष महोदय : अच्छा अब बैठें।

    श्री बाबूलाल गौर : अभी तो चार मिनट और बाकी हैं, सवाल का जवाब तो आने दें अभी नहीं आया हैं (व्यवधान)

    अध्यक्ष महोदय :कृपया आप बैठ जाइयें (व्यवधान)

    श्री कैलाश चावला : अध्यक्ष महोदय, हत्या का उद्देश्यम यह पुलिस क्या मान रही हैं ? फिरौती लेना या गड़े हुए धन को मालूम करना, माननीय अध्यक्ष महोदय, अभी तक भी यही साफ ही नहीं हो पाया है।

    प्रश्न क्रमांक 10....
    प्रश्न क्रमांक 11.....

    अध्यक्ष महोदय : बस बहुत हो गया हैं, बैठे आप।

    श्री कैलाश चावला : सही बात को उजागर ही नहीं कर पा रहे हैं, यह (व्यवधान)

    डॉ. गौरीशंकर शेजवार : अध्यक्ष महोदय, तीन तारीख को पत्र मिला था पुलिस को कि फलाने-फलाने नाले में लाश मिलेगी। और तीन तारीख की सूचना के बाद में बारह तारीख को यह पुलिस केवल लाश ही बरामत नहीं कर सकी हैं। लाश को ही नहीं ढूंढ सकी है और जिन्दा लोगों को मरवा दिया।

    श्री थावर चन्द गेहलोत : मैंने अध्यक्ष महोदय, कब से हाथ खड़ा किया हुआ है, मैंने प्रश्न के समय से ही अपना हाथ खड़ा किया हुआ हैं, हाथ खड़ा किये हुए मेरा तो हाथ ही दुखने लग गया है।

    अध्यक्ष महोदय : अब आप बैठें बहुत हो गया हैं।

    प्रश्न क्रमांक (11)....
    प्रश्न क्रमांक (12).....

    अध्यक्ष महोदय : अभी केवल दो तीन मिनट ही बाकी हैं, आप बैठ जाइये।

    श्री थावर चन्द गेहलोत : आपसे मेरा एक निवेदन है मेरा बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है आपसे मेरा अनुमति का निवेदन है मेरा एक प्वाइन्टेड प्रश्न हैं बड़ा ही महत्वपूर्ण है।

    अध्यक्ष महोदय : बहुत सारे महत्वपूर्ण प्रश्न तो हो ही गये हैं। (व्यवधान)

    डॉ. गौरीशंकर शेजवार : अध्यक्ष महोदय, परिस्थिति तो यही खराब करते हैं, गलत जानकारी दे रहे हैं, इसमें जो लोग निष्क्रिय रहे हैं उनको ही बधाईयां दे रहे हैं यह इनसे जरा आप यह कहें कि सही-सही जवाब दिया करें। मैं यह पूछता हूं कि क्या यह सदन ऐसे ही चलेगा ? यह लोग गलत बयानी करते हैं, मुख्यमंत्री जी ने अच्छी तरह से पढ़ा ही नहीं हैं, उत्तर बिना पढ़े हुए ही वह भाषण कर रहे हैं।

    अध्यक्ष महोदय : अब आप बैठें।