Digvijaya Singh
MENU

17 सितम्बर 1981 मंत्रीमण्डल के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा

17 सितम्बर 1981 मंत्रीमण्डल के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा

दिनांक 17.09.1981


मंत्रीमण्डल के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा।


    कृषि मंत्री (श्री दिग्विजय सिंह) : उपाध्यक्ष महोदय, माननीय सदस्य श्रीमती जगवादेवी के भाषण के बाद अब किसी को भाषण नहीं देना चाहिये, क्योंकि मेजो की थपथपाहट जितना उनके भाषण में हो सकती है और किसी के भाषण में इतना नहीं हो सकती है। उपाध्यक्ष महोदय, मेरे खिलाफ विरोधीदल के नेता ने अपने आरोप पत्र में जो आरोप लगाया हैं उसके संबंध में मैं स्थिति को स्पष्ट कर देना चाहता हूं, उपाध्यक्ष महोदय, मुझे प्रसन्नता होती, मेरे मंत्री काल में मैंने जो काम किए है उसके सम्बन्धा में यदि कोई आरोप लगाया गया होता तो मैं उसका स्वागत करता और उसका स्पष्टीकरण सदन को देता, मेरे खिलाफ जो आरोप लगाया गया है उसके सम्बन्ध में तथ्य जो हैं वह मैं आपको बतलाना चाहता हूं, उपाध्यक्ष महोदय, मेरे द्वारा कृषि भूमि उच्चतम सीमा अधिनियम का उल्लंघन करने सम्बन्धी प्रकरण 725 (अ) 90 (म-3/74-75) सीलिंग अधिनियम के अन्तर्गत अनुविभागीय अधिकारी राघोगढ के न्यायालय में चलाया गया था जिसका निर्णय दिनांक 27-2-76 को हुआ था। अनुविभागीय अधिकारी राघोगढ द्वारा पारित आदेश से तत्कालीन जिलाध्यक्ष गुना सहमत नहीं हुए, अतएव पत्र जरिये क्रमांक क्यू/भ-अभिलेख/सीलिंग/1076 दिनांक 6-10-76 आयुक्त ग्वालियर द्वारा पुनरीक्षण करने की स्वीकृति........

    श्री शीतला सहाय : केस क्या है पहले यह तो बतायें ?

    श्री दिग्विजय सिंह : सीलिंग का केस था और आप डिटेल की बात करते हैं।

    एक माननीय सदस्य : इसके डिटेल तो अदालत में होंगे। 

    श्री दिग्विजय सिंह : उपाध्यक्ष महोदय, इनकी हर बात का उत्तर देने के लिए मैं सक्षम हूं लेकिन मैं कोई नीच हरकत पर नहीं उतरने वाला हूं मेरे पास शीतला सहायजी के बारे में अनेक प्रकरण है मैं उनका उल्लेख नहीं करना चाहता हूं।

    श्री शीतला सहाय : कृषि मंत्रीजी एक बात तय कर लें कि मेरी और कृषि मंत्रीजी की दोनों की जांच हो जाय।

    श्री दिग्विजय सिंह : सन् 1947 के बाद से मेरी सम्पत्ति में बढ़ोतरी हुई या श्री शीलता सहायजी की सम्पत्ति में बढ़ोतरी हुई दोनों की जांच कर लें।

    श्री शीतला सहाय : अगर कृषि मंत्रीजी इस बात के लिए तैयार हैं तो यहां इस सदन में समिति बनाकर हम दोनों की सम्पत्ति की जांच कर ली जाय।

    श्री दिग्विजय सिंह : मैं स्वीकार करता हूं कि सन् 1947 के बाद अगर मेरी सम्पत्ति में वृद्धि होगी तो मैं दण्ड भुगतने के लिए तैयार हूं और अगर श्री शीतला सहाय जी की सम्पत्ति में वृद्धि हुई होती तो इनको दण्ड भुगतने होंगे।
(व्यवधान)

    श्री परशुराम सिंह भदौरिया : उपाध्यक्ष महोदय, प्वाइण्ट आफ आर्डर।
(व्यवधान)
    उपाध्यक्ष महोदय : हां बोलिये।

    श्री परशुराम सिंह भदौरिया : उपाध्यक्ष महोदय, जब माननीय पटवा जी बोल रहे थे उस समय उनको किसी ने डिस्टर्ब नहीं किया था लेकिन अब माननीय मंत्री जी खड़े होकर के जवाब दे रहे हैं तो शीतला सहाय जी खड़े होकर............
(व्यवधान)

    श्री शीतला सहाय : पहले इस सदन में कमेटी बनेगी.....
(व्यवधान)

    श्री दिग्विजय सिंह : व्यवस्था का प्रश्न हैं।

    श्री शीतला सहाय : माननीय उपाध्यक्ष महोदय, कृषि मंत्रीजी के वक्तव्य के पहले कमेटी बनाई जाय।

    श्री सुरेश सेठ : मेरा दोनों माननीय सदस्यों से निवेदन है कि हम लोग जितने भी व्यक्तिगत आरोप लगाते हैं इस सदन के अन्दर न लगाये आप दोनों सदस्य बहुत सज्जन हैं, आप भी सीट पर बैठ चुके है आप भी बैठ जायें।
(व्यवधान)

    श्री शीतला सहाय : सेठ साहब मैं तो अपनी सम्पत्ति की जांच कराने के आफर को स्वीकार कर चुका हूं.....
(व्यवधान)

    उपमुख्य मंत्री (श्री शिवभानु सोलंकी) : आप लोग जब बोल रहे थे तो हमने कोई आपत्ति बीच में नहीं की और अब हम लोग जवाब दे रहे हैं तो आप क्यों नहीं जवाब देने दे रहे हैं ?

    श्री दिग्विजय सिंह : उपाध्यक्ष महोदय, इनको गलत आरोप लगाने की आदत है, गलत सिद्ध हो जाए तो सुनने की आदत नहीं है।

    श्री सुरेश सेठ : माननीय पटवा जी ने जो आरोप लगाये हैं मेरा आपसे निवेदन है कि उस सम्बन्ध में कोई जवाब नहीं देंगे.......

    श्री दिग्विजय सिंह : उपाध्यक्ष महोदय, शीतला सहाय जी असत्य आरोप लगाने के आदि है, अभी कुछ समय पूर्व भी इन्होंने ऐसे ही आरोप लगाये थे, सन् 47 के बाद से इनकी सम्पत्ति बढ़ी है और हमारी घटी है।

    श्री शीतला सहाय : उपाध्यक्ष महोदय, मैं अपनी सम्पत्ति की जांच कराने के लिए तैयार हुं, अगर कृषि मंत्री जी में दम है तो वे तैयार हो जायें.....
(व्यवधान)

    श्री दिग्विजय सिंह : दम हैं.......

    श्री शीतला सहाय : उपाध्यक्ष महोदय, एक समिति बनाई जाये उससे उनकी और मेरी सम्पत्ति की जांच कराई जाये उपमुख्य मंत्री जी से निवेदन करूंगा कि वे प्रस्ताव प्रस्तुत करें और उसमें तीन सदस्य हों. वह समिति मेरी और कृषि मंत्री जी की सम्पत्ति की जांच करके विधान सभा में रिपोर्ट दे, अगर ऐसा नहीं करते हैं तो मैं समझूंगा कि कांग्रेस पार्टी केवल बात कहना जानती हैं उनसे जांच करते नहीं बनती है........
(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय, मैं प्रस्ताव करता हूं कि कमेटी बनाई जाए, जिसके अध्यक्ष कृष्णपालसिंह जी हो और दुबे जी उसके सदस्य हो.....
(व्यवधान)

    श्री विक्रम वर्मा : उपाध्यक्ष महोदय, इस पर डिवीजन करा लीजिए।
(व्यवधान)

    विधि मंत्री (कृष्णपाल सिंह) : उपाध्यक्ष महोदय, मेरा यह निवेदन है कि अभी दोनों ने गरमागरमी में बहस की है इसको यहीं पर समाप्त किया जाये। यह समय प्र्रस्ताव करने का भी नहीं है। उसके नियम होते हैं। अगर बाहर दोनों मुझको एम्पायर मानते हैं तो मैं दोनों की सम्पत्ति की जांच कर लूंगा जिसकी अधिक होगी उसकी कम करा दूंगा.....
(व्यवधान)

    श्री शीतला सहाय : उपाध्यक्ष महोदय, मैं समझता हूं कि राजनैतिक जीवन में इस तरह से ......
(व्यवधान)
उपाध्यक्ष महोदय, मेरे प्रस्ताव पर विचार हो।

    उपाध्यक्ष महोदय : मैं आपको प्रस्ताव रखने की अनुमति नहीं देता हूं, अगर आपको कोई प्रस्ताव देना है तो उसको लिखकर दीजिए।

    श्री शीतला सहाय : उपाध्यक्ष महोदय, प्रस्ताव तो उप मुख्य मंत्री महोदय रखें.....
(व्यवधान)
ख् 4-35 बजे अध्यक्ष महोदय, (श्री यज्ञदत्त शर्मा) पीठासीन हुए ,

    अध्यक्ष महोदय : मैं ऐसा महसूस कर रहा हूं कि संवाद बड़ा रोचक चल रहा है इसलिए मैं उसको शुरू से सुनना चाहूंगा, वैसे मैं बहुत कुछ अन्दर सुन चुका हुं, (व्यवधान) मैंने सुन लिया है यहां पर जो चर्चा हो रही थी वह एक दूसरे की जांच करवाने के लिए चल रही थी, मेरा निवेदन यह है कि मैं सब मंजूर कर लूंगा आप जैसा चाहें वैसे करवा लीजिये पर उसके लिए यह उपयुक्त समय नहीं है।

    श्री शीतला सहाय : अब सवाल यह आया था कि कृषि मंत्री जी पर आपके सामने माननीय पटवाजी ने कुछ आरोप लगाये उसका जवाब देने के लिये कृषि मंत्री खड़े हुए मैंने जब उनको कुछ कहा तो उन्होंने कहा कि शीतला सहाय की और मेरी दोनों की सम्पत्ति की जांच करे और माननीय अध्यक्ष महोदय, इजाजत श्रीमान की हो तो कृष्णपालसिंह की अध्यक्षता में श्री मथुराप्रसाद दुबे और पटवाजी को जोड़कर 3 लोगों की समिति बना दी जाय।

    अध्यक्ष महोदय : नाम भी आप ही तय करेंगे, यह नहीं होगा।

    श्री शीतला सहाय : मैं नाम वापस लेता हूं, मैं एक बात और........

    श्री कृष्णपाल सिंह : यह ऐसे लोगों के नाम बता रहे हैं, मुझे लगता है मिलाने की कोशिश कर रहे हैं।

    श्री शीतला सहाय : यदि कृषि मंत्री बैंक आउट करते हो तो मैं आफर करता हूं कि केवल मेरी सम्पत्ति की जांच की जाय।

    श्री दिग्विजय सिंह : मैं कभी बैंक आउट नहीं करूंगा, यदि आपको अपनी ईमानदारी पर नाज है तो मुझे भी मेरी ईमानदारी पर नाज है।

    अध्यक्ष महोदय : आपको आपकी ईमानदारी पर नाज है और आप को आपकी ईमानदारी पर नाज है, मुझे आप दोनों की ईमानदारी पर नाज है, मेहरबानी करके जांच करवाने की बात लिखकर दीजिये, मैं निर्णय करूंगा मैंने व्यवस्था स्थापित की है विधि मंत्रीजी आप मेरी मदद करें।

    श्री ब्रजमोहन माहेश्वरी : मंत्रीजी आरोप का उत्तर दे रहे थे उसमें कहा है कि हम इतनी आंतक नीचता पर नहीं जा रहे हैं मैं चाहता हूं कि वे शब्द कार्यवाही से निकाले जायें।

    अध्यक्ष महोदय : आप कहेंगे तो निकाल दूंगा और आप कहेंगे तो जोड़ दूंगा।

    श्री दिग्विजय सिंह : ग्वालियर में यह केस लिया और उसके बाद उसे राजस्व मण्डल में सौंप दिया अतः यह प्रकरण अब राजस्व मण्डल न्यायालय में विचाराधीन है इसलिए मेरे मंत्री बन जाने के पश्चात इसका निर्णय नहीं हुआ। इसको वापस लेने का प्रश्न नहीं उठता जो इस तरह असत्य लांछन माननीय विरोधीपक्ष के नेता ने मुझ पर लगाये हैं यह असत्य हैं। इसकी परिधि में नहीं आते है। मैं आपसे निवेदन करूंगा कि जो विरोधीपक्ष के नेता ने मेरे खिलाफ आरोप लगाये हैं वह बिलकुल निराधार हैं, और कृषि मंत्री होने के नाते जब से मैं कृषि मंत्री हूं इससे इसका कोई सम्बन्ध नहीं रहा है। मैं इसमें ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता। माननीय विरोधी पक्ष के नेता ने माननीय मुख्य मंत्रीजी का सम्बन्धी कहकर छींटाकसी की है मेरा रिश्ता उनके सम्बन्धी बनने का रहा है, इसमें मुझें कोई एतराज नहीं है। मुझे तो इस बात की प्रसन्नता होगी यदि माननीय विरोधी पक्ष के साथ भी सम्बन्ध करने का अवसर मिले लेंकिन इसके लिये मुझे प्रार्थना करनी पड़ेगी कि माननीय सदन के सारे सदस्यों से प्रार्थना करनी पड़ेगी कि मुझे इस बात का अवसर दें कि विरोधी पक्ष के नेता के साथ समधी बनने का अवसर प्रदान हो सकें।    

    श्री सुन्दरलाल पटवा : दिग्विजयसिंह जी मुश्किल यह है कि मुझे न लड़का है न लड़की है हम दोनों फक्कड़ हैं।

    श्री दिग्विजय सिंह : हम भगवान से कामना करते हैं कि हमारी भाभी की गोद जल्दी भर दें।

    श्री सुन्दरलाल पटवा : आप मेरे साथ रिश्ता करना चाहे तो बात अलग हैं।

    श्री दिग्विजय सिंह : सभी सदस्य सहमत हों ताकि हमकों इस बात का अवसर प्राप्त हो सकें।

    अध्यक्ष महोदय : रिश्ते की बात चल रही है इसमें कुछ कहना है आपको ?

    श्रीमती जयाबेन : मेरा निवेदन है कि सुन्दरलाल पटवा जी कुछ कह रहे थे हमारे बैरागी जी के बारे में और माननीय अध्यक्ष महोदय हमारी नंदाजी बैरागी ने हमारे मुख्य मंत्री के पुत्र को धर्मपत्नि बनने को समर्पित किया मैं आपकी ओर से हमारे मंत्री महोदय से और मुख्यमंत्री से यह निवेदन करना चाहता हूं कि हमारे बैरागी जी की इस समर्पित भावना को स्वीकार करेंगे क्या...

    श्री सुन्दरलाल पटवा : अब तो मुख्यमंत्री जी पतिव्रता को आपको घर में जगह देना पड़ेगी।

    श्री विट्ठलभाई पटेल : मैं समझता हूं कि आज रात का भोजन इसी के सम्बन्ध मे तो नहीं हैं।

    श्री अर्जुनसिंह : यह तो मेरी व्यक्तित्व रूचि का सवाल हैं।

    श्री बालकवि बैरागी : श्री पटवाजी आपका सम्बन्ध हो या न हो हम उम्मीद करते हैं कि किसी देश का इतिहास बताता है कि जितने जैन समाज है यह राजपूतों से निकला हुआ हैं।

    श्री दिग्विजय सिंह : मैं तो आज तैयार हूं यदि वह तैयार हो तो।

    श्री शीतला सहाय : पटवाजी को एक बात तो ध्यान में रखना चाहिए कि माननीय मंत्रीजी से रिश्ता जोड़ने के लिए कानून का उल्लंघन करेंगे।

    श्री दिग्विजय सिंह : जिस तरह के सम्बन्ध वे चाहते हैं वह तो शीतला सहायजी और पटवाजी के बीच में हो सकते हैं हमारे बीच में नहीं हो सकते।