Digvijaya Singh
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आर्थिक एवं औद्योगिक विकास: समग्र विकास के लिये मध्यप्रदेश की नई आर्थिक विकास नीति घोषित की

आर्थिक एवं औद्योगिक विकास: समग्र विकास के लिये मध्यप्रदेश की नई आर्थिक विकास नीति घोषित की

 

 

मध्यप्रदेश का आर्थिक एवं औद्योगिक विकास - (1993-2003)

 

  • सभी क्षेत्रों के एक साथ समग्र विकास के लिये मध्यप्रदेश की नई आर्थिक विकास नीति घोषित की गयी।
  • नीति में कृषि, उद्योग तथा सेवा क्षेत्रों को एक साथ अधिक महत्व देकर प्रदेश के समग्र विकास की गति तेज करने के प्रावधान किये गये।
  • नीति में सड़कों, रेल, वायु मार्ग, सूचना प्रौद्योगिकी, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, उद्योग, उद्यानिकी, लघु वनोपज, डेयरी, मछली पालन, जीवन विज्ञान, रेडीमेड कपड़े, पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओं, अधोसंरचना विकास, पड़त भूमि विकास, विद्युत प्रदाय सुधार, व्यवसायिक प्रशिक्षण, ई-शासन, वित्तीय सुधार आदि के लिए सुविचारित उपाय सुझाये गये।
  • प्रदेश के आर्थिक और औद्योगिक विकास को एक नया आयाम देने के लिए इन्दौर जिले में 1038 हैक्टर क्षेत्र में विशेष आर्थिक प्रक्षेत्र (स्पेशल इकानॉमिक जोन) विकसित किया गया ।
  • राज्य में पिछले 9 सालों में 238 वृहद मध्यम उद्योग स्थापित हुए, जिनमें 5,242 करोड़ रूपये की रशि का पूंजी निवेश हुआ तथा 33 हजार 809 व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त हुआ।
  • प्रदेश में मनेरी, पीथमपुर, मालनपुर, मंडीदीप, पीलूखेड़ी, बामोर, बालाघाट, बीना व निमरानी में 11089.32 करोड़ के 18 वृहद एवं मध्यम औद्योगिक इकाइयों की स्थापना का कार्य प्रगति पर पहुंचा।
  • इस अवधि में प्रदेश में एक लाख 50 हजार 985 लघु उद्योग स्थापित हुए, जिनमें एक हजार 90 करोड़ रूपये की राशि का पूंजी निवेश तथा 3 लाख 64 137 व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त हुआ।
  • प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों / संस्थानों में औद्योगिक इकाइयों को भूखण्ड आवंटन के लिए विगत नौ साल के दौरान महतवपूर्ण निर्णय लिए गये।
  • इनमें उद्योगों को 30 वर्ष की जगह 99 वर्ष के पट्टे पर भूमि का आवंटन, पिछड़े जिलों में स्थापित होने वाले उद्योगों हेतु भूमि सीमा कानूनों में छूट तथा भूमि शेड आवंटन नियमों में संशोधन के द्वारा आवंटन प्रक्रिया का सरलीकरण शामिल है।
  • इसके साथ ही जिला योजना समिति को 5 एकड़ से अधिक भूमि आवंटन के अधिकार एवं भू-खण्ड आवंटन निरस्तीकरण की अपील सुनवाई के अधिकार दिये गये।
  • प्रदेश के विभिन्न औद्यौगिक क्षेत्रों में विगत नौ सालों में लगभग 40 करोड़ के विकास कार्य हुए