Digvijaya Singh
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06 अक्टूबर 1982 जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के संबंध में

06 अक्टूबर 1982 जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के संबंध में

दिनांक 06.10.1982
ध्यानाकर्षण सूचना का जवाब-जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के संबंध में।
परिशिष्ट ‘‘6’’
     

दिनांक 25 सितम्बर, 1982 को जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के  
        छात्रों द्वारा हड़ताल।

 

    श्री चौ॰ दिलीप सिंह : अध्यक्ष महोदय, मेरी ध्यान आकर्षण सूचना का विषय इस प्रकार है :-
    दिनांक 25-9-82 को जवाहर कृषि विद्यालय जबलपुर अपने विद्यालय में पूर्ण हड़ताल कराकर जबलपुर शहर के प्रमुख मार्गों में गगनभेदी ‘‘नारा’’ परीक्षा में उत्तीर्ण होते ही रोजगार दो वरना कुर्सी छोड़ दो’’ घूमता हुआ सभी दुकानें बन्द कराता हुआ जुलूस कुलपति बंगले पर पहुंचकर उनका घिराव किया तथा राज्य मार्ग को अबरूद्ध कर दिया तथा विश्वविद्यालय भवन के दरवाजें खिड़कियाँ असामाजिक तत्वों द्वारा तोड़कर ध्वस्त कर दी गई है। इस घटना से सम्पूर्ण जबलपुर नगर व जबलपुर सम्भाग के विद्यार्थी व आम जनता में शासन के प्रति क्षोभ व जन असंतोष है तथा छात्रों में भारी आंदोलन जाग्रत होकर प्रदेश में शान्ति व्यवस्था खतरे में हैं। इसलिये इस जनसमस्या को सदन में विचार कर शासन का ध्यान आकृष्ट किया जाय।

     कृषि मंत्री (श्री दिग्विजय सिंह) : जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के अधीनस्थ केवल कृषि इंजीनियरिंग महाविद्यालय के ही छात्रों द्वारा दिनांक 25-9-82 की परीक्षा उत्तीर्ण होते ही नौकरी की गारन्टी देने की मांग को लेकर नारेवाजी एवं प्रदर्शन किया। उन्होंने सुबह डीन तथा कुलपति से वार्ता की और उसके बाद लगभग पचास छात्र नारे लगाते हुए जाकर विश्वविद्यालय का मुख्य कार्यालय बन्द करने का उन्होंने प्रयास किया। स्थिति को देखते हुए कुलपति द्वारा विश्वविद्यालय का कार्यालय दोपहर बाद वन्द किया गया। तत्पश्चात लगभग 3-6 विद्यार्थी राजमार्ग नं॰ 7 पर बैठ गये और मार्ग लगभग दो घन्टे अवरूद्ध रहा। बाद में पुलिस के हस्तक्षेप से दोपहर लगभग दो बजे के बाद सब विद्यार्थी हट गये। यद्यपि इस घटना क्रम में कुछ विद्यार्थियों द्वारा पत्थर फेंकने से कुछ शीशे फूट गये तथापि कृषि इंजीनियरिंग महाविद्यालय में किसी भी प्रकार की क्षति नहीं की गई रविवार दिनांक 26-9-82 को उन्हीं में से लगभग बीस छात्रों ने कृषि नगर प्रवासी कालोनी में कुछ देर तक नारेवाजी की। दिनांक 27-9-82 को छात्रों ने कृषि महाविद्यालय के ही दो बसें अपने छात्रावास परिसर में बन्द की। बाद में 2 विद्यार्थी कार्यालय में कुलपति से वार्ता करने आये तब उन्हें उनकी मागों के संबंध में शासन द्वारा की गई या प्रस्तावित कार्यवाही से अवगत कराया गया। इस सम्पूर्ण घटनाक्रम ने केवल कृषि इंजिनियरिंग महाविद्यालय के ही छात्रों का पार्ट था और कृषि एवं पशुचिकित्सा के समान अन्य महाविद्यालय या जबलपुर शहर की कोई भी शिक्षण संस्था पर किसी प्रकार का परिणाम नहीं हुआ। कृषि अधियांत्रिकी महाविद्यालय छोड़कर सभी संस्थाओं, विद्यालयों एवं महाविद्यालयों का कार्य सर्व साधारण रूप में चल रहा है। केवल 25-9-82 को दो घंटे तक छात्रों ने राजमार्ग नं॰7 अवरूद्ध किया और आधारताल क्षेत्र की कुछ दुकानें दिनांक 25 तथा 26 सितम्बर को बन्द रही। जबलपुर शहर की एक भी दुकान इस कारण से बन्द नहीं थी और कोई मार्ग भी अवरूद्ध नहीं था। इससे स्पष्ट है कि कृषि इंजीनियरिंग महाविद्यालय के छात्रों को छोड़कर अन्य महाविद्यालयों के छात्रों में या आम जनता में किसी प्रकार का रोष या असन्तोष नहीं हैं। और प्रदेश में शांति व्यवस्था खतरे में होने का कोई कारण नहीं हैं।

    2. जहां तक कृषि अभियांत्रिकी स्नातकों की समस्याएं एवं मांगों का प्रश्न है, शासन उसकी पूर्ति के प्रति सजग एवं सतत प्रयत्नशील है। उन्हें समय-समय पर कुछ राहत प्रदान की जा चुकी हैं। उदाहरणार्थ सहायक कृषि यंत्री, सहायक संचालक, कृषि सहायक, उच्च श्रेणी के पदों पर सीधी भर्ती से बी. टेक की योग्यता रखने वाले उम्मीदवारों को नियुक्तयां दी गई है इन नियुक्तियों को भूतलक्षी प्रभाव से नियमित करने का भी निर्णय हो चुका है तथा इसके लिए भर्ती नियमों में संशोधन करने का प्रश्न विचाराधीन हैं।
इसके अलावा कृषि अभियांत्रिक स्नातकों की निम्नलिखित मांगे शासन के विचाराधीन है। इसके अलावा कृषि अभियांत्रिक स्नातकों की निम्नलिखित मांगे शासन के विचाराधीन हैं :-

    (1) लोक सेवा आयोग की लिखित परीक्षा में कृषि विषयक केवल

    (1) केमिस्ट्री, (2) वोटनी, (3) जियालाजी, (4) इकानामिक्स तथा (5) एक्सटेन्शन यह पांच विषय सम्मिलित है। 
इनके अलावा निम्नलिखित दस विषयों में से 3 विषय सम्मिलित किये जायें :-

    (1) फार्म पावर मशीनरी, (2) साईज एण्ड वाटर कन्जरवेशन, (3) इरीगेशन एण्ड ड्रेनेज, (4) लेण्ड डेव्हलपमेंट एण्ड लेगलिंग,। (5) एग्रीकल्चर स्ट्रक्चर, (6) एग्रीकल्चर प्रोसेसिंग, (7) सीड प्रोसेसिंग प्लान्टस, (8) पोल्ट्री एण्ड डेयरी इक्युपमेंट, (9) प्लान्ट प्रोटेक्शन मशीन, (10) बहोपा निल्क प्राडक्शन ट्रेक्नालाजी।

    (2) भूमि संरक्षण कार्यों के लिये कृषि अभियांत्रिकी स्नातकों की नियुक्ति के अवसर उपलब्ध कराए जाये।

    (3) जल प्रबन्ध लेखा एवं लघु सिंचाई, विकास एजेन्सियों में कृषि अभियांत्रिक स्नातकों की सेवायें ली जाये।
उपरोक्त मागें शासन के विचाराधीन हैं तथा उन पर यथा संभव शीघ्र निर्णय लिया जायेगा।