Digvijaya Singh
MENU

22 मार्च 2024 चुनाव और इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दों पर पत्रकार वार्ता

2014 से लेकर आज तक जो चुनाव हुए, पूरे देश में एक जन चर्चा है कि यह जो मैंडेट जनता का मिला है, वह कहीं ना कहीं गड़बड़ है। कई प्रश्न ईवीएम के ऊपर उठते हैं, जिसका जवाब माननीय चुनाव आयोग देता है ना सरकार देती है। इनका जो अति विश्वास झलकता है, 2014 में कहा गया कि हमको 272 से ऊपर सीट मिलेंगी, लेकिन 284 आईं। 2019 में कहा गया 300 पार, 303 आईं। आप कह रहे हैं 400। यह आत्मविश्वास झलकता है, लेकिन यह शुद्ध रूप से कहीं ना कहीं हमें शक पैदा करता है। चुनावी बंड में भी जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, उन्हें धन्यवाद और बधाई दूंगा माननीय उच्चतम न्यायालय को, जिन्होंने इलेक्टोरल बंड के केस में बड़े साहसिक ढंग से सारी जानकारी निकालने के लिए सरकार को बाद किया। उसकी इलीगलिटी तो पहले दिन से हम लोग कह रहे थे। अगर आप देखेंगे कि 2018 से 2024 के बीच में भाजपा को 8200 करोड़ रुपए मिले, तो वो कांग्रेस को 52 करोड़ और कांग्रेस ने फ्रीज कर दिए गए। अब भी प्रकरण सामने आये हैं, जिन कंपनियों के नाम आए हैं, उनका डर देख लीजिए। ईडी, आईटी, सीबीआई रेट करती हैं, वह कंपनी अपने इलेक्टोरल बंड खरीदती हैं। तीन तरह से ये चंदा उगाती हैं - वसूली, एक्सटॉर्शन, और फ्रीज कर देना। बहुत सारे प्रकरण सामने आए हैं, जहां इनके रेड हो जाने के बाद उन्होंने बॉन्ड खरीद कर चंदा भाजपा को दिया। तीसरी श्रेणी में शेल कंपनी आती है, जिनके माध्यम से टक्स सेवन से पैसा आता है। इसमें भी बड़े बड़े भंडार आ रहे हैं, और उन्हें फ्रीज कर दिया जा रहा है। इन सभी कार्यों से यह बात स्पष्ट होती है कि मदर ऑफ डेमोक्रेसी में लोकतंत्र की समाप्ति हो रही है।