#Rajya Sabha 11-12-2014

राजा व्यापारी तो जनता भिखारी

देश में व्याप्त कृषि संकट से संबंधित चर्चा 11-12-2014

मैं आपका आभारी हूँ , की आजकल देश में जो हालत हैं किसानों के , उस चर्चा में मुझे बोलने का मौका दिया।

किसी भी सरकार की कार्यप्रणाली , उसकी नीति, नियम, कार्यों और व्यवहार से जानी से जाती है। ६० के दशक में और उसके के पहले , अंतराष्ट्रीय समुदाय के लोग यह कहते थे कि , जिस तेजी से भारत की आबादी बढ़ रही है , भारत के लोग भूखों मरेंगे , आकाल आएगा। लेकिन ६० के दशक में , इंद्राजी के समय जो हरित क्रांति लाई गई , उसके कारन आज हम उस हालत में है की हम लोग एक्सपोर्ट - निर्यात कर रहे हैं, आत्म निर्भर हैं।

और पिछले २००४ से लेकर २०१४ के बीच, अगर UPA सरकार के दस साल का मूल्यांकन किया जाये तो देखेंगें की पहली बार देश में ग्रामीण क्षेत्र की क्रय शक्ति बड़ी है. और पिछले २००४ से लेकर २०१४ के बीच, अगर UPA सरकार के दस साल का मूल्यांकन किया जाये तो देखेंगें की पहली बार देश में ग्रामीण क्षेत्र की क्रय शक्ति बड़ी है, और साथ में अगर आप न्यूनतम मूल्य लें, minimum support price लें, तो

  • गेंहू पर ५५% बढ़ी ,
  • मोटे अनाज पर ८१% बढ़ी ,
  • धान पर ७५% बढ़ी ,
अगर बैंक क्रेडिट लें ,
  • तो बैंक क्रेडिट में ७००% इज़ाफ़ा हुआ किसानों के लिए ,
  • ७२००० करोड़ का कर्ज़ा माफ़ हुआ ,
जिसके वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में अगर आप पता लगाएं , तो लगभग १८% से ज्यादा खरीद मोटरसाइकिल की हुई , और २२% बढ़ोतरी ट्रैक्टर्स की बिक्री में हुई।

अगर आप देखेंगे एग्रीकल्चर GDP ग्रोथ , NDA सरकार के मुकाबले में उपा सरकार में ज्यादा रही।

इसी के साथ साथ पोस्ट हार्वेस्ट में , फसल के आने के बाद उसके वेयरहाउसिंग की व्ययस्था में बढ़ोतरी करी गई , ताकि उस रिसीप्ट के आधार पर लोगों को , किसानों को पैसा मिल सके , जिससे किसानों को खरीद करने का अवसर मिला , और डिस्ट्रेस सेल से निजात पाई

यदि आप देखें तो, आज, NDA सरकार के हालातों के मैं तुलना करना चाहता हूँ। जो minimum support price की आपने घोषणा करे है मंत्रीजी , उससे कहीं कम कीमतों में किसानों को अपना उत्पाद बेचना पड़ रहा है।, distress सेल हो रहा है

  • मक्का की minimum support price है १३१० रूपए पर बाजार में ११००-१२०० रूपए प्रति क्विंटल में मक्का बिक रहा है।
  • चने का ३१०० रूपए minimum support price और बाजार में २५०० से २८०० रूपए प्रति क्विंटल का भाव है ,
  • उरद का ४३५० रूपए minimum support price है और मार्किट मई ३८०० से ४००० रूपए प्रति क्विंटल में उरद दाल बिक रही है
  • सोयाबीन की फसल, जो की मुख्या रूप से मध्य प्रदेश में उगाई जाती है, NDA सरकार आने के पहले , सोयाबीन के कीमत ३५०० से ३८०० रूपए प्रति क्विंटल थी, , जो आज घटकर लगभग २२०० से २४०० रूपए हो गई है
  • कपास के कीमत जहाँ ४००० रूपए हुआ करती थी , आज २५०० से २६०० रूपए प्रति क्विंटल पर आ गई है।

लेकिन माननीय सभापतिजी किसान के भाव कम हो गये मार्किट में लेकिन उपभोक्ता के भाव कम नहीं हुए मार्किट में ,

  • कपास सस्ता हो गया, कपड़ा सस्ता नहीं हुआ ,
  • धन सस्ता हो गया, चावल सस्ता नहीं हुआ,
  • तिलहन सस्ता हो गया तेल सस्ता नहीं हुआ,
आखिर किसको लाभ हुआ, लाभ हुआ प्रोसेसर को, व्यवसायी को।

माननीय मंत्रीजी आप स्वयं किसान हैं , बिहार का पता लगा लीजिये , किस रेट आज किसानों को धन बेचना पद रहा है मजबूरी में , ९०० से १००० रूपए प्रति क्विंटल में धान बिक रहा है।

जो लेवी पहले ६५% मिलर्स को देनी पडती थी , मुझे आश्चर्य है की अब इसके आदेश केवल २५% के हो गए हैं, स्वाभाविक है तब , जब लेवी का प्रतिशत घटेगा तो धन के भाव भी कम होंगे।

आप किसी भी प्रदेश में पता लगा लें , धान के भाव मिनिमम सपोर्ट प्राइस से कम हैं

यह किसकी जवाबदारी है , और तो और , मध्य प्रदेश में, छत्तीसगढ़ में , मेरे समय से, हम लोगों ने मिनिमम सपोर्ट प्राइस ज्यादा बोनस देने का फैसला किया था। केंद्र सरकार ने भी मिनिमम सपोर्ट प्राइस का जो एग्रीकल्चर प्राइस कमीशन ने जो रिपोर्ट दी , उससे आगे बढ़कर, कीमत दी।

लेकिन हमें जानकारी यह मिली है, कि केंद्र सरकार ने निर्णय ले लिया , कि जो राज्य बोनस देगा, वहां मिनिमम सपोर्ट प्राइस ऑपरेशन नहीं होगा , मार्किट परचेस नहीं होगा, यह हमारे देश के संघीय ढांचा के साथ कुषारघाट है

अगर कोई राज्य सरकार किसी को बोनस देना चाहती है तो आप कौन होतें है इसे रोकने वाले, अगर कोई राज्य सरकार किसी को बोनस देना चाहते है तो आप कौन होतें है इसे रोकने वाले , मैं आपसे स्पस्टीकरण चाहूंगा की जो राज्य अपने बजट से , किसनों को बोनस देना चाहता है उसे आप किस कानून के तहत रोक रहे हैं , किस कानों के तहत आपने मार्केटिंग ऑपरेशंस नहीं करने के धौंस डपट दी है, इस धौंस डपट से सरकार नहीं चलती

माननीय मंत्रीजी महोदय , मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूँ की आपने जो मिनिमम सपोर्ट प्राइस के जो घोषणा के है , जिसमें गेंहू के कीमत में केवल ५० रूपए प्रति क्विंटल आपने बढ़ाया जबकि fertiliser उर्वरक की कीमत यथावत हैं , यही नहीं किसानों को खाद खरीदनें में भयंकर दिक्कत आ रही है , आप किसी भी राज्य में पता लगा लेना , जितनी खाद की आवश्यकता किसनों को है उन्हें नहीं मिल रही है और मजबूरन उन्हें कलबाज़ज़र से खरीदना पड़ रहा है

क्या यह आपकी रिस्पांसिबिलिटी नहीं है की आप केमिकल fertiliser मिनिस्ट्री के साथ बैठ कर चर्चा करें, और खाद समय पर उपलब्ध करवायें

खेती में अगर सही समय पर बोनी नहीं होगी, खाद नहीं मिलेगा, सही समय पर पानी नहीं मिलेगा, तो फसल कैसे आएगी , मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूँ , इस पर थोड़ा विचार करने की आवश्कता है, और विशेष तौर से कृषि मंत्रालय को केमिकल fertilizer मिनिस्ट्री के साथ बैठ कर चर्चा करना चाहिये और एडवांस स्टॉकिंग होना चाहिये

मैं मुख्य मंत्री रहा , एडवांस स्टॉकिंग हम लोग करते थे , एडवांस स्टॉकिंग के लिए जो व्यय करना पड़ता था वोह राज्य सरकार अपने बजट से करती थी, दस साल के मेरे कार्यकाल में ,एक बार भी कालाबाज़ारी के शिकायत नहीं आई, लेकिन आप की सरकार जैसे ही मध्य प्रदेश में आई , उन्होंने उसको खुला कर दिया, और आज खुले आम कलाबाज़ारी , खाद की हो रही है। और मैं समझता हूँ की हर प्रान्त में यही शिकायत है।

इसी से साथ मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूँ , माननीय सभापति महोदय , किसानों के हित में भूमि अधिकरण अधिनियम भी हम लोग लाये , सुषमा स्वराज जी के कथन के अनुसार , हमारा एजेंडा लागू कर दिया गया है, हम जानना चाहेंगे माननीय मंत्रीजी से - भूमि अधिकरण अधिनियम में परिवर्तन करने का वादा जो आपने corporate सेक्टर से किया हुआ है, चुनाव के समय से, क्या वोह आप निभायेंगे ? या किसानों के प्रतिनिधी के रूप में आप उसका विरोध करेंगे ? इस बारे में स्पस्टीकरण , आपको अपने जवाब में ,देना पड़ेगा माननीय मंत्रीजी।

मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूँ , माननीय मंत्रीजी कृपया यह बताएं की किसानों के हित में आप क्या करना चाहते हैँ

क्रॉप इन्शुरन्स , किसानों को प्रोटेक्ट करने के लिये , केंद्र सरकार ने योजना बनाई , लेकिन क्रॉप इन्शुरन्स का इम्प्लीमेंटेशन / क्रियान्वन है , उसमे काफी दिक्कत है, उधारण के लिए पिछले साल मध्य प्रदेश में सोयाबीन की जो फसल ख़राब हुई थी, तो क्रॉप इन्शुरन्स बोनी के पहले मिल जाना चाहिए था, यानि के अक्टूबर २०१३ में जो फसल ख़राब हुई , अगर उसका क्रेडिट इन्शुरन्स कम्पनीज द्वार किसानों को २०१४ की बोनी से पहले नहीं मिलेगा तो वे खाद और बीज कैसे खरीद पायेंगे , इसलिए क्रॉप इन्शुरन्स के इम्प्लीमेंटेशन / क्रियान्वन पर ध्यान देने की आवश्यकता है

मैं हमेशा से आर्गेनिक फार्मिंग / जैविक खेती का पक्षधर रहा हूँ , और मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री के रूप में सबसे पहले हम लोगों ने आर्गेनिक फार्मिंग को प्रोत्साहन हम लोगों ने दिया , जो बढ़ती कीमतें हैं fertilisers की , जो जो बढ़ती कीमतें हैं बीज और पेस्टिसाइड की , आज यदि हम लोगों ने आर्गेनिक फार्मिंग / जैविक खेती पर ध्यान नहीं दिया , तो हालत किसानों के सुधर नहीं सकते।

किन कारणों से आज सुसाइडहो रहें हैं , उसके बारे में अध्यन करे के आवश्कयता है, हम उसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहते, हालाँकि मध्य प्रदेश अकेले में, पिछले दस साल में १७००० से ज्यादा किसानों ने आत्महत्या के है , इनके कारण क्या है ?

उसका मूल कारण, माननीय सभापतिजी

  • गिरता हुआ जलस्तर / Depleting Groundwater - टुबवेल में खर्चा किया, सूख गया
  • क्रेडिट की कमी - क्रेडिट की कमी के वजह से बाजार से उसको २% ३% प्रतिमाह पर कर्ज़ा लेना पड़ता है, जो २४-२६% सालाना हो जाता है - आसान बैंक क्रेडिट मिलना चाहिए किसानों को
  • पुअर क्रॉप सिलेक्शन गलत फसल चयन
  • जिस तरह से लोगों को जेनेटिकली मॉडिफाइड सीड्स दिया जाता है , आकर्षक वादे करके , उसके अंदर,जो गलत तरीके का बीज प्रोडूस किया जाता है , उसके वजह से भी आत्महत्याएं हुई है

और साथ में इस पर भी आपको ध्यान देने के आवश्यकता है एग्रीकल्चर स्टेटिस्टिक्स पर एक बड़ी आश्चर्यचकित कर देने वाली बात है माननीय सभापतिजी , मध्यप्रदेश का उद्धरण मैं आपको देना चाहता हूँ , मध्य प्रदेश में जब देश का GDP ग्रोथ ३-४% , तब २०१३-१४ में मध्यप्रदेश ने २४.९९ % ग्रोथ दिखाई है, क्या यह संभव है, असंभव !!!

उसी के साथ साथ २०१२-१३ के २०% २०१३-१४ मैं १९.०८ % - एक तरफ आपका GDP देश से ज्यादा, और दूसरी तरफ राज्य सरकार केंद्र सरकार से पैसे मांग रही है , ओलापीड़ित के लिए , सूखा पीड़ित के लिए , इस तरह का फर्ज़ीकरण करने के गुस्ताखी और किसी के पास है ? माननीय सभापति जी, मैं यही बात भाजपा के लोगों को कहना चाहता हूँ

आज इस चीज़ पर बहुत ध्यान देने के आवश्यकता है - क्वालिटी सीड्स और सीडलिंग्स। इसपे रेगुलेशन बराबर होना चाहिए , सीड सर्टिफिकेशन एजेंसीज पर ध्यान देना चाहिए , क्वालिटी सीड्स और हॉर्टिकल्चर के लिए, अगर क्वालिटी सीड्स नहीं मिलेंगे तो आगे मदद नहीं हो पायेगी

एग्रीकल्चर एक्सटेंशन बहुत जरूरी है , टेक्नोलॉजी से एग्रीकल्चर एक्सटेंशन बहुत तेजी से हो रहा है और साथ मैं इस बात के बहुत जरूरत है की किसानों के ट्रेनिंग प्रोग्राम सक्रीय रूप से बढ़ाये जाने के आवश्कयता है

भाजपा ने अपने इलेक्शन मैनिफेस्टो मैं कहा था, हम इसे उद्योग का दर्ज देंगे , और जितनी भी लागत है उसका ५०% प्रॉफिट देंगे , अभी तक ७ महीने मैं माननीय मंत्रीजी ऐसा कोई भी निर्णय इन्होने नहीं लिया , जिससे यह महसूस हो सके की लागत का ५०% प्रॉफिट आने वाला है , मिनिमम सपोर्ट प्राइस पर अगर सही प्राइस रखते तो हो सकता था

इसी तरह जेनेटिकली मॉडिफाइड सीड्स के बारे में स्वदेशी जागरण मंच और भारतीय किसान संघ तक उनका विरोध करता रहा है , इस बारे में आप लोगों ने जो समिति बनाई उसको फील्ड ट्रायल्स के लिए अप्रूवल दिया है। भारतीय किसान संघ ने आपकी सरकार के बारे में कहा है कि - इस सरकार ने हमारे साथ विश्वासघात किया है, अगर आप ही का संघठन, आरएसएस का संघठन भारतीय किसान संघ, आज आपसे कह रहा है की आपने उनके भावनाओं के साथ विश्वासघात किया है , तो माननीय सभापतिजी तो आप समाज सकते हैं के भारत के किसान आपके सरकार के बारे में क्या सोच रहे होंगे.

मैं अंत में आप से इतना ही जानना चाहता हूँ की आज पूरे देश में , मोदीजी के पहचान किसके साथ है , व्यापारियों के साथ, व्यवसायी के साथ, corporate के साथ , और केवल corporate सेक्टर को ७ महीने में लाभ पहुंचा है और किसानों को नुक्सान हुआ है, व्यापारियों और व्यवसायीओं को फायदा हुआ है , एहि आपकी कथनी और करनी में अंतर है, अंतर रहा है, और जनता इस बात को देख रही है, और मेरे भाई जो अभी कहा था सही कहा था , राजा व्यापारी तो जनता भिखारी

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